Ayurveda ek Anmul Den

Ayurveda ek Anmul Den What is Ayurveda medicine? Ayurveda is an ancient Indian medicine that appeared for the first time around 5000 years ago.

It’s in fact some of world’s oldest health systems and it has a proven beneficial effect on many health problems

मेथी के फायदे (methi ke fayde) हैंं नीचे दिए जा रहे हैंः-बालों का झड़ना रोकने में मेथी के औषधीय गुण फायदेमंद (Methika Se...
27/03/2023

मेथी के फायदे (methi ke fayde) हैंं नीचे दिए जा रहे हैंः-

बालों का झड़ना रोकने में मेथी के औषधीय गुण फायदेमंद (Methika Seeds Benefits in Hair Loss in Hindi)
मेथी के फायदे से बालों का झड़ना रोका जा सकता है। इसके लिए 1-2 चम्मच मेथी के दानों को रात भर के लिए भिगो दें। इसे सुबह पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। एक घण्टे बाद बालों को धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार लगाने से बालों का गिरना (methi dana benefits for hair) बंद हो जाता है।

Methika Seeds Benefits in Hair Loss
(Benefits of Methika Seed to Treat Runny Ear in Hindi)
कान के बहने की बीमारी में मेथी के फायदे ले सकते हैं। मेथी के बीजों (Methi Seeds) को दूध में पीस लें। इसे छानकर तैयार कर लें। इस रस को गुनगुना या हल्का गर्म करके 1-2 बूँद कान में डालें। इससे कान का बहना बंद हो जाता है।

मेथी के सेवन से ह्रदय रोग में लाभ (Methika Seed is Beneficial for Heart in Hindi)
एंटीआक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए लाभकारी है। यह रक्त-संचार को सही रखता है। मेथी में घुलनशील फाइबर होता है जो हृदय रोग के खतरे को घटाता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए मेथी के 10-15 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पिएं।
मेथी के दाने खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करते हैं। रोजाना मेथी के दानों के चूर्ण का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल कम (methika Benefits) होते हैं।
और पढ़ें: कोलेस्ट्रॉल के घरेलू उपचार

पेट के रोग में मेथी के सेवन से लाभ (Fenugreek Benefits to Get Relief from Stomach Problems in Hindi)
मेथी के बीज कब्ज दूर करने में काफी लाभकारी हैं। मेथी, चंद्रसूर, मंगरैला (कलौंजी) और अजवायन का रोजाना सेवन करें। इससे गैस सम्बन्धी रोग, अपच, पेट में दर्द, भूख की कमी, पेट का फूलना, पेट दर्द और कमर दर्द आदि रोगों में लाभ होता है।

Fenugreek Benefits to Get Relief from Stomach Problems

मेथी के सेवन से कब्ज का इलाज (Fenugreek is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)
कब्ज में मेथी का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। अगर कब्ज से परेशान रहते हैं तो मेथी के पत्तों का साग बनाकर खाएं। इससे कब्ज की परेशानी से राहत मिलती है। मेथी मल को नरम करके कब्ज को ठीक करता है।

मेथी के औषधीय गुण से उल्टी पर रोक (Fenugreek Seed Benefits to Stop Vomiting in Hindi)
उल्टी की परेशानी में मेथी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। बार-बार उल्टी से परेशान रहते हैं तो मेथी के बीजों का चूर्ण का सेवन करें। इससे उल्टी बंद होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मेथी का औषधीय गुण लाभदायक (Methika Powder Benefits to Control Blood Sugar Level in Hindi)
आप मेथी के फायदे (methi ke fayde) डायबिटीज में भी ले सकते हैं। मेथी का नियमित सेवन करने से खून में चीनी की मात्रा नियंत्रित रहती है।
एक चम्मच मेथी के दानों का चूर्ण बना लें। इसे रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें।
मेथी के दानों को रोज पानी में भिगो दें। इसे सुबह चबा-चबा कर खाएं। ऊपर से मेथी दाने का पानी भी पी लें।
Methi pani

पेचिश में मेथी के फायदे (Methika Seed Benefits to Stop Dysentery in Hindi)
मेथी से पेचिश का इलाज किया जा सकता है। इसके लिए 5 ग्राम मेथी के बीजों को घी में भून लें। इसे खाने से दस्त में लाभ होता है।
मेथी के बीजों को भूनकर काढ़ा बना लें। 15-20 मिली मात्रा में काढ़ा पीने से पेचिश में लाभ होता है।
अगर लंबे समय से दस्त से परेशान हैं तो 1-2 ग्राम मेथी चूर्ण को छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
प्रसव के बाद महिलाओं को होता है मेथी के सेवन से लाभ (Fenugreek is Beneficial for After Pregnancy Women in Hindi)
महिलाओं को प्रसव के बाद मेथी के औषधीय गुण से बहुत लाभ मिलता है। मेथी दाना से प्रसूता स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ता है। मेथी के सेवन से माता के दूध की गुणवत्ता भी बढ़ती है जिससे शिशु का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है। माताएं मेथी की सब्जी, सूप आदि का सेवन कर सकती हैं।
जीरा, सौंफ, सोया, मेथी आदि में गुड़, दूध एवं गाय का घी मिलाकर पका लें। इसका सेवन कराएं। इससे योनि के रोग, बुखार, टीबी, खाँसी, सांसों का फूलना, एनीमिया, दुबलापन आदि बीमारियों में लाभ होता है।
गैस बनने और गैस के कारण होने वाले रोगों में भी मेथी के सेवन से लाभ होता है।
मेथी के दानों (fenugreek) को रातभर भिगो कर सुबह खाया जाता है।
और पढ़ें: स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए चावल के फायदे

मासिक धर्म विकार में मेथी के फायदे (Benefits of Fenugreek for Menstrual Problems in Hindi)
आज बड़ी संख्या में महिलाएँ मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हैं। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द, अधिक रक्तस्राव जैसी परेशानी होने लगती है। मासिक धर्म की प्रक्रिया को एस्ट्रोजेन नामक एक हारमोन नियंत्रित करता है। मेथी के दानों में एस्ट्रोजेन के गुण होते हैं, इसलिए यह मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में लाभदायक होता है। मेथी के सेवन से खून भी बनता है, और दर्द भी कम (methi dana ke fayde) होता है. मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करने के लिए मेथी के 1-2 ग्राम बीजों का सेवन करें।
आप मेथी के दानों की चाय बनाकर भी पी सकती है। मेथी की चाय को मीठा बनाकर थोड़ा ठंडा होने दें। इसमें शहद मिला लें। अधिक लाभ होगा।
Period pain

(Benefits of Methika for Gonorrhea Treatment in Hindi)
1-2 ग्राम मेथी के चूर्ण में गुड़ मिलाकर सेवन करने से गोनोरिया रोग में लाभ (methi ke fayde) होता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।

घावों में मेथी के फायदे (Benefits of Methika for Healing Wounds in Hindi)
घाव में मेथी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। घाव में अगर सूजन हो गई हो, और जलन भी हो रही तो मेथी के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे घाव की सूजन और जलन दोनों ही ठीक हो जाती है।
बंद मुँह वाले घावों में मेथी के बीजों को पीसकर (methi dana ke fayde) लगाएं।
लीवर को स्वस्थ रखने के लिए मेथी का सेवन फायदेमंद (Benefits of Methika for Healthy Liver in Hindi)
एक रिसर्च के अनुसार, मेथी में एंटी-ऑक्सीडेंट और हिपेटो-प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं। यह लीवर के लिए भी लाभदायक होता है।

Benefit of Methika for Healthy Liver

न्यूरो समस्याओं (तंत्रिका विकार) में मेथी का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Methika to Cure Neurological Disorder in Hindi)
1-2 ग्राम मेथी के बीज का चूर्ण सेवन करें। इससे तंत्रिका-तंत्र से संबंधित विकारों में लाभ होता है। इसके इस्तेमाल से धीरे-धीरे तंत्रिका-तंत्र की समस्याएं ठीक होने लगती हैं।

शरीर में दर्द होने पर मेथी का औषधीय गुण फायदेमंद (Methi Benefits to Get Relief from Body Pain in Hindi)
मेथी (methika) के दानों में दर्दनिवारक गुण होते हैं। 1-2 ग्राम मेथी चूर्ण का सेवन करने से पूरे शरीर का दर्द कम होता है।

त्वचा रोग में मेथी के औषधीय गुण से लाभ (Methika Benefits for Skin Disease in Hindi)
आप मेथी के फायदे से त्वचा रोग का इलाज भी कर सकते हैं। मेथी का लेप बना लें। इसे त्वचा रोग जैसे दाद-खाज-खुजली या एग्जिमा वाले स्थान पर लगाएं। यह लाभ दिलाता है।

Methika Benefits for Skin Disease

सूजन में मेथी के फायदे (Methika Benefits to Reduce Inflammation in Hindi)
मेथी में एंटी-इनफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) गुण भी पाया जाता है। किसी भी प्रकार की सूजन होने पर मेथी के पत्तों एवं बीजों को पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
मेथी के बीज और जौ के आटे को सिरके के साथ पीस लें। अगर गालों पर सूजन हो गई हो तो गालों पर पतला लेप करें। इससे सूजन कम (methi dana ke fayde) होती है।
अर्थराइटिस (गठिया) के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है मेथी (Methika is Beneficial to Treat Arthritis in Hindi)
गठिया की बीमारी में भी मेथी से लाभ होता है। दरअसल गठिया (अर्थराइटिस) वात दोष के कारण होता है। मेथी में वात को संतुलित करने के गुण पाए जाते हैं। यह गठिया (अर्थराइटिस) के दर्द को कम करने में मदद करता है। आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से गठिया में मेथी के इस्तेमाल की जानकारी लें।

पाचन-तंत्र विकार में मेथी के फायदे (Benefit of Methika for Dygestive Disorder in Hindi)
मेथी में उष्ण और दीपन गुण पाए जाते हैं। इसके कारण यह पाचन अग्नि को बढ़ाकर पाचन-तंत्र को मजबूत रखता है। यह भूख बढ़ने में भी मदद करता है।

रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मेथी फायदेमंद (Methika Benefits to Keep Stable Blood Pressure in Hindi)
आपको रक्तचाप की समस्या है तो मेथी से लाभ ले सकते हैं। मेथी में एंटी-हाइपरटेन्सिव का गुण होता है जिससे यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।

प्याज के रस के फायदे (Pyaj ka ras ke fayde)प्याज का इस्तेमाल सभी रूपों में फायदेमंद ही होता है. प्याज को उसके रस के लिए ...
05/06/2022

प्याज के रस के फायदे (Pyaj ka ras ke fayde)
प्याज का इस्तेमाल सभी रूपों में फायदेमंद ही होता है. प्याज को उसके रस के लिए भी कई जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है. तो आइये देखते हैं प्याज के रस के कुछ लाभकारी फायदे.

आँखों की तकलीफ दूर करे :
आँखों से पानी आना या आँखों की रोशनी कम होने पर प्याज के रस को दवाई के रूप में आँखों में डालने पर फायदा मिलता है. प्याज के रस को गुलाब जल के साथ मिला कर आँखों में कुछ बूंद डालने से भी आँखों की समस्या दूर होती है.

खूबसूरती बढ़ाए :
प्याज के रस को हल्दी के साथ पेस्ट बना के लगाने से भी चेहरे के दाग मिटने लगते हैं और चेहरे की त्वचा चमकने लगती है, और आपकी खूबसूरती बढ़ने लगती है.

जलन से बचाए :
अगर आपको चमड़ी पर जलने का निशान है तो प्याज का रस उस पर लगाये, कुछ ही दिनों में निशान जाने लगेंगे. किसी भी प्रकार जलने पर प्याज का रस तुरंत लगाने से जलन कम होती है.

बुखार का साथी :
बुखार, सामान्य सर्दी, खाँसी, एलर्जी में प्याज का उपयोग तुरंत ही फायदा पहुंचाता है. प्याज के रस को शहद के साथ मिला कर सेवन करने से एलर्जी का प्रभाव कम होता है. अधिक बुखार आने पर प्याज के टुकड़े को सिर पर रखिए, यह ठंडक देता है, जिससे बुखार कम होने लगता है. अगर फिर भी बुखार कम नहीं हो रहा हो, तो प्याज के रस को सिर तथा हाथ पैर पर लगाने से भी फायदा मिलता है.

लू से बचाए :
गर्मी के मौसम में गर्म हवा के कारण (लू लगने से ) हम बीमार पड़ जाते हैं. इस समय प्याज का रस अमृत के समान है. प्याज के रस को सिर, हाथ पैर पर लगाने से तथा इसे सूँघने से लू का असर कम होने लगता हैं. अगर आप कहीं धूप में जा रहे हैं तो अपने साथ एक प्याज अवश्य रखिए. यह आपको लू ( गर्म हवा ) से बचाएगा.

मधुमक्खी के डंक से बचाए :
यह जानना बहूत ही दिलचस्प होगा की प्याज का रस आपको मधुमक्खी के डंक से बचाता है. अगर आपको कभी अचानक मधुमक्खी काट ले तो घबराइए नहीं. प्याज के रस को तुरंत ही उस जगह लगाये और देखिये थोड़ी ही देर में आप उस परेशानी से दूर हो जाएंगे.

बालों के लिए अत्यंत लाभकारी :
प्याज के रस को बालों की जड़ में लगाने से बालों का टूटना एवं झड़ना कम होता है. यह बालों में होने वाली जूँ से भी बचाता है. हफ्ते में कम से कम दो बार प्याज के रस का प्रयोग बालों में करना चाहिए. यह बालों को स्वस्थ एवं मजबूर बनाता है.

प्याज सूंघने के फायदे
प्याज सूंघने से आपको जुकाम जैसी समस्या पैदा नहीं होती है उससे इस समस्या से काफी फायदा पहुंचता है। जिसके बारे में हम ही नहीं कह रहे बल्कि ये हमारे बड़ो का भी कहना है कि प्याज को जुकाम के समय सूंघने से काफी आराम मिलता है। तो कच्ची प्याज ले और उसे सूंघे आपकी नाक और आपका जुकाम दोनों ही ठीक हो जाएगे।

1. पेट की बीमारियों के लिए यह बहुत प्रभावी दवा है जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रिक डिस्ऑर्डर के लिए।  2. सौंफ आपकी याददाश्त ...
18/04/2022

1. पेट की बीमारियों के लिए यह बहुत प्रभावी दवा है जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रिक डिस्ऑर्डर के लिए।

2. सौंफ आपकी याददाश्त बढ़ाती है।

3. सौंफ का नियमित सेवन दृष्टि को तेज करता है। 5-6 ग्राम सौंफ रोज लेने से लीवर और आंखों की ज्योति ठीक रहती है।

4. सिंकी हुई सौंफ मिश्री के साथ खाने से आवाज तो मधुर होती ही है यह खांसी भी भगाती है।

5. अगर आप चाहते हैं कि आपका कोलेस्ट्रॉल स्तर न बढ़े तो खाने के लगभग 30 मिनट बाद एक चम्मच सौंफ खा लें। सौंफ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखती है।

6. सूखी, रोस्टेड और कच्ची सौंफ को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे खाने के बाद खाएं। इससे पाचन क्रिया बेहतर रहेगी और आप हल्का महसूस करेंगे।

7. अगर आप एक चम्मच सौंफ 2 कप पानी में उबाल लें और इस मिश्रण को दिन में दो-तीन बार लें तो आपकी आंतें अच्छा महसूस करेंगी और खांसी भी लापता हो जाएगी।

8. सौंफ की पत्तियों में खांसी संबंधी परेशानियां जैसे दमा व ब्रोन्काइटिस को दूर रखने की भी क्षमता होती है।

9. सौंफ को अंजीर के साथ खाएं और खांसी व ब्रोन्काइटिस को दूर भगाएं। कफ और खांसी के इलाज के लिए सौंफ खाना उपयोगी है।

10. मासिक चक्र को नियमित बनाने के लिए सौंफ खाएं।

11. अपच संबंधी विकारों में सौंफ बेहद उपयोगी है। बिना तेल के तवे पर सिंकी हुई सौंफ और बिना सिंकी सौंफ को मिलाकर लेने से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है।

12. दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है।

13. अस्थमा के उपचार में सौंफ कमाल की सहायक है।

14. गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है।

15. यह शिशुओं के पेट और उनके पेट के अफारे को दूर करने में बहुत उपयोगी है।

16. एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में उबलने दें और 20 मिनट तक इसे ठंडा होने दें। इससे शिशु के कॉलिक का उपचार होने में मदद मिलती है। शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए।

17. सौंफ के पावडर को शकर के साथ बराबर मिलाकर लेने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है। भोजन के बाद 10 ग्राम सौंफ लेनी चाहिए।

चिरायता के 18 फायदे – 18 Health Benefits of Chirata in Hindiचिरायता का उपयोग सालों से हेपेटाइटिस, सूजन और पाचन रोगों के ...
27/03/2022

चिरायता के 18 फायदे – 18 Health Benefits of Chirata in Hindi
चिरायता का उपयोग सालों से हेपेटाइटिस, सूजन और पाचन रोगों के उपचार के लिए किया जाता रहा है (1)। ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया है। बस ध्यान दें कि किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को चिरायता पर निर्भर रहने की जगह इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

1. बुखार, खांसी और जुकाम के लिए
चिरायता से खांसी, बुखार और जुकाम का घरेलू इलाज किया जा सकता है। दरअसल, यह सारी समस्याएं वायरल इंफेक्शन की वजह से होती हैं (2)। ऐसे में चिरायता में मौजूद एंटी-वायरल गुण फायदेमंद हो सकता है। बताया जाता है कि चिरायते की जड़ से खांसी, बुखार और जुकाम से राहत मिल सकती है

कोरोना की वजह से भी बुखार और खांसी जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं (3)। इन सभी लक्षणों को ठीक करने में भी चिरायता मदद कर सकता है। खुद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से चिरायता का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है

2. इम्यूनिटी के लिए

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी चिरायता फायदेमंद हो सकता है। चिरायता में मैग्निफेरिन (Mangiferin) बायोएक्टिव कंपाउंड होता है। यह यौगिक इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है। इस प्रभाव की मदद से रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर की जरूरत के हिसाब से कार्य कर सकती है (1)।

3. ब्लड शुगर
चिरायता ब्लड शुगर लेवल को कम करने में लाभदायक हो सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से पब्लिश एक रिसर्च पेपर में भी इस बात का जिक्र है। शोध के मुताबिक, चिरायता में अमारोगेंटिन (Aamarogentin) बायोएक्टिव कंपाउंड होता है। यह कंपाउंड एंटी-डायबिटिक प्रभाव दिखाता है। इसी वजह से माना जाता है कि चिरायता ब्लड शुगर को कम कर सकता है

4. एनीमिया
चिरायता का उपयोग आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है। यह शरीर को खून की कमी से भी बचा सकता है। इसकी पत्तियों में मौजूद विटामिन और खनिज हेमाटिनिक (Haematinic) प्रभाव होता है। यह प्रभाव शरीर में खून को बनाने में सहायक हो सकता है, इसलिए एनीमिया के घरेलू उपचार में चिरायता का उपयोग किया जा सकता है

5. लीवर
चिरायता के पौधे का इस्तेमाल लीवर संबंधी विकार को दूर करने के लिए वर्षों से किया जा रहा है। एक रिसर्च में बताया गया है कि चिरायता में स्वेरचिरिन (Swerchirin) कंपाउंड होता है, जो हेपटोप्रोटेक्टिव गतिविधि प्रदर्शित कर सकता है। यह प्रभाव लिवर को क्षति से बचाने में सहायक हो सकता है। इसके कारण लीवर संबंधी बीमारी, जैसे – हेपेटाइटिस, हेपेटाइटिस-बी और सी से भी बचा जा सकता है

6. पाचन स्वास्थ्य के लिए
चिरायता का उपयोग पाचन स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है। इस जड़ी-बूटी की कड़वाहट शरीर में लार (Saliva) और गैस्ट्रिक जूस को उत्तेजित करके अपच की समस्या को कम कर सकती है। साथ ही चिरायता गैस्ट्रिक एंजाइम को उत्पादित करके पाचन में सहायक हो सकता है। यह पित्त यानी बाइल के स्राव को बढ़ाकर भी पाचन को सुधारने और कब्ज को दूर करने का काम कर सकता है

7. खून साफ करने में मददगार
चिरायता के गुणों का उपयोग खून साफ करने वाली आयुर्वेदिक औषधि बनाने के लिए भी किया जाता है। जी हां, चिरायता का सेवन करने से खून को साफ भी किया जा सकता है (1)। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि चिरायता में मौजूद कौन-सा गुण और तत्व खून साफ करने में मदद करता है।

8. भूख बढ़ाने में सहायक
चिरायता का इस्तेमाल भूख बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। एक रिसर्च पेपर में लिखा है कि यह पित्त यानी बाइल के स्राव को बढ़ाता है, जिससे भूख बढ़ सकती है। इसी वजह से वर्षों से चिरायता का उपयोग भूख को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है

फायदे और भी हैं

9. मलेरिया बुखार
पारंपरिक तौर पर चिरायता का प्रयोग मलेरिया के बुखार से बचाव के लिए भी किया जाता रहा है। चिरायता में स्वेरचिरिन (Swerchirin) नामक तत्व होता है, जो एंटी-मलेरिया की तरह काम कर सकता है। इस प्रभाव के कारण मलेरिया और उससे संबंधित लक्षणों से राहत मिल सकती है। इसके लिए चिरायते का इस्तेमाल काढ़े के रूप में किया जा सकता है

10. आंखों के लिए फायदेमंद
चिरायता को आंखों का टॉनिक कहा जाता है, इसलिए आंखों के स्वास्थ्य के लिए चिरायता का सेवन करने की सलाह दी जाती है (6)। दरअसल, विटामिन-सी आंखों की रोशनी बेहतर रखने और उम्र से संबंधित आंखों की बीमारियों से बचाव कर सकता है (7)। वहीं, चिरायता के पौधे में भी विटामिन-सी होता है (1)। इसी वजह से चिरायता को आंखों के लिए फायदेमंद माना जाता है।

11. पेट के कीड़े
चिरायता में एंथेल्मिंटिक (Anthelmintic) प्रभाव होता है। यह एक तरीके का एंटीपैरासिटिक गुण होता है, जिससे पेट व आंतों में होने वाले कीड़ों को नष्ट करने में मदद मिल सकती है। इसी वजह से पेट के कीड़ों को मारने के तरीके के तौर पर इस जड़ी-बूटी को उपयोग किया जाता है

12. जोड़ों के दर्द
चिरायता की जड़ जोड़ों के दर्द से राहत दिला सकती है। दरअसल, चिरायता में स्वेरटियामारिन (Swertiamarin) कंपाउंड होता है, जो एंटी-अर्थराइटिक गतिविधि दिखाता है। इस प्रभाव से अर्थराइटिस की समस्या कम हो सकती है। अर्थराइटिस यानी गठिया का सबसे बड़ा लक्षण जोड़ों में दर्द है। इसी वजह से माना जाता है कि चिरायता प्रभावी तरीके से जोड़ों के दर्द की समस्या को कम कर सकता है

13. त्वचा स्वास्थ्य
चिरायता का इस्तेमाल त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए भी किया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है (1)। यह गतिविधि फोटोएजिंग यानी सूरज की रोशनी से होने वाले एजिंग को कम कर सकती है। साथ ही इसे त्वचा को निखारने में भी सहायक माना जाता है (8)। इसके अलावा, चिरायता त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक हो सकता है

14. कैंसर
चिरायता का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव के लिए भी किया जाता रहा है। दरअसल, चिरायता में अमारोगेंटिन (Amarogentin) कंपाउंड होता है। यह कंपाउंड एंटी-कैंसर गतिविधि प्रदर्शित करता है, जिससे कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है (1)। ध्यान दें कि चिरायता कैंसर से बचाव का एक तरीका हो सकता है, लेकिन यह इस बीमारी का इलाज नहीं है। इसके इलाज के लिए चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है।

15. हिचकी और उल्टी के लिए
एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि चिरायते के गुण उल्टी और हिचकी रोकने में मददगार हो सकते हैं (1)। बताया जाता है कि चिरायता की कड़वाहट लार और बाइल को उत्तेजित करके हिचकी को कम कर सकती है (6)। उल्टी में यह कैसे फायदेमंद है, यह स्पष्ट नहीं है। हां, उल्टी से राहत पाने के लिए बराबर मात्रा में शहद और चिरायता खाने से फायदा मिल सकता है

16. अधिक योनि स्राव
चिरायते के पूरे पौधे का उपयोग अधिक योनि स्राव से बचाव के लिए किया जा सकता है। एनसीबीआई द्वारा पब्लिश एक रिसर्च में भी इस बात का जिक्र है। भले ही यह फायदेमंद है यह शोध में स्पष्ट है, लेकिन इसमें मौजूद कौन-सा तत्व किस तरह से सहायक होता है, इस पर अधिक शोध की आवश्यकता है

उपयोग जानें

लेख के अगले भाग में हम बताएंगे कि चिरायता का उपयोग किन-किन तरीकों से किया जा सकता है

Chamomile Tea : औषधीय गुणों से भरपूर कैमोमाइल टी के हैरान करने देने वाले फायदेChamomile Tea : कैमोमाइल टी अनिद्रा से राह...
23/03/2022

Chamomile Tea : औषधीय गुणों से भरपूर कैमोमाइल टी के हैरान करने देने वाले फायदे
Chamomile Tea : कैमोमाइल टी अनिद्रा से राहत देने से लेकर मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद करती है. आप इस सुपर ड्रिंक को अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं. आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ क्या है.

Chamomile Tea : औषधीय गुणों से भरपूर कैमोमाइल टी के हैरान करने देने वाले फायदे

कैमोमाइल चाय एक जड़ी बूटी है. ये फूलों से तैयार की जाती है. कैमोमाइल चाय का पौधा एस्ट्रैसी परिवार से आता है. कैमोमाइल चाय लंबे समय से स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती रही है. ये अनिद्रा से राहत देने से लेकर मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद करती. आप इस सुपर ड्रिंक को अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं. आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ क्या है.

कैमोमाइल चाय आपको बेहतर नींद में मदद करती है
कैमोमाइल चाय आपको शांत करती है. इसका इस्तेमाल अनिद्रा के इलाज के लिए भी किया जाता है. इसमें एपिजेनिन नामक फ्लेवोनोइड होता है. ये बहेतर नींद में मदद कर सकता है. इसमें कैफीन भी नहीं होता है. ये हमारे दिमाग और शरीर को आराम देता है. इससे हमें बेहतर नींद आती है.

कैमोमाइल चाय एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है
कैमोमाइल चाय एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरपूर होती हैं. ये हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं. इसके अलावा ये हमें सोने की क्षमता भी देते हैं. कैमोमाइल चाय में मैग्नीशियम, फोलेट, कैल्शियम, विटामिन ए और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये सभी एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल हर्बल पेय को और भी पौष्टिक बनाते हैं. ये हृदय रोगों और कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए जानी जाती है.

कैमोमाइल चाय पेट दर्द और पीरियड क्रैम्प को कम करती है
कैमोमाइल चाय का इस्तेमाल पाचन संबंधी समस्याओं और पेट दर्द की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है. इसमें ऐंटी-इन्फ्लेमेट्री प्रॉपर्टीज पीरियड्स क्रैम्प्स और दर्द से राहत दिला सकते हैं.

कैमोमाइल चाय डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद है
कैमोमाइल चाय चीनी और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में फायदेमंद होती है. एक अध्ययन के अनुसार इसमें ऐसे गुण होते हैं जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.

कैमोमाइल चाय का सेवन तनाव और चिंता को कम करने के लिए
कैमोमाइल चाय तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करती है. कैमोमाइल चाय का सेवन प्राचीन समय से ही तनाव-निवारक के रूप में किया जा रहा है. एक कप गर्म कैमोमाइल की चाय सेरोटोनिन और मेलाटोनिन के स्तर को बढ़ाने का काम करती है. इससे तनाव और चिंता दूर होते हैं. इसलिए चिंता और तनाव से मुक्त होने के लिए कैमोमाइल चाय का भी सेवन कर सकते हैं.

त्वचा के लिए फायदेमंद
कैमोमाइल चाय पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसमें रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो सूजन को रोकते हैं और त्वचा को शांत करते हैं. ये घावों और निशानों को ठीक करने में बेहद प्रभावी है. कैमोमाइल का अर्क पारंपरिक रूप से सनबर्न, त्वचा में जलन , मुंहासे और यहां तक ​​कि एक्जिमा जैसी त्वचा की स्थिति के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया है.

औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधिशिरशूल-कनपट्टियों पर पान के पत्तों को बाँधने से शिरशूल का शमन होता है।नेत्ररोग-पान स्वरस में...
10/03/2022

औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि

शिरशूल-कनपट्टियों पर पान के पत्तों को बाँधने से शिरशूल का शमन होता है।
नेत्ररोग-पान स्वरस में समभाग मधु मिलाकर नेत्रों में अंजन करने से नवीन पक्ष्मकोप रोग का शमन होता है।
कर्णशूल-1-2 बूँद ताम्बूल पत्र-स्वरस को कान व नेत्र में डालने से कर्णशूल व रतौंधी में लाभ होता है।
मुखरोग-3-3 ग्राम रूमी मस्तगी, सुपारी तथा खदिर सार को ताम्बूल के परिपक्व पत्तों के साथ पीसकर 250-500 मिग्रा की वटी बनाकर घिसकर दाँतों पर लेप करने से दंतमूलगत शूल, शोथ आदि का शमन होता है।
पान की मूल को चूसने से कण्ठ स्वर मधुर होता है।
बच्चों की सर्दी-पान के पत्तों को गर्म करके, एरंड का तेल चुपड़कर छाती पर बाँधने से लाभ होता है।
प्रतिश्याय-पान की जड़ और मुलेठी को पीसकर मधु के साथ चटाने से प्रतिश्याय में लाभ होता है।
कुक्कुर कास-डिप्थीरिया रोग में जब श्वासावरोध उत्पन्न होकर रोगी को अत्यन्त कष्ट होता है तब पान के रस का सेवन करने से गले की सूजन कम हो जाती है और कफ निकलने लगता है। इस रोग में 2-5 पान के पत्तें के रस को थोड़े गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से भी फायदा होता है।
5-10 मिली पान स्वरस को शहद के साथ मिलाकर चटाने से सूखी खाँसी मिटती है।
पान की डंठल को घिसकर शहद मिलाकर चटाने से बच्चों की सर्दी व कफ में आराम मिलता है।
श्वास-पान के पत्तों को गर्म कर श्वास रोगी के वक्ष पर बाँधने से श्वास रोग में लाभ होता है।
हृदय-विकार-हृदय की दुर्बलता तथा हृदय अवसाद की अवस्था में इसका प्रयोग लाभदायक है। डिजिटेलीस के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं।
पान का शर्बत पीने से हृदय का बल बढ़ता है, कफज और मंदाग्नि का शमन होता है।
पान के चूसने पर लार की मात्रा अधिक निकलती है, जिससे पाचन क्रिया में मदद मिलती है। यह पेट की बादी को मिटाने वाला, उत्तेजक और ग्राही है। इससे मुख की दुर्गन्ध दूर हो जाती है। (पान खाने से प्यास कम लगती है)।
कब्ज-पान के डंठल पर तेल चुपड़कर बच्चों की गुदा में रखने से बच्चों की कब्ज और बादी के रोग मिट जाते हैं।
स्तनशोथ-जिन त्रियों के शिशु की मृत्यु हो गयी हो और स्तनों में दूध भरकर सूजन आ गई हो तो उन त्रियों के स्तनों पर पान को गर्म करके बाँधने से सूजन कम हो जाती है और दूध सूख जाता है।
ध्वज भंग-पान के पत्तों को शिश्न पर बाँधने से ध्वजभंग रोग में लाभ होता है।
श्लीपद-ताम्बूल के सात पत्रों को लेकर, कल्क बनाकर, थोड़ा सेंधानमक मिलाकर उष्णोदक के साथ पीने से श्लीपद में लाभ होता है।
व्रण-व्रणों के ऊपर पान को बाँधने से व्रण जल्दी भर जाते हैं।
आवेश रोग-स्त्रियों का आवेश रोग मिटाने के लिए 5-10 मिली पान के रस को 100 मिली दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए।
दुर्बलता-पान के शर्बत में चरपरी चीजें या उष्ण बेसवार मिलाकर 25-25 मिली दिन में तीन बार पिलाने से, शरीर की दुर्बलता मिटती है।
ज्वर-3 मिली पान के अर्क को गर्म करके दिन में 2-3 बार पिलाने से ज्वर का शमन होता है।
शोथ-पान को गर्म करके बाँधने से शोथ और पीड़ा का शमन होता है।
कृशता-पान के पत्र को दस मरिच के साथ पीसकर शीतल जल के साथ सेवन करने से कृशता का शमन होता है।
वमन, विरेचन आदि द्वारा भी यदि ज्वर का शमन न हो तो पान के पके पत्तों से पकाए हुए घृत का सेवन हितकर होता है।
सर्पदंश-पान स्वरस को दंश स्थान पर लगाने से सर्पदंशजन्य विषाक्त प्रभावों का उपशमन होता है।
और पढ़ें : अलसी के फायदे आंखों के रोग में

प्रयोज्याङ्ग : पत्र, मूल, फल एवं तैल।

मात्रा : स्वरस 5-10 मिली।

पान खाने से लाभ : पान खाना भी एक व्यसन है। लगातार खाने से इसकी आदत पड़ जाती है। पहली बार खाने से मस्तिष्क पर कुछ खास असर मालूम पड़ता है; जैसे कुछ चक्कर आना, घबराहट, बेचैनी आदि, किन्तु पान खाने की आदत बन जाने पर ये सब शिकायतें धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं। पान के चूसने पर लार की मात्रा अधिक निकलती है, जिससे पाचन क्रिया में मदद मिलती है, परन्तु अधिक मात्रा में पान का सेवन तम्बाकू तथा सुपारी के साथ अहितकर है।

दोष : तीक्ष्ण, उष्ण और पित्तप्रकोपक होने के कारण रक्तपित्त, उरक्षत, मूर्च्छा आदि पैत्तिक-विकारों में निषिद्व है। पान के अधिक खाने से भूख कम लगती है। इसलिए इसको कम मात्रा में खाना चाहिए। इसमें हेपिक्साइन नामक जहरीला पदार्थ होता है। सुपारी में अर्कीडाइन नामक विषैला पदार्थ रहता है, इसलिए सुपारी भी कम लेनी चाहिए। ज्यादा कत्थे से फेफडे में खराबी पैदा हो जाती है। अधिक चूना दाँतों को खराब कर देता है।

पेपरमिंट के फायदे (Pudina Uses and Benefits in Hindi)पेपरमिंट का एन्टीबैक्टिरीयल, एन्टीसेप्टिक और पेनकिलर आदि गुण कई तरह...
23/02/2022

पेपरमिंट के फायदे (Pudina Uses and Benefits in Hindi)
पेपरमिंट का एन्टीबैक्टिरीयल, एन्टीसेप्टिक और पेनकिलर आदि गुण कई तरह के बीमारियों के लिए फायदेमंद साबित होता है। चलिये इसके बारे में विस्तृत रूप से जानते हैं-

सिर दर्द में लाभकारी है पुदीना (Benefit of Pudina to Get Rid of Headache in Hindi)
दिन भर काम के तनाव के वजह से या मौसम के कारण सिरदर्द से सबको कभी न कभी परेशान होना पड़ता है। पिपरमिंट पञ्चाङ्ग को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द कम होता है।

पेपरमिंट का प्रयोग दांत दर्द में फायदेमंद (Benefit of Mint leaves to Treat Toothache in Hindi)
आजकल बच्चे से लेकर बूढ़े सभी दाँत दर्द से किसी न किसी समय परेशान होते ही हैं। सबसे अहम् बात यह है कि दाँत दर्द होने पर लोग घरेलू उपाय ही सबसे पहले उपयोग करते हैं।

पिपरमिंट के क्रिस्टल को दांतों के बीच में रखकर दबाने से दांत दर्द में लाभ होता है।

सर्दी में फायदेमंद पेपरमिंट ( Peppermint leaves for Cold and Cough in Hindi)
साल भर में जब भी मौसम में उतार-चढ़ाव होता है सर्दी सबको अपने चपेट में ले लेती है। सर्दी से आराम दिलाने में पिपरमिंट बहुत ही गुणकारी होता है। पिपरमिंट का बफारा या भाप लेने से सर्दी आदि कफ वाले बीमारियों से राहत मिलती है।

पिपरमिंट के सेवन से दस्त पर रोक (Mint leaves to Fight Diarrhoea in Hindi)
खाने-पीने में लापरवाही हुई कि नहीं दस्त होना शुरू हो जाता है। दस्त होने पर पिपरमिंट का सेवन इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। पिपरमिंट के पत्तों का काढ़ा बनाकर 5-10 मिली मात्रा में पीने से मरोड़युक्त अतिसार या दस्त, पेट संबंधी समस्या तथा पेट दर्द में लाभ मिलता है।

जठरांत्र (पेट संबंधी समस्या)से राहत दिलाये पेपरमिंट (Benefits of Peppermint Oil for Stomach Flu in Hindi)
जैसा कि पहले ही पता चल गया है कि पिपरमिंट पेट संबंधी रोगों में बहुत ही फायदेमंद होता है। पिपरमिंट तेल (peppermint oil in hindi) का प्रयोग जठरांत्र विकार यानि पेट संबंधी रोगों के चिकित्सा में किया जाता है।

पेट दर्द में फायदेमंद पेपरमिंट (Mint Plant Beneficial in Colic in Hindi)
अक्सर मसालेदार खाना या ज्यादा खाना खा लेने से पेट में गैस हो जाता है जो पेट दर्द का कारण बन जाता है। घर में पेट दर्द से जल्द आराम पाने के लिए 25 मिग्रा पिपरमिंट के निचोड़ में शक्कर मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिलती है।

आमवात के दर्द या रूमेटाइड अर्थराइटिस से दिलाये राहत पेपरमिंट ( Pudina for Rheumatoid Arthritis in Hindi)
जोड़ो में दर्द होना उम्र का तकाजा होता है। पिपरमिंट पञ्चाङ्ग को पीसकर लेप करने से गठिया संक्रात और नर्व संबंधी दर्द में लाभ मिलता है।

दर्द को दूर करे पेपरमिंट (Use of Mint leaves in Pain Relief in Hindi)
चींटी आदि कीटों के काटने से होने वाली दर्द से तुरन्त राहत पाने के लिए पिपरमिंट का प्रयोग इस तरह करना चाहिए। पेपरमिंट के पत्तों को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है।

पिपरमिंट का उपयोगी भाग (Uses of Peppermint)
आयुर्वेद में पिपरमिंट के पत्ते और तेल का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

पेपरमिंट का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ?(How to Use Peppermint in Hindi?)
बीमारी के लिए पिपरमिंट के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए पिपरमिंट का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

अनानास के फायदे (Pineapple Benefits and Uses in Hindi)अब तक आपने जाना कि अनानास क्या है, और इसे कितने नामों से जाना जाता...
11/02/2022

अनानास के फायदे (Pineapple Benefits and Uses in Hindi)
अब तक आपने जाना कि अनानास क्या है, और इसे कितने नामों से जाना जाता है आइए जानते हैं कि आसानी के फायदे (ananas ke fayde) क्या-क्या हैं। इसके साथ ही जानते हैं कि अनानास फल के औषधीय गुण, सेवन की विधि क्या हैंः-
एसिडिटी की समस्या में अनानास के फायदे (Benefits of Pineapple in Relief from Acidity in Hindi)
आप अनानास के जूस के फायदे (pineapple juice ke fayde) एसिडिटी की परेशानी में ले सकते हैं। पके हुए अनानास के 10 मिलीग्राम रस में भुनी हुई हींग और 125 मिलीग्राम मिला लें। इसमें सेंधा नमक 250 मिलीग्राम और 250 मिलीग्राम अदरक का रस मिलाएं। इसे रोज सुबह और शाम पीने से एसिडिटी की समस्या से आराम मिलता है।
100 मिलीग्राम पके अनानास फल के रस में 65 मिलीग्राम शोरा (पोटैशियम नाइट्रेड), 250-250 मिलीग्राम पिप्पली और हल्दी का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है।
और पढ़ें: कालमेघ के सेवन से एसिडिटी में लाभ

Benefits Pineapple in acidity

दस्त में अनानास से लाभ (Pineapple Uses to Stop Diarrhea in Hindi)
अनानास के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसमें बहेड़ा और छोटी हरड़ का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।

अपच की समस्या में अनानास से फायदे (Pineapple Helps in Indigestion in Hindi)
अनानास फल के रस का सेवन करने से पाचन-तंत्र संबंधी बीमारियां दूर होती है।
अनानास के पके हुए फल के टुकड़े में सेंधा नमक और काली मिर्च मिला लें। इसे खाने से अपच की परेशानी में आराम (pineapple ke fayde) मिलता है।
100 मिलीग्राम अनानास के पके फल के रस में 1-2 नग मेवा या मुनक्का मिला लें। इसमें 125 मिलीग्राम सेंधा नमक मिलाकर खाने से अपच की समस्या ठीक होती है।
भोजन के बाद यदि पेट फूल जाए और बैचेनी होने लगे तो अनानास के 50-100 मिलीग्राम रस के सेवन से लाभ होता है।
और पढ़े: अपच में करिश्माई के फायदे

भूख बढ़ाने के लिए अनानास का सेवन (Benefits of Pineapple in Increasing Appetite in Hindi)
भूख कम लगती की समस्या में अनानास रस का सेवन 7-8 दिन तक करें। आप अनानास का सेवन 15-20 दिन तक भी कर सकते हैं। इस दौरान आहार में केवल दूध का सेवन करें।

मूत्र रोग में अनानास के फायदे (Pineapple Cures Urinary Problems in Hindi)
आप अनानास के जूस के फायदे (pineapple juice ke fayde) से मूत्र रोग को ठीक कर सकते हैं। इसके लिए अनानास के रस में गुड़ मिलाकर सेवन करें। इससे पेशाब से संबंधित समस्या ठीक होती है।
पेशाब कम होने की समस्या में इच्छानुसार अनानास रस का सेवन करें। आपको रस का सेवन 7-8 दिन तक करना है। इलाज के समय केवल दूध का सेवन करना चाहिए।
अनानास और खजूर के टुकडे़ को बराबर-बराबर लें। इसमें घी व शहद मिलाकर कांच के बरतन में भरकर रखें। इसे रोज 6 या 12 ग्राम की मात्रा में खाने से बार-बार पेशाब आने की बीमारी से छुटकारा (pineapple ke fayde) मिलता है।
अनानास के 100 मिलीग्राम रस में, तिल, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गोखरू और जामुन के बीज 10-10 ग्राम मिला दें। इसके सूखा कर चूर्ण बनाकर रखें। इस चूर्ण को सुबह और शाम 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे बार-बार पेशाब आने की बीमारी ठीकहोती है।
और पढ़ें: मूत्र रोग में गोखरू के फायदे

खांसी में अनानास से लाभ (Pineapple Benefits in Fighting with Cough in Hindi)
अनानास फल के 50-100 मिलीग्राम रस निकालें। इसमें 1 ग्राम छोटी कटेरी की जड़ का चूर्ण और 2 ग्राम आंवला चूर्ण मिला लें। इसमें 500 मिलीग्राम जीरे का चूर्ण, तथा शहद मिलाकर सेवन करें। इसके प्रयोग से खांसी में आराम मिलता है।
पके अनानास फल के 50-100 मिलीग्राम रस में पिप्पली का जड़, सोंठ और बहेड़े का चूर्ण 2-2 ग्राम मिलाएं। इसमें भुना हुआ सुहागा और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे खांसी में लाभ (pineapple ke fayde) होता है।

Benefits of Pineapple in cough
तिल्ली विकार में अनानास से लाभ (Uses of Pineapple in Spleen Disorder in Hindi)
100 मिलीग्राम अनानास के पके फल के रस में 65 मिलीग्राम शोरा (पोटैशियम नाइट्रेड), 250-250 मिलीग्राम पिप्पली और हल्दी का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से तिल्ली से जुड़ी समस्या ठीक (pineapple benefits) होती है।

चोट में अनानास के फायदे (Uses of Pineapple in Getting Relief from Injury in Hindi)
शरीर के किसी अंग में चोट लगी हो तो आप अनानास से फायदे ले सकते हैं। अनानास फल के रस का लेप करने से चोट ठीक होती है।

अनानास के औषधीय गुण से सांसों की बीमारी में फायदा (Pineapple Treats Respiratory Problems in Hindi)
आप अनानास के जूस के फायदे (pineapple juice ke fayde) सांसों से जुड़ी बीमारियों में भी ले सकते हैं। अनानास के फल के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री को मिलाकर सेवन करने से सांसों के रोगों में लाभ होता है।
अनानास फल के 50-100 मिलीग्राम रस निकालें। इसमें 1 ग्राम छोटी कटेरी की जड़ का चूर्ण और 2 ग्राम आंवला चूर्ण मिला लें। इसमें 500 मिलीग्राम जीरे का चूर्ण तथा शहद मिलाकर सेवन करें। इसके प्रयोग से खांसी में आराम मिलता है।
पके अनानास फल के 50-100 मिलीग्राम रस में पिप्पली का जड़, सोंठ और बहेड़े का चूर्ण 2-2 ग्राम मिलाएं। इसमें भुना हुआ सुहागा और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे खांसी में लाभ होता है।

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