Homoeoclinic - Dr. Shailza

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06/03/2024

नीम गिलोय और तुलसी प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने के लिए प्राचीन काल से ही उपयोग में लाई जाती रही है । आज के समय में उच्च गुणवत्ता की यह तीनों ही औषधियां सामान्य सुलभ नहीं है। विशेष रूप से बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के लिए इनका प्रबंध करना थोड़ा मुश्किल होता है। 4_6 दिनों के लिए तो ताजा की व्यवस्था लोग कर भी लेते हैं लेकिन यदि ज्यादा समय तक लेने की आवश्यकता हो तो मुश्किल होती है। इसी प्रकार डेंगू और दूसरी वायरस से होने वाली बीमारियों में जब प्लेटलेट कम हो जाता है तो पपीता के पत्ते का प्रयोग लोग करते हैं लेकिन यह भी सबको आसानी से नहीं मिल पाता।

वैसे तो इन सभी औषधीयों की टेबलेट सिरप आदि अब आसानी से मार्केट में मिलने लगे हैं। इन चारों के एक साथ बने हुए कॉन्बिनेशन भी टैबलेट और सिरप के रूप में मिल जाते हैं।

होम्योपैथी में भी यही दवाइयां मदर टिंक्चर के रूप में आसानी से किसी भी होम्योपैथी स्टोर पर प्राप्त की जा सकती है। इनका होम्योपैथिक रूप में प्रयोग करने का एक अतिरिक्त लाभ यह होता है कि mother tincture के रुप में इन औषधीयों के वास्तविक गुण संरक्षित रहते हैं। बहुत कम मात्रा में पानी में मिलाकर लेना भी टैबलेट और सिरप के मुकाबले अधिक उपयोगी बनाता है।

Dr Ashish Dixit, homoeopathic physician Etawah
03/03/2024

Dr Ashish Dixit, homoeopathic physician Etawah

23/02/2024

Dr Ashish Dixit,homoeopathic physician

19/02/2024

चाय पीने की आदत बहुत लोगों को होती है और इससे कुछ विपरीत प्रभाव भी उत्पन्न हो जाते हैं। यदि चाय पीने की आदत छोड़ने ना बने और समय के साथ इसके विपरीत प्रभाव स्वास्थ्य पर दिखने लगे तो होम्योपैथी की Dioscorea Villosa 30 औषधि उन विपरीत प्रभाव को कुछ कम करने में सहायता कर सकती है। अधिक चाय पीने वालों को मंदाग्नि (भूख कम हो जाना) , पेट में गैस बार-बार बनना, पेट फूलना जैसी परेशानियां हो जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जीभ का स्वाद खराब हो जाता है और मुंह कड़वा लगने लगता है। ये सभी परेशानियां Dioscorea Villosa 30 के सेवन से ठीक हो जाती हैं।

Dioscorea Villosa 30 के सेवन से पित्त की थैली में होने वाला दर्द भी ठीक हो सकता है विशेष रूप से ऐसा दर्द जो पित्त की थैली में पथरी या सूजन के कारण हो रहा हो।

20/01/2024

आजकल बच्चों में गलसुआ (mumps) की बीमारी बहुत देखने में आ रही है इससे बचने के लिए

होम्योपैथी औषधि

Parotidinum 200

की तीन बूंद प्रतिदिन एक बार तीन चार दिनों तक देनी चाहिए। इस औषधि से बच्चो में गलसुआ के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।

यदि किसी बच्चे को गलसुआ हो जाए तो प्राथमिक औषधि के रुप में belladonna 30 को दिया जा सकता है।

Belladonna 30 के प्रयोग से गाल और गले की glands की सूजन बहुत जल्दी ठीक होती है।

गलसुआ होने पर गले में खराश और बुखार खाने-पीने में परेशानी होने लगती है यह सब लक्षण belladonna 30 से ठीक हो जाते हैं।

छोटे बच्चों को भीड़भाड़ वाली जगह पर नहीं ले जाना चाहिए इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चे जो बीमार दिख रहे हो खांसी जुकाम हो उनके पास स्वस्थ बच्चों को ना ले जाएं। यदि किसी बच्चे को गलसुआ हुआ है तो उसे स्वस्थ बच्चों से संपर्क में आने से बचाए।

20/01/2024

AYUSH - Homoeopathy अपनाए।कोई साइड इफेक्ट्स नही

17/01/2024

Gout... गठिया

18/01/2023

लहसुन है उपयोगी, पर...

लहसुन की गर्म तासीर के कारण सर्दी के दिनों में इसका उपयोग अधिक फायदेमंद माना जाता है। लेकिन यदि किसी को सीने में जलन जैसी कोई परेशानी पहले से है, तो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यदि किसी का पेट संवेदनशील है या पेट में जलन की समस्या रहती है, तो वे भी इससे परहेज करें। जो लोग उच्च कोलेस्ट्राल के उपाय के लिए पहले से ही रक्त पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं, उन्हें भी लहसुन के उपयोग से बचना चाहिए, अन्यथा रक्तस्राव की समस्या हो सकती

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