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Maharshi Patanjali Yog Evm Prakritik Chikitsa Parishad, Haryana MPYPCP दशकों से योग एवं प्राकृतिक चिकित्स?

01/10/2023




कविता - चंद्रयान-3 - डॉ उमेश प्रताप वत्स आया तो पहले भी मामा, था मैं तेरे द्वार दोनों बार दिखाया तूने , गुस्सा अपरम्पार ...
25/08/2023

कविता - चंद्रयान-3
- डॉ उमेश प्रताप वत्स

आया तो पहले भी मामा, था मैं तेरे द्वार
दोनों बार दिखाया तूने , गुस्सा अपरम्पार
पर माँ बोली लगे है मामा , बुरा नहीं मानते
लगता है वह तेरा सच्चा , प्यार नहीं जानते
रिश्तों में तो चलता ही है, रूठना और मनाना
दिल पर लगा नहीं छोड़ते , मामा के घर जाना
धरती माँ की सीख मुझे , प्रोत्साहित कर जाती
रूठे मामा की फिर से , मुझको याद सताती
मैं माता की राखी लेकर , मामा के घर जाऊँ
यही सोच-सोचकर दिनभर , खुशी से मैं इतराऊँ
साजो-सामान बाँध चढ़ा मैं , चंद्रयान के वक्ष पर
चालीस दिन सफर किया, तब पहुंचा चांद के अक्ष पर
मामा ने भी छोड़ा गुस्सा , मुझको गले लगाया
बोला विक्रम तेरा धैर्य , मुझको बड़ा ही भाया
ले ले जो लेना है तुझको , खुला है मेरा द्वार
तेरे प्यार के आगे मेरा , तुच्छ दौलत-भंडार अब जब भी आना हो तुमको , निसंकोच चले आना
राखी का यह अमूल्य प्रेम तुम, बहना का फिर लाना
मामा-भांजे का ऐतिहासिक मिलन , विश्व देख रहा है
सदियों से ही मेरे भारत का, इरादा नेक रहा है
- कवि डॉ उमेश प्रताप वत्स

Mpypcp Offical

25/08/2023

#कौन_सा_पवित्र_हिंदू_ग्रंथ_आध्यात्मिक_ज्ञान_के_मार्ग_के_रूप_में_योग_की_अवधारणा_का_परिचय_देता_है?
योग हिंदू ग्रंथों में आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग के रूप में वर्णित है। यह एक साधना है जिसके द्वारा मन, शरीर और आत्मा का मेल होता है। योग से हम आध्यात्मिक प्रगति करते हैं। इसके माध्यम से हम अपने मन के गहराई में जा कर आध्यात्मिक ज्ञान का अनुभव कर सकते हैं। हिंदू ग्रंथों में इसकी समस्त प्रक्रिया विस्तार से बताया गया है।






https://wp.me/pbbjRC-1UF

25/08/2023
25/08/2023

#स्वामी_कुवलयानंद_जी के योग गुरु कौन थे?
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स्वामी कुवल्यानन्द जी ने मानव शरीर रचना व क्रिया से संबन्धित विस्तृत अध्ययन किया एवं समय समय पर नये नये प्रयोग करके अपने ज्ञान का विस्तार करते गये। स्वामी जी शीघ्र ही इस बात से अवगत हो चुके थे कि योग भारत की प्राचीनतम् विद्या है जिससे अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं तथा भारत में ऐसे योगियों की भी कमी नहीं है जिनके पास योग संबन्धी अत्यन्त गोपनीय ज्ञान भरा पडा है। अब यह आवश्यक बन चुका था कि इस योग को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ कर एक नयस्वामी कुवल्यानन्द जी ने मानव शरीर रचना व क्रिया से संबन्धित विस्तृत अध्ययन किया एवं समय समय पर नये नये प्रयोग करके अपने ज्ञान का विस्तार करते गये। स्वामी जी शीघ्र ही इस बात से अवगत हो चुके थे कि योग भारत की प्राचीनतम् विद्या है जिससे अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं तथा भारत में ऐसे योगियों की भी कमी नहीं है जिनके पास योग संबन्धी अत्यन्त गोपनीय ज्ञान भरा पडा है। अब यह आवश्यक बन चुका था कि इस योग को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ कर एक नय ी दिशा दी जाए।

तत्कालीन मान्यताएँ यह थी कि
योग एक आध्यात्मिक, अतिविशिष्ट एवं सर्वोत्कृष्ट अनुभव है जो
वैज्ञानिक प्रयोगों से परे है तथा इस योगविद्या से प्राप्त बहुमूल्य अनुभवों को सामान्य व्यक्तियों से दूर रखा जाए। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में स्वामी कुवलयानन्द ने ही योग के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की जिज्ञासा को अनुसंधान और प्रयोगों के क्षेत्र में बढाया और शीघ्र ही वे अपनी शोध प्रक्रिया में आगे बढ़ते हुए चरम पर पहुँचे। इसी विचार को अपने जीवन का एकमात्र ध्येय बनाते हुए योग क्रियाओं के वैज्ञानिक विल्लेषण पर कार्य किया। इसी दौरान उन्होंने दो यौगिक क्रियाओं 'उड़्डियान बंध व नौलि क्रिया' पर प्रयोग किये और बताया कि सामान्यतः बड़ी आंत का दाब एवं बाहर का वातावरणीय दाब समान होता है परन्तु नौलि क्रिया के अभ्यास के दौरान बड़ी आंत के भीतर का दबाव बाह्य वातावरण के दबाव की तुलना में कम हो जाता है और इस प्रकार निर्वात की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

25/08/2023

*जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।*🍇

🍇अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं।

🍇जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।

🍇पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है।

🍇दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।

🍇भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।

🍇स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।

🍇एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।

🍇सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को 1 चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिक्स करके पी सकते हैं।

🍇जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है।

🍇जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते।

*☘️एक कदम आयुर्वेद की ओर☘️*
🙏🏻

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