27/12/2016
🌺पुदीना के आयुर्वेदिक गुण🌺
🌼पुदीना ग्रीष्मऋतु में अत्यंत स्वास्थ्यप्रद घरेलू औषधि के रूप में उपयोगी है।। पुदीना हमारे देश के घर घर में उपयोगी होने के कारण बाग बगीचों में,, क्यारियों में लगाया जाता है।। यह प्राकृतिक रूप से कश्मीर एवं हिमालय के छेत्र में स्वयं उग जाता है।। गरमी के दिनों में पाचन संबंधी विकारों को रोकने के लिए बेहद लाभदायक औषधि है।। उलटी,, दस्त,, गैस,, अपच,, अफारा में गोली या स्वरस दोनों प्रकार से सेवन करना लाभप्रद है।। पुदीना में मौजूद फाइटोन्यूट्रिएटस् कई बिमारियों से बचाते है।। पत्तों का प्रयोग सलाद के साथ किया जाता है।। पुदीना की स्वादिष्ट चटनी सेवन करते हैं।। दही के रायता इत्यादि पेय में पुदीना स्वाद एवं स्वास्थ्य बढ़ाने वाला है।। दोपहर के भोजन के बाद दही का रायता अमृततुल्य माना गया है।।
🌼पुदीना में एंटीवैक्टीरिया एवं एंटी इन्फ्लेेमेेन्टरी गुण भी है।। पुदीना के सेवन से मुँह की बदबू दूर होती है।। पेट की मरोड़ पुदीने के सेवन से दूर होती है।। नीबू तथा पुदीना के साथ ब्लैक टी एक स्वास्थ्यप्रद पेय है।।
🌼पेट की मरोड़ पुदीने के सेवन से दूर होती है।। प्राय: बाजार में उपलब्ध होता है।। पुदीना के पत्ते तथा डंठलों को धोकर प्रयोग करते है।। यदि सुखाकर रखना हो तो पत्तों को धोने के बाद छाया में सुखाना चाहिए।। सूख जाने के बाद चूर्ण बनाकर रखते है।। पीसकर गन्ने के रस में मिलाकर पीते है।।
🌺आयुर्वेदिक गुण- धर्म🌺
🌼पुदीना कफनाशक,, वात नाशक,, गर्भाशय संकोचक,, दरद नाशक,, दुर्गंधनाशक,, मूत्र बढ़ाने वाला,, विष नाशक,, ज्वर नाशक,, त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने वाला है।। पाचन शक्ति की कमी,, मूत्र का सन्क्रमण,, कृमि रोग,, दंत रोगों को दूर करता है।। हृदय के लिए हितकारक होता है।।
🌺घरेलू उपयोग🌺
🌼प्रसूतिका ज्वर में-- प्रसव के बाद ज्वर होने पर पुदीने का १० ग्राम रस पिलाने से लाभ होता है,, गर्भाशय की शुद्धि होती है।।
🌼हैेेजा में-- १० ग्राम पुदीने के रस में ५ ग्राम नीबू का रस मिलाकर दिन में ३ बार पिलाने से लाभ होता है।।
🌼टाइफाइड में-- पुदीना,, वन तुलसी और काली तुलसी के पत्तों का १५ ग्राम रस में ५ ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है।। टायफाइड में एक माह तक फलों का रस पथ्य के रूप में देना चाहिए ।।मिर्च मसाले तथा तले खाद्य से परहेज करें।।
🌼ज्वर में-- पुदीना के १५ ग्राम पत्ते और एक गाँठ अदरक को २०० ग्राम पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है।।
🌼उदरसूल में-- पुदीने का एक चम्मच रस में ३-४ काली मिर्च पीसकर शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।।
🌼उलटी में-- पुदीना रस ६ ग्राम,, सेंधा नमक २ ग्राम पीसकर पानी में घोलकर छान लें,, थोड़ी थोड़ी मात्रा में पीने से लाभ होता है।। पित्त प्रकोप के कारण उलटी होने पर थोड़ी मिश्री मिलाकर सेवन करें।।
🌼अजीर्ण में-- ५ ग्राम पुदीना रस के साथ ५ ग्राम जीरा,, एक ग्राम नमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।।
🌼उलटी,, दस्त,, वायु विकार एवं अपच में-- पुदीना चूर्ण २५ ग्राम को २ गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर २५० ग्राम नीबू रस सहित ५०० ग्राम देशी खाँड की चासनी में मिलाकर रख लें।। इस औषधि को २० ग्राम सेवन करने से पित्त विकार दूर होता है।। भूख बढ़ती है।। पाचन शक्ति बढ़ती है।।
🌼गले की खराश में-- गले के दरद एवं खराश में ५ बूँद रस बतासे या शहद में ३-४ बार सेवन करने से लाभ होता है।।
🌼शीत पित्ती होने पर-- ५ ग्राम पुदीना को पीसकर पानी में घोलकर स्वादानुसार चीनी मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से लाभ होता है।।
🌼कष्टार्त्व में-- स्त्रीयो को मासिक धर्म की शिकायत होने पर पीड़ा तथा रजोरोध मिटाने के लिए पुदीने का रस थोड़ा गरम करके १० ग्राम देने से शीघ्र लाभ होता है।।
🌼बर्र,, बिच्छू तथा चूहे के दंश पर-- पुदीने का रस दंशस्थल पर लगाएँ तथा ४-५ पत्तों को पान में रखकर खाने से विकार नष्ट होते हैं।
🌼कफ विकार में-- फेफड़े में कफ जमा होने पर निवारण के लिए ५ ग्राम पत्तों को ३-४ अंजीर के साथ पीसकर सेवन करने से कफ निकल जाता है।।
🌼घाव बिगड़ने पर-- पुदीने के पत्तों को पीसकर लेप करने से घाव ठीक होता है।। सन्क्रमण नष्ट होता है।।
🌼त्वचा के काले दाग पर-- त्वचा की कांति बढ़ाने के लिए,, काले दागों के निवारण के लिए पुदीने के रस को बराबर मात्रा में रेक्टीफाइड स्प्रिट के साथ पका कर लगाने से काले दाग मिटते हैं।।
🌼आंत्रकृमि होने पर-- ताजे पत्तों का रस पीने से तथा रस की वस्ति देने से आंत्रकृमि नष्ट होता है।।
🌼पीनस में-- पुदीने का ४-५ बूँन्द रस नाक मे टपकाने से लाभ होता है।।
🌼कान दरद में-- २-३ बूँद रस कान में टपकाने से लाभ होता है।।
🌼मुँह के छालों पर-- पुदीने के पत्तों को पीसकर जीभ पर लेप करने से लाभ होता है।।
🌼सरदी जुकाम में-- पुदीना की पत्तियाँ पानी में उबालकर नाक एवं मुँह में भाप लेने से लाभ होता है।।
🌼अरूचि में-- पुदीना,, खजूर,, मुनक्का,, जीरा तथा जटामांसी ,, हींग और काली मिर्च स्वादानुसार मिलाकर चटनी बना कर नीबू का रस मिलाकर खाने से लाभ होता है।।
🌼उलटी दस्त मरोड़,, जी मिचलाना तथा हैेेजा में-- पुदीने का ५० ग्राम पत्ते को २०० ग्राम रेक्टीफाइड स्प्रिट में मिलाकर शीशी में भरकर रख दें।। इस औषधि को ५-१० बूँन्द देने से लाभ होता है।।
🌼रायता के रूप में-- पुदीने की पत्तियों को सुखाकर पीसकर दही या छाछ में मिलाकर स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रायता बना कर दोपहर के भोजन के बाद पीना लाभप्रद होता है।
🌼शीतल पेय के रूप में-- कच्चे आम को उबालकर गूदा निकालकर पुदीने की पत्तियों को पीसकर स्वादानुसार जीरा,, सेंधा नमक,, मिश्री मिलाकर पन्ना बनाकर पीने से गरमी,, लू से बचाव होता है।।
🌼खट्टी मीठी चटनी-- पुदीना,, कच्चा आम,, हरी मिर्च,, स्वादानुसार नमक और गुड़ मिलाकर पीस लें,, यह चटनी भोजन के साथ रूचि पैदा करती है।।
🌼सलाद के साथ-- पुदीना की पत्तियों को सलाद में मिलाकर खाने से औषधि का काम करता है।। हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करता है।। इसे खीरा,, ककड़ी,, गाजर,, मूली,, पत्तागोभी,, टमाटर, चुकंदर,, धनिया पत्ती आदि में सलाद के साथ पुदीने की पत्तियों को मिलाकर सेवन करना चाहिए।