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20/06/2024

पानी की एक्सपायरी डेट क्या है।.
यदि ये लेख आपको अच्छा लगे तो आगे भेजिए
जहां नल में पानी हर दिन आता है।
वहीं पानी हर दिन बासी हो जाता है और हर दिन बहा दिया जाता हैं। समाप्ति तिथि 1 दिन
जहां 2 दिन में पानी आता है।वहां 2 दिन में पानी बासी हो जाता है। और बहा दिया जाता है।
जहां आठ दिन बाद पानी आता है। वहीं आठ दिन बाद पानी बासी हो जाता है। शादी समारोह में अगली बिसलरी का सामना होते ही हाथ में रखी पानी की आधी बोतल खत्म हो जाती है। और उसे फेंक दिया जाता है रेगिस्तान में यात्रा करते समय अपने पास रखा पानी तब तक चलता है, जब तक पानी दिखाई न दे_

अगले मानसून तक बांध में पानी ताजा बरकरार रहेगा यदि सूखे की स्थिति बनती है। तो यह दो से तीन साल तक ताजा पानी बना रहता है।
जहां 50 फीट के बोरवेल से पानी निकाला जाता है। वह जमीन के नीचे सैकड़ों साल पुराना है।
यानी सैकड़ों साल पुराना पानी पीने के लिए सुरक्षित है। एक्सपायरी डेट सैकड़ों साल
जहां 400 से 500 फीट पर पानी के बोरवेल से पानी निकाला जाता है।वह हजारों साल तक जमीन के अंदर जमा रहता है। फिर भी चलता रहता है।
कुल मिलाकर पानी की समाप्ति हमारी कमजोर बुद्धि पर तय होती है।..
```पानी का संयम से उपयोग करें, नहीं तो आपके विचार आपको मार डालेंगे...```
जल है तो कल है ।कृपया केवल पढ़ें और हटाएं नहीं। फिर इसे संपर्क में आने वाले सभी रिश्तेदारों दोस्तों और परिवार को भेजें यह एक अत्यावश्यक अनुरोध है।::!!*✍🏼🚰🙏🏻🚰🙏🏻

कफ सिरप चेरी-स्वाद वाला क्यों?बच्चो, बदलते मौसम में जब सर्दी या जुकाम होता है तो चिकित्सक तुम्हें कफ सिरप देते हैं। क्या...
17/05/2024

कफ सिरप चेरी-स्वाद वाला क्यों?

बच्चो, बदलते मौसम में जब सर्दी या जुकाम होता है तो चिकित्सक तुम्हें कफ सिरप देते हैं। क्या तुम्हें पता है कि इनमें से ज्यादातर का स्वाद चेरी जैसा क्यों होता है?

बदलते मौसम की समस्या आम होती है और बदलते मौसम में खांसी-जुकाम कफ सिरप का नाम सुनते ही तुमलोग अपने नाक-मुंह सिकोड़ने लगते हो कि मैं इसे नहीं पीऊंगा, इसका स्वाद कड़वा होगा। डॉक्टर भी ऐसी दवाएं ही देते हैं। तुमने अक्सर गौर किया होगा कि बच्चों की दवाएं खासकर कफ सिरप का स्वाद ज्यादातर चेरी के स्वाद जैसा होता है। लेकिन क्या तुम्हें इस बात का पता है कि अधिकतर कफ सिरप का स्वाद चेरी के जैसा क्यों रखा जाता है? दरअसल इन तरल दवाओं में मौजूद कड़वे स्वाद को छिपाने के लिए ऐसा किया जाता है। बच्चों को इस बात का विश्वास दिलाने के लिए कि दवा का स्वाद कड़वा नहीं है, बल्कि मीठा है ऐसा किया जाता है। पहले जो दवाएं उपलब्ध थीं, उनको खिलाने के लिए चीनी का सहारा लेना पड़ता था। यह दवाओं को स्वादिष्ट बनाने का विकल्प नहीं हो सकता था, लेकिन कफ सिरप को निगलने में थोड़ा आसान बनाने के लिए स्वाद का होना जरूरी था। एक प्रसिद्ध दवा निर्माता कंपनी का मानना है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों को गोली निगलने में दिक्कत होती है। शायद इसकी बड़ी वजह इनका कड़वा स्वाद है। इस वजह से बच्चों के लिए सिरप बनाने की शुरुआत की गई।

सिंथेटिक दवाओं के आविष्कार से पहले, चिकित्सा पेशेवरों ने कड़वी हर्बल दवा के स्वाद को छिपाने के लिए चेरी जैसे तेज स्वाद वाले फलों की ओर रुख किया। डॉ. स्वेन के कंपाउंड सिरप ऑफ वाइल्ड चेरी (लगभग 1838) जैसे उत्पादों में फल का उपयोग मिश्रण को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता था। एक अन्य कारण यह भी है कि चेरी आधारित कफ सिरप गाढ़े म्यूकस को पतला करके, खांसी से राहत देता है और खांसी को दूर करता है। यह बंद नाक को खोलकर सांस लेना आसान बनाता है, साथ ही यह बार-बार खांसी आने की प्रक्रिया को भी कम करता है, जिससे तुम्हें राहत महसूस होती है। 2009 में, एक स्विस फार्मास्युटिकल कंपनी ने चेरी-स्वाद वाली मलेरिया की दवा तैयार की थी, जो बच्चों के लिए काफी फायदेमंद थी। बच्चों के लिए तैयार किए जाने वाले अधिकतर कफ सिरप का स्वाद चेरी वाला इसलिए रखा जाता है, क्योंकि चेरी के फायदे यह हैं कि यह दवाओं की कड़वाहट को छुपाने में प्रभावी है, साथ ही यह सस्ता और बनाने में आसान है। हालांकि अब चेरी के अलावा अन्य फलों, जैसे कि अंगूर एवं संतरे के स्वाद वाली कफ सिरप भी बाजार में उपलब्ध हैं, ताकि तुम इसे आसानी से पी सको और बीमारी से बचे रहो।

12/05/2024

कैंसर का वह जो पहला मरीज था

दु निया में कैंसर का जो पहला मरीज था, उसका विवरण चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में मिलता है। काला सागर के नजदीक बसे हेराक्लिया नामक शहर के तानाशाह सैटिरस को कैंसर हुआ था। तब ऐसी कोई दवा ईजाद नहीं हुई थी, जो उसके दर्द को कम कर सके। आखिरकार 65 साल की उम्र में सैटिरस की जान कैंसर ने ले ली। तब तक लोग कैंसर से अपरिचित नहीं थे। ईसा पूर्व पांचवीं सदी के अंत या चौथी सदी की शुरुआत में लिखे एक ग्रंथ डिसीजेज ऑफ वीमन में स्तन कैंसर के विकसित होने की प्रक्रिया समझाई गई है। यूनानी शहर अब्देरा की एक महिला की छाती के कैंसर से मृत्यु हो गई, वहीं गले के कैंसर से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर द्वारा ट्यूमर जलाने के बाद बच गया। पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व और चौथी शताब्दी की शुरुआत में डॉक्टर घातक ट्यूमर को 'कार्किनो' कहते थे, जो मनुष्य को कैंसर से लड़ते हुए 2,400 साल हो गए, लेकिन यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है।


कॉन्स्टेन्टाइन केकड़ा। कालांतर में लैटिन डॉक्टरों ने इस पेनेगिर्स
प्राचीन ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है बीमारी को नाम दिया 'कैंसर', जो केकड़े को संदर्भित एक लैटिन शब्द है। आखिर कैंसर का नाम एक जानवर पर क्यों रखा गया? इसकी एक व्याख्या यह थी कि कैंसर भी केकड़े की तरह आक्रामक है और जैसे केकड़े के पंजों में फंसकर निकलना मुश्किल होता है, उसी तरह कैंसर से बचना कठिन है। ग्रीक-रोमन काल में कैंसर की वजहों को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं मिलती हैं। प्राचीन चिकित्सा सिद्धांत के अनुसार, शरीर में चार अवयव होते हैं- रक्त, पीला पित्त, कफ और काला पित्त। इन
चार अवयवों में संतुलन स्वस्थ होने की निशानी है। अगर किसी व्यक्ति में काले पित्त की अधिकता है, तो माना जाता था कि वह कैंसर ग्रसित हो सकता है। शुरुआत से ही यह समझ बन गई थी कि शुरुआती ग में कैंसर को ठीक किया जा सकता है। कुछ चरण औषधियां ककड़ी, पत्ता गोभी इत्यादि से बनाई गई थीं, वहीं केकड़े की राख व आर्सेनिक से भी कैंसर को हराने के प्रयास किए गए। ग्रीक-रोमन लोगों का मानना था कि रोगी को बार-बार उल्टी करा कर कैंसर को रोका जा सकता है। कैंसर वाले हिस्से को जलाने के भी प्रयास किए गए। पर कैंसर को लाइलाज ही माना गया। 5वीं शताब्दी में एक कुलीन महिला ने प्रार्थना की शक्ति से कैंसर ठीक करने का दावा किया, पर चिकित्सकों को भरोसा नहीं हुआ। पिछले 2,400 वर्षों में कैंसर को लेकर हमारे ज्ञान में बहुत बदलाव आए हैं। कैंसर 200 से भी ज्यादा प्रकार के होते हैं। ऐसे लोग भी प्रेरणा बने हैं, जो कैंसर प्रबंधन की बदौलत लंबे समय तक जीवित रहे। फिर भी अभी काफी शोध की जरूरत है।

मांसपेशियों की रिकवरी के लिए क्या करें?एक्सरसाइज के बाद क्षतिग्रस्त हुई मसल्स की तेजी से रिकवरी चाहते हैं तो कुछ खास बात...
09/05/2024

मांसपेशियों की रिकवरी के लिए क्या करें?

एक्सरसाइज के बाद क्षतिग्रस्त हुई मसल्स की तेजी से रिकवरी चाहते हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

शरीर में मांसपेशियों की रिकवरी करने के लिए सुनिश्चित करें कि पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट मिलते रहें। इसके साथ ही स्वस्थ वसा, विटामिन और खनिज भी आवश्यक हैं। मांसपेशियों की रिकवरी सहित विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए अच्छी तरह से हाइड्रेट रहें। पर्याप्त नींद लें, क्योंकि यही वह समय है, जब आपका शरीर अपनी अधिकांश मरम्मत करता है। लचीलेपन में सुधार और मांसपेशियों में अकड़न के जोखिम को कम करने के लिए नियमित स्ट्रेचिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। मांसपेशियों की मालिश करने और उनमें तनाव दूर करने के लिए फोम रोलर का उपयोग करने पर विचार करें। हल्के व्यायाम या गतिविधियां, जैसे कि चलना, तैरना या योग करना बिना अधिक परिश्रम के मांसपेशियों की रिकवरी में सहायता कर सकता है। ऊतक मालिश भी मांसपेशियों के तनाव को दूर करने और रक्त प्रवाह में सुधार करने में मदद कर सकती है। शरीर पर अधिक दबाव न डालें। गहन वर्कआउट के बीच अपनी मांसपेशियों को ठीक होने के लिए समय दें।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए जरूरी है कि मांसपेशियों की मरम्मत के लिए किसी फिटनेस पेशेवर से परामर्श लें। वह आपके शरीर के अनुरूप आपको रिकवरी करने की सलाह दे सकते हैं।

बड़े काम का कटहलकटहल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही शरीर के लिए लाभदायक भी होता है। लेकिन ज्यादा न खाएं।कटहल ...
27/04/2024

बड़े काम का कटहल

कटहल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही शरीर के लिए लाभदायक भी होता है। लेकिन ज्यादा न खाएं।

कटहल औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें मिलने वाले पौष्टिक तत्व है- विटामिन ए, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन और जिंक आदि। इसमें फाइबर की मात्रा भी भरपूर होती है। इसका सेवन दिल के लिए हितकर है। यह रक्त संचार को सुचारू करता है। थायरॉइड, अस्थमा और संक्रमण की रोकथाम के लिए लाभकारी है। मुंह के छालों में आराम पहुंचाता है। कैल्शियम की प्रचुर मात्रा के कारण यह हड्डियों के लिए गुणकारी है। आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मददगार है। पाचन प्रणाली को स्वस्थ रखने में उपयोगी है। झड़ते बालों के लिए हितकारी है। इसके बीजों का चूर्ण शहद के साथ लगाने से चेहरे के दाग- धब्बे दूर होते हैं। बढ़ती उम्र के कारण होने वाली झुर्रियों पर लगाने के लिए इसको दूध के साथ मिलाकर धीरे-धीरे चेहरे पर मलें, फिर गुलाब जल मिलाकर पानी से चेहरा साफ कर लें। पके हुए कटहल के सेवन से अलसर और पाचन संबंधी समस्या दूर होती है। मोटापे से छुटकारा पाने के लिए भी इसका सेवन लाभकारी है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसका सेवन लाभकारी है। लेकिन ये सभी उपाय सामान्य हैं, इसलिए इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य से सलाह अवश्य कर लें।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अगर आप कटहल का ज्यादा मात्रा में सेवन करते हैं तो इससे अपच, दस्त और गैस आदि की शिकायत हो सकती है। धूल-मिट्टी से एलर्जी की समस्या है तो भी इसका सेवन न करें।

इस फोटो में ऐसा क्या है
22/04/2024

इस फोटो में ऐसा क्या है

09/04/2024

*सभी को स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएँ*
🄷🄰🄿🄿🅈 🄸🄽🅃🄴🅁🄽🄰🅃🄸🄾🄽🄰🄻
🄷🄴🄰🄻🅃🄷
🄳🄰🅈
ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें :
1. बीपी: 120/80
2. नाड़ी : 70 -100
3. तापमान : 36.8 - 37
4. श्वास : 12-16
5. हीमोग्लोबिन : पुरुष 13.50 - 18
स्त्री 11.50 - 16
6. कोलेस्ट्रॉल : 130 - 200
7. पोटेशियम : 3.50 - 5
8. सोडियम : 135 - 145
9. ट्राइग्लिसराइड्स : 220
10. शरीर में खून की मात्रा : पीसीवी 30-40%
11. शुगर लेवल :
बच्चों के लिए 70-130
वयस्कों के लिए: 70 - 115
12. आयरन : 8-15 मिलीग्राम
13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC : 4000 - 11000
14. प्लेटलेट्स : 1,50,000- 4,00,000
15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC : 4.50 - 6 मिलियन
16. कैल्शियम : 8.6 -10.3 mg/dL
17. विटामिन D3 : 20 - 50 एनजी/एमएल।
18. विटामिन B12 : 200 - 900 पीजी/एमएल
*40/50/60 वर्ष वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुझाव :*
*पहला सुझाव:* प्यास या ज़रूरत न होने पर भी हर समय पानी पिएं, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी के कारण होती हैं. प्रति दिन कम से कम 2 लीटर.
*दूसरा निर्देश :* शरीर से जितना हो सके उतना काम करें, शरीर का मूवमेंट होना चाहिए.. जैसे चलना, तैरना, या किसी भी तरह का खेल.
*तीसरा टिप:* कम खाएं.. ज्यादा खाने की लालसा छोड़ें... क्योंकि इससे कभी अच्छा नहीं होता. अपने आप को वंचित मत करें, पर मात्रा कम करें. प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें.
*चौथी हिदायत :* वाहन का प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो. यदि आप कहीं भी किराने का सामान लेने जा रहे हैं, किसी से मिल रहे हैं, या कोई काम कर रहे हैं, तो अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें. लिफ्ट, एस्केलेटर का इस्तेमाल करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें.
*पाँचवां निर्देश :* गुस्सा छोड़ दें, चिंता करना छोड़ दें, बातों को इग्नोर करने की कोशिश करें. अपने आप को परेशानी वाली स्थितियों में शामिल न करें. वे सभी स्वास्थ्य को खराब करते हैं और आत्मा की महिमा को हर लेते हैं. सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें.
*छठा निर्देश :* सबसे पहले धन का मोह त्याग दें. अपने आसपास के लोगों से जुड़ें, हंसें और बात करें! पैसा जीवित रहने के लिए बनाया जाता है, जीवन पैसे के लिए नहीं.
*सातवाँ नोट :* अपने लिए, या किसी ऐसी चीज़ के बारे में खेद महसूस न करें जिसे आप हासिल नहीं कर सके, या ऐसी किसी चीज़ के बारे में जिसका आप सहारा न ले सकें. इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं.
*आठवीं बात :* धन, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सौंदर्य, जाति और प्रभाव; ये सब चीजें अहंकार को बढ़ाती हैं. विनम्रता लोगों को प्यार से करीब लाती है.
*नौवां टिप :* अगर आपके बाल सफेद हैं तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है. यह एक अच्छे जीवन की शुरुआत है. आशावादी बनें, स्मृति के साथ जिएँ, यात्रा करें और उसका आनंद लें... यादें बनाएं.
*दसवां निर्देश :* अपने छोटों से प्यार, सहानुभूति और स्नेह से मिलें! किसी से भी कुछ भी व्यंग्यात्मक न कहें. अपने चेहरे पर मुस्कान रखें. भूतकाल में आपने कितना भी बड़ा पद क्यों न धारण किया हो, उसे वर्तमान में भूल जाइए और सभी के साथ घुलमिल जाइए!
ग़लत को ग़लत अवश्य बोलें परन्तु दिल पर न लें।
*🍁 हैप्पी हेल्थ डे 🍁*
*सभी के स्वास्थ जीवन की शुभकामनाएं*🙏🏻
Forwarded by -
विक्रांत शर्मा

पारंपरिक दवाओं पर होगी भारत की मुहर, रहेगा एकाधिकारपरीक्षित निर्भयजल्द ही पारंपरिक दवाओं पर भारत की मुहर होगी। इसके चलते...
06/04/2024

पारंपरिक दवाओं पर होगी भारत की मुहर, रहेगा एकाधिकार
परीक्षित निर्भय

जल्द ही पारंपरिक दवाओं पर भारत की मुहर होगी। इसके चलते प्राचीन औषधियों और उनसे बने उत्पादों पर भारत का एकाधिकार रहेगा।
प्राकृतिक उत्पादों पर पेटेंट का दावा करने के लिए भारत एक नया और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर सिस्टम तैयार करना चाहता है। इसके लिए केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन भी किया है जो जल्द ही पूरी समीक्षा के साथ अंतरिम रिपोर्ट सौंपने वाली है। इन्हीं सिफारिशों के आधार पर आगे की नीति तय की जाएगी। समिति की अध्यक्षता उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग
(डीपीआईआईटी)के सचिव कर रहे हैं।

केंद्रीय आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्राकृतिक उत्पादों पर पेटेंट का दावा करना मुश्किल है। इस वजह से कई नवाचारों के बावजूद कई पेटेंट का दावा नहीं कर पाए हैं, जबकि भारत में अभी वैकल्पिक चिकित्सा उद्योग
भारत की औषधियों पर विदेशों का दावा

एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि भारत में नीम के पेड़ को जीवन वृक्ष माना जाता है, क्योंकि उसकी पत्तियों से लेकर जड़ तक कई तरह की बीमारियों में लाभ देती है। 1995 में एक अमेरिकी कंपनी ने यूरोप में नीम का पेटेंट हासिल किया। इसे नीमिक्स का नाम दिया और हर साल करीब छह करोड़ डॉलर का कारोबार होने लगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंबे विरोध के बाद भारत को 2005 में कामयाबी मिली, लेकिन कई देश खासतौर पर चीन पूरी दुनिया में उन उत्पादों को भी अपने मालिकाना हक के साथ बेच रहा है, जिनकी उत्पत्ति और इतिहास भारत से जुड़ा है।
900 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। इनमें से एक यूनिकॉर्न कंपनी है, जिसका कारोबार आठ हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है। इन्हीं क्षमताओं के साथ भारत ने 2014 से लेकर अब तक आठ गुना से ज्यादा वृद्धि की है। 2014 में यह करीब 24 हजार करोड़ रुपये था जो 2020 तक 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंचा। फिलहाल 2023 में यह 1.50 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर सकता है। इन सब के बाद भी जब बात पेटेंट पर आती है तो यह कई सालों से हमारे लिए चुनौती बनी हुई है, जिसका समय पर समाधान बहुत जरूरी है।

न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी का अध्ययन बताता है कि पारंपरिक चिकित्सा का ज्ञान काफी प्राचीन है। बाजार में ढेरों ऐसे उत्पाद हैं, जिनका मूल स्त्रोत पारंपरिक चिकित्सा है, लेकिन निजी कंपनियां उन्हें अलग-अलग नामों से बेच रही हैं।

निजी कंपनियां यूनिवर्सिटी के भी होड़ में कि धीरे-धीरे फिर यही कंपनियां पेटेंट लेकर इन स्त्रोतों पर कानूनी रूप से अपना कब्जा करने लगती हैं। इसमें कंपनियां अरबों का मुनाफा कमाती हैं और देश को नुकसान होता है, फिर चाहे वह भारत हो या अन्य कोई देश।

जब सारे खेल मोबाइल में आ जाते है तो बच्चो का फिजिकल ऐसा ही होता है क्या 15 साल उम्र है हार्ट अटेक आने की पर जब हम नेचर स...
02/04/2024

जब सारे खेल मोबाइल में आ जाते है तो बच्चो का फिजिकल ऐसा ही होता है क्या 15 साल उम्र है हार्ट अटेक आने की पर जब हम नेचर से दूर हों आर्टिफिशियल,हाई फ्लेम और फास्ट फ्रूट वाला खाना पेट भरकर और बो भी रोजाना के हिसाब से खांए और फिजिकल एक्टिविटी न रखें तो भाविष्य तो छोड़ो जनाब वर्तमान ही नहीं रहेगा

संभलकर खाएं रंगीन कचरी-पापड़ और मावा56 खाद्य पदार्थों में से 39 के नमूने आए थे फेल, 12 में मिला था अखाद्य पदार्थहोली को ...
20/03/2024

संभलकर खाएं रंगीन कचरी-पापड़ और मावा

56 खाद्य पदार्थों में से 39 के नमूने आए थे फेल, 12 में मिला था अखाद्य पदार्थ

होली को लेकर बाजार इन दिनों चिप्स-पापड़ और कचरी आदि उत्पादों से अटे पड़े हैं। रंग-बिरंगे कचरी- पापड़ भी बिक रहे हैं, लेकिन ये रंग-बिरंगे खाद्य उत्पाद बीमारियों के सौदा से कम नहीं है। बीते साल होली पर चले अभियान में मावा, रंगीन कचरी-पापड़ और पनीर सहित अन्य खाद्य पदार्थों के 56 नमूने लिए थे। इसमें 39 नमूने जांच में फेल आए। रंगीन कचरी और मावा के 12 नमूने असुरक्षित पाए गए। इन्हें अखाद्य रंग और अखाद्य पदार्थों से तैयार किया गया था।
24 मार्च को होली है, ऐसे में होली के रंगों की तरह रंग-बिरंगे पापड़ और कचरी किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी हैं। इस साल की होली के समय बाजार में चायनीज पापड़ और कचरी की खूब बिक्री हो रही हैं। इसमें क्या-क्या मिलाया गया है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। चटकीले रंगों से बनी ये कचरी लोगों को खूब भा रही है। लेकिन, बीते साल लिए गए नमूनों की रिपोर्ट लोगों को संकेत दे रही है कि जांच परख कर ही खाद्य पदार्थों की बिक्री करें। मंगलवार को मावा मंडी के लोगों के साथ सहायक आयुक्त ने बैठक कर शुद्ध मावा बेचने की बात कही।

ये हो सकती है परेशानी

■ गैस-एसिड बनने के साथ पेट संबंधी अन्य बीमारी।

■ मिलावटी सामग्री के प्रयोग से पथरी की आशंका रहती है

■ रंग रक्त में घुलने से त्वचा संबंधी रोग हो सकते है

रंगीन खाद्य पदार्थों को बिल्कुल न खरीदें, बीते साल मिलावटखारों को सक्रिय देखकर इस बार अभियान शुरू कर दिया है। यदि कहीं मिलावटी खाद्य पदार्थों के बनाने की जानकारी लगे तो हमें अवगत कराएं।

खाद्य विभाग ने किया जागरूक

होली पे फुटपाथ पर रंगीन कचरी और पापड़ बेचता दुकानदार।

09/03/2024

दुनियां की एक मात्र जगह जहां महिला बीमार मिलती है बो है
(बस और ट्रेन)
अगर महिला पके पास सीट नहीं है तो वो इस लिए बीमार है
की उसे बैठना है
और
अगर उसपे सीट है
तो बो इसलिए बीमार है कि बो किसी को बैठने नही देगी
क्या में सही हूं
तो अपनी राय कॉमेंट में दीजिए

गजब की फायदेमंद है अरहर दालअरहर की दाल प्रोटीन, खनिज और विटामिन से भी भरपूर होती है। यह हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करत...
29/02/2024

गजब की फायदेमंद है अरहर दाल

अरहर की दाल प्रोटीन, खनिज और विटामिन से भी भरपूर होती है। यह हाई कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है।

पेट के लिए हल्की और पाचन प्रक्रिया में सहायता करने के कारण अरहर की दाल मुख्य भोजन के रूप में उपयोग की जाती है। अरहर दाल में अवशोषक गुण होते हैं, जो एक प्रभावी पाचन उत्तेजक के रूप में कार्य करते हैं और पाचन वनस्पतियों को बढ़ावा देते हैं। यह दाल पाचन तंत्र में सुधार करके उच्च कोलेस्ट्रॉल को प्रबंधित करने में मदद करती है, साथ ही यह रक्त वाहिकाओं में रुकावटों को दूर करने में भी उपयोगी है। अरहर की दाल में सूजन रोधी गुण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जब इसका पेस्ट घावों पर लगाया जाता है तो घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। इस दाल की पत्तियां भी घावों को भरने में मदद करती हैं। यह दाल प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है और इस प्रकार यह बालों के विकास में मदद करती है और बालों के स्वास्थ्य को भी बनाए रखती है। माना जाता है कि अरहर की दाल में सूजन-रोधी गुण होते हैं। दिन में दो बार सूजन वाली जगह पर तुअर दाल का पेस्ट लगाने से सूजन से राहत मिलती है और त्वचा वापस सामान्य स्थिति में आ जाती है। इस दाल का जरूरत से ज्यादा सेवन करने से बचें।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

अरहर की दाल में फाइबर होता है जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर है और पोटैशियम रक्तचाप को सामान्य रखता है।

Address

Shop No 1, Yadav Market, Between Lane 4 And 3, Mahaveer Nagar Firozabad
Firozabad
283203

Opening Hours

Monday 9am - 9pm
Tuesday 9am - 9pm
Wednesday 9am - 9pm
Thursday 9am - 9pm
Friday 9am - 9pm
Saturday 9am - 9pm
Sunday 9am - 9pm

Telephone

+919259347853

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