Nagarjuna ayurveda and Kshar-sutra Centre

Nagarjuna ayurveda and Kshar-sutra Centre I'm Dr.Anup Kumar M.S(Ayu.) our aim is to provide best ayurvedic treatment for ano-rectal diseases.
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myself Dr.Anup kumar is a quite well known Ayurvedic Proctologist.He has been practicing super specialised treatments of ano-rectal diseases like Piles,fistula-in-ano,fissure-in-ano,Pilonidal sinus,Rectal prolapse,Anal stenosis etc.He is inclined towards treating these diseases through Ayurvedic medicines and also prefers other Surgical treatments, Kshar-sutra therapy,Agnikarm therapy,Jalauka therapy and laser therapy.Dr.Anup Kumar is a M.S.(Ayu.) shalya tantra from an honoured institution which is Sampurnanand Sanskrit University,Varanasi.He is much skilled in advanced Kshar-Sutra technique.He is self made his kshar-sutra.He provides affordable treatment of all.He is expertly trained in advanced laser treatment for ano-rectal diseases.
Ayurvedic Doctor practitioner healer physician health expert medicine practitioner consultant specialist therapist coach (traditional Ayurvedic doctor)

आज दिनांक 23 सितंबर 2025 को आयुष विभाग फ़िरोज़ाबाद द्वारा 10वां आयुर्वेद दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। विकास भवन...
23/09/2025

आज दिनांक 23 सितंबर 2025 को आयुष विभाग फ़िरोज़ाबाद द्वारा 10वां आयुर्वेद दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। विकास भवन सभागार फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश। 🎉🌿🏥💚

      नवरात्रि केवल धार्मिक आस्था और शक्ति की साधना का पर्व नहीं है, बल्कि यह शरीर को शुद्ध करने और पाचन को विश्राम देने...
21/09/2025

नवरात्रि केवल धार्मिक आस्था और शक्ति की साधना का पर्व नहीं है, बल्कि यह शरीर को शुद्ध करने और पाचन को विश्राम देने का अद्भुत अवसर भी है। व्रत के दौरान खान-पान में अनुशासन रखने से शरीर हल्का और मन एकाग्र होता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय सात्त्विक आहार का सेवन करना चाहिए जो शरीर की ऊर्जा बनाए रखे और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाले। आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत में खाए जाने वाले 10 श्रेष्ठ खाद्य पदार्थ, उनके फायदे और सेवन के सही तरीके।

🌾 1. सिंघाड़ा आटा

उपवास में सबसे लोकप्रिय विकल्प।

इसमें कैल्शियम, आयरन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है।

यह हड्डियों और पाचन के लिए बेहद फायदेमंद है।
👉 टिप: इससे हलवा, पुरी या चीला बना सकते हैं।

🌱 2. कुट्टू आटा (Buckwheat)

यह ग्लूटेन-फ्री और प्रोटीन से भरपूर होता है।

व्रत में पेट को भरा रखता है और थकान कम करता है।
👉 टिप: कुट्टू की पकौड़ी या रोटी बनाकर खाएँ।

🥛 3. साबूदाना (Tapioca pearls)

कार्बोहाइड्रेट से भरपूर, तुरंत ऊर्जा देने वाला भोजन।

इसमें स्टार्च और कैल्शियम भी होता है।
👉 टिप: साबूदाना खिचड़ी या खीर व्रत में श्रेष्ठ विकल्प है।

🍠 4. शकरकंद (Sweet Potato)

विटामिन A, C और फाइबर से भरपूर।

यह लंबे समय तक पेट भरे रखता है और ऊर्जा देता है।
👉 टिप: उबालकर, भूनकर या हल्की करी बनाकर खाएँ।

🥥 5. नारियल पानी और गूदा

प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स का स्रोत।

डिहाइड्रेशन से बचाता है और पाचन को संतुलित रखता है।
👉 टिप: नारियल पानी दिन में 1–2 बार पिएँ।

🥛 6. दूध और दही

कैल्शियम, प्रोटीन और प्रोबायोटिक्स का उत्तम स्रोत।

व्रत के दौरान कमजोरी और थकान से बचाता है।
👉 टिप: दही में सेंधा नमक डालकर या लस्सी के रूप में लें।

🌰 7. मेवे (बादाम, काजू, अखरोट, किशमिश)

एनर्जी बूस्टर और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का खज़ाना।

मानसिक एकाग्रता और स्टैमिना बनाए रखते हैं।
👉 टिप: भिगोकर खाएँ या दूध में मिलाकर सेवन करें।

🥭 8. फल (सेब, पपीता, केला, अमरूद, अनार)

विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर।

शरीर को हल्का रखते हैं और डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक।
👉 टिप: व्रत में मौसमी फलों का ज़्यादा सेवन करें।

🌿 9. तुलसी और अदरक वाली हर्बल चाय

पाचन सुधारती है और सर्दी-जुकाम से बचाती है।

शरीर में ऊर्जा और ताजगी बनाए रखती है।
👉 टिप: इसमें चीनी की जगह शहद का प्रयोग करें।

🧂 10. सेंधा नमक

उपवास में केवल सेंधा नमक का प्रयोग होता है।

यह आयोडीन, कैल्शियम और पोटैशियम से युक्त होता है।
👉 टिप: इससे बना भोजन हल्का और सुपाच्य होता है।

🌸 निष्कर्ष
नवरात्रि व्रत का मकसद केवल धार्मिक साधना ही नहीं, बल्कि शरीर को सात्त्विक और ऊर्जावान बनाए रखना भी है। अगर आप सही आहार चुनते हैं तो न केवल व्रत सफल होगा, बल्कि शरीर भी स्वस्थ और मन प्रसन्न रहेगा।

🏥नागार्जुन आयुर्वेदा एवं क्षार सूत्र सेन्टर🏥
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आयुर्वेदिक चिकित्सा, क्षार सूत्र चिकित्सा एवं अग्निकर्म चिकित्सा द्वारा सम्पूर्ण इलाज व समाधान

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Contact No: +91 7668353121| +91 8864990210
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#नवरात्रिव्रत #आयुर्वेदिकआहार #सात्त्विकभोजन #स्वस्थउपवास #सुपाच्यभोजन

आवास विकास कॉलोनी शिकोहाबाद में आयुर्वेदिक जन जागरण रैली का शुभारंभ करते हुए क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी फिरोजाब...
21/09/2025

आवास विकास कॉलोनी शिकोहाबाद में आयुर्वेदिक जन जागरण रैली का शुभारंभ करते हुए क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी फिरोजाबाद डॉक्टर सुनीता पाल जी ने हरी झंडी दिखाई। इस रैली में सैकड़ों महिला, पुरुष और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। अच्छा स्वास्थ्य रखने और आयुर्वेद को अपनाने के महत्व पर बल देते हुए लोग 'करें योग रहे निरोग' के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। इस आयुर्वेदिक रैली में डॉक्टर केशव शर्मा, डॉ प्रेम नारायण, डॉ अनूप कुमार जी, दीपक जी, सर्वेश कुमार, अनुराग पाल, सुनहरी लाल राजपूत, सुरेश चंद्र फौजी, मुकुल गुप्ता, राजू वर्मा, बृजमोहन यादव, उर्मिला उपाध्याय, अंकित यादव, रीता चौहान, अमला राजपूत, खुशबू अग्रवाल, पंकज बघेल, यशपाल बघेल, अभिषेक राणा, आरसी सर सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। योग प्रशिक्षक डॉक्टर पीएस राणा ने इस रैली का सफलतापूर्वक संचालन किया।
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      हम अक्सर कहते हैं – “अगर  #पेट ठीक है, तो पूरा शरीर ठीक है।” यह वाक्य केवल कहावत नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का वा...
08/09/2025

हम अक्सर कहते हैं – “अगर #पेट ठीक है, तो पूरा शरीर ठीक है।” यह वाक्य केवल कहावत नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का वास्तविक आधार है। पेट यानी Stomach सिर्फ़ भोजन को पचाने का स्थान नहीं है, बल्कि यह शरीर के हर हिस्से को ऊर्जा देने वाला मुख्य केंद्र है। आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही मानते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य की शुरुआत पेट से ही होती है। आइए, जानते हैं पेट का परिचय, आयुर्वेदिक महत्व, कुछ अनजाने लेकिन वास्तविक तथ्य और देखभाल के आसान उपाय।

❓ पेट (Stomach) का परिचय

पेट हमारे पाचन तंत्र (Digestive System) का एक प्रमुख अंग है।

इसका काम भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ना और उसे रसायनिक रूप से पचाना है।

यहाँ पर Hydrochloric Acid और Digestive Enzymes निकलते हैं, जो भोजन को तरल और सुपाच्य बनाते हैं।

इसके बाद भोजन धीरे-धीरे आंतों में जाता है, जहाँ से शरीर को ऊर्जा और पोषण मिलता है।

🕉️ आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में पेट को “अग्नि का स्थान” कहा गया है।

जठराग्नि (Digestive Fire) – यह हमारे स्वास्थ्य का मूल है। अगर जठराग्नि तेज़ है तो शरीर निरोग रहता है, और अगर यह मंद है तो रोगों का घर बन जाता है।

अम (Toxins): जब भोजन सही से नहीं पचता, तो अधपचा अंश शरीर में अम (विष) का रूप ले लेता है और कई बीमारियों की जड़ बन जाता है।

दोषों का संबंध:

वात दोष – गैस, पेट फूलना, कब्ज़।

पित्त दोष – एसिडिटी, जलन, अल्सर।

कफ दोष – आलस्य, भारीपन, अपच।
👉 इसलिए पेट को स्वस्थ रखना दोष संतुलन के लिए सबसे ज़रूरी है।

💡 पेट से जुड़े कुछ अनजाने लेकिन वास्तविक तथ्य

पेट हर दिन लगभग 1.5–2 लीटर गैस्ट्रिक जूस बनाता है।

हमारे पेट की परत इतनी मज़बूत होती है कि वह अपने ही तेज़ अम्ल (Hydrochloric Acid) से गलती नहीं।

ज़्यादा तनाव लेने से पेट की अम्लीयता बढ़ती है, जिससे अल्सर और एसिडिटी होती है।

अगर पेट लगातार गड़बड़ रहे तो यह स्किन रोग, सिरदर्द और थकान तक का कारण बन सकता है।

आयुर्वेद मानता है कि 80% बीमारियों की जड़ पेट की गड़बड़ी है।

देर रात का भोजन, बार-बार स्नैकिंग और ठंडा-गरम एक साथ खाना पेट के लिए सबसे बड़ा शत्रु है।

🌱 पेट की देखभाल के आयुर्वेदिक उपाय

समय पर भोजन करें – “कालभोजन” आयुर्वेद का नियम है। नाश्ता, दोपहर और रात का खाना निश्चित समय पर लें।

अति भोजन से बचें – आधा पेट अन्न, चौथाई जल और चौथाई खाली स्थान गैस के लिए छोड़ना चाहिए।

भोजन चाव से खाएँ – अच्छे से चबाकर खाने से अग्नि प्रज्वलित होती है और भोजन आसानी से पचता है।

गर्म जल का सेवन – सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना पाचन के लिए उत्तम है।

मसाले और औषधियाँ – हींग, सौंठ, जीरा, अजवाइन, हल्दी पाचन को मज़बूत करते हैं।

दूध-दही साथ न खाएँ – यह आयुर्वेद में विरुद्ध आहार माना गया है, जिससे पेट में विकार उत्पन्न होते हैं।

योग और प्राणायाम – पवनमुक्तासन, भुजंगासन और कपालभाति पेट को स्वस्थ और सक्रिय रखते हैं।

🏠 घरेलू नुस्ख़े

हींग-अजवाइन का पानी: गैस और अपच में लाभकारी।

त्रिफला चूर्ण: रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से कब्ज़ दूर होता है और पेट साफ़ रहता है।

आंवला रस: अग्नि को प्रज्वलित करता है और पेट की जलन को शांत करता है।

जीरे का पानी: भोजन के बाद जीरे का काढ़ा पाचन को मज़बूत बनाता है।

तुलसी-पुदीना चाय: अपच और एसिडिटी के लिए उत्तम।

🚫 पेट की बीमारियों से बचाव

देर रात खाना न खाएँ।

अत्यधिक तैलीय, मसालेदार और जंक फूड से बचें।

भोजन के तुरंत बाद सोने की आदत छोड़ें।

मानसिक तनाव और चिंता को कम करें।

रोज़ाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलें।

🌿 निष्कर्ष

पेट सिर्फ़ भोजन पचाने का अंग नहीं, बल्कि पूरे शरीर की ऊर्जा का केंद्र है। आयुर्वेद कहता है कि अगर जठराग्नि प्रबल है तो रोग पास भी नहीं फटकते। इसलिए सही भोजन, सही समय और सही आदतें अपनाकर पेट को स्वस्थ रखना ही लंबे और निरोग जीवन का सबसे पहला कदम है।
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#पेटकीसेहत #जठराग्नि #आयुर्वेदिकजीवन #स्वस्थभारत #घरेलूनुस्खे

      अदरक (Ginger) हमारी रसोई का एक साधारण-सा हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही  #अदरक आयुर्वेद में महाऔषधि के ...
06/09/2025

अदरक (Ginger) हमारी रसोई का एक साधारण-सा हिस्सा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही #अदरक आयुर्वेद में महाऔषधि के रूप में वर्णित है? इसका स्वाद भले ही तीखा और गर्माहट देने वाला हो, लेकिन इसके भीतर छिपे पोषक तत्व और औषधीय गुण इसे हजारों सालों से बीमारियों का रामबाण इलाज बनाते आ रहे हैं।

🌿 अदरक में पाए जाने वाले प्रमुख तत्व

अदरक में अनेक सक्रिय यौगिक (Active Compounds) पाए जाते हैं जो इसे औषधीय दृष्टि से अनमोल बनाते हैं:

जिंजरोल ( ): यह अदरक का सबसे महत्वपूर्ण सक्रिय तत्व है, जो इसे सूजन-रोधी (Anti-inflammatory) और एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रदान करता है।

शोगोल ( ): सूखे अदरक में पाया जाता है, जो पाचन क्रिया सुधारने और मतली रोकने में सहायक है।

जिंजरोन ( ): यह अदरक के स्वाद और सुगंध का मुख्य कारण है और इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं।

विटामिन और खनिज: अदरक में विटामिन C, B6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

📌 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में अदरक को “विष्वभेषज” यानी “सर्वरोग निवारक” कहा गया है।

यह वात और कफ दोष को संतुलित करता है।

पाचन तंत्र को सुधारता है और अग्नि (Digestive Fire) को प्रज्वलित करता है।

सर्दी-जुकाम, खांसी, जोड़ों के दर्द और अपच जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी है।

इसे ताज़ा (शुण्ठी) और सूखा (सुनठ) दोनों रूपों में उपयोग किया जाता है।

🏠 अदरक के बेहतरीन आयुर्वेदिक उपयोग

सर्दी-जुकाम में –
अदरक का रस शहद के साथ लेने से गले की खराश, कफ और जुकाम तुरंत कम होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाने में –
भोजन से पहले अदरक के छोटे टुकड़े पर थोड़ा सा नमक छिड़ककर खाने से भूख बढ़ती है और अपच दूर होता है।

जोड़ों के दर्द में –
अदरक का लेप तेल में मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से दर्द और सूजन कम होती है।

उल्टी और मिचली में –
अदरक का रस नींबू और शहद के साथ मिलाकर लेने से यात्रा के दौरान होने वाली उल्टी में राहत मिलती है।

खून साफ करने में –
अदरक का नियमित सेवन रक्तसंचार बेहतर करता है और शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालता है।

वजन घटाने में –
सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में अदरक और नींबू का रस मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है।

मासिक धर्म की तकलीफ़ में –
अदरक की चाय पीने से पेट दर्द और ऐंठन में राहत मिलती है।

⚠️ सावधानियाँ

अत्यधिक मात्रा में अदरक का सेवन पित्त बढ़ा सकता है, जिससे जलन और सीने में असहजता हो सकती है।

गर्भवती महिलाओं को अदरक का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

रक्त-पतला करने वाली दवाएँ (Blood Thinners) लेने वालों को अदरक सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

✅ निष्कर्ष

अदरक न केवल एक मसाला है बल्कि एक प्राकृतिक औषधि भी है। इसमें मौजूद जिंजरोल, शोगोल और अन्य पोषक तत्व इसे शरीर की हर छोटी-बड़ी समस्या का उपचार बनाते हैं।
चाहे आप इसे चाय में डालें, लेप के रूप में लगाएँ, या रस बनाकर पिएँ, अदरक हर रूप में शरीर को रोगों से लड़ने की ताकत देता है।

े_गुण #स्वस्थ_जीवन #हर्बल_उपाय

    आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियाँ हमारी गलत जीवनशैली और खानपान की वजह से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक है ह...
28/08/2025

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियाँ हमारी गलत जीवनशैली और खानपान की वजह से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक है हर्निया (Hernia)। यह समस्या धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है अगर इसे समय रहते न समझा जाए। आयुर्वेद में हर्निया को “अन्त्रवृद्धि” कहा गया है और इसका गहरा संबंध वात दोष की वृद्धि से माना जाता है।

🔎 हर्निया क्या है?

जब शरीर के किसी हिस्से (विशेषकर पेट या आँतों) का अंदरूनी भाग कमजोर हो जाता है और वहाँ से आंत या ऊतक बाहर की ओर उभरकर गांठ जैसा दिखने लगता है, तो इसे हर्निया कहा जाता है। आमतौर पर यह पेट, जांघ, नाभि या सीने के हिस्से में देखा जाता है।

⚠️ हर्निया होने के कारण

कमजोर पेट की मांसपेशियाँ – लंबे समय तक भारी वजन उठाना या बार-बार दबाव पड़ना।

कब्ज और ज़्यादा जोर लगाना – शौच के दौरान दबाव डालने से आँतों पर असर पड़ता है।

लंबे समय तक खाँसी – लगातार खाँसी पेट की मांसपेशियों को कमजोर कर सकती है।

अत्यधिक मोटापा – वजन बढ़ने से पेट पर दबाव बढ़ता है।

गर्भावस्था – महिलाओं में पेट की मांसपेशियाँ ढीली हो जाती हैं।

वृद्धावस्था – उम्र के साथ मांसपेशियाँ कमजोर होती जाती हैं।

🤒 हर्निया के लक्षण

पेट या जांघ में गांठ जैसी सूजन

खड़े होने या ज़ोर लगाने पर गांठ उभरना

झुकने, खाँसने या उठने-बैठने पर दर्द बढ़ना

कब्ज या गैस की समस्या

लगातार भारीपन और असहजता

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार हर्निया का मुख्य कारण है अग्नि (पाचन शक्ति) की कमजोरी और वात दोष की वृद्धि।

जब पाचन ठीक से नहीं होता, तो आँतों में अपच और आम (toxins) जमा होने लगता है।

इससे आँतें और पेट की दीवार कमजोर होकर बाहर की ओर धकेलने लगती हैं।

इसे ही आयुर्वेद में “अन्त्रवृद्धि” कहा गया है।

🏡 हर्निया में सहायक घरेलू आयुर्वेदिक उपाय

⚠️ महत्वपूर्ण नोट: हर्निया में शल्य चिकित्सा (सर्जरी) भी ज़रूरी हो सकती है। घरेलू नुस्खे सिर्फ प्रारंभिक लक्षणों को नियंत्रित करने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

त्रिफला का सेवन

रोज़ रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज दूर होता है और आँतों पर दबाव नहीं पड़ता।

अजवाइन और सौंफ

खाना खाने के बाद अजवाइन, सौंफ और काला नमक लेने से गैस और भारीपन कम होता है।

अदरक और शहद

अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से पाचन सुधरता है और आँतों पर दबाव कम होता है।

आंवला का प्रयोग

आंवला रोज़ खाने से पेट की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और पाचन सुधरता है।

हल्का एवं सुपाच्य भोजन

खिचड़ी, मूँग दाल, हरी सब्जियाँ और छाछ का सेवन हर्निया में लाभकारी होता है।

योग व प्राणायाम

वज्रासन, पवनमुक्तासन और प्राणायाम से पाचन सुधरता है।

लेकिन हर्निया के रोगी को भारी योगासन या पेट पर दबाव डालने वाले आसन नहीं करने चाहिए।

गर्म पानी का सेवन

दिनभर गुनगुना पानी पीने से पेट की मांसपेशियाँ रिलैक्स होती हैं और गैस नहीं बनती।

🚫 क्या न करें (Precautions)

ज़्यादा भारी सामान उठाना।

कब्ज की स्थिति में ज़्यादा जोर लगाना।

तैलीय, मसालेदार और बासी भोजन।

बार-बार झुकने या लंबे समय तक खड़े रहने से बचें।

धूम्रपान और शराब का सेवन।

🩺 निष्कर्ष

हर्निया कोई साधारण समस्या नहीं है। यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है। आयुर्वेद में आहार-विहार (डाइट और लाइफस्टाइल) को सुधारकर और घरेलू नुस्खों के प्रयोग से हर्निया की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। हालाँकि, अगर दर्द लगातार बढ़े या गांठ बड़ी हो जाए तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

आयुर्वेद कहता है – “नित्यं पथ्यं च सेवेत”, यानी अगर सही आहार और दिनचर्या अपनाई जाए तो हर्निया जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।
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#हर्निया #आयुर्वेदिकउपचार #स्वास्थ्य #घरेलूनुस्खे

आयुर्वेद के अनुसार उपवास (व्रत) सिर्फ भोजन छोड़ना नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि की प्रक्रिया है।आयुर्वेद के अन...
28/08/2025

आयुर्वेद के अनुसार उपवास (व्रत) सिर्फ भोजन छोड़ना नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि की प्रक्रिया है।

आयुर्वेद के अनुसार सप्ताह में एक दिन उपवास (सप्ताहिक उपवास) रखने के फायदे और इसे सही तरीके से रखने के नियम इस प्रकार हैं:

सप्ताह में एक दिन उपवास के फायदे
🧹 शरीर से विषैले तत्व निकालना: उपवास शरीर की सफाई करता है और जमा हुए विषैले तत्वों को बाहर निकालता है जिससे त्वचा और शरीर को राहत मिलती है।

⚖️ वजन नियंत्रण: हर हफ्ते एक दिन उपवास करने से शरीर का अतिरिक्त फैट संतुलित रहता है, जिससे वजन बढ़ने से रोका जा सकता है।

🌿 पाचन तंत्र को आराम: भारी और तैलीय भोजन से पाचन तंत्र पर तनाव पड़ता है, उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और वह खुद को सुधरने का मौका पाता है।

❤️ कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण: उपवास से अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) बढ़ता है और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) घटता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएँ कम होती हैं।

🧠 मानसिक शांति और ऊर्जा बढ़ाना: उपवास से मन शांत रहता है, तनाव कम होता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।

🛡️ मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता: शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।

आयुर्वेद के अनुसार उपवास कैसे रखें (क्या खाएं, क्या न खाएं)
🥥 क्या खाएं:

फल (जैसे केला, सेब, अमरुद)

ताजा जूस, छाछ, दूध

साबूदाना, मखाना, कुट्टू के आटे से बनी हल्की चीज़ें

गर्म पानी, नींबू पानी, हर्बल चाय

हल्की सब्ज़ियाँ और सलाद

🚫 क्या न खाएं:

भारी, तैलीय, मसालेदार भोजन

गेहूं, चावल जैसे अनाज

मांसाहार, प्याज, लहसुन

चाय, कॉफी (खाली पेट लेने से एसिडिटी हो सकती है)

अधिक नमक और चीनी

उपवास के दौरान विशेष सुझाव
💧 खूब पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और विषैले तत्व बाहर निकल सकें।

🧘‍♀️ योग, ध्यान और प्राणायाम से मानसिक शांति बनाए रखें।

🍽️ उपवास खोलने के लिए हल्का सुपाच्य भोजन करें।

⚠️ यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो पहले डॉक्टर या आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह लें।

सप्ताह में एक दिन उपवास एक प्राकृतिक और सरल तरीका है, जो न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन और आत्मा को भी शांति प्रदान करता है। इसे सही तरीके से और समझदारी से करना जरूरी है ताकि इसके पूरे लाभ मिल सकें.
#उपवास #प्राकृतिकचिकित्सा

    आयुर्वेद की गहराइयों में छिपे अनेक ऐसे रत्न हैं जिनका उपयोग आज भी स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए किया जाता है। इन्हीं ...
25/08/2025

आयुर्वेद की गहराइयों में छिपे अनेक ऐसे रत्न हैं जिनका उपयोग आज भी स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए किया जाता है। इन्हीं रत्नों में से एक है विदारी (Vidari)। विदारी एक बहुमूल्य औषधीय पौधा है जिसे संस्कृत में इक्षुमूल, भद्रकन्द और पुष्करमूल भी कहा जाता है। इसकी जड़ें औषधि रूप में प्रयोग की जाती हैं। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता दोनों में ही विदारी को बल्य (शक्ति देने वाली) और वृष्य (प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली) औषधि के रूप में वर्णित किया गया है।

👉 विदारी का महत्व (Ayurvedic Aspect)
आयुर्वेद के अनुसार विदारी ठंडी प्रकृति की औषधि है। यह शरीर में पित्त और वात दोष को संतुलित करती है तथा शरीर को शीतलता प्रदान करती है। यह न केवल ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि लंबे समय से इसे शारीरिक कमजोरी, थकान, बुखार के बाद की कमजोरी, यौन दुर्बलता और बच्चों की वृद्धि में सहायक माना जाता है।

👉 विदारी के मुख्य लाभ

शारीरिक शक्ति में वृद्धि – विदारी का नियमित सेवन शरीर को ऊर्जा देता है और थकान दूर करता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता – इसमें मौजूद पोषक तत्व इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं।

प्रजनन स्वास्थ्य – इसे वृष्य औषधि कहा गया है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन शक्ति को बढ़ाता है।

बच्चों की वृद्धि में सहायक – विदारी का प्रयोग बच्चों की शारीरिक और मानसिक वृद्धि के लिए किया जाता है।

अम्लपित्त और जलन में लाभकारी – इसकी शीतल प्रकृति शरीर की जलन और पित्त को शांत करती है।

वजन बढ़ाने में सहायक – जो लोग कमजोरी से ग्रस्त हैं या जिनका वजन कम है, उनके लिए विदारी एक उत्तम औषधि है।

त्वचा और सौंदर्य के लिए – यह त्वचा को निखारता है और शरीर की आंतरिक नमी को बनाए रखता है।

👉 विदारी के घरेलू नुस्खे और उपयोग के तरीके

शक्ति और स्फूर्ति के लिए

विदारी चूर्ण (2-3 ग्राम) को गुनगुने दूध के साथ रोज़ रात को लें।

यह थकान दूर कर शरीर को ताक़त और स्फूर्ति प्रदान करेगा।

अम्लपित्त और जलन के लिए

विदारी चूर्ण को मिश्री और ठंडे दूध के साथ सुबह लें।

इससे पेट की जलन और पित्त की समस्या में राहत मिलेगी।

प्रजनन शक्ति के लिए

विदारी, अश्वगंधा और शतावरी चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर शहद के साथ सेवन करें।

यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभकारी है।

बच्चों की वृद्धि के लिए

विदारी को घी में मिलाकर बच्चों को थोड़ी मात्रा में दिया जा सकता है।

यह उनकी हड्डियों और मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।

वजन बढ़ाने के लिए

विदारी चूर्ण (2 ग्राम) को शक्कर और दूध के साथ लें।

यह शरीर की दुबलापन दूर कर स्वास्थ्यवर्धक वजन बढ़ाता है।

👉 सावधानियां

विदारी का सेवन अधिक मात्रा में करने से पाचन संबंधी समस्या हो सकती है।

मधुमेह रोगियों को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह शर्करा स्तर को प्रभावित कर सकता है।

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं डॉक्टर या वैद्य की सलाह लेकर ही इसका सेवन करें।

👉 निष्कर्ष
विदारी केवल एक जड़ी-बूटी नहीं, बल्कि ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्राकृतिक खजाना है। आयुर्वेद ने इसे बल्य और वृष्य औषधियों में स्थान दिया है, जो शरीर की समग्र शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यदि इसे सही मात्रा में और सही तरीके से अपनाया जाए तो यह कमजोरी, थकान, अम्लपित्त, यौन दुर्बलता और बच्चों की वृद्धि जैसी अनेक समस्याओं का समाधान बन सकता है।

✨हैशटैग्स:

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    आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान की गड़बड़ी और गलत आदतें पेट से जुड़ी समस्याओं को जन्म दे रही हैं। इनमें से सबस...
24/08/2025

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान की गड़बड़ी और गलत आदतें पेट से जुड़ी समस्याओं को जन्म दे रही हैं। इनमें से सबसे गंभीर समस्या है पेट में अल्सर (Gastric Ulcer)। आयुर्वेद में इसे "परिणाम शूल" या "अन्नवह स्रोत विकार" से जोड़ा गया है। आधुनिक विज्ञान जहाँ इसे पेट की परत (Mucosa) में घाव या छाले मानता है, वहीं आयुर्वेद इसे अग्नि (Digestive Fire) की कमजोरी और दोषों के असंतुलन से उत्पन्न मानता है।

🔎 पेट में अल्सर होने के कारण (Ayurvedic Aspect)

आयुर्वेद के अनुसार अल्सर का मुख्य कारण है पित्त दोष का प्रकोप। जब शरीर में पित्त असंतुलित हो जाता है तो यह पेट की दीवार को जला देता है और अल्सर का रूप ले लेता है।

मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

अत्यधिक मसालेदार, खट्टा और तला-भुना भोजन।

भोजन का अनियमित समय पर सेवन।

अत्यधिक चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान।

तनाव और मानसिक अशांति।

भूखे रहकर या अधिक देर तक पेट खाली रखना।

⚠️ अल्सर के लक्षण (Symptoms)

यदि आपके पेट में अल्सर है तो यह संकेत अवश्य दिखेंगे:

पेट के ऊपरी हिस्से में जलन या दर्द।

भोजन के बाद पेट भारी लगना।

एसिडिटी और खट्टी डकारें।

जी मिचलाना या उल्टी आना।

कभी-कभी खून वाली उल्टी या काला मल (गंभीर स्थिति में)।

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टि से अल्सर का उपचार

आयुर्वेद में उपचार का उद्देश्य है –
👉 पित्त दोष का शमन
👉 अग्नि (पाचन शक्ति) का संतुलन
👉 अन्नवह स्रोत की सुरक्षा

✅ घरेलू आयुर्वेदिक उपाय (Home Remedies)

मुलेठी (Yashtimadhu) – मुलेठी का चूर्ण दूध या गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट की जलन और अल्सर में राहत मिलती है।

घृत (Desi Ghee) – शुद्ध देसी घी पित्त को शांत करता है और अल्सर के घाव को भरने में मदद करता है।

एलोवेरा का रस – सुबह खाली पेट लेने से पेट की परत पर ठंडक पहुँचती है।

आंवला (Amla) – आंवले का सेवन पेट की दीवार को मजबूत करता है और पाचन को बेहतर बनाता है।

नारियल पानी – यह प्राकृतिक रूप से पेट को ठंडक देता है और अल्सर को शांत करता है।

धनिया और सौंफ का पानी – यह पित्त को संतुलित करके जलन और एसिडिटी को कम करता है।

शतावरी चूर्ण – दूध के साथ लेने पर अल्सर के लिए विशेष लाभकारी है।

🧘‍♀️ जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Modifications)

👉भोजन समय पर करें और ज्यादा देर खाली पेट न रहें।

👉चाय, कॉफी और शराब का सेवन कम करें।

👉तनाव से बचने के लिए योग और ध्यान करें।

👉बहुत मसालेदार और खट्टे भोजन से दूरी बनाएँ।

👉भोजन के तुरंत बाद न सोएं और न ही भारी व्यायाम करें।

📖 आयुर्वेदिक शास्त्रों में संदर्भ
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में पित्तजन्य विकारों का उल्लेख है। आयुर्वेद में कहा गया है –
"अतिमात्रेण सेवनं अम्ललवणकटुकान्नानां पित्तं दुष्टं करोति।"
अर्थात् खट्टे, नमकीन और तीखे पदार्थों का अत्यधिक सेवन पित्त को बिगाड़ता है और पेट की बीमारियों को जन्म देता है।
📌 निष्कर्ष
पेट का अल्सर कोई मामूली समस्या नहीं है, यह धीरे-धीरे गंभीर रोग का रूप ले सकता है। आधुनिक दवाएँ जहाँ त्वरित राहत देती हैं, वहीं आयुर्वेदिक उपचार जड़ से संतुलन बनाकर शरीर को ठीक करते हैं। यदि आप आयुर्वेद के बताए उपायों और स्वस्थ दिनचर्या का पालन करें तो अल्सर से बचाव और उपचार दोनों संभव है।
🏥नागार्जुन आयुर्वेदा एवं क्षार सूत्र सेन्टर🏥
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Proctologist (Laser and Kshar-sutra Surgeon )



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