Achary pt sanjay Mishra

Achary pt sanjay Mishra शिक्षा कैरियर भाग्योदय,विवाह,रोगनिर्णय,व्यापार,
बिन्दुओं पर विशेष सलाह के लिए गुरु जी से बात करें-
(1)

31/10/2025
 #पंचांग  # astrologer
31/10/2025

#पंचांग # astrologer

सूर्य को जल देने की विधि       #सूर्य  #नौकरी
31/10/2025

सूर्य को जल देने की विधि

#सूर्य #नौकरी

23/10/2025

#भाईदूज का पर्व आज
********************
भाई दूज का पर्व हिंदू धर्म में भाई-बहन के पवित्र संबंध का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यानी दीपावली के तीसरे दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं। ऐसा करने से भाई की आयु बढ़ती है और उनके जीवन में समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन अगर भाई और बहन यमुना नदी में एक साथ स्नान करें तो उनके जीवन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।

भाई दूज कब है?
===============
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगी। इसके साथ ही इसका समापन 23 अक्टूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। वहीं, इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त 10.38 से 01 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाई का तिलक कर सकती हैं।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त
====================
शास्त्रो में बताया गया है कि भाई दूज पर शुभ चौघड़िया में दोपहर में मानाना शुभ होता है। ऐसे में 10 बजकर 38 am मिनट से 1 बजकर 27 pm मिनट तक का समय भाई दूज मनाने के लिए सर्वोत्तम रहेगा। विशेष परिस्थिति में 4.17 pm से 8.52 pm तक भी कर सकते हैं बहन के हाथो से अन्न जल लेना भाई बहन के रिश्तो को और बेहतर करेगा साथ ही मान्यताओं के अनुसार अकाल मृत्यु के भय को टालने वाला भी होगा।

भाई दूज की पौराणिक कथा
==========================
ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। देवी यमुना ने उनका खूब अच्छे से आदर-सत्कार किया, उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया और उनके माथे पर तिलक लगाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने उन्हें यह वरदान दिया कि जो भाई आज के दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और वह दीर्घायु प्राप्त करेगा। इसी वजह से इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और तिलक लगाती हैं। वहीं, भाई भी बहन को उपहार देते हैं और उनकी सदैव रक्षा का वचन देते हैं।

तिलक करने की सरल विधि
====================
शुभ मुहूर्त में चावल के आटे से एक चौक बनाएं।
भाई को इस चौकी पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाएं।
भाई के माथे पर रोली या चंदन का तिलक करें और अक्षत लगाएं।
भाई के हाथ में कलावा बांधें और उन्हें मिठाई खिलाएं।
इसके बाद घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और उनकी लंबी उम्र की कामना करें।
अंत में भाई, बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें।

भाई दूज का महत्व
=============
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के गहरे स्नेह का म्रतीक है। इस दिन बहनें सुबह स्नान कर, पूजा करती हैं, कथा सुनती हैं और अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन लेते हैं।

भाई को टीका करते समय करें इस मंत्र का उच्चारण
===============================
‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।’

🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻

22/10/2025

#गोवर्धन पूजन विशेष
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
हमारे वेदों में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन वरुण, इन्द्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इसी दिन बलि पूजा, #गोवर्धन पूजा, मार्गपाली आदि होते हैं। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है। यह #ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। #अन्नकूट या #गोवर्धन पूजा भगवान #कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। उस समय लोग इन्द्र भगवान की पूजा करते थे तथा छप्पन प्रकार के भोजन बनाकर तरह-तरह के पकवान व मिठाइयों का भोग लगाया जाता था। ये पकवान तथा मिठाइयां इतनी मात्रा में होती थीं कि उनका पूरा पहाड़ ही बन जाता था।

अन्न कूट परिचय
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
अन्न कूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का आयोजन है जिसमें पूरा परिवार कुटुम्ब और वंश एक जगह बनाई गई रसोई से भोजन करता है। इस दिन चावल, बाजरा, कढ़ी, साबुत मूंग, चौड़ा तथा सभी सब्जियां एक जगह मिलाकर बनाई जाती हैं। मंदिरों में भी #अन्नकूट बनाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

अन्नकूट पूजन विधि
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
इस दिन प्रात:गाय के गोबर से #गोवर्धन बनाया जाता है। अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है।

गोवर्धन में ओंगा (अपामार्ग) अनिवार्य रूप से रखा जाता है। पूजा के बाद #गोवर्धनजी के सात परिक्रमाएं उनकी जय बोलते हुए लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य खील (जौ) लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराता हुआ तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।

गोवर्धनजी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं। इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं।

अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है। यदि प्रतिपदा में द्वितीया हो तो अन्नकूट #अमावस्या को मनाया जाता है।
इस दिन प्रात:तेल मलकर स्नान करना चाहिए।

इस दिन पूजा का समय कहीं प्रात:काल है तो कहीं दोपहर और कहीं पर सन्ध्या समय गोवर्धन पूजा की जाती है।

इस दिन #सन्ध्या के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बालि पर विजय और बाद में बालि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्यस्मरण किया जाता है। यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।

#गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा अपने घर में करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है। आज का दिन तीन उत्सवों का संगम होता है।

इस दिन दस्तकार और कल-कारखानों में कार्य करने वाले कारीगर भगवान #विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। इस दिन सभी कल-कारखाने तो पूर्णत: बंद रहते ही हैं, घर पर कुटीर उद्योग चलाने वाले कारीगर भी काम नहीं करते। भगवान विश्वकर्मा और मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
एक बार एक महर्षि ने ऋषियों से कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन व अन्नकूट की पूजा करनी चाहिए। तब ऋषियों ने महर्षि से पूछा-' अन्नकूट क्या है? गोवर्धन कौन हैं? इनकी पूजा क्यों तथा कैसे करनी चाहिए? इसका क्या फल होता है? इस सबका विधान विस्तार से कहकर कृतार्थ करें।'

महर्षि बोले- 'एक समय की बात है- भगवान श्रीकृष्ण अपने सखा और गोप-ग्वालों के साथ गाय चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई में पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि हज़ारों गोपियां 56 (छप्पन) प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह से नाच-गाकर उत्सव मना रही थीं। पूरे ब्रज में भी तरह-तरह के मिष्ठान्न तथा पकवान बनाए जा रहे थे। श्रीकृष्ण ने इस उत्सव का प्रयोजन पूछा तो गोपियां बोली-'आज तो घर-घर में यह उत्सव हो रहा होगा, क्योंकि आज वृत्रासुर को मारने वाले मेघदेवता, देवराज इन्द्र का पूजन होगा। यदि वे प्रसन्न हो जाएं तो ब्रज में वर्षा होती है, अन्न पैदा होता है, ब्रजवासियों का भरण-पोषण होता है, गायों का चारा मिलता है तथा जीविकोपार्जन की समस्या हल होती है।

यह सुनकर श्रीकृष्ण ने कहा- 'यदि देवता प्रत्यक्ष आकर भोग लगाएं, तब तो तुम्हें यह उत्सव व पूजा ज़रूर करनी चाहिए।' गोपियों ने यह सुनकर कहा- 'कोटि-कोटि देवताओं के राजा देवराज इन्द्र की इस प्रकार निंदा नहीं करनी चाहिए। यह तो इन्द्रोज नामक यज्ञ है। इसी के प्रभाव से अतिवृष्टि तथा अनावृष्टि नहीं होती।'
श्रीकृष्ण बोले- 'इन्द्र में क्या शक्ति है, जो पानी बरसा कर हमारी सहायता करेगा? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा यह गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है। अत: हमें इन्द्र से भी बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए।' इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण के वाक-जाल में फंसकर ब्रज में इन्द्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा की तैयारियां शुरू हो गईं। सभी गोप-ग्वाल अपने-अपने घरों से सुमधुर, मिष्ठान्न पकवान लाकर गोवर्धन की तलहटी में श्रीकृष्ण द्वारा बताई विधि से गोवर्धन पूजा करने लगे।

उधर श्रीकृष्ण ने अपने आधिदैविक रूप से पर्वत में प्रवेश करके ब्रजवासियों द्वारा लाए गए सभी पदार्थों को खा लिया तथा उन सबको आशीर्वाद दिया। सभी ब्रजवासी अपने यज्ञ को सफल जानकर बड़े प्रसन्न हुए। नारद मुनि इन्द्रोज यज्ञ देखने की इच्छा से वहां आए। गोवर्धन की पूजा देखकर उन्होंने ब्रजवासियों से पूछा तो उन्होंने बताया- 'श्रीकृष्ण के आदेश से इस वर्ष इन्द्र महोत्सव के स्थान पर गोवर्धन पूजा की जा रही है।'

यह सुनते ही नारद उल्टे पांव इन्द्रलोक पहुंचे तथा उदास तथा खिन्न होकर बोले-'हे राजन! तुम महलों में सुख की नींद सो रहे हो, उधर गोकुल के निवासी गोपों ने इद्रोज बंद करके आप से बलवान गोवर्धन की पूजा शुरू कर दी है। आज से यज्ञों आदि में उसका भाग तो हो ही गया। यह भी हो सकता है कि किसी दिन श्रीकृष्ण की प्रेरणा से वे तुम्हारे राज्य पर आक्रमण करके इन्द्रासन पर भी अधिकार कर लें।'

नारद तो अपना काम करके चले गए। अब इन्द्र क्रोध में लाल-पीले हो गए। ऐसा लगता था, जैसे उनके तन-बदन में अग्नि ने प्रवेश कर लिया हो। इन्द्र ने इसमें अपनी मानहानि समझकर, अधीर होकर मेघों को आज्ञा दी- 'गोकुल में जाकर प्रलयकालिक मूसलाधार वर्षा से पूरा गोकुल तहस-नहस कर दें, वहां प्रलय का सा दृश्य उत्पन्न कर दें।'

पर्वताकार प्रलयंकारी मेघ ब्रजभूमि पर जाकर मूसलाधार बरसने लगे। कुछ ही पलों में ऐसा दृश्य उत्पन्न हो गया कि सभी बाल-ग्वाल भयभीत हो उठे। भयानक वर्षा देखकर ब्रजमंडल घबरा गया। सभी ब्रजवासी श्रीकृष्ण की शरण में जाकर बोले- 'भगवन! इन्द्र हमारी नगरी को डुबाना चाहता है, आप हमारी रक्षा कीजिए।'

गोप-गोपियों की करुण पुकार सुनकर श्रीकृष्ण बोले- 'तुम सब गऊओं सहित गोवर्धन पर्वत की शरण में चलो। वही सब की रक्षा करेंगे।' कुछ ही देर में सभी गोप-ग्वाल पशुधन सहित गोवर्धन की तलहटी में पहुंच गए। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर छाता सा तान दिया और सभी गोप-ग्वाल अपने पशुओं सहित उसके नीचे आ गए। सात दिन तक गोप-गोपिकाओं ने उसी की छाया में रहकर अतिवृष्टि से अपना बचाव किया। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं पड़ा। इससे इन्द्र को बड़ा आश्चर्य हुआ। यह चमत्कार देखकर और ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्र को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ। वह स्वयं ब्रज गए और भगवान कृष्ण के चरणों में गिरकर अपनी मूर्खता पर क्षमायाचना करने लगे। सातवें दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा- 'अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो।' तभी से यह उत्सव (पर्व) अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

श्री गोवर्धन महाराज जी की आरती
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

#गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️

आप सभी धर्म प्रेमी भक्तों एवं मित्रो को गोवर्धन एवं #अन्नकूट पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं।
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

दीपावली पूजन का दिन का मुहूर्त कुंभ लग्न 2:56 pm से 4:05 pm तक रहेगी उसके बाद वृष लग्न 7:10 pm से 9:05 pm तक रहेगी यह सम...
20/10/2025

दीपावली पूजन का दिन का मुहूर्त कुंभ लग्न 2:56 pm से 4:05 pm तक रहेगी उसके बाद वृष लग्न 7:10 pm से 9:05 pm तक रहेगी यह समय सबसे श्रेष्ठ समय रहेगा उसके बाद रात्रि में सिंह लग्न 2:56 amसे 4:05 am तक रहेगी इस समय पर दीपावली का पूजन श्रेष्ठ है

19/10/2025

🚩🙏🏻जय श्री राम🙏🏻🚩
श्री बाला जी महाराज की असीम अनुकम्पा से दिनांक 20–10–2025 दिन (सोमवार) को श्री बालाजी महाराज व श्री माता रानी के मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।हवन प्रातः 8:00 बजे तथा बाबा का भोग दोपहर 11:00 बजे लगेगा। अतः आप सभी से प्रार्थना है कि हवन में समय से आकर धर्म लाभ उठाएं और बाबा का प्रसाद ग्रहण करें।
पता–बालाजी गार्डन के सामने, नक्का कुआं रोड गढ़मुक्तेश्वर(हापुड़)

18/10/2025

* #औषधि तभी फलप्रद होती है जब मन #शांत, #आहार #सात्त्विक और #विचार पवित्र हों। जिस गृह में संयम, कर्तव्यनिष्ठा और श्रद्धा का दीप प्रज्वलित रहता है, वहाँ रोग और दरिद्रता का प्रवेश निषिद्ध हो जाता है। भगवान #धन्वंतरि का दिव्य संदेश है — “ #आरोग्य ही धन का मूल है, और सदाचार ही अमृत का द्वार।” इस #धनतेरस पर आप सबके #जीवन में #स्वास्थ्य, #सौभाग्य, और #समृद्धि का आलोक फैले।*
*आपको और आपके परिवार को #धनतेरस की मंगलमयी #शुभकामनाएँ — प्रभु #धन्वंतरि आप पर अपने आरोग्य-प्रसाद की वर्षा करें। ✨🌺*

अत्यंत उपयोगी (  #दीपावली_पूजन_पद्धति  ) पुस्तक  #वही_वसनापूजन , एवं  #आरती आदि सहित पीडीऍफ़ संग्रह
17/10/2025

अत्यंत उपयोगी ( #दीपावली_पूजन_पद्धति ) पुस्तक
#वही_वसनापूजन , एवं #आरती आदि सहित पीडीऍफ़ संग्रह

13/10/2025

 #शरद  #पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष काम करने से जीवन में सुख, समृद्धि और  #स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यहाँ कुछ महत्वपू...
06/10/2025

#शरद #पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष काम करने से जीवन में सुख, समृद्धि और #स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:

1. * #चंद्रमा की पूजा*: शरद पूर्णिमा के दिन #चंद्रमा की पूजा करें और उन्हें #अर्घ्य दें।
2. * #व्रत रखना*: इस दिन व्रत रखने से विशेष लाभ होता है।
3. *दूध और खीर का प्रसाद*: दूध और खीर से भरे बर्तन को चंद्रमा की रोशनी में रखें और अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
4. *माता #लक्ष्मी की पूजा*: शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5. * #दान-पुण्य*: इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

इन कामों को करने से #शरदपूर्णिमा का महत्व और लाभ बढ़ जाता है।

Address

Garhmuktesar

Opening Hours

Monday 6am - 10pm
Tuesday 6am - 10pm
Wednesday 6am - 10pm
Thursday 6am - 10pm
Friday 6am - 10pm
Saturday 6am - 10pm
Sunday 6am - 10pm

Telephone

+918630182382

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Achary pt sanjay Mishra posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram