17/06/2023
*आज की चर्चा©️✍🏼*
दिनांक:- 16.06.2023
लेखन:- डॉ कांतेश खेतानी
*पहले खाने के बाद ग्राहक को उसमे बाल दिखता था, आजकल अस्थियों में ऑपरेशन की कैंची दिखती है।*
हाल ही जयपुर के फोर्टिस अस्पताल में एक हार्ट सर्जरी हुई, जिसके एक हफ्ते बाद मरीज का known complications के तहत देहांत हो गया। ईश्वर दिवंगत की आत्मा को वैकुंठ में चिर शांति प्रदान करें।
दाह संस्कार के बाद मृतक के परिजन को उनकी अस्थियों की राख में एक कैंची दिखी, और हो हल्ला मच गया कि डॉक्टर ने मरीज में पेट में ऑपरेशन के बाद कैंची छोड़ दी......अखबार ने भी मसालेदार खबर छापकर रोचकता बढ़ाई......
...पर ऑपरेशन जब heart का हुआ था, तो पेट में कैंची कैसे छूट गई???
भाई कैंची मिली है तो डॉक्टर से ही कहीं न कहीं छूटी होगी!! पेट में या हार्ट में, यह जानने की किसे जल्दी है!!
बहरहाल.... न ढंग से कैंची की "सूरत" दिखी गई, न मामले की ठीक पड़ताल की गई, बस पुलिस में शिकायत दर्ज हो गई, और सुना जा रहा है कि डॉक्टर से पैसे की भी मांग की गई है.....और हमारे चिकित्सा मंत्री ने तो एक कमिटी भी जांच के लिए तुरंत गठित कर दी, पर किसी चिकित्सक ने उन्हे यह सलाह नहीं दी कि साहब, चलकर पहले कैंची तो देख लो!!
खैर.....अब सुनने में आ रहा है कि वह कैंची शमशान घाट में शव का कपड़ा और घी के डिब्बे काटने वाली कैंची थी। अखबार में छपे फोटो में भी कैंची की तस्वीर मानो चीख-चीख कर कह रही हो, "अरे मुझे ढंग से देखो तो सही! मैं सर्जरी की कैंची नहीं हूं भाई। क्यो हम केंचियों में आपस में झगड़े करवा रहे हो इंसानों!"
गंभीर रूप से यदि कहा जाए, तो इस मनगढ़ंत प्रकरण और उस संदर्भ में अखबार में उतावलेपन में छपी खबर ने पुनः स्वास्थ्य सेवा की गरिमा और उसपर रखे जाने वाले विश्वास पर लगते आ रहे घावों को और गहरा किया है।
दुःख होता है देश में स्वास्थ्य सेवा के प्रति उपजे इस सामाजिक रुख पर.... आज राह चलता एक बच्चा भी अगर किसी चिकित्सक के इलाज के संदर्भ में कोई अफवाह फैला दे, तो स्वास्थ्य विभाग ऐसे हरकत में आ जाता है मानो, उसने किसी आतंकवादी के होने की खबर फैला दी हो। अचरज है कि इस बाबत का शोर मचाने वाले परिजन की, या शिकायत दर्ज करने वाली पुलिस की, अथवा अखबार में खबर छापने वाले संवाददाता की क्या यह नैतिक जिम्मेदार नहीं बनती थी कि इस बात की तस्दीक कर यह सुनिश्चित करते कि अस्थि-राख में मिली कैंची कोई ओर प्रकार की तो नहीं है....सबको डॉक्टर ही क्यों गुनहगार लगने लगाता है??
ऐसा सामाजिक व्यवहार ही आज चिकित्सको के मरीज के प्रति अविश्वास का कारण बनता जा रहा है....यह बात दीर्घकाल में सुखद परिणाम देने वाली नहीं साबित होगी।
कृपया विचार कीजिए...