Vedalya Jyotish

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14/12/2022
26/11/2022

बृहस्पति की दुर्बलता बन सकती है आर्थिक समस्याओं का कारण; जानें संकेत व उपाय!

इन भावों में गुरु की दुर्बल स्थिति आर्थिक जीवन को करती है प्रभावित

कुंडली में बारह भाव होते हैं और प्रत्येक भाव में बृहस्पति की अच्छी या बुरी स्थिति लोगों के जीवन को सकारात्मक और नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। अगर इन भावों में बृहस्पति ग्रह की स्थिति मज़बूत न हो तो लोगों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

छठे भाव: कुंडली के छठे भाव में गुरु की कमज़ोर स्थिति की वजह से व्यक्ति को दुर्बलता और गरीबी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को अधिक खर्च करने की आदत होती है और इन्हें 34 वर्ष की आयु में भाग्य के उतार-चढ़ाव जैसी परिस्थितियों से गुज़रना पड़ सकता है।

अष्टम भाव: यदि किसी जातक की कुंडली के अष्टम भाव में बृहस्पति कमज़ोर रूप से विराजमान हों तो उसके आर्थिक मामलों को प्रभावित कर सकते हैं। आपको धन संबंधित क्षेत्रों में परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में संभावना रहती है कि पैसा होने के बावजूद भी जातक ऋणी हो जाएगा। साथ ही वह गरीब और डरपोक भी हो सकता है।

कुंडली में कमज़ोर बृहस्पति के संकेत

यदि कुंडली में बृहस्पति कमजोर या फिर पापी ग्रहों से प्रभावित हो, षडबल हीन हो, नीच का हो, तो ऐसे मनुष्य को खून की कमी, बवासीर, वायु विकार, हर्निया, मस्तिष्क, विषाक्त, अण्डाश्य का बढ़ना, शरीर में दर्द, पेट में गड़बड़, नाभी संबन्धित रोग, मानसिक अशांति, कान, गाल-ब्लेडर, बदहजमी, मोतियाबिंद आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
बृहस्पति के अशुभ होने पर जातक को अनेक प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे मधुमेह, पित्ताशय से जुड़े रोग परेशान कर सकते हैं। इसी तरह जन्म पत्रिका में गुरु के नीच, वक्री या बलहीन होने पर किसी इंसान के शरीर की चर्बी में भी बढ़ोतरी होने लगती है और इस वजह से वह मोटापे का शिकार हो सकता है।
अगर बृहस्पति ग्रह पर राहु का नकारात्मक प्रभाव हो तो इंसान को आध्यात्मिकता एवं धार्मिक कार्यों के मार्ग से दूर ले जाता है। ऐसे में धर्म और आध्यात्मिकता के नाम पर जातक दूसरों को धोखा देने से भी नहीं चूकता है।

इन सरल उपायों को करने से बृहस्पति होंगे मज़बूत
गुरु की दुर्बलता के कारण यदि आर्थिक समस्याएं चिंता का विषय बन गई हैं, तो आप अपनी कुंडली में कुछ सरल उपायों की मदद से बृहस्पति को प्रबल कर सकते हैं। आइये जानते हैं उन उपायों के बारे में।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार के दिन जातक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करने के पश्चात “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। इस दिन स्नान करते समय नहाने के पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करें क्योंकि इसे बेहद शुभ माना गया है।
मान्यताओं के अनुसार, श्री हरि भगवान विष्णु को केले का फल अतिप्रिय है। यही वजह है कि गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा-अर्चना और केले के दान को बहुत ही लाभदायक माना गया है। इस उपाय को करने से विवाह के मार्ग में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
कुंडली में बृहस्पति ग्रह को बलवान बनाने के लिए गुरुवार के दिन गाय को आटे की लोई में गुड़, हल्दी और चने की दाल रखकर खिलाएं।
कुंडली में बृहस्पति ग्रह को प्रबलता प्रदान करने के लिए, गुरुवार के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को पीली वस्तुओं जैसे पीले वस्त्र, केला आदि का दान अपनी सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए।
गुरु ग्रह की वजह से जिन जातकों को अपने जीवन में धन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें बृहस्पतिवार के दिन स्नानादि करने के उपरांत केले के पेड़ की जड़ में एक गुड़ की डली तथा मुट्ठी भर भीगी हुई चने की दाल अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होने लगता है।
गुरु ग्रह द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति के लिए आपको गुरुवार के दिन रुबी, चना दाल, नमक, सोना, पुखराज, हल्दी, पीले चावल, पीले फूल, पीले लड्डू आदि का दान करना चाहिए।

नम: शिवाय

जय श्री महाकाल
17/11/2022

जय श्री महाकाल

11/11/2022

केसर के तिलक से होते है इतने फायदें

दांपत्य में कलह खत्म करने के लिए

जिन लोगों का दांपत्य जीवन कलहपूर्ण हो उन्हें केसर मिश्रित दूध से शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही अपने मस्तक, गले और नाभि पर केसर कर तिलक करें। यदि लगातार तीन महीने तक यह प्रयोग किया जाए तो दांपत्य जीवन प्रेम से भर जाता है।

मांगलिक दोष दूर करने के लिए

जिस किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मांगलीक दोष होता है ऐसे व्यक्ति को दोष दूर करने के लिए हनुमानजी को लाल चंदन और केसर मिश्रित तिलक लगाना चाहिए। इससे काफी फायदा मिलता है।

जीवन में सफलता और आरोग्य प्राप्त करने के लिए

जो व्यक्ति अपने जीवन में सफलता, आकर्षक व्यक्तित्व, सौंदर्य, धन, संपदा, आयु, आरोग्य प्राप्त करना चाहता है उसे प्रतिदिन अपने माथे पर केसर का तिलक करना चाहिए। केसर का तिलक शिव, विष्णु, गणेश और लक्ष्मी को प्रसन्न करता है। शिव से साहस, शांति, लंबी आयु और आरोग्यता मिलती है। गणेश से ज्ञान, लक्ष्मी से धन, वैभव, आकर्षण और विष्णु से भौतिक पदार्थों की प्राप्ति होती है।

आकर्षक प्रभाव पाने के लिए

केसर में जबर्दस्त आकर्षण प्रभाव होता है। प्रतिदिन केसर का तिलक लगाने से व्यक्ति में आकर्षण प्रभाव पैदा होता है और प्रत्येक व्यक्ति को सम्मोहित करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।

जानें केसर से होने वाले अन्य लाभ

1. जिन स्त्रियों को शुक्र से संबंधित समस्या है, जैसे पति से अनबन, परिवार में लड़ाई झगड़े, मान-सम्मान की कमी हो वे किसी महिला या कन्या को मेकअप किट के साथ केसर दान करें।

2.घर में आर्थिक तंगी बनी रहती है। पैसे की बचत नहीं होती है तो नवरात्रि या किसी भी शुभ दिन सात सफेद कौडि़यों को केसर से रंगकर उन्हें लाल कपड़े में बांधें और श्रीसूक्त के सात बार पाठ करें। अब इस पोटली को अपनी तिजोरी में रखें। जल्द ही धनागम होने लगेगा।

3.अपने व्यापार या कामकाज से जुड़े दस्तावेज जैसे बही-खातों, तिजोरी आदि जगह केसर की स्याही का छिड़काव करने से व्यापार खूब फलता है।

4.मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए एक सफेद कपड़े को केसर की स्याही से रंगें। अब इस कपड़े को अपनी तिजोरी या दुकान आदि के गल्ले में बिछाएं और पैसा इसी कपड़े पर रखें। यह स्थान पवित्र बना रहे इसका खास ध्यान रखें। ऐसा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है और पैसे की आवक अच्छी होती है।

5.चतुर्दशी और अमावस्या के दिन घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा यानी नैऋत्य कोण में केसर की धूप देने के पितृ प्रसन्न होते हैं। इससे पितृदोष शांत होता है और व्यक्ति के जीवन में तरक्की होने लगती है।

Note: कुंडली विश्लेषण के लिए whatsapp no. 8851158922 पर सम्पर्क करें

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 06 नवंबर से 12 नवंबर, 2022कैसे जानें अपना मूलांक?अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के ल...
06/11/2022

अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 06 नवंबर से 12 नवंबर, 2022

कैसे जानें अपना मूलांक?

अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है अंक ज्योतिष मूलांक। ये किसी भी जातक के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख हुआ हो, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक होता है। आपका मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कुछ भी हो सकता है, उदाहरण के तौर पर आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 मतलब 1 होगा।
इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना होती है। इससे सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल के बारे में जान सकते हैं!

*हर एक मूलांक पर अलग-अलग ग्रहों का शासन होता है।*

मूलांक 1 पर सूर्य का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 पर बृहस्पति का स्वामित्व है, राहु अंक 4 का स्वामी है। अंक 5 बुध के अंदर आता है। अंक 6 के राजा शुक्र हैं और अंक 7 केतु का है। शनि को अंक 8 का स्वामी माना जाता है। अंक 9 के स्वामी मंगल होते हैं। इन्हीं ग्रहों की दशा में आने वाले परिवर्तन से जातकों के जीवन में अनेक तरह के बदलाव होते हैं।

मूलांक 1
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख को हुआ है)

इस मूलांक के सभी जातक जीवन में काफ़ी व्यवस्थित ढंग से चलते हैं और इसी के कारण जीवन में कामयाब भी होते हैं। इस सप्ताह आप यात्राओं के कारण थोड़ा व्यस्त रहेंगे और हो सकता है आप आध्यात्मिक यात्राओं पर जाएं जिससे आपको लाभ होगा। आप इस सप्ताह अपने जीवन में एक अलग रवैये के साथ आगे बढ़ेंगे।

प्रेम संबंध- इस सप्ताह आपके प्रेम संबंध अच्छे रहेंगे और आप साथी के साथ अच्छा वक्त बिताने में कामयाब रहेंगे। प्रेमी से बातचीत करने से आपके चेहरे पर खुशी नज़र आएगी। आप उनके साथ किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं और ये यात्रा आपके लिए यादगार साबित होगी। आप अपने साथी के साथ मिलकर परिवार की जिम्मेदारियों को संभालेंगे और घर में चल रहे सारे विवादों को हल करेंगे। आप अपने जीवन में पार्टनर को ज्यादा से ज्यादा महत्व देंगे और आप दोनों का रिश्ता दूसरों के लिए एक बेहतरीन मिसाल बनेगा।

शिक्षा- इस सप्ताह आप अपनी पढ़ाई में सुधार करने के मकसद से प्रोफेशनल रूप से कुछ सकारात्मक कदम उठाएंगे। मैनेजमेंट और फिजिक्स जैसे विषय आपके लिए फलदायी साबित होंगे और इन सब्जेक्ट्स में आपकी रूचि बढ़ सकती है। जो छात्र इस सप्ताह प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा ले रहे हैं, वे भी अच्छे अंक लाने में सफल रहेंगे। आप अपने साथियों से आगे निकलने में सक्षम होंगे।

पेशेवर जीवन- आप अपनी नौकरी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे। अगर आप पब्लिक सेक्टर में नौकरी कर रहे हैं, तो ये सप्ताह आपके लिए शानदार रहने वाला है। प्रमोशन के योग बन रहे हैं। यदि आप बिजनेस कर रहे हैं तो इस सप्ताह आपको आउटसोर्स डीलिंग से बड़ा आर्थिक लाभ होने की संभावना है। आप किसी नई साझेदारी का हिस्सा भी बन सकते हैं, और ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। इस हफ्ते आपको अपनी उम्मीद से ज्यादा मुनाफा होगा।

स्वास्थ्य- सेहत की बात की जाए तो ये सप्ताह आपके लिए शानदार साबित होगा। लगातार व्यायाम करने से आपकी सेहत बेहतर रहेगी और आप स्वस्थ जीवन बिताने में सक्षम होंगे।

उपाय- रविवार को सूर्य के लिए हवन करें।

मूलांक 2
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 2 के जातकों को इस सप्ताह निर्णय लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और ये आपके विकास के मार्ग में एक बाधा बनकर उभर सकता है। अच्छे परिणामों के लिए आपके पहले से ही योजना बनाने की जरूरत होगी। कोशिश करें कि इस सप्ताह आप अपने दोस्तों से दूर रहें क्योंकि उनके कारण आप परेशानी में पड़ सकते हैं। आपको इस सप्ताह किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जाने से बचने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि संभावना है कि आपकी यात्रा का उद्देश्य पूरे ना हों।

प्रेम संबंध- इस सप्ताह साथी से आपकी बहस होने की संभावना है जिससे आपको बचने की आवश्यकता होगी। पार्टनर के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए आपको उनके साथ तालमेल बिठाना होगा। आप साथी के साथ किसी आध्यात्मिक यात्रा पर जा सकते हैं जिससे आपको सुकून मिलेगा। कुल मिलाकर प्रेम संबंध के लिहाज़ से आपके लिए ये सप्ताह कुछ खास नहीं रहने की आशंका है।

शिक्षा- इस सप्ताह आपको पढ़ाई में और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होगी क्योंकि हो सकता है आप एकाग्रता के साथ पढाई न कर पाएं। इसलिए आपको और ज्यादा परिश्रम करने की जरूरत होगी। अगर आप केमिस्ट्री या लॉ जैसे विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं तो हो सकता है इस सप्ताह आप बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम ना हो। आपको तार्किक होकर पढ़ाई करनी होगी, साथ ही दूसरे छात्रों के बीच अपनी जगह भी बनानी होगी।

पेशेवर जीवन- अगर आप जॉब कर रहे हैं तो आपको उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है जो आपके विकास में बाधा के रूप में कार्य करेगा। कुछ गलतियों के कारण नई नौकरी के अवसर आपके हाथ से छूट सकते हैं। इससे बचने के लिए आपको सही ढंग से काम करने की जरूरत होगी ताकि आप सफलता हासिल करते हुए अपने साथियों से आगे निकल सकें। अगर आप बिजनेस में हैं, तो प्रतिद्वंदियों की तरफ से मिल रही चुनौतियों के कारण आपको धन हानि हो सकती है।

स्वास्थ्य- आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी क्योंकि आपको खांसी की शिकायत हो सकती है। आपको नींद से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती है। संभव है कि घुटन के कारण आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सके।

उपाय- रोजाना 20 बार “ऊँ चंद्राये नम:” का जाप करें।

*मूलांक 3
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख को हुआ है)

मूलांक 3 के जातक इस सप्ताह कुछ साहसिक निर्णय लेते हुए नज़र आएंगे और इन फैसलों से आपको फायदा होगा। इस सप्ताह आप आत्मविश्वास से भरे रहेंगे और इसी के साथ आप आत्मसंतुष्ट भी महसूस करेंगे। अध्यात्म के प्रति आपकी रुचि में बढ़ोतरी होगी। आपके व्यक्तित्व में आत्म प्रेरणा वह गुण होगा जो आपको अपनी प्रतिष्ठा बनाने में मदद करेगा। आपकी व्यापक सोच इस सप्ताह आपको अपने हितों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगी। साथ ही आप इस सप्ताह अधिक यात्रा करेंगे और ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगी।

प्रेम संबंध- इस सप्ताह आप अपने प्रेमी के साथ खुलकर रोमांस करते दिखाई देंगे। आपके रिश्ते मधुर होंगे और इसी के साथ आप एक-दूसरे के विचारों को जानेंगे जिससे आपके बीच सामंजस्य बढ़ेगा। आप दोनों घर में होने वाले किसी कार्यक्रम के बारे में अपने विचार एक-दूसरे के साथ शेयर करते दिखाई दे सकते हैं जिससे आप दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा।

शिक्षा- यह सप्ताह आपकी पढ़ाई के लिहाज़ से बेहद शानदार रहेगा। आप अपने सभी कामों को प्रोफेशनल तरीके से करते हुए सफलता हासिल करेंगे। मैनेजमेंट और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए ये सप्ताह फलदायी रहेगा। इन विषयों से आपकी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी और आप सभी फैसले सही तरह से लेने में सक्षम होंगे।

पेशेवर जीवन- इस सप्ताह आपको नई नौकरी मिलने की संभावना है और इससे आप काफी खुश नज़र आएंगे। नए अवसरों के साथ-साथ आप काम को अच्छे से करने में सफल होंगे। अगर आप बिजनेस में हैं तो आप कोई नया बिजनेस शुरू कर सकते हैं जिससे आपको मुनाफा होगा और आप अपने प्रतिद्वंदियों से आगे रहते हुए उनके सामने चुनौतियां खड़ी करने में सक्षम होंगे।

स्वास्थ्य- आपकी सेहत इस सप्ताह अच्छी रहेगी और इससे आप ऊर्जावान बने रहेंगे। आपके अंदर के उत्साह के कारण आपकी सेहत बेहतर रहेगी।

उपाय- रोजाना 21 बार “ॐ गुरवे नम:” का जाप करें!

मूलांक 4
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख को हुआ है)

मूलांक 4 के जातक असुरक्षा की भावना से ग्रस्त हो सकते हैं और इसी कारण आप इस सप्ताह महत्वपूर्ण फैसले लेने में सक्षम नहीं होंगे। इस समय आपको किसी लंबी दूरी की यात्रा करने से बचने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि संभव है कि आपकी यात्रा का उद्देश्य पूरा ना हो पाएं। इस सप्ताह आपको अहम फैसले लेने के लिए अपने बड़ों की सलाह लेनी चाहिए।

प्रेम संबंध- इस सप्ताह किसी तरह की गलतफहमी के कारण आप अपने साथी के साथ अनचाहे विवाद में पड़ सकते हैं। अहंकार के कारण आप दोनों के बीच विवाद होने की संभावना है, इसलिए अपने पार्टनर को समझने का प्रयास करें ताकि आपका रिश्ता मज़बूत हो सकें।

शिक्षा- पढ़ाई में ध्यान न लगने के कारण आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इस सप्ताह आपको पढ़ाई मन लगाकर करने की जरूरत होगी। आपको कुछ नए प्रोजेक्ट मिल सकते हैं और आप उसी में व्यस्त रह सकते हैं। लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि पढ़ाई में कुछ बाधाओं के चलते आप अच्छा प्रदर्शन करने में सफल ना हो पाएं।

पेशेवर जीवन- संभावना है कि इस सप्ताह आप मौजूदा नौकरी में अपने काम से संतुष्ट न हो क्योंकि आपके द्वारा की गई कड़ी मेहनत के बावजूद भी आपको सराहना न मिले जिससे आप परेशान हो सकते हैं। अगर आप बिजनेस कर रहे हैं तो हो सकता है कि साझेदारों से आपके रिश्ते खराब हो जाए। साथ ही, इस दौरान किसी भी तरह की नई साझेदारी में जाना आपके लिए फायदेमंद साबित न होने की आशंका है।

स्वास्थ्य- इस सप्ताह आपको पाचन से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए आपको वक्त पर खाना खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही, आपको कंधों और पैरों में दर्द की शिकायत हो सकती है इसलिए बेहतर होगा कि आप व्यायाम करें। आपको नींद से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है।

उपाय- मंगलवार को राहु के लिए हवन करें।

मूलांक 5
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 5 के जातक इस सप्ताह अपनी छिपी हुई काबिलियत को दुनिया के सामने रखने में सफल होंगे और ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। साथ ही इस सप्ताह आप अपने हर फैसले को सोच-समझ कर लेने में सक्षम होंगे। हालांकि, बड़े फैसले लेने के लिए ये सप्ताह अनुकूल रहेगा।

प्रेम संबंध- इस सप्ताह आपके पार्टनर के साथ प्रेम संबंध मधुर होंगे। आप साथी के साथ अच्छा तालमेल बनाने में सफल होंगे और दूसरों के लिए एक मिसाल कायम करने में सक्षम होंगे। आपका मन में साथी के लिए प्रेम ही प्रेम होगा इसलिए आप दोनों के रिश्तों में खुशियां ही खुशियां नज़र आएगी। साथ ही, आप अपने साथी के साथ किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं।

शिक्षा- इस सप्ताह आप अपनी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे और आप कठिन से कठिन विषयों को भी आसानी से पढ़ लेंगे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग, लॉजिस्टिक्स और एडवांस सॉफ्टवेयर जैसे विषय आपके लिए आसान रहेंगे और आप अपने विषयों के अध्ययन में तर्क खोजने में भी सफलता हासिल करेंगे।

पेशेवर जीवन- इस सप्ताह आपको अपनी उन क्षमताओं के बारे में पता चलेगा जिससे अभी तक आप अनजान थे और इसकी बदौलत आप अच्छे से काम करने में सफल होंगे। अपने सभी कामों को आप पेशेवर तरीके से करने में सक्षम होंगे। अगर आप बिजनेस में हैं तो आप इस सप्ताह शीर्ष पर पहुंचने में सफल होंगे।

स्वास्थ्य- इस सप्ताह आंतरिक ऊर्जा के कारण आपकी सेहत बेहतर रहेगी। आपका अच्छा सेंस ऑफ़ ह्यूमर आपको स्वस्थ बनाए रखने में मददगार साबित होगा।

उपाय- रोजाना 41 बार “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करें।

मूलांक 6
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख को हुआ है)

इस सप्ताह आप अपनी शक्तियों को पूरी क्षमता से खोजने में सफल रहेंगे और इसकी मदद से आपकी रचनात्मकता में वृद्धि होगी जिससे आप शीर्ष पर पहुंचेंगे। कार्यक्षेत्र पर आपको अपनी बुद्धिमत्ता के लिए पुरस्कार भी मिल सकता है। इस सप्ताह होने वाली सुखद घटनाएं आपको ऊर्जावान बनाए रखेगी।

प्रेम संबंध- प्रेम संबंधों की बात करें तो इस सप्ताह आप अपने साथी या प्रेमी के साथ अच्छा तालमेल बनाने में सफल रहेंगे। आप दोनों के बीच आपसी समझ अच्छी रहेगी जिससे आप जीवन के बड़े निर्णयों को समझदारी से लेने में सफल होंगे। साथ ही, संभावना है कि आप अपने साथी के साथ किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं जो आपके लिए काफी सुखद रह सकती है। आपके घर में कोई शुभ कार्य होने की संभावना है और आपको सभी परिवार के सदस्यों से मिलने का मौका मिलेगा।

शिक्षा- उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले और प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों के लिए ये सप्ताह शानदार रहने की संभावना है। शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने से आप अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होंगे। जो छात्र विदेश में जाकर पढ़ाई करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें इस सप्ताह ऐसा करने का अवसर मिलने की संभावना है।

पेशेवर जीवन- नौकरी करने वाले जातकों के लिए ये सप्ताह अच्छा साबित होगा। आपको नौकरी के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं। साथ ही आपको विदेश जाने के मौके भी मिल सकते हैं जो आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होंगे। अगर आप बिजनेस में हैं तो आप मन मुताबिक मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे। इसी के साथ आप किसी नए बिजनेस से भी जुड़ सकते हैं जिससे आपको आर्थिक लाभ होगा। आप खुद की काबिलियत को बिजनेस के क्षेत्र में साबित करने में सक्षम होंगे।

स्वास्थ्य- इस सप्ताह आपकी सेहत शानदार रहने वाली है जिसकी वजह आपका आत्मविश्वास हो सकता है। हालांकि, आपकी सेहत में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव हो सकता है।

उपाय- रोजाना 33 बार “ॐ भार्गवाय नम:” का जाप करें।

मूलांक 7
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 7 के जातकों को इस सप्ताह अपने काम में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होगी क्योंकि संभावना है कि लापरवाही के कारण आप कुछ गलतियां कर बैठेंगे जिसका प्रतिकूल प्रभाव परिणामों पर पड़ सकता है। इस सप्ताह अध्यात्म में आपकी रुचि बढ़ सकती है और ऐसे में आप धर्म-कर्म के कार्य करते नज़र आएंगे।

प्रेम संबंध- प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन में आपको अपने साथी के साथ सामंजस्य बैठाने की जरूरत होगी क्योंकि हो सकता है आप किसी अनचाहे विवाद में पड़े जाएं जिससे आपके रिश्ते से खुशियां नदारद हो सकती है। इसलिए रिश्ते में प्रेम बनाए रखने के लिए आपको शांत रहने की जरूरत होगी।

शिक्षा- पढ़ाई के लिहाज से ये सप्ताह आपके लिए ज्यादा खास न रहने की आशंका है। हो सकता है आपको चीजों को समझने में परेशानियों का सामना करना पड़ें और इसके परिणामस्वरूप आप पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने में असफल रहें। साथ ही, अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए ये सप्ताह अनुकूल नहीं रहने की आशंका है क्योंकि संभव है कि आपका प्रदर्शन ज्यादा ख़ास न रहे।

पेशेवर जीवन- इस सप्ताह आपको अपने सीनियर्स से बात करते समय सतर्क रहना चाहिए क्योंकि संकेत मिल रहे हैं कि आपकी उनके साथ बहस हो सकती है। संभावना है कि वरिष्ठ अधिकारी आपके काम पर सवाल खड़े करें और ऐसे में आप उत्तेजित हो सकते हैं। लेकिन आपको इस बात को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठों के आगे अपनी छवि अच्छी बनाए रखने के लिए अपने आपको नियंत्रण में रखना होगा। अगर आप बिजनेस कर रहे हैं तो आपको लाभकारी डील करते वक्त सावधान रहना होगा क्योंकि हो सकता है कि बात आपके हाथों से निकल जाए। अगर आप किसी नई साझेदारी वाले बिजनेस के बारे में सोच रहे हैं तो इस सप्ताह आपको ऐसा करने से बचना चाहिए।

स्वास्थ्य- इस सप्ताह आपको वाहन चलाते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथाआपको चोट लगने की आशंका है। इस सप्ताह आपको कोई बड़ा वाहन चलाने से बचना होगा।

उपाय- रोजाना 41 बार “ऊँ गणेशाय नमः” का जाप करें।

मूलांक 8
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 8 वाले जातकों के लिए ये सप्ताह ज्यादा अच्छा साबित ना होने की संभावना है। हो सकता है आपको बेहतर नतीजों के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़े। जातकों में अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी और इसके कारण आप किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं।

प्रेम संबंध- कुछ पारिवारिक परेशानियों के कारण आपके रिश्तों में दूरियां आने की संभावना है। इस कारण आपको ऐसा महसूस होगा कि आप सब कुछ खो चुके हैं। इसलिए आपके लिए जरूरी होगा कि साथी के साथ तालमेल बनाने का प्रयास करें जिससे आपका रिश्ता बेहतर हो सके।

शिक्षा- इस सप्ताह पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए एकाग्रता ही सफलता की कुंजी साबित होगी। अगर आप प्रतियोगी परीक्षा देने जा रहे है तो ये आपको थोड़ा कठिन प्रतीत हो सकती है। इसलिए अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।

पेशेवर जीवन- नौकरी में संतुष्टि न मिलने के कारण इस सप्ताह आप नौकरी बदलने का विचार कर सकते हैं। साथ ही, आप अपनी पूरी क्षमता से काम करने में असफल रह सकते हैं जिसका सीधा असर आपकी काम की गुणवत्ता पर पड़ेगा। अगर आप बिजनेस कर रहे हैं तो हो सकता है आपको आसानी से धन लाभ ना हो। संभावना है कि घाटे से बचने के लिए आपको कम से कम निवेश में बिजनेस चलाना पड़े।

स्वास्थ्य – सेहत के लिहाज से इस सप्ताह आपको पैरों में दर्द और जोड़ों में जकड़न की परेशानी होने की आशंका है इसलिए खुद को स्वस्थ रखने के लिए योग और ध्यान करें।

उपाय- प्रतिदिन 44 बार “ॐ मंदाय नमः” का जाप करें।

मूलांक 9
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है)

मूलांक 9 के जातकों के लिए ये सप्ताह अनुकूल साबित होगा। आपको करियर में नए अवसर मिलने की संभावना है जो आपके लिए फायदेमंद रहेंगे। साथ ही, आप नए लोगों से दोस्ती भी करेंगे और इस सप्ताह आपका ज्यादातर समय यात्रा में बीतेगा और ये यात्राएं आपके लिए फलदायी रहेगी।

प्रेम संबंध- इस सप्ताह आप अपने जीवनसाथी के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ता निभाने में सफल होंगे। अगर आप प्रेम में हैं तो आप प्रेमी के साथ अच्छा समय बिताएंगे। शादीशुदा जातकों का भी प्रेम जीवन इस सप्ताह ख़ुशहाल रहेगा।

शिक्षा- पढ़ाई के क्षेत्र में ये सप्ताह आपके लिए बेहद शानदार रहेगा और आप अच्छे अंक लाने में कामयाब होंगे। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और केमिस्ट्री जैसे विषयों में आप बेहतर प्रदर्शन करने में सफल होंगे। इस क्षेत्र में आप अपनी एक खास जगह बनाने में सफलता हासिल करेंगे।

पेशेवर जीवन- मूलांक 9 के जातकों को नौकरी के अच्छे अवसर मिलने की संभावना है। इसी के साथ अगर आप सरकारी नौकरी के लिए कोशिश कर रहे हैं, तो आपके लिए ये सप्ताह अच्छा रहने वाला है। अगर आप बिजनेस में हैं तो नई डील से आपको मुनाफा होने की संभावना है।

स्वास्थ्य- आपकी सकारात्मक सोच आपकी सेहत को बेहतर बनाए रखेगी। आप ऊर्जावान और दृढ़ निश्चयी रहेंगे जिसका आपको सही दिशा में इस्तेमाल करना होगा।

उपाय: प्रतिदिन 27 बार “ॐ भौमाय नमः” का जाप करें।

वेदालय ज्योतिष
पं० पुष्पेन्द्र पाण्डेय
8851158922,9250689096

05/11/2022

नवंबर 2022 का महीना ग्रह-गोचरों से भरा रहेगा और इस महीने कई बड़े ग्रहों का गोचर होगा। ज्योतिष शास्त्र में गोचर का बड़ा महत्व बताया गया है। प्रत्येक ग्रह एक निश्चित अवधि में राशि परिवर्तन करता है। जब भी कोई ग्रह राशि बदलता है तो उसका अच्छा व बुरा प्रभाव समस्त 12 राशि के जातकों पर देखने को मिलता है। नवंबर के दौरान तीन बड़े ग्रहों का गोचर वृश्चिक राशि में होने जा रहा है। इससे वृश्चिक राशि में तीन ग्रहों की युति के साथ-साथ अद्भुत संयोग भी देखने को मिलेगा।

11 नवंबर को शुक्र वृश्चिक राशि में गोचर करेगा। फिर 13 नवंबर को बुध वृश्चिक राशि में गोचर करेगा और इसके तीन दिन बाद यानी 16 नवंबर को सूर्य भी इसी राशि (वृश्चिक) में प्रवेश करेगा। ग्रहों के राशि परिवर्तन के कारण कई जातकों को विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल होगी तो कई जातक अपने अधूरे कार्य को पूरा करेंगे। आइए जानते हैं इन गोचरों से किन राशियों की जिंदगी में खुशियां आएंगी।

3 ग्रहों के राशि परिवर्तन से किन राशियों को होगा लाभ!

वृषभ:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध पंचम और द्वितीय भाव का स्वामी है। ग्रहों के राशि परिवर्तन के चलते वृषभ राशि के जातकों को व्यापार में लाभ मिलने की प्रबल संभावना है। इस राशि के जातकों को उनके कार्यक्षेत्र में भी लाभ मिल सकता है। शुक्र का सप्तम भाव में गोचर होने से विवाह के भी शुभ योग बनते नजर आ रहे हैं।

मिथुन:

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य मिथुन राशि के तीसरे और छठे भाव का स्वामी ग्रह है। जो विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं उन्हें सफलता मिलने की संभावना है। साथ ही, यह अवधि सरकारी नौकरी करने वालों जातकों के लिए भी अच्छे परिणाम लेकर आएगी।

कर्क:
सूर्य कर्क राशि के द्वितीय भाव का स्वामी है। ऐसे में, आर्थिक दृष्टि के लिहाज़ से यह समय आपके लिए लाभकारी रहेगा। छात्रों के लिए भी यह समय अच्छा रहेगा। सूर्य और बुध के गोचर के चलते पुराने विवाद समाप्त होने की संभावना है। शुक्र गोचर के दौरान आपको कारोबार में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे और आप अपने क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ेंगे। साथ ही, आपको अपना जीवनसाथी भी मिल सकता है।

तुला:
सूर्य और बुध के गोचर से तुला राशिवाले जातकों को सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होगी। आय में वृद्धि की प्रबल संभावना है। साथ ही, करियर के क्षेत्र में जातकों को सफलता प्राप्त होगी। परिवार का माहौल सुख-शांतिपूर्ण रहेगा। तुला राशि के जातकों के लिए धन से जुड़े मामलों में शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर भाग्यशाली साबित होगा।

शेष राशियों के लिए कुछ विषेश लाभदायक स्थिति नहीं है।

दुर्गा देवी की साधना विषेश फलदायक रहेगी

29/10/2022

30 अक्टूबर 2022 दिन रविवार की शाम 06 बजकर 19 मिनट पर मंगल मिथुन राशि में वक्री होने जा रहे हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा। तो आइए जानते हैं कि मंगल की वक्री अवस्था किन राशियों के लिए रहेगी शुभ और किनके लिए अशुभ!

मिथुन राशि में मंगल का वक्री: किन राशियों के लिए अनुकूल-प्रतिकूल?

इन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम

कर्क राशि: मंगल का हर स्थान परिवर्तन आपके लिए महत्वपूर्ण रहता है, क्योंकि मंगल आपके लिए योगकारक ग्रह होते हैं। अब वे अपना वक्री आपकी राशि से द्वादश भाव मे करेंगे। इसके परिणामस्वरूप ये अवधि सबसे अधिक उन जातकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी जो लोग विदेश से जुड़ा कोई व्यापार करते हैं। संभावना है कि इस दौरान उन्हें अपने विदेशी माध्यमों को बढ़ाते हुए उससे अच्छा धन अर्जित करने मे मदद मिलेगी। वहीं किसी मल्टीनेशनल कंपनी से जुड़े जातक भी सफलता की सीढ़ी चढ़ते दिखाई देंगे। क्योंकि उन्हें अपनी ऊर्जा को सही दिशा मे लगाने मे मंगल देव मदद करने वाले हैं। यदि आप अपने खर्चों पर अभी तक लगाम लगाने मे सफल थे तो, उसमें भी आपको सफलता मिलेगी।

सिंह राशि: आपके लिए भी मंगल योगकारक ग्रह होते हैं और अब वे अपना वक्री आपकी राशि से एकादश भाव मे करेंगे। जिससे आपको जीवन मे अपार लाभ अर्जित करने मे मदद मिलेगी। ये वो अवधि होगी जब आप अपनी आमदनी मे बढ़ोतरी देखेंगे, जिससे कुछ जातक कोई वाहन या घर खरीदने का प्लान भी कर सकते हैं। मंगल की ये स्थिति आपके साहस और पराक्रम मे भी वृद्धि करते हुए आपको हर महत्वपूर्ण निर्णय को लेने में समर्थ बनाएगी। इसका सबसे अधिक फायदा व्यापारी जातकों को मिलेगा। नौकरी पेशा जातकों को भी कार्यस्तल पर कई सुनहरे अवसर प्राप्त होंगे, जिससे उन्हें और बेहतर करने का प्रोत्साहन मिल सकता है।

मकर राशि: मंगल आपकी राशि से छठे भाव मे वक्री होंगे। इसके परिणामस्वरूप इस दौरान सबसे अधिक छात्रों को अनुकूलता मिलने के योग बनेंगे। खासतौर से वो छात्र जो आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जाने के इच्छुक थे, उन्हें इस दौरान अपने प्रयासों मे सफलता मिलेगी। साथ ही मंगल कार्यस्थल पर भी आपको अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद करेंगे। आशंका ये भी है कि आपका पराक्रम देख शत्रु भी आपके मित्र बन जाएं। वहीं यदि कोई मामला कोर्ट-कचहरी मे चल रहा है तो, उसका फैसला आपके पक्ष मे आने के योग बनते दिखाई दे रहे हैं।

इन राशियों को रहना होगा सावधान

मेष राशि: मंगल आपके राशिस्वामी होते हैं और अब इस दौरान वे आपकी राशि से तृतीय भाव में वक्री होंगे। इसके चलते आपकी वाणी में आक्रामकता आएगी और आप हर मुद्दे पर खुलकर व स्पष्टरुप से अपनी बात रखते देखें जाएंगे। परंतु आपका ये स्पष्ट स्वभाव आपके करीबियों को खल सकता है और इससे आपका उनके साथ बात-बात पर विवाद होने के योग बन सकते हैं। इसलिए आपको खासतौर पर अपनी ऊर्जा को नियंत्रण मे रखते हुए दूसरों के साथ विवाद करने से बचने की सलाह दी जाती है। यदि आप व्यापार करते हैं तो भी आपको अपने कर्मियों के साथ संबंधों मे समस्या का सामना करना पड़ेगा। मंगल की ये स्थिति आपके मानसिक तनाव मे भी वृद्धि का कारण बनेगी।

तुला राशि: मंगल आपकी राशि से भाग्य यानी नवम भाव मे वक्री होंगे। इसके परिणामस्वरूप घर पर आपको अपने सदस्यों से विचारों के मतभेद का सामना करना पड़ेगा। खासतौर पर मंगल की ये स्थिति सबसे अधिक आपके अपने पिता से संबंधों मे समस्या उत्पन्न करेगी, जिससे आपको किसी निर्णय के लिए उनकी असहमति का सामना करना पड़ सकता है। प्रेमी जातकों को भी मंगल देव वक्री होते हुए धन से जुड़ी समस्या देने वाले हैं। वहीं करियर की बात करें तो इस दौरान कार्यक्षेत्र पर आपका स्वभाव आपके खिलाफ जा सकता है और इसके चलते आप अपने सहकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग प्राप्त करने मे असफल रहेंगे।

वृश्चिक राशि: मंगल आपकी राशि से अष्टम भाव में वक्री होंगे। जिसके चलते आपको अचानक अपने जीवन में कई प्रकार की चुनौतियों से दो-चार होना पड़ेगा। सबसे अधिक मंगल की ये स्थिति आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या देगी। ऐसे मे सेहत मे आई गिरावट के चलते आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी और आपको हर कार्य को करने मे पहले से अधिक मेहनत करने की ज़रूरत होगी। इसलिए आपके लिए बेहतर यही होगा कि छोटी से छोटी समस्या के प्रति भी सावधानी बरतते हुए आपको तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने की ज़रूरत होगी। प्रेमी जातकों को भी मंगल अचानक विवाद संबंधित परेशानी देने का कार्य करेंगे

मीन राशि: 30 अक्टूबर को मंगल देव आपकी राशि से चतुर्थ भाव मे वक्री होंगे, जिसके परिणामस्वरूप आपकी मां को स्वास्थ्य कष्ट संभव है। ऐसे मे आपको उनकी सेहत के प्रति उचित ध्यान रखने की सलाह दी जाती है, अन्यथा इससे घर-परिवार की शांति भी प्रभावित होती देखी जाएगी। साथ ही घर-परिवार मे भी आपका सदस्यों के साथ चिड़चिड़ा व्यवहार विवाद का कारण बनेगा। करियर की बात करें तो कार्यस्थल पर कुछ इच्छानुसार परिवर्तन संभव है, जिससे आप कुछ असहज महसूस कर सकते हैं। परंतु इस समय आपको ये समझना होगा कि ये परिवर्तन अस्थायी हैं, इसलिए उनपर अधिक ध्यान और ऊर्जा देने से बचें।

इस अवधि में मंगल के शुभ प्रभाव को बढ़ाने के सरल ज्योतिषीय उपाय
रोजाना कम से कम 27 बार मंगल ग्रह के मंत्रों का जाप करें।
मंगलवार के दिन मंगल ग्रह की शान्ति हेतु हवन करें।
विकलांगों व नेत्रहीन लोगों की मदद करें।
हर महीने कम से कम एक बार रक्तदान करें।
हर मंगलवार हनुमान जी के दर्शन कर उनकी आराधना करें।
भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नम: शिवाय” की कम से कम एक माला का जाप करें।
मंगल यंत्र को घर में स्थापित करें और उसकी रोजाना विधिवत तरीके से पूजा करें।
जरूरतमंदों को भरपेट भोजन करवाएं।
भगवान नरसिंह जी के अवतार की कथा सुने या पढ़ें।
मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुएं जैसे: लाल मसूर, खांड, सौंफ, मूंग, गेहूं, लाल कनेर का पुष्प, तांबे के बर्तन, गुड़ आदि बहते हुए जल में प्रवाहित करें।

वृषभ, मिथुन, कन्या, धनु, कुम्भ राशियो के लिए सामान्य!

27/10/2022

स्नान कब और कैसे करें शास्त्रों के अनुसार

१. मुनि_स्नान=जो सुबह 4 से 5 के बीच किया जाता है।

२. देव_स्नान=जो सुबह 5 से 6 के बीच किया जाता है।

३. मानव_स्नान=जो सुबह 6 से 8 के बीच किया जाता है।

४. राक्षसी_स्नान=जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।

१.मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
२.देव स्नान उत्तम है।
३.मानव स्नान सामान्य है।
४.राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।

▪️ *मुनि स्नान* ....👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विद्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।

▪️ *देव स्नान* ...👉🏻 आप के जीवन में यश , कीर्ती , धन, वैभव, सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।

▪️ *मानव स्नान*....👉🏻काम में सफलता ,भाग्य, अच्छे कर्मों की सूझ, परिवार में एकता, मंगलमय , प्रदान करता है।

▪️ *राक्षसी स्नान*...👉🏻 दरिद्रता , हानि , क्लेश ,धन हानि, परेशानी, प्रदान करता है ।

किसी भी मनुष्य को 8 बजे के बाद स्नान नहीं करना चाहिए, पुराने_जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।

खास कर जो घर की स्त्री होती थी, चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो, पत्नी के रूप में हो, बहन के रूप में हो।
ऐसा करने से धन, वैभव_लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।

उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा परिवार पल जाता था, और आज परिवार में चार सदस्य भी कमाते हैं तो भी पूरा नहीं होता, उस की वजह हम खुद ही हैं।

26/10/2022

🌷🌷🌷 सम्पुटित कल्याणवृष्टिस्तवः । 🌷🌷🌷
(षोडशी त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र)
कल्याण वृष्टि स्तोत्र (मूल पाठ) भावार्थ सहित

ॐ श्रीं श्रीविद्यायै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः।
ॐ भगवति त्रिपुरसुंदरी मम् सर्वकार्य सिद्बिम् देही देही नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं सर्व काम्य सिद्धि त्रिपुरसुंदर्यै फट्।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महात्रिपुरसुन्दर्यै नमः।
ॐ ह्रीं राजराजेश्वर्यै नमः

1..🌷🌷🌷 सम्पुटित कल्याणवृष्टिस्तवः । 🌷🌷🌷
(षोडशी त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र)
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

कल्याणवृष्टिभिरिवामृतपूरिताभि-
र्लक्ष्मीस्वयंवरणमङ्गलदीपिकाभिः ।
सेवाभिरम्ब तव पादसरोजमूले
नाकारि किं मनसि भाग्यवतां जनानाम् ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१।।
*****************
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

एतावदेव जननि स्पृहणीयमास्ते
त्वद्वन्दनेषु सलिलस्थगिते च नेत्रे ।
सान्निध्यमुद्यदरुणायुतसोदरस्य
त्वद्विग्रहस्य परया सुधयाप्लुतस्य ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।२।।
***********************
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ईशात्वनामकलुषाः कति वा न सन्ति
ब्रह्मादयः प्रतिभवं प्रलयाभिभूताः ।
एकः स एव जननि स्थिरसिद्धिरास्ते
यः पादयोस्तव सकृत्प्रणतिं करोति ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।३।।
***************"****"*******
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

लब्ध्वा सकृत्त्रिपुरसुन्दरि तावकीनं
कारुण्यकन्दलितकान्तिभरं कटाक्षम् ।
कन्दर्पकोटिसुभगास्त्वयि भक्तिभाजः
संमोहयन्ति तरुणीर्भुवनत्रयेऽपि ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।४।।
******************************
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ह्रींकारमेव तव नाम गृणन्ति वेदा
मातस्त्रिकोणनिलये त्रिपुरे त्रिनेत्रे ।
त्वत्संस्मृतौ यमभटाभिभवं विहाय
दीव्यन्ति नन्दनवने सह लोकपालैः ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।५।।
********************"*
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

हन्तुः पुरामधिगलं परिपीयमानः
क्रूरः कथं न भविता गरलस्यवेगः ।
नाश्वासनाय यदि मातरिदं तवार्धं
देवस्य शश्वदमृताप्लुतशीतलस्य ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।६।।
***************************
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

सर्वज्ञतां सदसि वाक्पटुतां प्रसूते
देवि त्वदङ्घ्रिसरसीरुहयोः प्रणामः ।
किं च स्फुरन्मुकुटमुज्ज्वलमातपत्रं
द्वे चामरे च महतीं वसुधां ददाति ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।७।।
****************************"
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

कल्पद्रुमैरभिमतप्रतिपादनेषु
कारुण्यवारिधिभिरम्ब भवत्कटाक्षैः ।
आलोकय त्रिपुरसुन्दरि मामनाथं
त्वय्येव भक्तिभरितं त्वयि बद्धतृष्णम् ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।८।।
*******************************
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

हन्तेतरेष्वपि मनांसि निधाय चान्ये
भक्तिं वहन्ति किल पामरदैवतेषु ।
त्वामेव देवि मनसा समनुस्मरामि
त्वामेव नौमि शरणं जननि त्वमेव ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।९।।
*******************************
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

लक्ष्येषु सत्स्वपि कटाक्षनिरीक्षणाना-
मालोकय त्रिपुरसुन्दरि मां कदाचित् ।
नूनं मया तु सदृशः करुणैकपात्रं
जातो जनिष्यति जनो न च जायते वा ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१०।।
*---+-----------------------------
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ह्रींह्रीमिति प्रतिदिनं जपतां तवाख्यां
किं नाम दुर्लभमिहत्रिपुराधिवासे ।
मालाकिरीटमदवारणमाननीया
तान्सेवते वसुमती स्वयमेव लक्ष्मीः ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।११।।

************************

ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि
साम्राज्यदाननिरतानि सरोरुहाक्षि ।
त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि
मामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यम् ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१२।।
********************"*******

ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

कल्पोपसंहृतिषु कल्पितताण्डवस्य
देवस्य खण्डपरशोः परभैरवस्य ।
पाशाङ्कुशैक्षवशरासनपुष्पबाणा
सा साक्षिणी विजयते तव मूर्तिरेका ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१३।।
**********************"********
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

लग्नं सदा भवतु मातरिदं तवार्धं
तेजः परं बहुलकुङ्कुम पङ्कशोणम् ।
भास्वत्किरीटममृतांशुकलावतंसं
मध्ये त्रिकोणनिलयं परमामृतार्द्रम् ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१४।।
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ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ह्रींकारमेव तव नाम तदेव रूपं
त्वन्नाम दुर्लभमिह त्रिपुरे गृणन्ति ।
त्वत्तेजसा परिणतं वियदादिभूतं
सौख्यं तनोति सरसीरुहसम्भवादेः ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१५।।
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ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ऐं ह्री श्रीं श्रीललितायै नमः ।
ॐ भगवति त्रिपुरसुन्दरी मम् सर्व कार्य सिद्धिम् देही देही कामेश्वर्यै नमः ।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ

ह्रींकारत्रयसम्पुटेन महता मन्त्रेण सन्दीपितं
स्तोत्रं यः प्रतिवासरं तव पुरो मातर्जपेन्मन्त्रवित् ।
तस्य क्षोणिभुजो भवन्ति वशगा लक्ष्मीश्चिरस्थायिनी
वाणी निर्मलसूक्तिभारभरिता जागर्ति दीर्घं वयः ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लींं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं हसकहल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ क्लीं क्लींं क्लींं श्रींं श्रींं श्रींं ह्रींं ह्रींं ह्रींं त्रिपुरसुन्दरी
सर्व जगत मम वश्यम् कुरु कुरु मह्यं बलं देहि स्वाहा।।

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वमंगला राजराजेश्वरी महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ रींग रींग श्रींग श्रींग ऐंग ऐंग क्लींग क्लींग श्रींग शांकरायै
महालक्ष्म्यै नमः।।१६_
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इति श्री सम्पुटित कल्याणवृष्टिस्तवः
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2.🌷कल्याण वृष्टि स्तोत्र (मूल पाठ) भावार्थ सहित 🌷

कल्याण वृष्टि स्तोत्र या षोडशी कल्याण स्तोत्र की रचना भगवान शंकराचार्य द्वारा की गयी है। षोडशी श्रीविद्या के मूलमंत्र के प्रत्येक अक्षर पर आधारित इस स्तोत्र में सोलह श्लोक हैं। साधक इसका प्रतिदिन पाठ करें तो उनका परम कल्याण अवश्यम्भावी है। पाठकों के लिये इसका हिंदी अर्थ भी दिया गया है।

॥ कल्याण वृष्टि स्तोत्र ॥

कल्याणवृष्टिभिरिवामृतपूरिताभि –
र्लक्ष्मीस्वयंवरणमङ्गलदीपिकाभिः ।
सेवाभिरम्ब तव पादसरोजमूले
नाकारि किं मनसि भक्तिमतां जनानाम् ॥1॥

अर्थ – अम्ब ! अमृत से परिपूर्ण कल्याण की वर्षा करनेवाली एवं लक्ष्मी को स्वयं वरण करनेवाली मंगलमयी दीपमाला की भाँति आपकी सेवाओं ने आपके चरण कमलों में भक्तिभाव रखनेवाले मनुष्यों के मन में क्या नहीं कर दिया ? अर्थात उनके समस्त मनोरथों को पूर्ण कर दिया।

एतावदेव जननि स्पृहणीयमास्ते
त्वद्वन्दनेषु सलिलस्थगिते च नेत्रे ।
सांनिध्यमुद्यदरूणायतसोदरस्य
त्वद्विग्रहस्य सुधया परयाप्लुतस्य ॥2॥

अर्थ – जननि ! मेरी तो बस यही स्पृहा है कि परमोत्कृष्ट सुधा से परिप्लुत तथा उदीयमान अरुणवर्ण सूर्य की समता करनेवाले आपके अरुण श्रीविग्रह के संनिकट पहुँचकर आपकी वन्दनाओं के समय मेरे नेत्र अश्रुजल से परिपूर्ण हो जायें।

ईशित्वभावकलुषाः कति नाम सन्ति
ब्रह्मादयः प्रतियुगं प्रलयाभिभूताः ।
एकः स एव जननि स्थिरसिद्धिरास्ते
यः पादयोस्तव सकृत् प्रणतिं करोति ॥3॥

अर्थ – माँ ! प्रभुत्वभाव से कलुषित ब्रह्मा आदि कितने देवता हो चुके हैं जो प्रत्येक युग में प्रलय से विनष्ट हो गये हैं, किंतु एक वही व्यक्ति स्थिर सिद्धियुक्त विद्यमान रहता है, जो एक बार आपके चरणों में प्रणाम कर लेता है।

लब्ध्वा सकृत् त्रिपुरसुन्दरि तावकीनं
कारुण्यकन्दलितकान्तिभरं कटाक्षम् ।
कन्दर्पभावसुभगास्त्वयि भक्तिभाजः
सम्मोहयन्ति तरुणीर्भुवनत्रयेषु ॥4॥

अर्थ – त्रिपुरसुन्दरि ! आप में भक्तिभाव रखनेवाले भक्तजन एक बार भी आपके करुणा से अंकुरित सुशोभन कटाक्ष को पाकर कामदेव सदृश सौन्दर्यशाली हो जाते हैं और त्रिभुवन में युवतियों को सम्मोहित कर लेते हैं।

ह्रींकारमेव तव नाम गृणन्ति वेदा
मातस्त्रिकोणनिलये त्रिपुरे त्रिनेत्रे ।
यत्संस्मृतौ यमभटादिभयं विहाय
दीव्यन्ति नन्दनवने सह लोकपालैः ॥5॥

अर्थ – त्रिकोण में निवास करनेवाली एवं तीन नेत्रों से सुशोभित माता त्रिपुरसुन्दरि ! वेद ‘ ह्रीं ‘ कार को ही आपका नाम बताते हैं। वह नाम जिनके संस्मरण में आ गया, वे भक्तजन यमदूतों के भय को त्यागकर लोकपालों के साथ नन्दनवन में क्रीडा करते हैं।

हन्तुः पुरामधिगलं परिपूर्यमाणः
क्रूरः कथं नु भविता गरलस्य वेगः ।
आश्वासनाय किल मातरिदं तवार्धं
देहस्य शश्वदमृताप्लुतशीतलस्य ॥6॥

अर्थ – माता ! निरन्तर अमृत से परिप्लुत होने के कारण शीतल बने हुए आपके शरीर का यह अर्धभाग जिनके साथ संलग्न था, उन त्रिपुरहन्ता शंकरजी के गले में भरा हुआ हलाहल विष का वेग उनके लिये अनिष्टकारक कैसे होता ?

सर्वज्ञतां सदसि वाक्पटुतां प्रसूते
देवि त्वदङ्घ्रिसरसीरुहयोः प्रणामः ।
किं च स्फुरन्मुकुटमुज्ज्वलमातपत्रं
द्वे चामरे च वसुधां महतीं ददाति ॥7॥

अर्थ – देवि ! आपके चरण कमलों में किया हुआ प्रणाम सर्वज्ञता और सभा में वाक् चातुर्य तो उत्पन्न करता ही है, साथ ही उद्भासित मुकुट, श्वेत छत्र, दो चामर और विशाल पृथ्वी का साम्राज्य भी प्रदान करता है।

कल्पद्रुमैरभिमतप्रतिपादनेषु
कारुण्यवारिधिभिरम्ब भवत्कटाक्षैः ।
आलोकय त्रिपुरसुन्दरि मामनाथं
त्वय्येव भक्तिभरितं त्वयि दत्तदृष्टिम् ॥8॥

अर्थ – माँ त्रिपुरसुन्दरि ! मैं आपकी ही भक्ति से परिपूर्ण हूँ और आपकी ओर ही दृष्टि लगाये हुए हूँ, अतः आप मुझ अनाथ की ओर मनोरथों को पूर्ण करने में कल्पवृक्ष सदृश एवं करुणासागर स्वरुप अपने कटाक्षों से देख तो लें।

हन्तेतरेष्वपि मनांसि निधाय चान्ये
भक्तिं वहन्ति किल पामरदैवतेषु ।
त्वामेव देवि मनसा वचसा स्मरामि
त्वामेव नौमि शरणं जगति त्वमेव ॥9॥

अर्थ – देवि ! खेद है कि अन्यान्य जन आपके अतिरिक्त अन्य साधारण देवताओं में भी मन लगाकर उनकी भक्ति करते हैं, किंतु मैं मन और वचन से आपका ही स्मरण करता हूँ, आपको ही प्रणाम करता हूँ, क्योंकि जगत में आप ही शरणदात्री हैं।

लक्ष्येषु सत्स्वपि तवाक्षिविलोकनाना –
मालोकय त्रिपुरसुन्दरि मां कथंचित् ।
नूनं मयापि सदृशं करूणैकपात्रं
जातो जनिष्यति जनो न च जायते च ॥10॥

अर्थ – त्रिपुरसुन्दरि ! यद्यपि आपके नेत्रों के लिये देखने के बहुत से लक्ष्य वर्तमान हैं, तथापि किसी प्रकार आप मेरी ओर दृष्टि डाल दें, क्योंकि निश्चय ही मेरे समान करुणा का पात्र न कोई पैदा हुआ है, न हो रहा है और न पैदा होगा।

ह्रीं ह्रीमिति प्रतिदिनं जपतां जनानां
किं नाम दुर्लभमिह त्रिपुराधिवासे ।
मालाकिरीटमदवारणमाननीयां –
स्तान् सेवते मधुमती स्वयमेव लक्ष्मीः ॥11॥

अर्थ – त्रिपुर में निवास करनेवाली माँ ! ‘ ह्रीं, ह्रीं ‘ – इस प्रकार आपके बीजमन्त्र का प्रतिदिन जप करनेवाले मनुष्यों के लिये इस जगत में क्या दुर्लभ है ? माला, किरीट और उन्मत्त गजराज से युक्त उन माननीयों की तो स्वयं मधुमती लक्ष्मी ही सेवा करती हैं।

सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि
साम्राज्यदानकुशलानि सरोरुहाक्षि ।
त्वद्वन्दनानि दुरितौघहरोद्यतानि
मामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यम् ॥12॥

अर्थ – कमलनयनि ! आपकी वन्दनाएँ सम्पत्ति प्रदान करनेवाली, समस्त इन्द्रियों को आनन्दित करनेवाली, साम्राज्य प्रदान करने में कुशल और पाप समूह को नष्ट करने में उद्यत रहनेवाली हैं, माता ! वे निरन्तर मुझे ही प्राप्त हों, दूसरे को नहीं।

कल्पोपसंहरणकल्पितताण्डवस्य
देवस्य खण्डपरशोः परमेश्वरस्य ।
पाशाङ्कुशैक्षवशरासनपुष्पबाणा
सा साक्षिणी विजयते तव मूर्तिरेका ॥13॥

अर्थ – कल्प के उपसंहार के समय ताण्डव नृत्य करने वाले खण्डपरशु देवाधिदेव परमेश्वर शंकर के लिये पाश, अंकुश, ईख का धनुष और पुष्पबाण को धारण करनेवाली आपकी वह एकमात्र मूर्ति साक्षीरूप से सुशोभित होती है।

लग्नं सदा भवतु मातरिदं तवार्धं
तेजः परं बहुलकुङ्कुमपङ्कशोणम् ।
भास्वत्किरीटममृतांशुकलावतंसं
मध्ये त्रिकोणमुदितं परमामृतार्द्रम् ॥14॥

अर्थ – माता ! आपका यह अर्धांग जो परम तेजोमय, अत्यधिक कुंकुम पंक से युक्त होने के कारण अरुण, चमकदार किरीट से सुशोभित, चन्द्रकला से विभूषित, अमृत से परमार्द्र और त्रिकोण के मध्य में प्रकट है, सदा शिवजी से संलग्न रहे।

ह्रींकारमेव तव धाम तदेव रूपं
त्वन्नाम सुन्दरि सरोजनिवासमूले ।
त्वत्तेजसा परिणतं वियदादिभूतं
सौख्यं तनोति सरसीरुहसम्भवादेः ॥15॥

अर्थ – कमल पर निवास करनेवाली सुन्दरि ! ‘ ह्रीं ‘ कार ही आपका धाम है, वही आपका रूप है, वही आपका नाम है और वही आपके तेज से उत्पन्न हुए आकाश आदि से क्रमशः परिणत – जगत का आदिकारण है, जो ब्रह्मा, विष्णु आदि की रचित – पालित वस्तु बनकर परम सुख देता है।

ह्रींकारत्रयसम्पुटेन महता मन्त्रेण संदीपितं
स्तोत्रं यः प्रतिवासरं तव पुरो मातर्जपेन्मन्त्रवित् ।
तस्य क्षोणिभुजो भवन्ति वशगा लक्ष्मीश्चिरस्थायिनी
वाणी निर्मलसूक्तिभारभरिता जागर्ति दीर्घं वयः ॥16॥

अर्थ – माता ! जो मन्त्रज्ञ तीन ‘ ह्रीं ‘ कार से सम्पुटित महान मन्त्र से संदीपित इस स्तोत्र का प्रतिदिन आपके समक्ष जप करता है, राजालोग उसके वशीभूत हो जाते हैं, उसकी लक्ष्मी चिरस्थायिनी हो जाती है, उसकी वाणी निर्मल सूक्तियों से परिपूर्ण हो जाती है और वह दीर्घायु हो जाता है।

॥ इस प्रकार श्रीमत् शंकराचार्य रचित कल्याण वृष्टि स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥
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