02/09/2025
गठिया बाई: इसे हल्का मत समझिए
गाँव-कस्बों में “गठिया बाई” नाम सुनते ही लोग इसे साधारण जोड़ दर्द मान लेते हैं। सच यह है कि यह बीमारी साधारण नहीं है। यह रूमेटॉइड आर्थराइटिस है – एक ऐसी स्थिति जो शरीर के अपने ही जोड़ों पर हमला करती है।
यह रोग चुपचाप बढ़ता है। धीरे-धीरे जोड़ नष्ट होते हैं। मरीज चलना-फिरना तक खो सकता है। और सबसे खतरनाक बात – यह सिर्फ बुजुर्गों में नहीं, 20 से 40 साल के नौजवानों और खासकर महिलाओं में भी हो रहा है।
आज भी लोग तेल-मालिश, झाड़-फूंक और दर्द की गोली से काम चलाते हैं। जब तक सही इलाज शुरू होता है, तब तक बीमारी अपना काम कर चुकी होती है। यही लापरवाही लोगों को उम्र भर के लिए अपंग बना रही है।
सच्चाई यह है कि आधुनिक दवाएँ – DMARDs और Biologics – इस बीमारी को जड़ से नियंत्रित कर सकती हैं। लेकिन जागरूकता की कमी और महंगे इलाज के कारण ज़्यादातर मरीज इससे वंचित रह जाते हैं।
गठिया बाई कोई मामूली दर्द नहीं है। यह देश की उत्पादक आबादी को कमजोर कर रही है। एक महिला अगर घर का काम न कर पाए या एक पुरुष कामकाज से दूर हो जाए, तो पूरा परिवार प्रभावित होता है। यह केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं, सामाजिक और आर्थिक संकट भी है।
इसलिए ज़रूरी है कि इसे “बुढ़ापे का दर्द” कहकर न टाला जाए। सरकार को महंगी दवाएँ योजनाओं में शामिल करनी होंगी और मीडिया को सही जानकारी गाँव-गाँव पहुँचानी होगी।
गठिया बाई को हल्का समझना, समाज को भारी नुकसान पहुँचा रहा है।
✍️ डॉ. पुनीत श्रीवास्तव
कंसल्टेंट रूमेटोलॉजिस्ट – Cosmos Hospital, मुरादाबाद
Srigyan Rheumatology Clinic, गाज़ियाबाद
Avantika Hospital, Indirapuram, Ghaziabad
Ex Consultant Rheumatologist, NHS England
MBBS,MRCP ( Internal Medicine )
MRCP ( Rheumatology)(UK), Fellowship in Metabolic bone diseases ( Derby, UK), EULAR ( CTD), Trained in MSK ultrasound and advanced pain management ( King’s Lynn , UK) ECFMG (USA)