03/11/2018
-----1-------प्रार्थना------
ये महत्वपूर्ण बात शेयर कर रहा हूँ कि मैंने अपनी जिंदगी के 25 बसन्त इस खोज में लगाए कि बिना किसी बाधा के, तनाव के, बिमारी के, एक खूबसूरत जिन्दगी को मेरे ये साथी कैसे जिये?
------2
ये खोजते -खोजते मैं बहुत दूर निकल आया। और मेरे सामने जो सत्य आया वो बहुत कठोर है । मृत्युलोक मे जिवात्मा कैसे कैसे दुख भोगती है इससे कोई भी अनजान नही है। कितनी बार ये महसूस होता है कि भगवान दयावान है भी या नही। और यहां की इस आराम पसन्द जिन्दगी को जिसे हम सब जीते हैं, वो उस सत्य से इतनी दूर है, कि लगता है कि इस गैप को भरना असम्भव सा है। ये सोच कर हिम्मत जवाब दे जाती है।
----------3
इतनी ऐशो आराम कि जिन्दगी को त्यागना, जरूरतों को कम करना, जहाँ स्टेटस जीने न दे, जिन्दगी मरने न दे, खुद को और अपनों को त्यागने को तैयार आज का ये मनुष्य कहां रुकेगा, रुक पायेगा या नहीं कहना मुश्किल है।
-------4
सत्य कि इस कठोरता से अनभिज्ञ लोगों को भयंकर सजा दुख दर्द तनाव परेशानी लाचार से इन्सान को जब देखो, हम तब भी नहीं समझते जब बॉस को दस लाख कमा के देने के बदले में पचास हजार सेलरी लेते है , उल्टा ठीक लगता है।
--------5
सत्य की उस कठोरता और आज कि इस वैज्ञानिक सुविधाओं के साथ चलती नाजुक जिन्दगी को जीते हुये लोगों का, हम सब का हश्र क्या होगा। क्योंकि विग्यान की मुक्ति देने की खोज अभी दूर है। सोचो धर्म मे हम भ्रमित, विज्ञान उस स्तर पर नही फिर जिम्मेदार कौन?सोच कर दिल बड़ा घबरा जाता है।
इसी घबराहट, डर, टेन्शन, दुख ने फेम्स को जन्म देने को मजबूर किया।
--------6
दोस्तों बिना कॉस्मिक ऐनर्जी से जुड़े कोई धर्म कर्म, पूजा पाठ, जाप तपस्या, कोई माई बाप, हमदर्द, सहारा सब एक दिन धरा रह जाएगा। इन्सान जानवरों कि तरह अपनी एनर्जी को लेकर उसी की तरह मर जाता है।
---------7
दोस्तों प्रार्थना ये है कि जब मेरे हर दुख दर्द मे आप सब साथ होते हो तो मै इस दर्द को अकेले
कैसे, क्यों झेलूं। आप सब आओ साथ। हम सब मिलकर एक खूबसूरत दुनिया बनाए।
दोस्तो जीवन की ये यात्रा कठोर जरूर है असम्भव नही। और अकेले की भी नहीं है।
आईये साथ मिल कर नई दुनिया बनायें। जिसमें कोई दुख दर्द तकलीफ टेनशन दुर्घटनायें मिसहैपनिंग न हो क्योंकि सबका मलिक एक ही तो है। फिर ये अलगाव भेदभाव लड़ाई झगड़े कही हमारे अन्दर ही है।
चलो चलते हैं खुशहाल जिन्दगी की ओर।