16/06/2023
आज गोड्डा का तापमान 45.9⁰ रहा।इस वर्ष का हाईएस्ट तापमान।इतनी तेज धूप.… लग रहा था की जलती हुई भट्ठी में बैठे हों। इसका कारण आखिर क्या है? हम तरक्की की रेस में इतने अंधे कैसे हो सकते हैं?आज जब रास्ते में धूप में चलना मुस्किल हो रहा था तो रास्ते में एक पेड़ मिला जिसके नीचे काफी देर तक खड़ा रहा।उस पेड़ ने मुझपे असीम करुणा बरसाई।उसकी छाया ने जो राहत दिया उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं।वहां से निकलते वक्त पेड़ को धन्यवाद दिया और उससे क्षमा भी मांगा की मैं आपके लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा ...क्योंकि विकास की आंधी में आप भी काट दिए जाओगे जैसे आपके और सारे बंधु काट दिए गए। चौड़ी सड़क जो बननी है। आखिर ये कैसा विकास है जो अंधाधुंध पेड़ काट दिए जाते हैं।हमेशा ऐसा ही होता आया है। आप उससे पहले क्या व्यवस्था करते हो। आप कहते हो जितने पेड़ कटेंगे उससे दस गुना लगाएंगे।लेकिन क्या वो नए पौधे इतने सक्षम हो जायेंगे जितने ये बड़े बड़े पेड़ थे।नही कभी नहीं। आप अगर कोई योजना बनाते हो तो उससे पहले... उससे होने वाले नुकसान के भरपाई की व्यवस्था क्यों नहीं करते हो। पेड़ काट दिए लेकिन 5 साल पहले ही अगर पेड़ लगा दिए होते तो ऐसी समस्या क्यों होती। कही फैक्ट्री लगाते हो पेड़ों की कटाई करते हो तो उससे पहले काटने वाले पेड़ों के समानांतर पेड़ तो खड़े कर लो। लेकिन ऐसा नहीं है।योजना बनाने वाले तो AC में बैठकर योजना बनाते हैं, AC वाली कार में चलते हैं उन्हें सामान्य लोगों की तकलीफ का अहसास कहां से होगा।अगर होता तो ऐसा नहीं होता। पर्यावरण दिवस पर एक पौधा लगाते हुए 4 लोगों ने अखबार में फोटो खींचा लिए, अखबार में आ गया और जिम्मेदारी पूरी हुई। क्या सच में जिम्मेदारी पूरी हो गई।आपने कभी उस पौधे को देखा वो सही है या नहीं । नही अपना काम पूरा हो गया। लोगों को भी सोचना होगा पेड़ो से काम लेते हो लेकिन कभी उसके बारे में सोचते भी हो। पूजा कर लिए जाकर पेड़ के पास, फिर वो काट गया तो दूसरा पेड़ खोज लेते हो, लेकिन कभी उसी जगह एक पेड़ लगाने के बारे में विचार किया... नहीं बिलकुल नहीं। अब समय आ गया है विचार करने का ,सबको सोचना पड़ेगा ... विकास भी हो लेकिन पर्यावरण के मूल्य पर नही अन्यथा जिंदगी बद से बत्तर हो जायेगी ।आज पानी की स्थिति देख रहे हो न लेयर नीचे चलता चला जा रहा है। आज गर्मी से राहत कब मिलेगी उसके लिए लोग रोज गूगल कर रहे हैं। वारिश की बूंदों के आस लगाए बैठे हैं लोग लेकिन वारिश में जो सहायक है "पेड़" उसके बारे में क्या? मैं सिर्फ फेसबुक पर भाषण नही दे रहा हूं ,मैने अपना एक सेड्यूल बनाया है की मैं एक पेड़ अवश्य लगाऊंगा हर वर्ष और करता भी हूं बिना फोटो खिचाए। लेकिन अब जो स्थिति बनी है उसमे एक से काम नहीं चलेगा अब ज्यादा करना होगा और करूंगा भी।मुझे अपने मन में कोई ग्लानि नही रखनी है। रही बात आपकी तो आप भी विचार करें। हर बात के लिए सरकार के भरोसे क्यों रहना? ये धरती अपनी है ये देश अपना है तो इसे सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी भी अपनी ही है।🙏🏼
- इन्द्रजीत शर्मा