23/10/2014
आप सभी को सपरिवार सहित दीपावली की हार्दिक
बधाईयां....!!
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं।
सभी मिल मंगल गाओ रे....
दशरथ के घर इक दिन आये, विश्वामित्र मुनि ज्ञानी,
संग चले ले राम लखन को, कहते ज्ञान कहानी।
चलते-चलते मिली ताड़का, उसको मार गिराया,
चरणो की ठोकर से शिला को, नारी रूप बनाया।
कि महिमा लखी न जाये रे, अवध मेँ राम आये हैँ।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
धनुष यज्ञ मेँ बैठ गये जा, दशरथ राज दुलारे,
शिव का धनुष टूटे न किसी से, हिम्मत कर सब हारे।
उठे सच्चिदानन्द राम तब, शिव का धनुष उठाया,
कर दो टुकड़े शिव धनुआ के, जनक का ताप मिटाया।
सिया वर माल पहराये रे, अवध मेँ राम आये हैँ।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
दशरथ के महलो मेँ रहती, मंथरा नाम की दासी,
उसी के कारण श्री रघुनंदन, राम बने बनवासी।
संग चले सीता और लक्ष्मण, योगी का वेष बना के,
चलते-चलते ठहर गये वे, गंगा किनारे जा के।
कि केवट नाव न लाये रे, अवध मेँ राम आये हैँ।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
प्रभु बोले अब देर करो न पार उतारो भाई,
केवट कहता डरता हूँ मैँ, आज राम रघुराई।
चरणोँ की ठोकर से शिला को, नारी रूप बनाया,
मेरी तो यह काठ की नैय्या, छूते ही उड़ जाये।
कि पहले चरण धुलाओ रे, अवध मेँ राम आये हैँ।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
गंगापार उतर कर रघुवर, देने लगे उतराई,
केवट कहता लूँगा न मैँ, आज राम रघुराई।
मैँने तुमको पार किया है, यह तुम भूल न जाना,
घाट तुम्हारे जब भी आऊँ, मुझको पार लगाना।
कि भव भंजन मिट जाये रे, अवध मेँ राम आये हैँ।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
पंचवटी मेँ रावण ने फिर सीता आन चुराई,
राम-राम श्री राम पुकारे, देती राम दुहाई।
वन-वन डोले श्री रघुनंदन, मन मेँ थे अकुलाते,
सेवक बनकर तब चरणोँ मेँ, पवन पुत्र फिर आते।
कि लंका खूब जलाई रे, अवध मेँ राम आये हैँ।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
दल बल के संग लंकपति पर, राम ने करी चढ़ाई,
तीखे शर से रावण मारा, विजय ध्वजा फहराई।
पृथ्वी का सब भार मिटा कर, फिर लौटेँ रघुराई,
अवध पुरी के नर नारी ने, मिलकर खुशी मनाई।
कि महिमा लखी न जाये रे, अवध मेँ राम आये है।
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं......
सभी मिल मंगल गाओ रे, अवध में राम आये हैं।
सभी मिल मंगल गाओ रे....
जय जय श्री राम।