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अधर्म की पाँच शाखाएं १ - विधर्म (जिस कार्य को धर्मबुद्धि से करने पर भी अपने धर्म में बाधा पड़े, वह विधर्म है। )२ - परधर्म...
26/10/2023

अधर्म की पाँच शाखाएं

१ - विधर्म (जिस कार्य को धर्मबुद्धि से करने पर भी अपने धर्म में बाधा पड़े, वह विधर्म है। )
२ - परधर्म (किसी अन्य के द्वारा अन्य पुरुष के लिये उपदेश किया हुआ धर्म परधर्म है। )
३ - आभास (मनुष्य अपने आश्रम के विपरीत स्वेच्छा से जिसे धर्म मान लेता है, वह आभास है।)
४ - उपमा (पाखण्ड या दम्भ का नाम उपधर्म अथवा उपमा है।)
५ - छल (शास्त्र वचनों का दूसरे प्रकार का अर्थ कर देना छल है।)

धर्मज्ञ पुरुष अधर्म के समान ही इनका भी त्याग कर दे।

- श्रीमद्भागवत पुराण 7/15

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