Dr.Vivek Mishra

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04/10/2023
बच्चे की क्या गलती हैजो इंसान राच्छस बन गया
04/10/2023

बच्चे की क्या गलती है
जो इंसान राच्छस बन गया

मुझे तो ये सच लगता है, ये मेरा यह  स्वयं का मानना है, बाकी दुनिया स्वंतत्र है सोचने को
05/09/2023

मुझे तो ये सच लगता है, ये मेरा यह स्वयं का मानना है, बाकी दुनिया स्वंतत्र है सोचने को

महाकाल की नगरी काशी विश्वनाथ के विख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक ,होम्योपैथ की मीठी गोली की तरह मीठे मृदुभाषी ,सरल, सज्जन स्...
15/01/2023

महाकाल की नगरी काशी विश्वनाथ के विख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक ,होम्योपैथ की मीठी गोली की तरह मीठे मृदुभाषी ,सरल, सज्जन स्वभाव के धनी मेडिकल कॉलेज से हमारे प्यारे मित्र को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं

मां तो मां हैये दुख स्थाई हैआज वो मां नही रही जिसने संसार को बहुमूल्य रत्न दिया।💐विनम्र श्रद्धांजलि 💐
30/12/2022

मां तो मां है
ये दुख स्थाई है
आज वो मां नही रही जिसने संसार को बहुमूल्य रत्न दिया।
💐विनम्र श्रद्धांजलि 💐

सर्व प्रथम मां वैष्णो देवी  दर्शन व आशिर्वाद प्राप्त किया तत्पश्चातशिमला, कुल्लू,मनालीभ्रमण करते समय अपने देश के भिन्न भ...
29/12/2022

सर्व प्रथम मां वैष्णो देवी दर्शन व आशिर्वाद प्राप्त किया तत्पश्चात
शिमला, कुल्लू,मनाली
भ्रमण करते समय अपने देश के भिन्न भिन्न संस्कृतियो को देखने मौका मिला, अनुज भाईयो का सहयोग विशेष रहा, माता रानी की कृपा हम सब के ऊपर बनी रहे

 # यादें बचपन की हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,पहला चरण कैंची और दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी.......
02/10/2022

# यादें बचपन की

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,पहला चरण कैंची और दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी........

तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पिताजी या चाचा चलाया करते थे तब साइकिल की ऊंचाई 40 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना संभव नहीं होता था...

"कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे।

आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से मरहूम है उन्हे नहीं पता की आठ दस साल की उमर में 40 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था...

हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए हैं और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नहीं होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपने हाफ कच्छे को पोंछते हुए।

अब तकनीकी ने बहुत विकास कर लिया है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में...

मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं...

इधर से चक्की तक साइकिल लुढकाते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए ! इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी...

और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी, हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !

पहला चरण कैंची

दूसरा चरण डंडा

तीसरा चरण गद्दी

(फिर बादशाहों वाली फीलिंग्स)

शुभ जन्म दिन भईया मुस्कुराहट बरकरार रहे
22/09/2022

शुभ जन्म दिन भईया मुस्कुराहट बरकरार रहे

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