
12/10/2024
अक्सर गठिया यानी अर्थराइटिस होने पर फिजियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि शुरुआत में ही इसकी मदद ली जाए तो समस्या काफी कम हो सकती है। इन दिनों खराब लाइफस्टाइल के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है। हृदय रोग, ब्लड शुगर, बढ़ता वजन आदि जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी गलत जीवनशैली और खराब खानपान के कारण होती हैं। मोटापा बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द भी होने लगता है। यह दर्द इतना अधिक हो जाता है कि हमें घुटना, कमर, टखना आदि को मोड़ने या खड़े होने में मुश्किल होने लगती है। जोड़ों में दर्द के कारण अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। इसलिए अर्थराइटिस के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इस लेख में Dr Rahul rai से जानिए कितने प्रकार के अर्थराइटिस होते हैं, लक्षणों से गठिया के प्रकार की पहचान करें और फिजियोथेरेपी से इलाज का तरीका जानें।
ओस्टियोआर्थराइटिस
यह सबसे आम और सामान्य प्रकार का अर्थराइटिस है। यह जोड़ों के कार्टिलेज (जोड़ों को चिपकने वाला स्त्रावण पदार्थ) की कमी के कारण होता है। जोड़ों के संरचनात्मक बदलाव और उनमें दर्द एवं स्त्रावण की कमी हो सकती है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस
इसमें शरीर की रोकथाम प्रणाली अपनी ही कोशिकाओं पर प्रहार करती है और इसके परिणामस्वरूप जोड़ों में सूजन और दर्द होता है।
सोरियाटिक अर्थराइटिस
यह आमतौर पर त्वचा पर लाल और सूजन युक्त प्लाक बनाने की समस्या के साथ होता है। यह प्रधान रूप से जोड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन किसी भी भाग में हो सकता है, जैसे कि हड्डियों के पास के स्थान
पेरीअर्थराइटिस
यह जोड़ों की असमान सूजन के कारण होने वाला दर्द होता है। यह आमतौर पर बड़े जोड़ों, जैसे कि कंधे के जोड़ों, को प्रभावित करता है।
अर्थराइटिस के इलाज में फिजियोथेरेपी
मैनुअल थेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट अपने हाथों से दबाव डालते हैं और जोड़ों और मांसपेशियों की जकड़न को दूर करते हैं। यह दर्द को कम करने और गति का विस्तार करने में मदद कर सकता है।
व्यायाम
आमतौर पर व्यायाम शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है, लेकिन अर्थराइटिस में विशेष एवं स्थिरीकरण व्यायाम से जोड़ों की मजबूती को बढ़ावा देने में मदद की जा सकती है।
हीट थेरेपी
हीट थेरेपी दर्द और कठोरता को कम करने में मदद कर सकती है। इसे गर्म पानी की बोतल, हॉट पैक, या गर्म टब के रूप में लगाया जा सकता है।
कूलिंग थेरेपी
कूलिंग थेरेपी भी दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती है। इसे आइस पैक, ठंडे संपीड़न, या क्रायोथेरेपी के रूप में लगाया जा सकता है।
आर्थोपेडिक
आपके लिए विभिन्न प्रकार के फिजियोथेरैपी उपकरण जैसे tense,ift, laser,cupping dry and wet,dry needling, ultrasound इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं, जिससे कि दर्द को कम करने और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
अनदेखा किया तो बढ़ेगी दिक्कते
डॉ. राहुल राय कहते हैं, अगर हम एक अच्छी जीवन शैली को अपनाते हैं तो अर्थराइटिस जैसे रोगों से खुद को काफी हद तक बचा सकते हैं। अर्थराइटिस जेनेटिक भी हो सकता है और 35 की उम्र के बाद भी इसके होने की आशंका हो सकती है। अर्थराइटिस के इलाज की बात की जाए तो फिजियोथेरेपी एक सही विकल्प है। अगर अर्थराइटिस का सही समय पर पता चल जाए तो फिजियोथेरेपी से इसका इलाज किया जा सकता है। लंबे समय के लिए अनदेखा करने से दिक्कतें बढ़ सकती हैं।