Yeh Gorakhpur Hai Meri Jaan ये गोरखपुर है मेरी जान

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Yeh Gorakhpur Hai Meri Jaan  ये गोरखपुर  है  मेरी  जान अन्तर्निहित वह शक्ति होती है रत्नों में जो व्यक्ति को आपद में त्राण देकर सर्वत्र शुभ लाभ दिलाने में सहायक होती है।

नमस्ते! रूद्राक्ष प्राप्त करने में मैं आपकी किस प्रकार सहायता कर सकता हूँ? क्या आप कुछ विशेष प्रकार के रूद्राक्ष ढूंढ रहे हैं, या आपको इसके बारे में कोई जानकारी चाहिए?

20/04/2025

शुद्ध एवं प्रमाणित रुद्राक्ष

बहुत कठोर पोस्ट है पर जानना जरूरी है...-  जिन्ना का दोष यही था,कि उसने मुसलमानों को सीधे कत्ले आम कर के पाकिस्तान लेने क...
04/02/2025

बहुत कठोर पोस्ट है पर जानना जरूरी है...

- जिन्ना का दोष यही था,कि उसने मुसलमानों को सीधे कत्ले आम कर के पाकिस्तान लेने का निर्देश दिया था. वह चाहता तो यह क़त्ले आम रुक सकता था.लेकिन जिन्ना को तो मुसलमानों की ताकत दर्शानी थी.

- 16 अगस्त 1946 से दो दिन पूर्व ही जिन्ना नें "सीधी कार्यवाही" की धमकी दी थी.गांधी जी को तब तक यही उम्मीद थी कि जिन्ना सिर्फ बोल रहा है,देश के मुसलमान इतने बुरे नहीं कि 'पाकिस्तान' के लिए हिंदुओं का कत्लेआम करने लगेंगे.

पर गांधी यहीं अपने जीवन की
सबसे बड़ी भूल कर बैठे,
धर्म का नशा शराब से भी ज्यादा घातक होता है.

- बंगाल और बिहार में मुस्लिमों की संख्या अधिक थी और मुस्लिम लीग की पकड़ भी यहाँ मजबूत थी.
बंगाल का मुख्यमंत्री शाहिद सोहरावर्दी जिन्ना का वैचारिक गुलाम था, जिन्ना का आदेश उसके लिए खुदा का हुक्म था.

- पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश ) का मुस्लिम बाहुल्य जिला नोआखाली,यहाँ अधिकांश दो ही जाति के लोग थे ,गरीब हिन्दू तथा मुसलमान. हिंदुओं में 95 फीसदी पिछड़ी जाति के लोग थे,गुलामी के दिनों में किसी भी तरह पेट पालने वाले.

- लगभग सभी जानते थे कि जिन्ना का "डायरेक्ट एक्शन" यहाँ लागू होगा पर हिन्दुओं में शांति थी, आत्मरक्षा की भी कोई तैयारी नहीं.
कुछ गाँधी जी के भरोसे बैठे थे.कुछ को मुस्लिम अपने भाई लगते थे, उन्हें भरोसा था कि मुस्लिम उनका अहित नहीं करेंगे.

सुबह के दस बज रहे थे,सड़क पर नमाजियों की भीड़ अभी से ही इकट्ठी हो गयी थी.बारह बजते बजते यह भीड़ तीस हजार की हो गयी, सभी हाथों में तलवारें थीं.

मौलाना मुसलमानों को बार बार जिन्ना साहब का हुक्म पढ़ कर सुना रहा था, "बिरादराने इस्लाम, हिंदुओं पर दस गुणा तेजी से हमला करो "

- मात्र पचास वर्ष पूर्व ही हिन्दू से मुसलमान बने इन मुसलमानों में घोर साम्प्रदायिक जहर भर दिया गया था, इन्हें अपना पाकिस्तान किसी भी कीमत पर चाहिए था.

- एक बज गया,नमाज हो गयी,अब जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन का समय था,इस्लाम के तीस हजार सिपाहियों ने एक साथ हिन्दू बस्तियों पर हमला शुरू कर दिया, एक ओर से, पूरी तैयारी के साथ ।
जैसे किसान एक ओर से अपनी फसल काटता है.जब तक एक जगह की फसल पूरी तरह कट नहीं जाती,तब तक आगे नहीं बढ़ता.

जिन्ना की सेना पूरे व्यवस्थित तरीके से काम कर रही थी. पुरुष, बूढ़े और बच्चे काटे जा रहे थे, स्त्रियों-लड़कियों का बलात्कार किया जा रहा था.
हाथ जोड़ कर घिसटता हुआ पीछे बढ़ता कोई बुजुर्ग,और छप से उसकी गर्दन उड़ाती तलवार.माँ माँ कर रोते छोटे छोटे बच्चे,और उनकी गर्दन उड़ा कर मुस्कुरा उठती तलवारें.
अपने हाथों से शरीर को ढंकने का असफल प्रयास करती बिलखती हुई एक स्त्री, और राक्षसी अट्टहास करते बीस बीस मुसलमान.
उन्हें याद नहीं कि वे मनुष्य भी हैं,उन्हें सिर्फ जिन्ना याद है,उन्हें बस पाकिस्तान याद है.

शाम हो आई थी ।
एक ही दिन में लगभग 15000 हिन्दू काट दिए गए थे,
और लगभग दस हजार स्त्रियों का बलात्कार हुआ था.

जिन्ना खुश था,
उसके "डायरेक्ट एक्शन" की सफल शुरुआत हुई थी।

अगला दिन, सत्रह अगस्त.मटियाबुर्ज का केसोराम कॉटन मिल,जिन्ना की विजयी सेना ने आज यहाँ हमला किया, मिल के मजदूर और आस पास के स्थान के दरिद्र हिन्दू.

आज सुबह से ही तलवारें निकली हुई थी.उत्साह कल से ज्यादा था,मिल के ग्यारह सौ मजदूरों,जिनमें तीन सौ उड़िया थे,उनको ग्यारह बजे के पहले ही पूरी तरह काट डाला गया,मोहम्मद अली जिन्ना जिन्दाबाद के नारों से आसमान गूंज रहा था.
पड़ोस के इलाके को बाद में देखने का फैसला किया ,फिलहाल अभी मजदूरों की स्त्रियों के साथ खेलने का समय था हजार स्त्रियों का शरीर.

अगले एक सप्ताह में रायपुर, रामगंज, बेगमपुर, लक्ष्मीपुर,लगभग एक लाख लाशें गिरी,तीस हजार स्त्रियों का बलात्कार हुआ, जिन्ना ने अपनी ताकत दिखा दी थी.

- हिन्दू महासभा "निग्रह मोर्चा" बना कर बंगाल में उतरी,और सेना भी लगा दी.कत्लेआम रुक गया.

बंगाल विधान सभा के प्रतिनिधि हारान चौधरी घोष कह रहे थे," यह दंगा नहीं, मुसलमानों की एक सुनियोजित कार्यवाही थी,एक कत्लेआम था "

गांधीजी का घमंड टूटा, पर भरम बाकी रहा.वे
वायसराय माउंटबेटन से कहते थे
"अंग्रेजी शासन की फूट डालो और राज करो की नीति ने ऐसा दिन ला दिया है कि अब लगता है या तो देश रक्त स्नान करे या अंग्रेजी राज चलता रहे"

सच यही था कि गांधी अब हार गए थे
और जिन्ना जीत गया था.
कत्लेआम कुछ दिन के लिए ठहरा भर था या शायद
अधिक धार के लिए कुछ दिनों तक रोक दिया गया था.

6 सितम्बर 1946.

गुलाम सरवर हुसैनी,मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बना और शाहपुर में कत्लेआम दुबारा शुरू हो गया.

10 अक्टूबर 1946

कोजागरी लक्ष्मीपूजा के दिन ही कत्लेआम की तैयारी थी.नोआखाली के जिला मजिस्ट्रेट M J Roy रिटायरमेंट के दो दिन पूर्व ही जिला छोड़ कर भाग गए थे.

वे जानते थे कि जिन्ना ने 10 अक्टूबर का दिन तय किया है,और वे हिन्दू हैं जो लोग भाग सके हैं वे पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और आसाम के हिस्सों में भाग गए हैं ।
जो नहीं भाग पाए उन पर कहर बरसी, नोआखाली फिर जल उठा,लगभग दस हजार लोग दो दिनों में काट दिये गए.इस बार नियम बदल गए थे ।
पुरुषों के सामने उनकी स्त्रियों का बलात्कार हो रहा था,फिर पुरुषों और बच्चों को काट दिया जाता था अब वह बलात्कृता स्त्री उसी राक्षस की हुई जिसने उसके पति और बच्चों को काटा था.

एक लाख हिन्दू बंधक बनाए गए,उनके लिए मुक्ति का मार्ग निर्धारित था.गोमांस खा कर इस्लाम स्वीकार करो और जान बचा लो.

एक सप्ताह में लगभग पचास हजार हिंदुओं का
धर्म परिवर्तन हुआ,
जिन्ना का "डायरेक्ट एक्शन" सफल हुआ.
नेहरू और पटेल मन ही मन
भारत विभाजन को स्वीकार कर चुके थे.

आज सत्तर साल बाद

जिन्ना सेकुलर थे,ऐसा कहने वाले , भारत की धरती पर खड़े हो कर जिन्ना की बड़ाई करने वाले से बड़ा गद्दार इस विश्व में दूसरा कोई नहीं हो सकता.

इतिहास पढ़ो और थोड़ा सोचो,
शेयर कीजिए इस पोस्ट को
ताकि सेक्युलर हिन्दुओं को
पता तो चले कि कौन था जिन्ना.

नोआखाली दर्दनाक हत्याकांड

फिर भी इस देश में गांधी नेहरू जिन्ना महान है

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