Dr. Deepa Jaiswal

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Dr. Deepa Jaiswal
DGO, Gynecology, Obstetrics and Infertility
Dr Deepa specializes in reproductive endocrinology and infertility, helping address issues of infertility and hormones of the endocrine system.

                                                                                                                       L...
24/08/2024



Laparoscopic Ovarian Drilling
लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग क्या है

लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग, या डिम्बग्रंथि ड्रिलिंग, एक प्रक्रिया है जिसमें अंडाशय पर गर्मी या लेज़र लगाया जाता है. यह प्रक्रिया, महिलाओं में ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए की जाती है. इसमें,एक लेप्रोस्कोप (कैमरा) को नाभि के ठीक नीचे एक छोटे से कट के ज़रिए शरीर के अंदर भेजा जाता है. इसके बाद, सर्जन पेट में थोड़ी हवा भरने के लिए एक ट्यूब डालता है. इससे, सर्जन आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना देखने के लिए लैप्रोस्कोप का इस्तेमाल कर पाता है. फिर, सर्जिकल उपकरणों को उसी चीरे या श्रोणि क्षेत्र में मौजूद दूसरे छोटे चीरों के ज़रिए शरीर के अंदर डाला जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान, अंडाशय के ऊतकों को नष्ट करके, एंड्रोजन उत्पादन को कम किया जाता है. इससे, पीसीओएस के लक्षणों को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है. साथ ही, अंडाशय के हार्मोन के उत्पादन और प्रतिक्रिया के तरीके में भी सुधार होता है, जिससे ओव्यूलेशन की संभावना बढ़ जाती है.

क्या उम्मीद करें
आप संभवतः उसी दिन घर जा सकेंगे और 24 घंटों के भीतर अपनी सामान्य गतिविधियाँ कर सकेंगे। सामान्य गतिविधियों में आपकी वापसी इस बात पर निर्भर करेगी कि आप सर्जरी से कितनी जल्दी ठीक होते हैं। इसमें कुछ दिन या 2 से 4 सप्ताह तक का समय लग सकता है।

यह कितनी अच्छी तरह काम करता है
डिम्बग्रंथि ड्रिलिंग से अण्डोत्सर्ग को बहाल करने में मदद मिल सकती है, तथा कुछ लोगों के लिए गर्भवती होने की संभावना में सुधार हो सकता है, जिन पर अन्य उपचारों से कोई असर नहीं होता।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से लेप्रोस्कोपिक ओवेरियन ड्रिलिंग के समाधान के लिए मिले

               😆                                                                                                    Inst...
23/08/2024

😆

Instrumental Delivery
इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी क्या है?

इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी, यानी असिस्टेड बर्थ, तब होता है जब बच्चे को जन्म देने में मदद के लिए संदंश या वेंटौस सक्शन कप का इस्तेमाल किया जाता है. इसे ऑपरेटिव योनि डिलीवरी भी कहा जाता है. इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी के दौरान, एक स्वास्थ्य पेशेवर प्रसव के दौरान बच्चे को योनि से बाहर निकालने में मदद करता है.

इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी की ज़रूरत तब होती है, जब भ्रूण की परेशानी या असामान्य स्थिति हो. जैसे, अगर किसी गर्भावस्था में दबाव डालना या ज़ोर लगाना जोखिम भरा हो, या माँ थक गई हो या भ्रूण की हृदय गति बदल गई हो. इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी को सुरक्षित माना जाता है और इसका इस्तेमाल केवल तभी किया जाता है

जब यह आपके और आपके बच्चे के लिए ज़रूरी हो. जिन महिलाओं ने पहले सहज योनि जन्म दिया हो, उन्हें इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी से गुज़रने की संभावना कम होती है.

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से इंस्ट्रूमेंटल डिलीवरी समस्याओं के समाधान के लिए मिले

           😆                                        Painless deliveryपेनलेस डिलीवरी (दर्द रहित प्रसव) क्या हैआसान और सेफ...
21/08/2024

😆

Painless delivery
पेनलेस डिलीवरी (दर्द रहित प्रसव) क्या है

आसान और सेफ है
पेनलेस डिलीवरी

इससे लेबर-पेन बिल्कुल नहीं होता परंतु प्रसव की प्रक्रिया
अपनी सामान्य गति से चलती रहती है।
इस प्रकार बिना किसी तरह के दर्द समय पूरा होने पर प्रसव हो जाता है।
इसे एपिड्यूरल लेबर एनाल्जेसिया भी कहा जाता है।
निश्चेतना सूई का असर डेढ़ से साढ़े तीन घटे तक रहता है।

इसके कुछ मामूली लक्षण हो सकते है जैसे:
• आपका लेबर लम्बा हो सकता है|
• सुन्न होने के प्रभाव के कारण आप अपने आप को उठने व्
चलने में असमर्थ पाएंगे|
• आपको चक्कर आ सकते है और कई मामलों में महिलाओं
का जी मचल सकता है|
• आपको पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है और कैथेटर
की आवश्यकता होती है।
• बीपी का अचानक गिरना (जिसके कारण प्लेसेंटा सरकुलेट
होता है, फीटल डिस्ट्रेस हो सकता है और एमरजेंसी
सिज़ेरियन की ज़रूरत पड सकती है|)
• एपिड्यूरल का प्रभाव शायद पैची होता है, और महिला
दर्द भी महसूस कर सकती है|

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से पेनलेस डिलीवरी (दर्द रहित प्रसव) समस्याओं के समाधान के लिए मिले

                                                                                                                       N...
20/08/2024



Normal Delivery
नॉर्मल डिलीवरी क्या है

महिला द्वारा प्राकृतिक तरीके से बच्चे को जन्म की प्रक्रिया को नॉर्मल डिलीवरी कहा जाता है। इसका मतलब सिजेरियन डिलीवरी की बजाय बच्चा प्राकृतिक तरीके से महिला की वजाइना से ही बाहर आता है। किसी प्रकार की चिकित्सीय समस्या न होने पर महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से बच्चे को जन्म देने का चयन कर सकती है। बच्चे के जन्म की प्राकृतिक प्रक्रिया बच्चे के स्वास्थ्य और मां को जल्द ठीक करने में मददगार होती है। अगर आप नॉर्मल डिलीवरी करवाना चाहती हैं तो इसको आसान बनाने के लिए कोई शोर्टकट मौजूद नहीं हैं। लेकिन कुछ उपायों को अपनाने से स्वस्थ और नॉर्मल डिलीवरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

नॉर्मल डिलीवरी के प्रकार

नार्मल डिलीवरी के लिए आपको दो विकल्प दिए जाएंगे -

• प्राकृतिक चाइल्ड बर्थ
• एपीड्यूरल का इस्तेमाल

नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण

स्वस्थ महिला को बिना किसी परेशानी के नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। आपकी सक्रिय जीवनशैली, सामान्य ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) और भ्रूण की स्थिति (पोजीशन) इसकी ओर संकेत करते हैं कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी होने की सम्भावना बहुत अच्छी है। इसके अलावा नॉर्मल डिलीवरी के अन्य लक्षण और संकेतों के बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

• गर्भावस्था के 30 वें सप्ताह से गर्भावस्था के 34वें सप्ताह के बीच जब भ्रूण अपने सिर की पोजीशन को बदलकर नीचे की ओर कर ले, तो आप समझ जाएं कि वह जन्म के लिए तैयार है।

• योनि से सफेद, गुलाबी और रक्त की तरह तरल पदार्थ ज्यादा स्त्रावित होने लगता है। सामान्यतः यह स्वस्थ और नॉर्मल प्रेग्नेंसी का ही संकेत होता है।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से नॉर्मल डिलीवरी के समाधान के लिए मिले

                                                         Dilation and Curettage (D&C)डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) क्...
19/08/2024



Dilation and Curettage (D&C)
डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) क्या है?

डाइलेशन एंड क्योरटेज” (डी एंड सी) एक छोटी शल्य प्रक्रिया है जो आपके यूट्रस (गर्भ) से ऊतक को हटा देती है। आपको इस प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है यदि आपको अस्पष्टीकृत या असामान्य रक्तस्राव होता है, या यदि आपने एक बच्चे को जन्म दिया है और आपके गर्भ में प्लेसेंटल ऊतक रहता है। गर्भपात या गर्भपात से बचे हुए प्रेगनेंसी के ऊतकों को हटाने के लिए डी एंड सी भी किया जाता है।

डी एंड सी प्रक्रिया कैसे की जाती है?

डी एंड सी डॉक्टर के कार्यालय या अस्पताल में किया जा सकता है। आपको आराम देने या थोड़े समय के लिए सुलाने के लिए आपको दवाएं दी जा सकती हैं। आपका डॉक्टर धीरे-धीरे आपके यूट्रस (यूटेरिने सर्विक्स) के उद्घाटन को चौड़ा करेगा। आपके गर्भाशय ग्रीवा को खोलने से ऐंठन हो सकती है। यदि यह प्रक्रिया डॉक्टर के कार्यालय में की जाती है, तो आपको ऐसी दवाएं प्राप्त होंगी जो आपके यूटेरिने सर्विक्स को सुन्न कर देंगी और इसे खोलना आसान बना देंगी। यूटेरिने सर्विक्स को फैलाने (खोलने) के बाद, यूट्रस के अंदर से ऊतक को एक स्क्रैपिंग उपकरण के साथ हटा दिया जाता है जिसे क्यूरेट, सक्शन ट्यूब या अन्य विशेष उपकरण कहा जाता है।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से डाइलेशन और क्यूरेटेज (डी एंड सी) के समाधान के लिए मिले

                                 Becoming A Motherकुछ समस्याएं हैं जो माँ बनने में आ सकती है परेशानी ।माँ सिर्फ एक शब्द ...
18/08/2024



Becoming A Mother
कुछ समस्याएं हैं जो माँ बनने में आ सकती है परेशानी ।

माँ सिर्फ एक शब्द नहीं
है सम्पूर्ण एहसास

मां बनना किसी भी महिला की जिंदगी का सबसे सुखदायक पल होता है लेकिन आपके इस सुख में तनाव ग्रहण लगा सकता है. हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार ज्यादा कुछ समस्याएं हैं जो माँ बनने में आ सकती है परेशानी ।

• एंडोमेट्रियोसिस
• तनाव में रहना
• अनियमित पीरियड्स
• ओवुलेशन की समस्या

• इन सभी समस्याएं से पीड़ित महिलाओं के गर्भधारण करने की संभावना कम हो सकती है.

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से माँ बनने में आ रही समस्याएं के समाधान के लिए मिले

                                                     Twin Pregnancyट्विन्स प्रेग्नेंसी (जुड़वां बच्चों) क्या है ?ट्विन्स ...
15/08/2024



Twin Pregnancy
ट्विन्स प्रेग्नेंसी (जुड़वां बच्चों) क्या है ?

ट्विन्स प्रेग्नेंसी एक ऐसी स्थिति है जब गर्भवती महिला के गर्भ में दो शिशु का विकास हो रहा होता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार जब गर्भ में दो एग एक समय पर फर्टिलाइज हो जाते हैं या फर्टिलाइज्ड एग दो सेपरेट एम्ब्र्यो में बट जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में जुड़वां बच्चों का जन्म होता है।

जुड़वां बच्चों की डिलिवरी का सही समय क्या है?

नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ट्विन्स बेबी की डिलिवरी डेट 34 से 37वें हफ्ते की होती है, जो एक ही गर्भनाल से जुड़े होते हैं। वहीं 37 से 39वें हफ्ते का समय उन जुड़वा बच्चों के लिए बताया गया है, जो अलग-अलग गर्भनाल से जुड़े हुए होते हैं।

बच्चों के जन्म से पहले कौन-कौन सी टेस्ट की जा सकती हैं?

जुड़वां बच्चों के जन्म से पहले डॉक्टर वो सभी टेस्ट करते हैं जो सिंगल बेबी डिलिवरी के दौरान की जाती है।

• नॉनस्ट्रेस टेस्ट - ट्विन प्रेग्नेंसी टाइमटेबल को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर गर्भवती महिला का नॉनस्ट्रेस टेस्ट करते हैं।
• लेट-स्टेज एम्निओसेंटेसिस टेस्ट - गर्भावस्था के 24 हफ्ते के बाद लेट-स्टेज एम्निओसेंटेसिस टेस्ट की जाती है।

टेस्ट रिपोर्ट्स को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर जुड़वां बच्चों के डिलिवरी डेट डिसाइड करते हैं। गायनोकोलॉजिस्ट स्थिति को समझते हुए निर्णय लेते हैं कि उनका जन्म समय से पहले करवाना चाहिए या बाद।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से ट्विन्स प्रेग्नेंसी (जुड़वां बच्चों) के समाधान के लिए मिले

                                                   Oligohydramniosओलिगोहाइड्रामनिओस (एम्नियोटिक द्रव) क्या हैगर्भावस्था ...
14/08/2024



Oligohydramnios
ओलिगोहाइड्रामनिओस (एम्नियोटिक द्रव) क्या है

गर्भावस्था के दौरान ओलिगोहाइड्रामनिओस तब होता है जब आपका एमनियोटिक द्रव आपके बच्चे की गर्भकालीन आयु के लिए अपेक्षा से कम होता है। एमनियोटिक द्रव एक पानी जैसा तरल पदार्थ है जो आपके बच्चे को आपके गर्भाशय में घेरे रहता है। यह आपके बच्चे को संक्रमण और गर्भनाल के संपीड़न से बचाता है और गर्भ में रहते हुए उनकी गतिविधियों को कुशन करता है। एमनियोटिक द्रव आपके बच्चे के पाचन और श्वसन तंत्र को विकसित करने में मदद करता है, साथ ही उनके तापमान को भी नियंत्रित करता है।

ओलिगोहाइड्रामनिओस के लक्षण

नियमित परीक्षण में डॉक्टर आपके पेट की जांच पूरी सावधानी से करेंगे। गर्भावस्था के दौरान यदि आपका पेट जैसे बढ़ना चाहिए वैसे नहीं बढ़ रहा है तो डॉक्टर शिशु के विकास व वृद्धि की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने
की सलाह दे सकते हैं।

• एम्नियोटिक द्रव की मात्रा 500 मिलीलीटर से कम होना
• मैक्सिमम वर्टिकल पॉकेट 2 सेमी से कम होना
• एम्नियोटिक फ्लूड इंडेक्स 5 सेमी से कम होना
• रक्तचाप में उतार-चढ़ाव
• पहले बच्चे का वजन जन्म के बाद कम होना और आकार में छोटा होना
• योनि से तरल पदार्थ का लगातार रिसाव
• माँ और शिशु दोनों का पर्याप्त वजन नहीं बढ़ रहा है
• शिशु के विकास में ज्‍यादा समय लग रहा है

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से ओलिगोहाइड्रामनिओस समस्याओं के समाधान के लिए मिले

                                                             Lower Segment Caesarean Section (LSCS)लोअर सेगमेंट सीजेरियन...
13/08/2024



Lower Segment Caesarean Section (LSCS)
लोअर सेगमेंट सीजेरियन सेक्शन (एलएससीएस) क्या है?

लोअर सेगमेंट सिजेरियन सेक्शन सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सीजेरियन सेक्शन है। आमतौर पर बच्चे को देने के लिए गर्भाशय के निचले हिस्से में वजाइन के लगाव के ऊपर एक अनुप्रस्थ चीरा लगाया जाता है। इस प्रकार के चीरे से रक्त की हानि कम होती है और अन्य प्रकार के सिजेरियन सेक्शन की तुलना में इसे ठीक करना आसान होता है।

लोअर सेगमेंट सिजेरियन सेक्शन एक वैकल्पिक एलएससीएस के साथ, नवजात शिशुओं को सांस लेने में कठिनाई होने की अधिक संभावना होती है क्योंकि वे वजाइन जन्म के दौरान समान हार्मोन नहीं छोड़ते हैं और एमनियोटिक द्रव फेफड़ों से बाहर नहीं निकलता है जैसा कि प्राकृतिक जन्म के दौरान होता है।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से लोअर सेगमेंट सीजेरियन सेक्शन (एलएससीएस) समस्याओं के समाधान के लिए मिले

                                                     Menorrhagiaमेनोरेजिया (अतिरज) क्या है?पीरियड्स के दौरान होने वाली अ...
12/08/2024



Menorrhagia
मेनोरेजिया (अतिरज) क्या है?

पीरियड्स के दौरान होने वाली असाधारण ब्लीडिंग को मेनोरेजिया या अतिरज कहते है। पीरियड्स में सामान्यतौर पर 4 से 5 दिनों के दौरान 30 से 40 मिलीलीटर तक ब्लीडिंग होती है लेकिन अगर ये ब्लीडिंग 80 मिलीलीटर या 3 औंस से अधिक है तो इस अवस्था को मेडिकल की भाषा में मेनोरेजिया कहते है। मेनोरेजिया में पीरियड्स के दौरान 7 दिनों तक या उससे अधिक दिनों तक ब्लीडिंग हो सकती है।

मेनोरेजिया के लक्षण क्या है :

मेनोरेजिया (Menorrhagia) में निम्न लक्षण शामिल हैं:

• लगातार कई घंटों तक एक या एक से अधिक सैनेटरी पैड या टैम्पोन का भीगना।
• पीरियड्स आने पर एक हफ्ते से ज्यादा समय तक ब्लीडिंग।
• ब्लीडिंग को नियंत्रित करने के लिए डबल सैनिटरी सुरक्षा का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ना।
• खून के थक्के एक चौथाई बड़े हो जाना।
• एनीमिया के लक्षण जैसे थकान, थकान या सांस की तकलीफ।
• हैवी पीरियड्स के कारण रोजाना की गतिविधियां करने में मुश्किल आना।
• जब रात के दौरान साफ सफाई और पीरियड्स के लिए पैड बदलने के लिए रात भर जागने की जरूरत पड़े तो मेनोरेजिया हो सकता है।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से मेनोरेजिया (अतिरज) समस्याओं के समाधान के लिए मिले

                                                   APH (ANTEPARTUM HAEMORRHAGE )एंटेपार्टम हैमरेज (एपीएच) क्या हैंएंटेपा...
11/08/2024



APH (ANTEPARTUM HAEMORRHAGE )

एंटेपार्टम हैमरेज (एपीएच) क्या हैं

एंटेपार्टम हैमरेज (एपीएच) को गर्भावस्था के 24+0 सप्ताह से और बच्चे के जन्म से पहले होने वाले जननांग पथ से रक्तस्राव केरूप में परिभाषित किया गया है। एपीएच के सबसे महत्वपूर्ण कारण प्लेसेंटा प्रिविया और प्लेसेंटल एब्डॉमिनल हैं, हालांकि ये सबसे आम नहीं हैं। APH 3-5% गर्भधारण को जटिल बनाता है और दुनिया भर में प्रसवकालीन और मातृ मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में से पांचवां हिस्सा एपीएच के सहयोग से पैदा होता है।

एपीएच लक्षण:
• रक्तस्राव, जो दर्द के साथ हो सकता है (रुकावट का संकेत) या दर्द रहित हो सकता है।
• यदि रक्तस्राव गंभीर है, तो माँ हाइपोवोलेमिक शॉक के लक्षण दिखा सकती है; हालांकि, युवा, फिट, गर्भवती महिलाएं
तब तक बहुत अच्छी तरह से क्षतिपूर्ति कर सकती हैं जब तक कि अचानक और विनाशकारी विघटन न हो जाए।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से एंटेपार्टम हैमरेज (एपीएच) समस्याओं के समाधान के लिए मिले

                                                   Premature Birthप्रीमैच्योर बर्थ (डिलीवरी ) क्या है?जब महिला का प्रसव ...
10/08/2024



Premature Birth
प्रीमैच्योर बर्थ (डिलीवरी ) क्या है?

जब महिला का प्रसव गर्भावस्था के 37 हफ्ते पूरे करने से पहले ही हो जाता है, तो उसे प्रीमैच्योर डिलीवरी (समय से पहले प्रसव) कहते हैं। इसे प्रीटर्म या प्रीमैच्योर बर्थ भी कहा जाता है। सामान्य गर्भावस्था 40 हफ्तों में पूरी होती है, लेकिन भ्रूण का शारीरिक कास 37 हफ्ते तक पूरी तरह से हो जाता है। यही वजह है कि 37 हफ्तों के बाद शिशु के जन्म होना सुरक्षित माना जाता है। गर्भावस्था पूर्ण होने के जितने हफ्तों पहले प्रसव होगा, मां और शिशु के लिए उतना ही असुरक्षित होगा।

प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के लक्षण :

वैसे तो समय से पूर्व प्रसव होने की सटीक जानकारी सिर्फ डॉक्टर ही दे सकते हैं, शारीरिक जाँच के बाद,
लेकिन यहां हम कुछ लक्षण बता रहे हैं, जिनसे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपका प्रसव समय से होगा या नहीं

• योनि से होने वाले स्राव में परिवर्तन आना • हर 10 मिनट में पेट में कसाव महसूस होना (मुट्ठी की तरह)।
• हल्का पीठ दर्द होना।
• पेल्विक क्षेत्र पर दबाव – जैसे शिशु नीचे की ओर धकेल रहा हो।
• डायरिया या फिर उसके बिना भी पेट में दर्द होना।

प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ,
डॉ. दीपा जायसवाल
से प्रीमैच्योर डिलीवरी समस्याओं के समाधान के लिए मिले

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