02/08/2025
कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा को कमज़ोर और ग्रामीण वर्गों तक पहुँचाने के प्रयास में मुख्य चिकित्सा अधिकारी- कुशीनगर के सहयोग से हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नेबुआ नौरंगिया, कुशीनगर, के प्रांगण में दिनांक 31 जुलाई 2025 दिन गुरुवार को प्रातः 10:00 बजे से शाम 3:00 बजे तक एक नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें 102 मरीज कैंसर के प्रति अपनी व्यक्तिगत शंकाओं का समाधान कराने आये। इनकी कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी ने सहायक चिकित्सक डॉ. राकेश श्रीवास्तव की मदद से पूरी गंभीरता के साथ जांच पड़ताल की और मरीजों को उचित सलाह परामर्श एवं निशुल्क दवाई दी। शिविर के लिए निर्धारित समय से पहले ही मरीज अपने तीमारदारों के साथ पहुंचने लगे थे। ज्यादातर मरीज ग्रामीण इलाकों से आए।
कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित संगिनी, आशा कार्यकर्ताओं एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा अस्पताल में आए लोगों को डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि दुनिया में सबसे आम कैंसर फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलन (बड़ी आंत) और मलाशय के कैंसर हैं। भारत में महिलाओं में तीन सबसे आम कैंसर गर्भाशय ग्रीवा, स्तन और ग्रासनली (भोजन नली) के होते हैं, जबकि पुरुषों में सिर और गर्दन का क्षेत्र और ग्रासनली कैंसर से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। दुनिया भर में सिर और गर्दन के कैंसर के एक तिहाई से ज़्यादा मामले भारतीयों को प्रभावित करते हैं। जीवनशैली में बदलाव, नियमित जाँच और एचपीवी वैक्सीन जैसे टीकाकरण से 30-50% कैंसर की रोकथाम संभव है। स्वस्थ आहार लेना, तंबाकू से परहेज करना, शराब का सेवन कम करना और सक्रिय रहना जैसे सरल उपाय कैंसर के जोखिम को काफी कम कर सकते हैं। रोकथाम और समय पर पता लगाना ही अनमोल जीवन बचाने का एकमात्र तरीका है। शीघ्र पहचान और निवारक देखभाल ही एकमात्र तरीका है जिससे इस रोग को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उपस्थित लोगों को समझाते हुए शिविर व्यवस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि कैंसर की रोकथाम के लिए सिर्फ़ कैंसर—जागरूकता ही काफ़ी नहीं है। हमें कैंसर से जुड़े कलंक से लड़ना होगा। यह एक बीमारी है, कोई फ़ैसला नहीं, और चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण कई मरीज़ इलाज के बाद एक संतुष्ट जीवन जी रहे हैं। हमें कैंसर से उबर चुके लोगों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण भी बदलना होगा। कैंसर के मरीज़ कमज़ोर नहीं होते—वे लचीले होते हैं। वे मानसिक और शारीरिक रूप से, कठिन काम कर सकते हैं, और अक्सर उम्मीदों से भी बढ़कर। यह देखकर बहुत दुख होता है कि मरीज़ अपनी स्थिति के कारण अवसर खो रहे हैं या काम पर कमतर आंके जा रहे हैं। अगर वे कैंसर से लड़ सकते हैं, तो वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं। सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका आदि वितरित करते हुए उन्होंने लोगों से कैंसर से प्रभावित लोगों को शिक्षित करने, उनके प्रति सहानुभूति रखने और उनका समर्थन करने पर जोर दिया ताकि साथ मिलकर, हम वैश्विक बोझ को कम कर एक आशाजनक भविष्य का निर्माण कर सकें।
शिविर में प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमान्त वर्मा, डॉ. राकेश श्रीवास्तव, डॉ. एस. के. दास, डॉ. प्रभू, डॉ. रन्जन, डॉ. आदति, डॉ. इन्दु, अजय श्रीवास्तव, सत्यवती तिवारी, अतुल पांडेय, मुश्ताक अहमद, दीपक गुप्ता, हृषिकेश पांडेय, नारद मुनि, रामसूरत सिंह, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य बहुत ही प्रशंसनीय रहा।