Maa Sharda Healthcare

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02/02/2025

लिवर को हेल्दी रखने के लिए डाइट में शामिल कर लें ये 5 चीजें, सेहत को मिलेंगे कई फायदे
लिवर जिसे हिंदी में यकृत कहते हैं, मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो मेटाबॉलिज्म, इम्युनिटी, डाइजेशन, टॉक्सिन्स को बाहर निकालने, विटामिन का स्टोरेज समेत कई बॉडी फंक्शन्स में अहम किरदार अदा करता है. लिवर का स्वस्थ रहना ओवरऑल हेल्थ के लिए जरूरी है. अनहेल्दी लिवर होने से लीवर की बीमारी और मेटाबॉलिक संबंधी विकार हो सकते हैं. इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए लिवर को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है.

फल और सब्जियां: लिवर को स्वस्थ रखने के लिए अपनी डेली डाइट में फल और सब्जियों को शामिल करें. इनमें एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन्स, और फाइबर होता है जो लिवर को स्वस्थ रखने के लिए, पालक, ब्रोकली, गाजर, सेब, अंगूर, और बेरीज जैसे फल और सब्ज़ियां खाएं. खासतौर पर नियमित रूप से खट्टे फल खाने से लिवर की सूजन कम कम होती है और डिटॉक्सिफिकेशन में सुधार होता है.
अंगूर विशेष रूप से एंटीऑक्सिडेंट में हाई होते हैं जो सूजन को कम करने और आपके लिवर को नुकसान से बचाने में काफी अच्छे होते हैं.

साबुत अनाज: इनमें फाइबर होता है जो पाचन में मदद करता है और लिवर को स्वस्थ रखता है. इसलिए हर किसी को अपनी डाइट में ब्राउन राइस, ओट्स, किनोआ और जौ जैसे साबुत अनाज जरूर शामिल करने चाहिए.

दालें: इनमें प्रोटीन और फाइबर होता है. इसलिए मूंग दाल, चना दाल और मसूर दाल जैसी चीजें लिवर के लिए हेल्दी होती हैं.

नट्स और बीज: इनमें हेल्दी फैट्स और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं. बादाम, अखरोट, और चिया सीड्स जैसे नट्स और बीज को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें.

ग्रीन टी: शोध के अनुसार ग्रीन टी को लिवर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं. विशेष रूप से कैटेचिन जैसे एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (ईजीसीजी) जो लिवर को नुकसान से बचाने, सूजन को कम करने और फैटी लिवर डिसीस और लिवर कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.

13/11/2024
22/10/2024

*बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नहीं उड़ते*
बाज पक्षी को हम ईगल या शाहीन भी कहते हैं। जिस उम्र में बाकी परिंदों के बच्चे चिचियाना सीखते हैं, उस उम्र में एक मादा बाज अपने चूजे को पंजे में दबोच कर सबसे ऊंचा उड़ जाती है। जब पक्षियों की दुनिया में ऐसी टफ एंड टाइट ट्रेनिंग किसी भी ओर की नहीं होती । मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 किलोमीटर ऊपर ले जाती है जितने ऊपर अमूमन जहाज उड़ा करते हैं ।
यह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है। यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की कठिन परीक्षा। उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है? तेरी दुनिया क्या है? तेरी ऊंचाई क्या है? तेरा धर्म बहुत ऊंचा है।
फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त उस चूजे को आभास ही नहीं होता कि उसके साथ क्या हो रहा है।
7 किलोमीटर के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख, जो कंजाइन से जकड़े होते है, वे खुलने लगते हैं। लगभग 9 किलोमीटर आने के बाद उसके पंख पूरे खुल जाते है।
यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है। अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर है, लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है।
अब धरती के बिल्कुल करीब आता है जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को। अब उसकी दूरी धरती से महज 700 मीटर होती है लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है कि वह उड़ सके।
धरती से लगभग 500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अंतिम यात्रा है। फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त में लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।
यह पंजा उसकी मां का होता है जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही होती है। उसकी यह ट्रेनिंग निरंतर चलती रहती है जब तक वह उड़ना नहीं सीख जाता।
यह ट्रेनिंग एक कमांडो की तरह होती है। तब जाकर दुनिया को एक बाज़ मिलता है अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का भी शिकार करता है।
हिंदी में एक कहावत है-बाज़ के बच्चे मुंडेर पर नही उड़ते। बेशक अपने बच्चों को अपने से चिपका कर रखिए, पर उसे दुनिया की मुश्किलों से रूबरू कराइए, उन्हें लड़ना सिखाइए।
बिना आवश्यकता के भी संघर्ष करना सिखाइए। वर्तमान समय की अनन्त सुख-सुविधाओं की आदत और अभिवावकों के बेहिसाब लाड़-प्यार ने मिलकर, आपके बच्चों को "ब्रायलर मुर्गे" जैसा बना दिया है जिसके पास मजबूत टंगड़ी तो है पर चल नही सकता।
वजनदार पंख तो है पर उड़ नही सकता क्योंकि गमले के पौधे और जंगल के पौधे में बहुत फ़र्क होता है।

09/08/2024
अब हाइ शुगर को बोले अलविदा....लेकिन इस से पहले ये जान ले कि शरीर में हाइ शुगर कैसे होता है अग्नाशय के मुख्य हार्मोन जो ब...
09/08/2024

अब हाइ शुगर को बोले अलविदा....

लेकिन इस से पहले ये जान ले कि शरीर में हाइ शुगर कैसे होता है
अग्नाशय के मुख्य हार्मोन जो ब्लड शुगर को प्रभावित करते हैं उनमें इंसुलिन, ग्लूकागोन, सोमटोस्टेटिन और अमाइलीन शामिल है।
इंसुलिन ब्लड शुगर को कम करता है जबकि ग्लूकागोन ब्लड शुगर को बढ़ाता है। वही सोमटोस्टेटिन जरूरत के अनुसार प्रत्येक हार्मोन को बंद या चालू कर के ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। अमाइलीन इंसुलिन के साथ बन कर भोजन से संतुष्टि और तृप्ति की स्थिति को बनाता है।
जैसे ही कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना खाया ओर पचाया जाता है ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है ऐसे में अग्नाशय इंसुलिन का उत्पादन चालू और ग्लूकगन का उत्पादन बंद कर देता है।
अब अगर इंसुलिन बनाने वाले पेनक्रियाज अगर निष्क्रिय हो जाए तो शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है।
ऐसे में हमारे डॉक्टर शुगर की एक गोली हर रोज लेने की सलाह देते हैं। वास्तव में यह गोली बाहर से शरीर को दिया जाने वाला इंसुलिन ही है, क्योंकि अग्नाश्य में इंसुलिन नहीं बन रहा है। लेकिन इस गोली की मात्रा बढ़ती हो चली जाती है, जब गोली से कम नहीं चलता तो इंजेक्शन के माध्यम से इंसुलिन लेना पड़ता है। सब से बड़ी विडंबना यह है कि यह गोली अथवा इंजेक्शन आजीवन हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाते हैं।

ऐसे में कैसे मिले दवा से छुटकारा
दवा से छुटकारा पाने का केवल एक ही तरीका है कि पेनक्रियाज फिर से एक्टिव हो जाए और अग्नाश्य में इंसुलिन प्राकृतिक रूप से बनना शुरू हो जाए।
मां शारदा हेल्थकेयर का सिरप डायबिटीक कंट्रोल वास्तव मे पेनक्रियाज को एक्टिव करने का काम करता है जिस से अग्नाशय में इंसुलिन प्राकृतिक रूप से बनना शुरू हो जाए।
यह सिर्फ पूरे भारत में home delivery के जरिए प्राप्त किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए 9643030880 पर संपर्क करें।

14/07/2024

Maa Sharda Healthcare - Manufacturer of Ayurvedic Syrup, Ayurvedic Capsule & Ayurvedic Tablets from Gohana, Haryana, India

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