29/09/2024
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♦️ज्योतिष में राहु ग्रह को एक छाया ग्रह कहा जाता है । राहु के गुण दोष प्रायः शनि के समान ही होते हैं । शनि की भांति राहु काला , धीमी गति वाला , रोगप्रद , स्नायु रोग कारक , पृथकताजनक , लंबा , विदेश गमन , अधार्मिक मनुष्य , गंदगी , भ्रम , जादू , अंधकार प्रिय , भय ,कष्ट तथा त्रुटियों का कारक होता है । राहु को साँप के मुख के समान माना गया है अतः इसका स्वभाव भी विषैला है । विषवृति के कारण इसमें शूद्रता , क्रूरता , झूठापन बुराई करने की ताक में रहने वाला , कटु स्वभाव , हल्की सोच , चोरी , ठगना , उतावला , शकि स्वभाव है । ( यह सब शुभ ग्रह को पीड़ित करने पर होता है । )
♦️राहु अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के फल अचानक देता है । यह अचानक फल देने के लिए प्रसिद्ध है ।
♦️ग्रन्थों मे ऐसा लिखा है की राहु जिस ग्रह के साथ विराजमान हो या जिस राशि में विराजमान हो उसके स्वामी या जिस नक्षत्र में विराजमान हो उसके स्वामी के समान फल देता है । परंतु फलादेश करते समय यह प्रमाणिक नहीं लगता है । जैसे गुरु के साथ विराजमान हो तो गुरु के समान फल देना चाहिए परंतु ऐसा नहीं होता है बल्कि बहुत परेशानी होती है ।
♦️राहु की तामसिक प्रवृत्ति के कारण वह चालाक है और व्यक्ति को भौतिकता की ओर अग्रसर करता है । बहुत महत्वाकांक्षी व लालची बनाता है , जिसके लिए व्यक्ति साम-दाम-दंड-भेद की नीतियां अपनाकर जीवन में आगे बढ़ता है । इसी तरह यह व्यक्ति को भ्रमित भी रखता है। एक के बाद दूसरी इच्छाओं को जागृत करता है । इन्हीं इच्छाओं की पूर्ति हेतु वह विभिन्न धार्मिक कार्य व यात्राएं भी करता है। राहु प्रधान व्यक्ति में दिखावा करने की प्रवृत्ति विशेष रूप से पायी जाती है। राहु कार्य जाल में फंसाता है , जीवन में आकर्षण को बनाये रखता है , हार नहीं मानता है अर्थात इच्छा शक्ति को जागृत रखता है ।
♦️👉राहु ( मित्र राशि में ) धन भाव , पंचम भाव या लाभ भाव में विराजमान होकर अचानक लाभ करवाता है परंतु शत्रु राशि में अचानक धन का नुकसान भी करता है । यदि षष्ठेश , अष्टमेश , द्वादशेष आदि से युक्त दृष्ट हो तो धन हानि एवं दरिद्रता भी देता है । गलत तरीके से धन प्राप्त करने के लिए राहु ही प्रेरित करता है । जब राहु शनि के साथ विराजमान हो तो राहु में शनि के भी गुण समाहित हो जाते हैं जिसके कारण राहु की दृष्टि जहां पड़ती है वहां पृथकता आदि अनिष्ट फल देता है ।
संसार में जितने भी गलत एवं खतरनाक कार्य होते हैं जितने भी खतरनाक बीमारियां होती हैं उन सब में राहु का योगदान होता है । बिना राहु के योगदान से यह संभव नही है । राहू पर यदि शुभ प्रभाव एवं शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ जाए तो अच्छा फल भी देता है वरना समाज विरोधी और गलत कार्य करवाता है ।
👉 शिक्षा प्राप्त करते समय राहु की दशा अंतरदशा आ जाए एवं राहु शुभ ग्रहो को पीड़ित कर रहा हो तो अच्छी पढ़ाई करने वाले भी भटक जाते है ।
👉यदि पंचमेश , नवमेश पीड़ित हो तथा गुरु का राहु के साथ संबंध हो जाए तो ऐसे लोग धर्म के नाम पर पाखंड करते है ।
💥राहु काल हिन्दू पंचांग के अनुसार, राहु ग्रह के प्रभाव से दिन में एक अशुभ समयावधि होती है जिसमें शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि को राहु काल कहते हैं । यह अवधि लगभग डेढ़ घण्टे की होती है तथा स्थान एवं तिथि के अनुसार इसमें अंतर देखने को मिलता है।
♦️सूर्य सभी ग्रहों का राजा है सभी को प्रकाश देते है परंतु राहु की दृष्टि सूर्य पर पड़ जाए या राहु सूर्य के साथ बैठ जाए सूर्य भी पीड़ित हो जाते है । सूर्य पर शनि राहु की दृष्टि या युति के कारण ही पितृदोष बनता है ।
👉राहु सबसे ज्यादा पीड़ित सूर्य , चंद्रमा ,मंगल एवं गुरु को करता है । इन ग्रहों के साथ संबंध बनाकर कई प्रकार के रोग एवं परेशानी देता है । राहू पर मंगल या शनि की दृष्टि के कारण भी परेशानी होती है ।
👉राहु किसी भी राशि का स्वामी नहीं होता है परंतु मिथुन राशि में उच्च का और धनु राशि में नीच का माना जाता है । इसलिए अपने जीवन में होने वाले किसी भी कमी को पूरा करने के लिए राहु केतु को प्रबल करने के बजाय सूर्य , चंद्रमा , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र , शनि इनमें से जो उस कमी वाले भाव के स्वामी हैं उन्हें प्रबल करना चाहिए ।
♦️यदि राहु किसी शुभ ग्रह या किसी भाव को पीड़ित ना कर रहा हो एवं राहु पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तब बहुत अच्छे तरीके से विश्लेषण करने के बाद ही राहु से संबंधित रत्न धारण करना चाहिए ।
💥राहु प्रधान व्यक्ति में शनि के संबंधित गुण रहते हैं ऐसे व्यक्ति धोखा देने वाले या छल करने वाले होते हैं परंतु ऐसे व्यक्ति जल्दी हिम्मत नहीं हारते हैं । बहुत संघर्ष करते हैं एवं जीतने के लिए संघर्ष करते रहते हैं । ऐसे व्यक्ति बहुत जुगाड़ू होते हैं । प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने से पीछे नहीं हटते । ऐसे व्यक्तियों का कई बार बनता काम अंत में बिगड़ जाता है ।
♦️राहु अन्य ग्रहों के साथ योग बनाकर बीमारी एवं परेशानी देते है – डर , सर्पदंश , जहर फैलना , दवा से संक्रमण , पागलपन , मानसिक रोग , स्मृति नाश , बुद्धि भ्रष्ट , हृदय रोग , दुर्घटना , शोक , आंखों के नीचे काले घेरे , नशेड़ी , मोटापा , वायु रोग , भूत , प्रेत , डायन , ऊपरी बाधा , कैंसर , चोरी , ठगना , इत्यादि ।
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राहु से होने वाले परेशानी से बचने के लिए राहु का दान एवं उपाय शनिवार या बुधवार को करना चाहिए । ( कुष्ठ रोगी या सफाई कर्मी को ) ।
दान – नीले काले वस्त्र , ( यव ) जौ , काली उड़द , जटा वाला नारियल , चाय पत्ती , तंबाकू , मूली , कोयला इत्यादि।
उपाय – कुष्ठ रोगी को भोजन कराएं जिसमें काले उड़द की एक सामग्री अवश्य होनी चाहिए । जौ कच्चे दूध से धोकर नदी में विसर्जित करें या पंछियों को खिलाएं । घर में या छत पर किसी भी प्रकार का बंद बिजली का सामान या कबाड़ ना रखें ।
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💥 राहु से संबंधित परेशानी के बचने का पहला उपाय है सत्य का पालन करें ।
राहु भ्रमित करता है और झूठा सपना दिखाता है जिसके कारण लोग जाल में फंस जाते हैं।
जीव का कल्याण - समाज में दबे कुचले लोग , पीड़ित लोग, जीव जंतुओं की सेवा करें