03/03/2023
होलिका दहन कब 6 मार्च को अथवा 7 मार्च को
भारतीय संस्कृति में होली के त्यौहार का विशेष महत्व है I क्योंकि इस समय प्रकृति मैं उत्साह, उमंग और ऋतु परिवर्तन के कारण बदलाव तथा खेतों में लहल्हाती फसलों का पक कर खड़ा होना, सभी के दिलों में एक नई ऊर्जा और उत्साह प्रदान करता है साथ ही बसंत ऋतु का आगमन, जिसमें ना ही सर्दी होती है और ना ही गर्मी होती है और वृक्षों पर पुराने पत्तों का टूटकर नए पत्तों का आना प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लगा देता है I इतने सुंदर वातावरण में फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी को होली का पावन पर्व मनाया जाता है I यह पर्व भक्ति, आस्था, श्रद्धा, विश्वास को बढ़ाने के साथ-साथ आध्यात्मिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है I
शास्त्रानुसार होलिका दहन का पावन पर्व 7 मार्च सन 2023 वार मंगलवार को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा क्योंकि 6 मार्च 2023 सोमवार को चतुर्दशी तिथि शाम को 4:17 पर समाप्त होकर पूर्णमासी तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो अगले दिन 7 मार्च सन 2023 वार मंगलवार को शाम 6:09 तक व्याप्त रहेगी I ऐसी स्थिति में शास्त्र का वचन है कि यदि पूर्णमासी तिथि 2 दिन व्याप्त रहे तो पूर्व दिन को छोड़कर अगले दिन होलिका दहन करना चाहिए I 6 मार्च को इसलिए भी नहीं कर सकते क्योंकि भद्रा भी शाम को 4:17 से प्रारंभ होकर के 23 घटी 50 पल तक विद्यमान रहेगी जो कि अगले दिन सुबह 4:17 तक भद्रा विद्यमान है I साथ ही चंद्रमा सिंह राशि में होने के कारण भद्रा का वास मृत्यु लोक में होगा I जो कि अत्यंत अशुभ फलदायक है I ऐसी स्थिति में 6 मार्च को होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत नहीं हो सकता I आजकल के कुछ आचार्यों का मत है कि 6 मार्च 2023 को ही होलिका दहन करना चाहिए I क्योंकि प्रदोष काल व्याप्त रहते हुए होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत है लेकिन इसमें भी एक गंभीर समस्या यह है कि भद्रा का वास मृत्यु लोक में है साथ ही भद्रा के मुख की 5 घटी तथा कंठ की 2 घटी सभी कार्यों में विशेषकर त्याज्य होती हैं I भद्रा का विचार विशेषकर होलिका दहन और रक्षाबंधन के संदर्भ में करने की शास्त्रआज्ञा है I इस आधार पर देखें तो 7 घटी अर्थात 2 घंटे 48 मिनट समय बनता है और शाम को 4:17 से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी I यदि इसमें 2 घंटे 48 मिनट जोड़ते हैं तो समय बनता है शाम के 7:05 मिनट अर्थात हम 6 मार्च शाम को 7:05 से पूर्व होलिका दहन नहीं कर सकते I अब बात करते हैं प्रदोष काल की 6 मार्च सन 2023 को सूर्यास्त शाम को 6:21मिनट पर होगा प्रदोष काल हमेशा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक रहता है ऐसी स्थिति में यदि हम सूर्यास्त के 6:21समय मे 45 मिनट जोड़ते हैं तो समय बनता है I शाम के 7:06 मिनट और भद्रा का मुख् और कंठ का समय शाम को 7:05 तक विद्यमान है मात्र 1 मिनट ही शेष रहता है ऐसी स्थिति में 6 मार्च को होली का दहन करना शास्त्र सम्मत नहीं है क्योंकि प्रदोष काल भद्रा का मुख और कंठ काल से दूषित रहेगा I
अब बात करते हैं I
7 मार्च वार मंगलवार को पूर्णिमा तिथि शाम 6:09 तक विद्यमान रहेगी I शास्त्र का वचन है कि सूर्योदय के पश्चात यदि कोई भी तिथि तीन घटी तक विद्यमान रहे तो उसे पूरे दिन मानना चाहिए I अतः पूर्णमासी तिथि 3 घटी से भी अधिक विद्यमान रहने के कारण पूरे दिन ही ग्राहय मानी जाएगी I प्रदोष काल भी शाम को 6:21मिनट से 7:06 मिनट तक विद्यमान रहेगा I साथ ही भद्रा भी व्याप्त नहीं रहेगी I इसलिए 7 मार्च सन 2023 वार मंगलवार को शाम 6 बज के 21 मिनट से लेकर रात्रि 8:51 तक होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत होगा I
निर्णय सिंधु के अनुसार: -पूर्वदिने भद्रास्वात तत्र च होलीका निषेधात I
भद्रायां दीपिता होली राष्ट्रभंग करोति वै I
नगरस्य च नैवष्टा तस्मातांम परिवर्जयेत I
अर्थात पूर्णमासी 2 दिन हो और भद्रा पूर्व दिन मे व्याप्त हो तो अगले दिन होलिका दहन करना चाहिए I यदि भद्रा में होलिका दहन किया जाता है तो राष्ट्रभंग होने की संभावना बनती है I अतः भद्रा काल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए I *शास्त्रों के वचनों के द्वारा 7 मार्च सन 2023 वार मंगलवार को होलिका दहन शाम को 6:21 से लेकर 8:51 के बीच में करना शास्त्र सम्मत होगा तथा अगले दिन 8 मार्च सन 2023 वार बुधवार को रंगोली अर्थात धूलंडी का पावन पर्व मनाना चाहिए I*
धर्मशास्त्र अनुसंधान केंद्र आचार्य अशोक कुमार शर्मा
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