
17/07/2025
Thursday, 17 July 2025
आज एक ८० वर्षीय दादाजी से मिला , बहुत खुश मिजाज और सर से पैर तक शुद्ध देशी भेष-भूषा में ।
कुर्ता , धोती , साफा , गले में ताबीज , पैर में जूती, हाथ में डंडा ।
सर पर बड़े गर्व से साफा धारण किया हुआ ।
मन में विचार आया , मैंने अपने गाँव में भी सिर्फ़ मेरे दादाजी और नाना जी की पीड़ी के लोगों को ही इतनी शुद्ध देशी पहनावे में देखा था । हम से एक जनरेशन ऊपर के लोगों ने देशी वस्त्र त्याग दिए थे , हमारी जनरेशन के लोग अब सायद बस शादी फंक्शन में फैशन के लिए पहनते हैं ।
मुझे लगा अब सायद ये आख़िरी पीड़ी होगी दादाजी की , जो इन वस्त्रों में देख रहा हूँ । २० वर्षों बाद इतना देशी अंदाज़ आमतौर पर ना मिले देखने को , या सिर्फ़ सांस्कृतिक कारक्रमों में दिखेगा ।
एक Selfie तो बनती है दादाजी के साथ ।