Chandrama Jyoti Foundation

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नि:शुल्क आंख जांच सह मोतियाबिंद चयन शिविर, जहा मोतिवाबिंद के मरीजों को आने जाने के लिए गाड़ी की सुविधा भी दिया जाता है
26/01/2024

नि:शुल्क आंख जांच सह मोतियाबिंद चयन शिविर, जहा मोतिवाबिंद के मरीजों को आने जाने के लिए गाड़ी की सुविधा भी दिया जाता है

चन्द्रमा ज्योति फाउंडेशन के द्वारा ऑंख की नि:शुल्क जांच

05/01/2024

Eye OT START AT JADHUA NEAR MAMU BHANJA (KARWALA MOR) HAJIPUR VAISHALI (BIHAR)

Please follow Everyone viral conjunctivitis
25/07/2023

Please follow Everyone viral conjunctivitis

NGO TRUST चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन के सौजन्य से हाजीपुर में अब प्रत्येक बुधवार को नि:शुल्क आंख जांच शिविर आयोजित किया जाए...
14/05/2023

NGO TRUST चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन के सौजन्य से हाजीपुर में अब प्रत्येक बुधवार को नि:शुल्क आंख जांच शिविर आयोजित किया जाएगा

NGO द्वारा सुविधा अब हाजीपुर में अति शीघ्र....
29/04/2023

NGO द्वारा सुविधा अब हाजीपुर में अति शीघ्र....

चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन नेत्रालय, हुसैन चौक सुपौल(सहरसा रोड नजदीक मवेसी अस्पताल)मोबाइल +91 94714 00972
23/06/2022

चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन नेत्रालय, हुसैन चौक सुपौल(सहरसा रोड नजदीक मवेसी अस्पताल)
मोबाइल +91 94714 00972

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लगने वाले लेंस अनेक प्रकार के होते हैं । इन लेंसों का चयन ब्रांड, देसी - विदेशी और पैसों के ...
28/03/2022

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लगने वाले लेंस अनेक प्रकार के होते हैं । इन लेंसों का चयन ब्रांड, देसी - विदेशी और पैसों के ऊपर ना करें । लेंसों का चयन इन खासियतों के आधार पर करें ।

1. लेंस मटेरियल: पॉलिमैथिलमेथैक्राइलेट (PMMA), सिलिकॉन, हाइड्रोफोबिक और हाइड्रोफिलिक ऐक्रेलिक इत्यादि लेंस बनाने के मटेरियल उपलब्ध हैं।

पीएमएमए कठोर गैर-फोल्ड करने योग्य लेंस होते हैं जिनका उपयोग बड़े चीरे की (6 - 10 मिमी) मोतियाबिंद सर्जरी (MSICS और ECCE) में किया जाता है।

फोल्डेबल लेंसों में हाइड्रोफोबिक ऐक्रेलिक को कैप्सुलर ओपेसिफिकेशन (जाला) रोकने में अपने दीर्घकालिक प्रभावों के कारण सबसे अच्छा माना जाता है। फोल्डबल लेंस को आमतौर पर अतिसूक्ष्म चीरे (2.2 मिमी) वाली फेको विधि (Phacoemulsification Surgery) से होने वाली सर्जरी के बाद प्रत्यारोपित किया जाता है |

जाला सर्जरी के 6 महीने के बाद आने की संभावना होती है, पुनः दृष्टि में धुँधलापन इसका मुख्य लक्षण होता है | लेज़र द्वारा जाले की सफाई ही फिर से रौशनी लाने का एक मात्र विकल्प होता है | लेज़र के साइड इफेक्ट्स दुर्लभ लेकिन गंभीर होते हैं, इसमें रेटिना डिटेचमेंट और फ्लोटर्स की संभावनाएं शामिल हैं | जवान लोगों, शुगर के मरीज़ों, परदे (रेटिना) के मरीज़ों इत्यादि रोगों में जाला आने के संभावना अधिक होती है और लेज़र द्वारा इसकी सफाई के बाद परदे पर असर अधिक होता है ।

2. परा बैंगनी (अल्ट्रा वायलेट - UV) फ़िल्टर: प्राकृतिक लेंस परा बैंगनी किरणों को परदे (रेटिना) तक नहीं जाने देता है । मोतियाबिंद सर्जरी के बाद प्राकृतिक धुँधले हुए लेंस को हटा कर एक कित्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है, अगर इस लेंस में परा बैंगनी किरणों को रोकने का फ़िल्टर मौजूद नहीं हो तो ये किरणें आँख के परदे तक पहुँच कर रेटिना की बहुत सारी बिमारियों का कारण बनती हैं अथवा कुछ पुरानी रेटिनल बीमारियों (मधुमेह, उच्च रक्तचाप इत्यादि) को तेजी से बढाती हैं, जिससे स्थायी अंधापन हो सकता है । पहले परा बैंगनी किरणों का एक मात्र स्त्रोत सूर्य होता था, आजकल मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप इत्यादि स्क्रीन और LED बल्बों से भी परा बैंगनी किरणें निकलती हैं, जिससे आँख पर होने वाले उनके प्रभाव ज्यादा होते हैं ।

3. स्क्वायर एज और अनुकूलित स्क्वायर एज डिज़ाइन: इस डिज़ाइन की वजह से आपरेशन के बाद होने वाले जाले (Posterior Capsular Opacification) आने की संभावना कम हो जाती है, इसके वजह से आपरेशन के बाद धुँधलापन और लेज़र से जाले के बाद रेटिना की समस्याएं नहीं होती हैं ।

4. एस्फेरिक डिजाइन: एस्फेरिक डिज़ाइन का उपयोग करके उच्च क्रम अबेरशन को सही किया जाता है । जिसके वजह से कम रौशनी में, रात को गाड़ी चलाते वक़्त, अधिक बेहतर रौशनी प्राप्त होती है । रंग भी अधिक सजीले और स्पष्ट दिखाई देते हैं ।

5. फ़ोकेलिटी (लेंसों पर पावर के प्रकार)
a. मोनोफोकल लेंस (एक पावर वाले लेंस): यह लेंस दूरी दृष्टि के लिए सही है, इस लेंस से ड्राइविंग और सिनेमाघरों में फिल्म देखने जैसी दूरी के काम को आप बिना चश्में के कर सकते हैं । नजदीक और कंप्यूटर दूरी पर काम करने के लिए चश्मा लगाना होगा । मोनोफोकल लेंस उपलब्ध सबसे बुनियादी लेंस है, सारे इंश्योरन्स, कैशलेस, सरकारी विभाग (ECHS , इत्यादि ) इसी लेंस तक की ही धनराशि स्वीकृत करते हैं

b. बाइफोकल लेंस (दो पावर वाले लेंस): बाइफोकल चश्में की तरह इन लेंसों में भी बहुत दूर और नजदीक देखने के पावर होते हैं । इन लेंसों से रोज़मर्रा के अधिकतर कार्य बिना चश्में के किये जा सकते हैं लेकिन आपको अभी भी बहुत अच्छे प्रिंट पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता हो सकती है। इन लेंसों में एक संभावित कमी यह है कि आप रात में गाड़ी चलाते समय रोशनी के आसपास हेलो अनुभव कर सकते हैं हालांकि, यह आमतौर पर समय के साथ कम हो जाता है ।

c. ट्राईफोकल लेंस: प्रोग्रेसिव चश्में की तरह इस लेंस पर तीन / चार पावर जोन होते हैं। ये अभी तक के सबसे बेहतरीन लेंस हैं, इस लेंस से सभी दूरी पर बिना चश्मा के देखा जा सकता है ।

d. टॉरिक (Toric) लेंस: अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही अधिक सिलिंड्रिकल नंबर यानी कॉर्निया के आकार में गड़बड़ी है तो उन्हें टॉरिक लेंस की आवश्यकता होती है । टॉरिक लेंस, मोनोफोकल, मल्टीफोकल और ईडीओएफ तीनों प्रकार के आते हैं ।
चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन नेत्रालय
हुसैन चौक सुपौल
नजदीक मवेशी अस्पताल
मोबाइल 947मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लगने वाले लेंस अनेक प्रकार के होते हैं । इन लेंसों का चयन ब्रांड, देसी - विदेशी और पैसों के ऊपर ना करें । लेंसों का चयन इन खासियतों के आधार पर करें ।

1. लेंस मटेरियल: पॉलिमैथिलमेथैक्राइलेट (PMMA), सिलिकॉन, हाइड्रोफोबिक और हाइड्रोफिलिक ऐक्रेलिक इत्यादि लेंस बनाने के मटेरियल उपलब्ध हैं।

पीएमएमए कठोर गैर-फोल्ड करने योग्य लेंस होते हैं जिनका उपयोग बड़े चीरे की (6 - 10 मिमी) मोतियाबिंद सर्जरी (MSICS और ECCE) में किया जाता है।

फोल्डेबल लेंसों में हाइड्रोफोबिक ऐक्रेलिक को कैप्सुलर ओपेसिफिकेशन (जाला) रोकने में अपने दीर्घकालिक प्रभावों के कारण सबसे अच्छा माना जाता है। फोल्डबल लेंस को आमतौर पर अतिसूक्ष्म चीरे (2.2 मिमी) वाली फेको विधि (Phacoemulsification Surgery) से होने वाली सर्जरी के बाद प्रत्यारोपित किया जाता है |

जाला सर्जरी के 6 महीने के बाद आने की संभावना होती है, पुनः दृष्टि में धुँधलापन इसका मुख्य लक्षण होता है | लेज़र द्वारा जाले की सफाई ही फिर से रौशनी लाने का एक मात्र विकल्प होता है | लेज़र के साइड इफेक्ट्स दुर्लभ लेकिन गंभीर होते हैं, इसमें रेटिना डिटेचमेंट और फ्लोटर्स की संभावनाएं शामिल हैं | जवान लोगों, शुगर के मरीज़ों, परदे (रेटिना) के मरीज़ों इत्यादि रोगों में जाला आने के संभावना अधिक होती है और लेज़र द्वारा इसकी सफाई के बाद परदे पर असर अधिक होता है ।

2. परा बैंगनी (अल्ट्रा वायलेट - UV) फ़िल्टर: प्राकृतिक लेंस परा बैंगनी किरणों को परदे (रेटिना) तक नहीं जाने देता है । मोतियाबिंद सर्जरी के बाद प्राकृतिक धुँधले हुए लेंस को हटा कर एक कित्रिम लेंस प्रत्यारोपित किया जाता है, अगर इस लेंस में परा बैंगनी किरणों को रोकने का फ़िल्टर मौजूद नहीं हो तो ये किरणें आँख के परदे तक पहुँच कर रेटिना की बहुत सारी बिमारियों का कारण बनती हैं अथवा कुछ पुरानी रेटिनल बीमारियों (मधुमेह, उच्च रक्तचाप इत्यादि) को तेजी से बढाती हैं, जिससे स्थायी अंधापन हो सकता है । पहले परा बैंगनी किरणों का एक मात्र स्त्रोत सूर्य होता था, आजकल मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप इत्यादि स्क्रीन और LED बल्बों से भी परा बैंगनी किरणें निकलती हैं, जिससे आँख पर होने वाले उनके प्रभाव ज्यादा होते हैं ।

3. स्क्वायर एज और अनुकूलित स्क्वायर एज डिज़ाइन: इस डिज़ाइन की वजह से आपरेशन के बाद होने वाले जाले (Posterior Capsular Opacification) आने की संभावना कम हो जाती है, इसके वजह से आपरेशन के बाद धुँधलापन और लेज़र से जाले के बाद रेटिना की समस्याएं नहीं होती हैं ।

4. एस्फेरिक डिजाइन: एस्फेरिक डिज़ाइन का उपयोग करके उच्च क्रम अबेरशन को सही किया जाता है । जिसके वजह से कम रौशनी में, रात को गाड़ी चलाते वक़्त, अधिक बेहतर रौशनी प्राप्त होती है । रंग भी अधिक सजीले और स्पष्ट दिखाई देते हैं ।

5. फ़ोकेलिटी (लेंसों पर पावर के प्रकार)
a. मोनोफोकल लेंस (एक पावर वाले लेंस): यह लेंस दूरी दृष्टि के लिए सही है, इस लेंस से ड्राइविंग और सिनेमाघरों में फिल्म देखने जैसी दूरी के काम को आप बिना चश्में के कर सकते हैं । नजदीक और कंप्यूटर दूरी पर काम करने के लिए चश्मा लगाना होगा । मोनोफोकल लेंस उपलब्ध सबसे बुनियादी लेंस है, सारे इंश्योरन्स, कैशलेस, सरकारी विभाग (ECHS , इत्यादि ) इसी लेंस तक की ही धनराशि स्वीकृत करते हैं

b. बाइफोकल लेंस (दो पावर वाले लेंस): बाइफोकल चश्में की तरह इन लेंसों में भी बहुत दूर और नजदीक देखने के पावर होते हैं । इन लेंसों से रोज़मर्रा के अधिकतर कार्य बिना चश्में के किये जा सकते हैं लेकिन आपको अभी भी बहुत अच्छे प्रिंट पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता हो सकती है। इन लेंसों में एक संभावित कमी यह है कि आप रात में गाड़ी चलाते समय रोशनी के आसपास हेलो अनुभव कर सकते हैं हालांकि, यह आमतौर पर समय के साथ कम हो जाता है ।

c. ट्राईफोकल लेंस: प्रोग्रेसिव चश्में की तरह इस लेंस पर तीन / चार पावर जोन होते हैं। ये अभी तक के सबसे बेहतरीन लेंस हैं, इस लेंस से सभी दूरी पर बिना चश्मा के देखा जा सकता है ।

d. टॉरिक (Toric) लेंस: अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही अधिक सिलिंड्रिकल नंबर यानी कॉर्निया के आकार में गड़बड़ी है तो उन्हें टॉरिक लेंस की आवश्यकता होती है । टॉरिक लेंस, मोनोफोकल, मल्टीफोकल और ईडीओएफ तीनों प्रकार के आते हैं ।
चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन नेत्रालय
हुसैन चौक सुपौल
नजदीक मवेशी अस्पताल
मोबाइल 9471400972

आप सभी को होली की अग्रिम शुभकामनायें 🙏🏻🙏🏻होली का त्योहार बहुत नजदीक है. मौज मस्ती और होली के हुडदंग में इस बात का ध्यान ...
15/03/2022

आप सभी को होली की अग्रिम शुभकामनायें 🙏🏻🙏🏻

होली का त्योहार बहुत नजदीक है. मौज मस्ती और होली के हुडदंग में इस बात का ध्यान रखना, कि रंग आपकी आंखों को नुकसान न पहुंचाए। स्किन केयर तो हम क्रीम या तेल लगाकर कर लेते है लेकिन आंखों की सुरक्षा कैसे की जाएं इसके बारे में पता ही नहीं होता जिसका परिणाम होता है कि कैमिकल भरा रंग आंखों में जाने की संभावना बढ़ जाती है यदि कोई खतरनाक केमिकल आंखों में चला गया तो कहीं इस होली के रंग में ना पड़ जाएं भंग।
👁️👁️केमिकल वाले रंगो से जा सकती हैं आंखो की रौशनी भी 👁️👁️

रंगों से खेलते वक्त आप इन टिप्स के जरिये रख सकते हैं आंखों का ध्यान

1) नारियल तेल की कुछ मात्रा लेकर अपने चेहरे और खास तौर से आंखों के आसपास अच्छी तरह से लगाएं। यह रंग को आसानी से आसानी से निकालने में मदद करेगा, वह भी बि‍ना किसी नुकसान के।

2) सबसे अच्छा तरीका है, सनग्लास यानि धूप का चश्मा लगाना। इससे आपकी आंखें रंगों एवं उनसे होने वाले दुष्प्रभाव से सुरक्षित रहेंगी और होली भी अच्छे से खेल सकेंगे।

3) अगर किसी कारण से आंखों में होली का रंग चला जाए तो रंग वाले हाथों से आंख ना छूए, हाथ धोने के बाद ही आंखों को छुएं। आंखों को मसलने से समस्या और अधिक बढ़ सकती है। तुरंत सादे पानी से धोएं और नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें कोई घरेलू उपाय ना करें ।

4) बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं। इससे रंग आसानी से आंखों में प्रवेश कर सकता है। इसे आपकी आंखों में जलन, असहजता और दर्द हो सकता है व देखने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

5) जब भी आपको कोई रंग लगाने आए या फिर आप रंगों की टोली के बीच जाएं तो सर नीचे झुकाए रखें या फिर अपने आंखों को स्थिति के अनुसार बंद करते रहें।

6) अगर आप आंखों में लेंस लगाते हैं, तो बेहतर होगा कि होली खेलते वक्त आंखों से लेंस निकाल दें। गलती से भी रंग आंखों में जाने से यह आपके लिए बेहद तकलीफदेह हो सकता है।

7) रंगों की एलर्जी इतनी अधिक होती है कि उससे आंख एकदम सुर्ख लाल हो जाता है. उससे पानी आने लगता है और आखों में चुभन और जलन होने लगती है । और इनसे कुछ लोगों को एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं. एलर्जी से त्वचा, आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है. इनसे संवेदनशील लोगों में सर्दी, खांसी और सांस की तकलीफें भी हो सकती हैं. इनसे दमा और अन्य जटिल समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं.

8). होली में हर्बल या ऑरगेनिक रंग का इस्तेमाल करना चाहिये. यह रंग न तो आंखों को नुकसान पहुंचायेगा और न हीं त्वचा को । होली में रंग व गुलालों में शीशा व केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है. ऐसे में अगर वह शीशा आंखों में चला जाता है, तो कॉर्निया फटने का डर बना रहता है ।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें 🙏🏻
👁️आपका अपना आँख अस्पताल👁️🏥
चंद्रमा ज्योति नेत्रालय, हुसैन चौक सुपौल (नजदीक मवेशी अस्पताल)
9471400972
9955080183

चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क 16 मोतियाबिंद आपरेशन हुआ, क्लीनिक- हुसैन चौक सुपौल नजदीक मवेशी अस्पतालमोबाइल 995...
06/10/2021

चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क 16 मोतियाबिंद आपरेशन हुआ, क्लीनिक- हुसैन चौक सुपौल नजदीक मवेशी अस्पताल
मोबाइल 9955080183

सुपौल जिला अंतर्गत नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन, कैंप स्थल- हरदी दुर्गा स्थान तथा ऑपरेशन स्थल- हुसैन चौक सुपौल – Supaul (न...
24/09/2021

सुपौल जिला अंतर्गत नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन, कैंप स्थल- हरदी दुर्गा स्थान तथा ऑपरेशन स्थल- हुसैन चौक सुपौल – Supaul (नजदीक मवेशी अस्पताल सहरसा रोड)
WhatsApp 9471400972

17/09/2021

नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन करिहो पंचायत जिला सुपौल – Supaul
Whatsapp 9471400972

Free cataract surgery At supaul District
12/09/2021

Free cataract surgery At supaul District

नि:शुल्क आंख जांच एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर सुपौल जिला अंतर्गत करिहो....Whatsapp 9471400972
08/09/2021

नि:शुल्क आंख जांच एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर सुपौल जिला अंतर्गत करिहो....
Whatsapp 9471400972

14/08/2021
चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन, स्थान- हुसैन चौक सुपौल, नजदीक मवेशी अस्पताल (सहरसा रोड)995508...
30/06/2021

चंद्रमा ज्योति फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन, स्थान- हुसैन चौक सुपौल, नजदीक मवेशी अस्पताल (सहरसा रोड)
9955080183
9471400972

नि:शुल्क मोतियाबिंद आपरेशन  स्थान हुसैन चौक,सुपौल नजदीक मवेशी अस्पतालमोबाइल 9955080183,9471400972
18/06/2021

नि:शुल्क मोतियाबिंद आपरेशन
स्थान हुसैन चौक,सुपौल नजदीक मवेशी अस्पताल
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