Shri Vishva Prangana Ayurveda Clinic and Panchakarma center

Shri Vishva Prangana Ayurveda Clinic and Panchakarma center This page belongs to an authentic Maharashtrian Ayurvedic clinic and Panchakarma center launching first time in Uttarakhand.

Nadi Vaidya Dr. Rahul Gupta has passed his BAMS from Uttranchal Ayurvedic College Dehradun and has done his MD (Ayurveda) from Government Ayurved College Nanded, Maharashtra. He got his traditional ayurveda knowledge from very famous guru shishya parampara “VISHVA PARAMPARA, Maharashtra”. He is a proficient Nadi Vaidya and got his diksha for the same from Vishva Pandhari Ashram Kolhapur. He is hav

ing more than 10 years of expertise. Many patients in India & abroad have been benefited from his pulse diagnosis, ayurveda and panchakarma treatment. He has participated and presented his papers in many international conferences. His articles on various subject are published in national – international journals, magazines and newspapers.

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएँ!
01/07/2025

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएँ!

हमारी चिकित्सीय यात्रा के पग-पग पर हमारे द्वारा किए गए कार्यों को जन सामान्य तक पहुँचाने का कार्य कर आयुर्वेद के प्रचार ...
28/06/2025

हमारी चिकित्सीय यात्रा के पग-पग पर हमारे द्वारा किए गए कार्यों को जन सामान्य तक पहुँचाने का कार्य कर आयुर्वेद के प्रचार प्रसार में सहायक बनने हेतु, अमर उजाला परिवार को हार्दिक धन्यवाद !

10/06/2025

डाईबटीज के रुग्णो में कॉम्प्लिकेशन ( ) निर्माण होने के कुछ विशिष्ठ कारण नज़र में आए हैं, आपके साथ भी साझा कर रहे हैं-
१) डाईबटीज का रुग्ण अगर दही, अत्यधिक पानी पीना, रोज़ स्नान ना करना, मांसाहार का अति सेवन, दिन में सोना इत्यादि कारणो का सेवन करता है तो उसे - (डाईबटीज के कारण हुई किड्नी की बीमारी/किड्नी फेल) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।

२) डाईबटीज का रुग्ण अगर नमक, मिर्च, खट्टा इत्यादि का अधिक सेवन करे, क्रोध अथवा चिंता अधिक करे, अथवा नेत्र से जुड़े व्यवसाय जिसमें स्क्रीन टाइम ज़्यादा हो ऐसे अवस्था में उसे - (डाईबटीज के कारण हुई आँखों की बीमारी/अंधापन) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।

३) डाईबटीज का रुग्ण अगर करेले का जूस, या अत्यधिक रूक्ष आहार जैसे गेहूं बंद कर चने आदि की रोटी खाता है, खाना कम कर अनुचित तरीक़े से भूखा रहने की कोशिश करता है, शक्ति से अधिक व्यायाम करता है, या फिर आहार में घी-दूध त्याग कर कम चिकनाई वाले रेफ़ायंड तेल ला सेवन करता है तो उसे - (डाईबटीज के कारण हुई नसों की बीमारी/डाईबटीक अल्सर/झनझनाहट) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।

वैद्य राहुल गुप्ता

मुंड लोह खरल (Cast iron) बहुत समय से तलाश जारी थी अंततः सफलता मिल ही गई। आजकल लोह खरल का प्रचलन सा ख़त्म हो गया है। मार्...
25/05/2025

मुंड लोह खरल (Cast iron)

बहुत समय से तलाश जारी थी अंततः सफलता मिल ही गई। आजकल लोह खरल का प्रचलन सा ख़त्म हो गया है। मार्केट में स्टील तथा ऐल्यूमिनीयम की खरल मिलना शुरू हो चुकी है, जिसका प्रयोग एक वैद्य के दृष्टिकोण से रुग्ण की सेहत के लिए नुक़सान दायक होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि पारद हर एक धातु के साथ रासायनिक प्रक्रिया करने में सक्षम है। लोह खरल रस औषधियों के लिए सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि पारद की लोह धातु से किसी भी प्रकार की रासायनिक प्रक्रिया नहीं होती। चिकित्सालय में पहले से लोह खरल मौजूद थी लेकिन मुंड लोह खरल पाने की अभिलाषा आज पूरी हो गयी। जय धन्वंतरि।

21/05/2025
एक और उपलब्धि : Blindness Reversal By Ayurveda case study published in EJMCM (International Journal)�आप सब को बताते हुए ...
18/05/2025

एक और उपलब्धि : Blindness Reversal By Ayurveda case study published in EJMCM (International Journal)�
आप सब को बताते हुए पुनः हर्ष हो रहा है की कुछ माह पहले एक केस स्टडी शेयर की थी जिसमें एक रोगी जिसके आँखो की रोशनी चली गई थी, सभी चिकित्सा पद्यतियाँ फेल हो गई थी, लेकिन दो महीने की आयुर्वेद चिकित्सा द्वारा रोगी के आँखों की रोशनी वापस आ गयी थी। आज वही केस स्टडी विश्व के एक प्रतिष्ठित पियर रिव्यूड जर्नल European Journal of Molecular & Clinical Medicine (Impact factor 5.9, indexed by databases like Scopus etc.) में प्रकाशित हो गयी है। आयुर्वेद नेत्र चिकित्सा को मॉडर्न एविडेन्स के साथ विश्व स्तर पर स्थापित करने का एक छोटा सा कदम उठाया है। कृपया ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कर अपनी सहभागिता निभाएँ। आर्टिकल नीचे दिए लिंक से पढ़ा व डाउनलोड किया जा सकता है। आर्टिकल सम्बंधित शंकाओ का स्वागत है।
वैद्य राहुल गुप्ता (BAMS, MD); वैद्य अंकिता गुप्ता (BAMS,MS)
श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद व पंचकर्म चिकित्सालय, हल्द्वानी, उत्तराखंड (Mob-78953-72936)

https://www.ejmcm.com/archives/volume-12/issue-1/14143

आयुर्वेद की कहानी एक एलोपथिक चिकित्सक की ज़ुबानी अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होग...
28/04/2025

आयुर्वेद की कहानी एक एलोपथिक चिकित्सक की ज़ुबानी

अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होगी। बिरले ही कभी किसी ने निजी स्वार्थ अथवा राजनीतिक दबाव के चलते आयुर्वेद का दबे स्वरों में समर्थन भी किया हो, किंतु आज हम इसी प्रकरण का एक नया पहलू आपके सामने अपने एक रुग्ण डा अमरजीत सिंह साहनी के आयुर्वेद चिकित्सा अनुभवों के रूप में साझा कर रहे हैं। साथ ही हम डॉक्टर साहब का आभार भी व्यक्त करते है क्योंकि इनके शब्द कितने ही रुग्णो के मन में आयुर्वेद की तरफ़ देखने का नज़रिया बदलेंगे।

डा अमरजीत पिछले दो वर्षों से नेत्र की समस्या से ग्रसित थे जिनमे उनकी पलकें कभी किसी समय भी फड़फड़ाने लगती थे। मेडिकल ऑफ़िसर होने के नाते उन्हें आए दिन रुग्णो, अधिकारियों आदि लोगों से बोलना और कोऑर्डिनेट करना पड़ता था जिसमें उन्हें परेशानी आने लगी। इन्होंने लोकल उपचार किया जिससे लाभ नहीं मिला, तब इन्होंने चेन्नई के एक बड़े नेत्र चिकिसलाय जाकर इलाज शुरू किया, लेकिन छह महीने के प्रयास के बाद वो भी असफल रहा। इसके पश्चात इन्होंने गुरुग्राम स्थित देश के सबसे प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में जाकर इलाज करवाया किंतु वहाँ भी कुछ लाभ नहीं मिला। समय समय पर भिन्न भिन्न एलोपथिक निदान बने किंतु कुछ लाभ नहीं मिल पाया। अंत में इन्होंने इन्होंने आयुर्वेद का रुख़ किया।

रुग्ण का आयुर्वेद परीक्षण करने के बाद इनकी बीमारी का निदान “निमेष रोग” हुआ जिसमें नेत्र की पलकें बार-बार फड़फड़ाती हैं। निमेष रोग के कारणों में एक कारण क्षमता से अधिक बोलना आया है। क्योंकि रुग्ण एक आधिकारिक चिकित्सीय पद पर आसीन हैं, इन्हें अपने कार्य के सिलसिले में अधिक बोलना पड़ता था। दोषों का जोड़ मिलने पर इसी आदत ने रोग का रूप ले लिया था। बीमारी समझा कर रुग्ण को परहेज़ इत्यादि से अवगत कर चिकित्सा शुरू की। निदान अचूक होने के कारण पहले ही महीने से लाभ मिलना शुरू हुआ, फिर बाक़ी इस फ़ीड्बैक के माध्यम से आपके सामने है।

सभी आयुर्वेद प्रेमियों से अनुरोध है की ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें!

वैद्य राहुल गुप्ता
(BAMS, MD)
श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद चिकित्सालय, हल्द्वानी
Mob-78953-72936

अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होगी। बिरले ही कभी किसी ने निजी स्वार्थ अथवा र...

आयुर्वेद की कहानी एक एलोपथिक चिकित्सक की ज़ुबानी अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होग...
28/04/2025

आयुर्वेद की कहानी एक एलोपथिक चिकित्सक की ज़ुबानी

अक्सर आपने एलोपथिक चिकित्सकों के मुँह से आयुर्वेद की आलोचना ही सुनी होगी। बिरले ही कभी किसी ने निजी स्वार्थ अथवा राजनीतिक दबाव के चलते आयुर्वेद का दबे स्वरों में समर्थन भी किया हो, किंतु आज हम इसी प्रकरण का एक नया पहलू आपके सामने अपने एक रुग्ण डा अमरजीत सिंह साहनी के आयुर्वेद चिकित्सा अनुभवों के रूप में साझा कर रहे हैं। साथ ही हम डॉक्टर साहब का आभार भी व्यक्त करते है क्योंकि इनके शब्द कितने ही रुग्णो के मन में आयुर्वेद की तरफ़ देखने का नज़रिया बदलेंगे।

डा अमरजीत पिछले दो वर्षों से नेत्र की समस्या से ग्रसित थे जिनमे उनकी पलकें कभी किसी समय भी फड़फड़ाने लगती थे। मेडिकल ऑफ़िसर होने के नाते उन्हें आए दिन रुग्णो, अधिकारियों आदि लोगों से बोलना और कोऑर्डिनेट करना पड़ता था जिसमें उन्हें परेशानी आने लगी। इन्होंने लोकल उपचार किया जिससे लाभ नहीं मिला, तब इन्होंने चेन्नई के एक बड़े नेत्र चिकिसलाय जाकर इलाज शुरू किया, लेकिन छह महीने के प्रयास के बाद वो भी असफल रहा। इसके पश्चात इन्होंने गुरुग्राम स्थित देश के सबसे प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में जाकर इलाज करवाया किंतु वहाँ भी कुछ लाभ नहीं मिला। समय समय पर भिन्न भिन्न एलोपथिक निदान बने किंतु कुछ लाभ नहीं मिल पाया। अंत में इन्होंने इन्होंने आयुर्वेद का रुख़ किया।

रुग्ण का आयुर्वेद परीक्षण करने के बाद इनकी बीमारी का निदान “निमेष रोग” हुआ जिसमें नेत्र की पलकें बार-बार फड़फड़ाती हैं। निमेष रोग के कारणों में एक कारण क्षमता से अधिक बोलना आया है। क्योंकि रुग्ण एक आधिकारिक चिकित्सीय पद पर आसीन हैं, इन्हें अपने कार्य के सिलसिले में अधिक बोलना पड़ता था। दोषों का जोड़ मिलने पर इसी आदत ने रोग का रूप ले लिया था। बीमारी समझा कर रुग्ण को परहेज़ इत्यादि से अवगत कर चिकित्सा शुरू की। निदान अचूक होने के कारण पहले ही महीने से लाभ मिलना शुरू हुआ, फिर बाक़ी इस फ़ीड्बैक के माध्यम से आपके सामने है।

सभी आयुर्वेद प्रेमियों से अनुरोध है की ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें!

वैद्य राहुल गुप्ता
(BAMS, MD)
श्री: विश्व प्रांगण आयुर्वेद चिकित्सालय, हल्द्वानी , उत्तराखंड
www.svpayurvedaclinic.com
Mob-78953-72936
https://youtu.be/kRskr2jN-Lo

Our Ayurveda treatment is derived from the ancient Vedas. The saints and Rishi - Muni used the techniques of Ayurveda to get rid off from their diseases. We are here to treat well to our patients.

13/04/2025

शरबते घमासान : आयुर्वेद का दृष्टिकोण
शरबत की धार्मिक बहस आजकल सोशल मीडिया पर बडी वायरल है। किन्तु आयुर्वेद अनुसार कौन सा शरबत सही है, कौन सा नहीं, आइए इसके बारे में जानते हैं। ग्रीष्म ऋतु में वात-पित के बढ़ने के कारण शरीर में रूक्षता उत्पन्न होती है, जिससे बचने के लिए शर्बत(पानक) या फिर फलों का रस पीने का निर्देश शास्त्र में आया है जो कि स्वभाव से मीठे और खट्टे होते हैं। ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेद अनुसार गुलाब का शर्बत (कब्ज़ की समस्या में), उशीर/खस का शर्बत (मूत्र की समस्या में) या फिर अपने आस-पास में मिलने वाले लोकल शर्बत जैसे उत्तराखंड में बुरांश, उत्तर प्रदेश में फॉल्सा या फिर महाराष्ट्र में कोकम जैसे शर्बत का सेवन इस ऋतु में लाभदायक है। इससे उलट कुछ शर्बत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं, जैसे कुछ शर्बतो में अनन्नास का प्रयोग किया जाता है जो कि एक पश्चिमी फल है जिसके सेवन से मांस धातु का क्षरण (नाश) होता। इसी कारणवश अनन्नास गर्भिणी ( प्रेग्नेंसी) के लिए भी हानिकारक होता हैं।
इस लेख को भी धार्मिक चश्मे से न देखा जाए इसलिए एक और उदाहरण दिया जा रहा है, कुछ लोग बेल शरबत का भी प्रयोग करते हैं किन्तु आयुर्वेद में पका हुआ बेल पूति मारुत यानी बदबूदार गैस को पैदा करने वाला बताया है इसलिए बेल का शर्बत भी इस ऋतु में हानिकारक हो सकता है
वैद्य राहुल गुप्ता

05/04/2025

अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोग सामन्य रहन-सहन, और सात्विक जीवनशैली के बावजूद भी कैंसर जैसे गम्भीर रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। आयुर्वेद में ऐसे रोगों का कारण पूर्व जन्मकृत पाप बताया गया है। अमेरिका के John Hopkin’s university की 2015 की रिपोर्ट बताती है की, उनके कैंसर रोगियों में दो-तिहाई रोगी ऐसे मिले जिनके DNA में बिना कारण ही ऐसे बदलाव आये जिनसे उनके शरीर की सामान्य कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित हो गई। इसको “BAD LUCK MUTATION” बोला जाता है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेद में कुछ ऐसी ओषधियों का वर्णन है जो, इस तरह के पूर्व जन्म कृत पापों से उत्पन्न हुए गम्भीर रोगों से भी लड़ने में सक्षम हैं।
वैद्य राहुल गुप्ता

दादी जानकी के जयंती दिवस के अवसर पर ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विद्यालय में नाड़ि परीक्षा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। आभार ...
28/03/2025

दादी जानकी के जयंती दिवस के अवसर पर ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विद्यालय में नाड़ि परीक्षा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। आभार ब्रह्मकुमारी संस्था।
https://youtu.be/T_PmtRxSA6A

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