
25/07/2024
जल पर आयुर्वेदिक विचार
आकाश, वायु,अग्नि , जल तथा पृथ्वी ये पचमहाभूत सारे संसार का मूल है। हमारा शरीर भी पचभौतिक है आयुर्वेद में इसे पचभौतिक शरीर कहा गया है। आयुर्वेद में त्रिदोष शरीर का मूल माने गए हैं ये भी पंच महाभूतो का ही स्वरूप है। हमारा आहार भी पंच महाभूतो का ही स्वरूप है।
जब मानव जीवन की बात होती है तो जीवन के लिए जल वायु अन्न को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी जल वायु तथा अन्न के विभिन्न प्रकारो का वर्णन और उनका मानव पर होने वाले प्रभावो पर बहुत विस्तारपूर्वक विचार हमारे ऋषि मुनियो ने रखा है।यह सभी विचार मनुष्य को स्वस्थ तथा रोगों से दूर रखने में तथा रोग ग्रस्त होने पर स्वास्थ्य लाभ करवाते हैं ।
जैसे आयुर्वेद का उद्देश्य ही यह है
"स्वास्थ्य स्वास्थ्य रक्षण
आतुरस्य विकार प्रशमन च "।
अर्थात स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना तथा विकार ग्रसित व्यक्ति को रोगों से मुक्त करना ।
इसी दृष्टिकोण से जब हम जल की बात करें तो इसका महत्व सभी प्राणियों को पता है जैसे कहा भी जाता है "जल ही जीवन है”पर आयुर्वेद के नजरिए से देखें तो स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी उपयोगिता और भी बहुत बढ़ जाती है ।
जल का स्वाभाविक गुण शीतलता प्रदान करना है पर आयुर्वेद में उष्ण जल की महत्ता बहुत है गर्म जल हमारे पाचन शक्ति को बढ़ाता है भूख को ठीक रखता है तथा वात तथा कफ की समता बनाएं रखता है और नित्य उष्ण जल सेवन करने से आम का पाचन अच्छे से होता है तथा बीमारियों से बचा जा सकता है ।
इसी संदर्भ में गर्म जल का दोषो की विकृति के समय कैसे उपयोग किया जाए का बहुत अच्छा वर्णन आयुर्वेद में मिलता है ।
"तत्यादहीनं वातघ्ननमर्धहीन तु पितनुत ।
त्रिपादहीनम् श्लेष्मधनम पाचन दीपन लधु ।
द्वन्दजे सान्निपाते च ज्वरे पथ्य तदार्जितम् "। (्योगरत्नाकर )
जल को जब पकाकर उसका चतुर्थ अंश होने पर अग्नि से उतरा जाए तो वह जल वात नाशक होता है ।
जल को आधा पका कर उतरा जाए तो वह पितनाशक होता है
इसी तरह जब जल को तीन भाग पका कर प्रयोग किया जाए तो वह कफ नाशक तथा साथ में पाचन और भूख बढ़ाने वाला होता है तथा ज्वर का भी नाश करता है ।
अंत में यही कहूंगा की जल का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व है जैसे कि चरक ने कहा है
आप्यायन्ति च यां दृष्टिं प्रशस्यमान्युदकेन ध्यायति।
तेषां त्वायुर्धनं विद्यात् बलं वीर्यं च संहतम्।। ( चरक संहिता)
"पानी जो प्यास बुझाता है और अपनी स्वच्छता और शुद्धता के लिए प्रशंसित है, वह दीर्घायु, धन, शक्ति और जीवटता प्रदान करता है।"
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