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गोघृत आयुर्वेद मे अम्रत समान जाना गया है। यह बुद्धि , मेघा तथा स्मृति को बड़ाता है तथा पाचन को सही करता है। अगर इसका उपय...
30/08/2025

गोघृत आयुर्वेद मे अम्रत समान जाना गया है। यह बुद्धि , मेघा तथा स्मृति को बड़ाता है तथा पाचन को सही करता है। अगर इसका उपयोग बुद्धि से किया जाए तो यह त्रिदोष शामक का भी काम करता है।
घृत में दूसरे द्रव्यो के गुणो को ग्रहण करने की श्रेष्ठ क्षमता होती है। . इसी कारण से आयुर्वैद मे बहुत से औषध का पाक धृत में किया जाता है। तथा उसके बाद औषध रूप में ग्रहण भी किया जाता है।


Healthy Ayurveda wishes everyone happy Ganesh chaturthi..
27/08/2025

Healthy Ayurveda wishes everyone happy Ganesh chaturthi..

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर किया गया व्यायाम आपके स्वास्थ्य को लाभ तो देता ही है परन्तु आपकी चेतना को जाग्रत कर मन क...
15/08/2025

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर किया गया व्यायाम आपके स्वास्थ्य को लाभ तो देता ही है परन्तु आपकी चेतना को जाग्रत कर मन को प्रबल व सुन्दर भी बनाता है।
स्वतन्त्रता दिवस की बधाई ।

🌿 मुलेठी – पेट की जलन और मितली का प्राकृतिक समाधान 🌿अगर खाना खाने के बाद उल्टी जैसा मन होना, पेट में जलन, या कड़वा पानी ...
14/08/2025

🌿 मुलेठी – पेट की जलन और मितली का प्राकृतिक समाधान 🌿

अगर खाना खाने के बाद उल्टी जैसा मन होना, पेट में जलन, या कड़वा पानी बनना जैसी परेशानी हो रही है, तो आयुर्वेद में इसका सरल और असरदार उपाय है – मुलेठी।

✨ मुलेठी (यष्टिमधु) को अंग्रेज़ी में Liquorice कहते हैं।
यह एक श्रेष्ठ पित्तशामक औषधि है, जो पेट की उष्णता को शांत करती है और पाचन को संतुलित करती है।

🌸 मुख्य लाभ
पेट की जलन और अम्लता में राहत

मितली, उल्टी और motion sickness में लाभकारी

पेट की परत (mucosa) को ठंडक और सुरक्षा प्रदान करती है

पाचन शक्ति को सहज और संतुलित बनाती है

💡 सेवन विधि
1️⃣ मुलेठी के चूर्ण का 1 चम्मच सुबह और शाम, खाने के 1 घंटे बाद लें।
2️⃣ या फिर मुलेठी को पानी में उबालकर छान लें और सुबह खाली पेट पिएं।

⚡ विशेष टिप – गर्मी और पित्त की अधिकता वाले लोगों के लिए यह एक उत्तम औषधि है।

🌿 आयुर्वेद कहता है –
"यष्टिमधुं मधुरं स्निग्धं गुरु शीतं बलप्रदम्"
(यष्टिमधु स्वाद में मधुर, स्वभाव में शीतल और बलवर्धक है।)

Himalaya Wellness Company Ayurvedic health tips Ministry of Ayush, Government of India

13/08/2025

🌞 सुबह की शुरुआत करें गर्म पानी से – सेहत का सीक्रेट! 🚰🔥

सुबह उठते ही एक गिलास उष्ण जल पीना आपके स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकता है –
✨ शरीर से आम (Toxin) का सफाया
✨ कब्ज से छुटकारा
✨ पेट की पूरी तरह सफाई
✨ पाचन तंत्र होगा मजबूत
✨ जठराग्नि तीव्र होगी – भूख खुलकर लगेगी
✨ भोजन होगा अच्छे से पच

💡 आयुर्वेद कहता है – रोज़ सुबह का ये छोटा सा आदत, आपको दिनभर ऊर्जावान और हल्का महसूस कराएगी।
आज से ही शुरुआत करें और फर्क महसूस करें! 🌿

#गर्मपानी #उष्णजल

जल पर आयुर्वेदिक विचारआकाश, वायु,अग्नि , जल तथा पृथ्वी ये पचमहाभूत सारे संसार का मूल है। हमारा शरीर भी पचभौतिक है आयुर्व...
25/07/2024

जल पर आयुर्वेदिक विचार

आकाश, वायु,अग्नि , जल तथा पृथ्वी ये पचमहाभूत सारे संसार का मूल है। हमारा शरीर भी पचभौतिक है आयुर्वेद में इसे पचभौतिक शरीर कहा गया है। आयुर्वेद में त्रिदोष शरीर का मूल माने गए हैं ये भी पंच महाभूतो का ही स्वरूप है। हमारा आहार भी पंच महाभूतो का ही स्वरूप है।

जब मानव जीवन की बात होती है तो जीवन के लिए जल वायु अन्न को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी जल वायु तथा अन्न के विभिन्न प्रकारो का वर्णन और उनका मानव पर होने वाले प्रभावो पर बहुत विस्तारपूर्वक विचार हमारे ऋषि मुनियो ने रखा है।यह सभी विचार मनुष्य को स्वस्थ तथा रोगों से दूर रखने में तथा रोग ग्रस्त होने पर स्वास्थ्य लाभ करवाते हैं ।
जैसे आयुर्वेद का उद्देश्य ही यह है
"स्वास्थ्य स्वास्थ्य रक्षण
आतुरस्य विकार प्रशमन च "।
अर्थात स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना तथा विकार ग्रसित व्यक्ति को रोगों से मुक्त करना ।
इसी दृष्टिकोण से जब हम जल की बात करें तो इसका महत्व सभी प्राणियों को पता है जैसे कहा भी जाता है "जल ही जीवन है”पर आयुर्वेद के नजरिए से देखें तो स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी उपयोगिता और भी बहुत बढ़ जाती है ।

जल का स्वाभाविक गुण शीतलता प्रदान करना है पर आयुर्वेद में उष्ण जल की महत्ता बहुत है गर्म जल हमारे पाचन शक्ति को बढ़ाता है भूख को ठीक रखता है तथा वात तथा कफ की समता बनाएं रखता है और नित्य उष्ण जल सेवन करने से आम का पाचन अच्छे से होता है तथा बीमारियों से बचा जा सकता है ।
इसी संदर्भ में गर्म जल का दोषो की विकृति के समय कैसे उपयोग किया जाए का बहुत अच्छा वर्णन आयुर्वेद में मिलता है ।

"तत्यादहीनं वातघ्ननमर्धहीन तु पितनुत ।
त्रिपादहीनम् श्लेष्मधनम पाचन दीपन लधु ।
द्वन्दजे सान्निपाते च ज्वरे पथ्य तदार्जितम् "। (्योगरत्नाकर )

जल को जब पकाकर उसका चतुर्थ अंश होने पर अग्नि से उतरा जाए तो वह जल वात नाशक होता है ।
जल को आधा पका कर उतरा जाए तो वह पितनाशक होता है
इसी तरह जब जल को तीन भाग पका कर प्रयोग किया जाए तो वह कफ नाशक तथा साथ में पाचन और भूख बढ़ाने वाला होता है तथा ज्वर का भी नाश करता है ।

अंत में यही कहूंगा की जल का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व है जैसे कि चरक ने कहा है

आप्यायन्ति च यां दृष्टिं प्रशस्यमान्युदकेन ध्यायति।
तेषां त्वायुर्धनं विद्यात् बलं वीर्यं च संहतम्।। ( चरक संहिता)

"पानी जो प्यास बुझाता है और अपनी स्वच्छता और शुद्धता के लिए प्रशंसित है, वह दीर्घायु, धन, शक्ति और जीवटता प्रदान करता है।"


#आयुर्वेद

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22/04/2024

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18/04/2024

ये जो वीत रहा है वो वक्त नही जिंदगी है।

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
16/04/2024

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥ जय माता दो।
15/04/2024

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
जय माता दो।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥जय माता कात्यायनी ।
14/04/2024

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
जय माता कात्यायनी ।

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥जय स्कंदमाता माता।जय माता दी।
13/04/2024

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
जय स्कंदमाता माता।
जय माता दी।

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