Dhanvantri Ayurveda

Dhanvantri Ayurveda Founded By Renowned ayurvedic physician in 1995 and Run by Team of Doctors.

Ayurvedic specialty clinic with all treatment technologies of Ayurveda including Panchkarma, Kshar Sutra, Ayurvedic surgery, Punsavan Karma, Ayurvedic Gynecology and pediatrics.

78 वर्षीय पुरुष, वजन 40 किलोग्राम एक महीने पहले ओपीडी में लाए गए। रोगी की पेशाब में रुकावट, बैठने में असमर्थ, गुदा मार्ग...
10/09/2025

78 वर्षीय पुरुष, वजन 40 किलोग्राम एक महीने पहले ओपीडी में लाए गए। रोगी की पेशाब में रुकावट, बैठने में असमर्थ, गुदा मार्ग में तेज दर्द, मल की रुकावट की समस्या थी। जांच के दौरान severe pr*****ed hemorrhoids multiple ( काफी बड़े पाइल्स मतलब गुदा द्वार में मस्से) पाया गया। रोगी सर्जरी कराने को तैयार नहीं था। रोगी तथा अटेंडेंट के कहने पर आयुर्वेद चिकित्सा आरंभ की गई।
पहले 5 दिन में 30 प्रतिशत लाभ मिला। चार सप्ताह बाद रोगी सामान्य है और चिकित्सा पश्चात का चित्र संलग्न हैं।
केवल अर्श चिकित्सा की गई। मरीज को भर्ती नहीं किया गया साथ ही कोई एलोपैथिक दवाई, यूरिन कैथेटर उपयोग नहीं कराया है।

🌞🥣 देर से नाश्ता = बीमारी का न्योता 🥣🌞हालांकि आयुर्वेद के दिनचर्या और ऋतुचर्या नियम ने। बहुत पहले से इसे विस्तृत रूप से ...
10/09/2025

🌞🥣 देर से नाश्ता = बीमारी का न्योता 🥣🌞

हालांकि आयुर्वेद के दिनचर्या और ऋतुचर्या नियम ने। बहुत पहले से इसे विस्तृत रूप से समझा और उपयोग करा रखा है है। लेकिन फिर भी ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने हज़ारों बुजुर्गों पर अध्ययन किया और एक बेहद महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया –
👉 अगर आप देर से नाश्ता करते हैं तो यह आपके जीवन को छोटा कर सकता है और कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
🔹 शोध के अनुसार:
•सुबह उठने के 1 घंटे के अंदर नाश्ता करना स्वास्थ्य के लिए सबसे लाभकारी है।
•जल्दी नाश्ता करने वाले लोगों की औसत आयु और स्वास्थ्य देर से नाश्ता करने वालों की तुलना में बेहतर पाई गई।
•नाश्ता देर से करने से डायबिटीज़, हृदय रोग और मोटापा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
🔔 विशेषज्ञों की राय:
•सुबह 5:45 से 8:00 बजे के बीच नाश्ता करना सबसे सही समय है।
•देर से नाश्ता करने से शरीर की आंतरिक घड़ी (Biological Clock) गड़बड़ा जाती है।
•नाश्ता जितना देर से करेंगे, आपके मेटाबॉलिज़्म और ऊर्जा उतनी ही बिगड़ेगी।
🌿 संक्षेप में:
“जल्दी उठो – जल्दी खाओ – लंबा जीओ- जल्दी सो जाओ”
सुबह का भोजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि ऊर्जा, प्रतिरक्षा और दीर्घायु के लिए है।
---

🚫 कम उम्र में स्टेरॉयड = गंभीर बीमारियों का निमंत्रण!🏋️‍♂️ आज के युवा फिटनेस की अंधी दौड़ में जल्दी-जल्दी परिणाम पाने के...
08/09/2025

🚫 कम उम्र में स्टेरॉयड = गंभीर बीमारियों का निमंत्रण!

🏋️‍♂️ आज के युवा फिटनेस की अंधी दौड़ में जल्दी-जल्दी परिणाम पाने के लिए स्टेरॉयड का सेवन कर रहे हैं।
लेकिन सच यह है कि यह "शॉर्टकट" लंबी बीमारी की ओर ले जा रहा है।
---
❌ स्टेरॉयड के खतरनाक दुष्प्रभाव

🔻 हड्डियाँ इतनी कमजोर हो रही हैं कि 20–25 साल की उम्र में ही हिप रिप्लेसमेंट करना पड़ रहा है।
🔻 एवस्कुलर नेक्रोसिस – हड्डी का गलना और टूटना।
🔻 शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और हार्मोनल गड़बड़ी।
🔻 संक्रमण और रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

👉 डॉक्टरों की चेतावनी: स्टेरॉयड का इस्तेमाल शरीर को अस्थायी रूप से बड़ा तो दिखाता है, पर भीतर से खोखला कर देता है।
---
✅ सही विकल्प – स्टेरॉयड-फ़्री फिटनेस

✨ संतुलित प्रोटीन डाइट (दूध, दालें, अंडा, अंकुरित अनाज)।
✨ नियमित स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, कार्डियो और योगासन।
✨ पर्याप्त नींद और पानी।
✨ धैर्य और निरंतरता – असली फिटनेस का राज़!
---
सोशल मीडिया पर दिखने वाले फ़ेक ट्रांसफ़ॉर्मेशन के चक्कर में न पड़ें।
सही फिटनेस का मतलब है – लंबे समय तक स्वस्थ शरीर और मजबूत हड्डियाँ।
---
🌿 प्राकृतिक रहो, सुरक्षित रहो – असली ताकत स्टेरॉयड से नहीं, नेचुरल लाइफ़स्टाइल से मिलती है!

👨‍⚕️ नमस्कार!आज हम बात करेंगे एक ऐसी समस्या के बारे में, जो बहुत तकलीफ़देह होती है – भगंदर (Fistula-in-ano)।👉 भगंदर एक ऐ...
04/09/2025

👨‍⚕️ नमस्कार!
आज हम बात करेंगे एक ऐसी समस्या के बारे में, जो बहुत तकलीफ़देह होती है – भगंदर (Fistula-in-ano)।

👉 भगंदर एक ऐसा रोग है जिसमें गुदा के आसपास फोड़ा बन जाता है और उसमें से लगातार पस निकलती रहती है।
इससे मरीज को दर्द, जलन, बार-बार गीला होने की समस्या और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में असुविधा होती है।

⚠️ कई बार ऑपरेशन करवाने के बाद भी रोगी को दोबारा यही समस्या हो जाती है, और बार-बार सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है।

👨‍⚕️ अगर आपका भी ऑपरेशन फैल हो गया है, या बार-बार भगंदर वापस आ रहा है, तो आज ही संपर्क करें – डॉ धन्वंतरि त्यागी से!

🌿 डॉ धन्वंतरि त्यागी का इस क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव है, और अब तक 4500 से भी अधिक जटिल भगंदर के मरीजों को सफलतापूर्वक ठीक कर चुके हैं।

🙏 आयुर्वेद और क्षारसूत्र जैसी प्राचीन पद्धति से बिना बड़ी सर्जरी, बिना हॉस्पिटल में भर्ती हुए, इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।

📞 तो देर न करें! आज ही परामर्श लें और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएँ।

✨ डॉ धन्वंतरि त्यागी – अनुभव, विश्वास और परिणाम।
#भगंदर #क्षारसूत्र


🌿 प्रीडायबिटीज़: टेस्ट, खतरे और इलाज🔹 प्रीडायबिटीज़ क्या है?शुगर रोग (डायबिटीज़) हुई नहीं है लेकिन होने वाली है।👉 यानी व...
27/08/2025

🌿 प्रीडायबिटीज़: टेस्ट, खतरे और इलाज

🔹 प्रीडायबिटीज़ क्या है?
शुगर रोग (डायबिटीज़) हुई नहीं है लेकिन होने वाली है।
👉 यानी वह स्थिति जिससे आप आसानी से शुगर जैसी गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।
यह चेतावनी संकेत है कि जीवनशैली न सुधारी तो जल्द ही डायबिटीज़ हो जाएगी।
---
🔹 प्रीडायबिटीज़ की जाँच (Tests)

🧪 आधुनिक चिकित्सा (Modern Tests):
1️⃣ HbA1c (Glycated Hemoglobin)

•सामान्य:

🌿 हर सिरदर्द = माइग्रेन नहीं 🌿❌ आम धारणा:“सिरदर्द है तो ज़रूर माइग्रेन है, और माइग्रेन तो असाध्य है।”✔️ सच्चाई यह है कि ...
25/08/2025

🌿 हर सिरदर्द = माइग्रेन नहीं 🌿

❌ आम धारणा:
“सिरदर्द है तो ज़रूर माइग्रेन है, और माइग्रेन तो असाध्य है।”
✔️ सच्चाई यह है कि माइग्रेन सिरदर्द का सिर्फ एक प्रकार है।

👉 इंटरनेट और आम जानकारी के चलते माइग्रेन को भाग्य का खेल मान लिया जाता है।
👉 बहुत से डॉक्टर भी समय की कमी से सिरदर्द के हर पुराने रोगी को माइग्रेन कहकर शांत कर देते हैं।
👉 इससे मरीज वर्षों तक दवा लेते रहते हैं, जबकि उनका सिरदर्द वास्तव में किसी और कारण से होता है और सही इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकता है।
---
🧠 सिरदर्द के संभावित कारण (माइग्रेन से अलग)

1️⃣ नेत्र संबंधी कारण
•आँखों की कमजोरी (चश्मे की ज़रूरत)
•लगातार मोबाइल / लैपटॉप स्क्रीन का उपयोग
•तेज़ रोशनी या कम रोशनी में काम
2️⃣ पाचन व जठराग्नि विकार
•अम्लपित्त (Acidity, GERD)
•कब्ज़ या पाचन खराब होना
•अधिक खट्टा, मसालेदार, फास्टफूड का सेवन
3️⃣ मानसिक कारण
•तनाव, चिंता, डिप्रेशन
•नींद पूरी न होना
•अत्यधिक मानसिक कार्य / परीक्षा का दबाव
4️⃣ साइनस और श्वसन कारण
•साइनसाइटिस (नाक और माथे की साइनस गुफ़ाओं में सूजन)
•बार-बार जुकाम / एलर्जी
•धूल, धुआँ, प्रदूषण का प्रभाव
5️⃣ रक्तचाप और हृदय संबंधी कारण
•हाई BP या लो BP
•अचानक रक्त प्रवाह में बदलाव
6️⃣ हार्मोनल और महिलाओं से जुड़े कारण
•मासिक धर्म से पहले या बाद का हार्मोनल असंतुलन
•थायरॉइड समस्याएँ
•गर्भावस्था / रजोनिवृत्ति काल
7️⃣ गर्दन और रीढ़ में समस्या होना
•Cervical Spondylosis
•लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठना
•गलत मुद्रा (Posture)
8️⃣ जीवनशैली संबंधी कारण
•देर रात तक जागना
•अनियमित खानपान, भोजन छोड़ना
•अधिक चाय, कॉफी, शराब या धूम्रपान
9️⃣ अन्य कारण
•दाँत, कान या गले के रोग
•मौसम परिवर्तन (गर्मी से ठंड या ठंड से गर्मी)
•अधिक देर तक भूखे रहने से

---
🌿 आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार सिरदर्द कई प्रकार का होता है:

•वातज शिरःशूल – तनाव, कब्ज़, थकान से उत्पन्न
•पित्तज शिरःशूल – तेज़ धूप, गुस्सा, खट्टा-तीक्ष्ण आहार से
•कफज शिरःशूल – सर्दी-जुकाम, भारीपन, सर्द मौसम से
•अर्धावभेदी शिरःशूल (माइग्रेन जैसा) – एक तरफ़ का दर्द, जी मिचलाना, प्रकाश असहनीय

👉 प्रत्येक सिरदर्द का निदान दोष के आधार पर करना आवश्यक है।
👉 उचित परहेज़ (पथ्य-अपथ्य), जीवनशैली सुधार और आयुर्वेदिक औषधियों से स्थायी राहत संभव है।
---
✅ मरीज के लिए सुझाव
•हर सिरदर्द को माइग्रेन न मानें
•आँखों और BP की जाँच कराएँ
•नींद और भोजन की दिनचर्या सुधारें
•तनाव को कम करने के उपाय अपनाएँ
•तुरंत दर्दनिवारक दवाओं पर निर्भर न रहें, कारण जानें
•आयुर्वेदिक चिकित्सक से दोष-धातु-मल-अग्नि की जाँच करवाएँ
---
📌 निष्कर्ष
•हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं है।
•सही कारण की पहचान और उचित चिकित्सा से सिरदर्द का स्थायी समाधान संभव है।
•अज्ञान और नाम के भ्रम से वर्षों तक पीड़ा सहना पड़ सकता है।
#सिरदर्द #माइग्रेन #आयुर्वेद #सहीजानकारी

चाहे कैंसर हो या सामान्य पेट दर्द – खराब भोजन शैली ही सबसे बड़ा कारण---🧬 नवीनतम शोध चौंकाने वाला है!30–40 वर्ष की उम्र क...
14/08/2025

चाहे कैंसर हो या सामान्य पेट दर्द – खराब भोजन शैली ही सबसे बड़ा कारण
---
🧬 नवीनतम शोध चौंकाने वाला है!
30–40 वर्ष की उम्र के युवाओं में अपेंडिक्स कैंसर और गंभीर पाचन रोगों के मामले चार गुना तक बढ़ चुके हैं। आधुनिक जीवनशैली में प्रोसेस्ड फूड, तैलीय-मीठे स्नैक्स, परिष्कृत आटा, और कोल्ड ड्रिंक्स रोज़मर्रा का हिस्सा बन गए हैं।

🔍 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कारण:
•प्रोसेस्ड फूड में मौजूद नाइट्रेट्स, प्रिज़र्वेटिव्स आंतों की कोशिकाओं में डीएनए क्षति कर सकते हैं।
•कम फाइबर वाला भोजन आंतों की गतिशीलता (motility) घटाता है, जिससे अपेंडिक्स और कोलन में सूजन की संभावना बढ़ती है।
•अत्यधिक शुगर और ट्रांस-फैट सूजन (inflammation) को ट्रिगर कर दीर्घकालिक रोगों का आधार बनाते हैं।
•बार-बार अनहाइजीनिक स्ट्रीट फूड और देर रात भोजन, आंतों की माइक्रोबायोटा को असंतुलित करते हैं।

⚠️ समस्या यह है कि शुरुआती स्टेज में लक्षण साधारण लगते हैं – हल्का पेट दर्द, गैस, या एसिडिटी – परंतु देर होने पर यह जानलेवा रूप ले सकता है।

🌿 आयुर्वेद की दृष्टि से:

•अतिशय गुरु, तैलीय, अपक्व एवं विरुद्ध आहार आम का निर्माण कर अग्नि को मंद कर देता है।
•आम आंतों में रुककर वात-पित्त-कफ विकृति उत्पन्न करता है, जो धीरे-धीरे विद्रधि (सूजन/गांठ) या कैंसर में परिवर्तित हो सकता है।
•ऋतु और प्रकृति अनुसार भोजन, समय पर भोजन, और पथ्य-अपथ्य का पालन ही स्थायी बचाव है।

✅ बचाव के उपाय:
•ताज़ा, घर का बना, ऋतु अनुसार भोजन लें।
•रोज़ाना कम से कम 30–40 मिनट पैदल चलें या व्यायाम करें।
•जंक फूड, पैकेट स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक्स, और बार-बार तला भोजन से दूरी रखें।
•हर 6–12 माह में पाचन स्वास्थ्य की जांच करवाएं।
•पेट दर्द, लगातार गैस, या भूख में बदलाव को नज़रअंदाज़ न करें।
---
📢 संदेश:
आपका पेट सिर्फ खाना पचाने का काम नहीं करता, बल्कि आपकी संपूर्ण सेहत की नींव है। भोजन बदलें, जीवन बदल जाएगा!
---
#अपेंडिक्सकैंसर #पेटकीसेहत #पाचनतंत्र

🫴"युवा – ऊर्जा से बीमारी तक का सफर"आज का भारतीय युवा प्रतिभा, मेहनत और नवाचार के दम पर विश्व में अपनी पहचान बना रहा है। ...
13/08/2025

🫴"युवा – ऊर्जा से बीमारी तक का सफर"

आज का भारतीय युवा प्रतिभा, मेहनत और नवाचार के दम पर विश्व में अपनी पहचान बना रहा है। विज्ञान, तकनीक, खेल, कला—हर क्षेत्र में हमारी युवा पीढ़ी लहरें पैदा कर रही है। लेकिन इस चमकदार तस्वीर के पीछे एक सच्चाई है जो उतनी ही गंभीर और चिंताजनक है—तेज़ रफ्तार जीवनशैली, अनियमित दिनचर्या, फास्टफूड और ऊर्जा के नाम पर बेवजह सप्लीमेंट्स का प्रयोग, नींद और व्यायाम की अनदेखी ने युवाओं को अकाल वृद्धावस्था की ओर धकेल दिया है।

मोटापा – बीमारियों का सबसे बड़ा दरवाज़ा*
भारत में 18 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं में मोटापा अब ‘लाइफस्टाइल महामारी’ बन चुका है। जंकफूड, शुगर ड्रिंक्स, देर रात का खाना, और दिनभर स्क्रीन पर चिपके रहने की आदत ने न केवल शरीर का संतुलन बिगाड़ा है, बल्कि यह गंभीर बीमारियों का स्थायी निमंत्रण बन गया है। मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, दिल के रोग, फैटी लिवर और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का सबसे बड़ा कारण बन चुका है।

*कम उम्र में बढ़ती ‘बुजुर्ग’ बीमारियां*
पहले जो रोग 50-60 की उम्र में होते थे, अब 25-30 की उम्र में आम हो गए हैं—उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल असंतुलन, थायरॉयड विकार, लिवर-किडनी की समस्याएं, यहां तक कि हृदयाघात भी। शरीर का यह समय, जब जोश और ताजगी का शिखर होना चाहिए, अब थकान, दवाइयों और जांच रिपोर्टों के बोझ से दब गया है।

*लड़कियों में बढ़ रहे हार्मोनल रोग और निसंतानता*
लड़कों के साथ साथ लड़कियों में मासिक चक्र की समस्या, गर्भाशय या अंडाशय में गांठ (PCOD), किसी विशेष कारण के बिना निसंतानता के मामले काफी बढ़ रहे हैं। जिसके मूल कारण में खराब भोजन और जीवन शैली है।

*इंश्योरेंस लिमिट बढ़ा रहे, लेकिन लाइफस्टाइल वैसी की वैसी*
स्वास्थ्य सुधारने की दिशा में कदम उठाने के बजाय युवा अब मेडिकल इंश्योरेंस की लिमिट बढ़ाने में ही राहत ढूंढ रहे हैं। यह मानसिकता बताती है कि हम बीमारी के इलाज के लिए तैयार हैं, लेकिन बीमारी से बचाव के लिए नहीं। बीमा की सीमा बढ़ाने से शायद खर्च कम हो जाए, लेकिन जीवन की गुणवत्ता कम होने से नहीं बचाई जा सकती।

*संघर्ष के बाद सुख की जगह अस्पताल के चक्कर*
हमारे युवा सालों तक पढ़ाई और करियर के लिए जी-जान लगाते हैं। सपनों की नौकरी, अपना घर, परिवार के साथ वक्त बिताने के दिन आने से पहले ही कई लोग अस्पतालों के चक्कर लगाने लगते हैं। 30 साल की उम्र से पहले ही ब्लड प्रेशर की दवाइयां, शुगर कंट्रोलर, कोलेस्ट्रॉल मैनेजर, और विटामिन सप्लीमेंट्स उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन जाते हैं।

*बीमारी का असली कारण—जीवनशैली का असंतुलन*
*भोजन में गड़बड़ी:* घर के ताज़ा, संतुलित भोजन की जगह प्रोसेस्ड,पेकिंग वाले खाने और फास्टफूड का बढ़ता चलन।
*व्यायाम की कमी:* जिम के नाम पर सिर्फ फोटो पोस्ट, असल में कोई शारीरिक सक्रियता नहीं।
*नींद का त्याग:* देर रात तक जागना, मोबाइल और लैपटॉप पर समय बिताना।
*मानसिक दबाव:* सोशल मीडिया की तुलना, कॉर्पोरेट टार्गेट्स, और भविष्य की अनिश्चितता।
*सप्लीमेंट्स का अंधाधुंध प्रयोग:* बिना विशेषज्ञ सलाह के प्रोटीन, फैट बर्नर, और स्टेरॉयड का सेवन।






🌿 कब्ज की दवाइयां बार-बार लेना पड़ रहा है?❌ दवा लेने के बाद भी पेट साफ नहीं होता?❌ कब्ज के साथ-साथ अब गैस, जलन, थकावट, स...
08/08/2025

🌿 कब्ज की दवाइयां बार-बार लेना पड़ रहा है?

❌ दवा लेने के बाद भी पेट साफ नहीं होता?
❌ कब्ज के साथ-साथ अब गैस, जलन, थकावट, सिरदर्द भी बढ़ रहे हैं?
❌ तेज दवाईयां भी नाकाम हो रही है?

👉 यह कब्ज नहीं, शरीर की स्वाभाविक प्रणाली की चेतावनी है।
---
🚫 सच जानिए:
बार-बार पेट साफ करने की दवाइयां (चूर्ण, कैप्सूल, सिरप) चाहे देसी/ आयुर्वेदिक हो या एलोपैथिक, लेने से...

🔸 पाचन शक्ति नष्ट होती है
🔸 आंतें अपनी गति खो देती हैं
🔸 शरीर दवाओं पर निर्भर हो जाता है
🔸 वात, पित्त और आम दोष बढ़कर नए रोग पैदा करते हैं
शरीर में थकान, कमजोरी, वजन घटना, चिड़चिड़ापन, बिना खास परेशानी के भी बहुत रोगी अनुभव करना
---
✅ इसका समाधान है:
"कब्ज दवाओं से नहीं, अग्नि और जीवनशैली को संतुलित करने से ठीक होती है।"

तत्काल राहत मत ढूंढिए, अन्यथा कोई दवाई/ चिकित्सक आपकी सहायता नहीं कर पाएगा।
---
📕📓📗 आयुर्वेद की किसी संहिता में नहीं लिखा कि
"त्रिफला / हरड़ या कोई दवाई का नियमित सेवन करना चाहिए"

• आयुर्वेद सीधे तौर पर कहता है कि स्वास्थ्य रक्षा के लिए दिनचर्या (Daily schedules) ऋतुचर्या (Seasonal (Diet and life style changes) का उपयोग करना चाहिए।

• अगर तब भी कोई समस्या हो जाए तो ही दवाई लेवें।

ध्यान रखे- " आहार दवाई का काम कर सकता है
परन्तु दवाई , आहार का काम नहीं कर सकती"
---
🧠 कब्ज का इलाज मल निकालना नहीं,
शरीर की मल निकालने की स्वाभाविक शक्ति लौटाना है।

🌱 जागरूक बनें, दूसरों को भी जागरूक करें।
🌿 आयुर्वेद से सहज, सुरक्षित समाधान पाएं।

#कब्ज #आयुर्वेद #आयुर्वेदिकजीवनशैली #स्वस्थभारत

🛌 खर्राटे: एक नजरअंदाज की जाने वाली गंभीर समस्या, जिसे आयुर्वेद में है स्थायी समाधान 🌿अक्सर लोग खर्राटों को एक सामान्य आ...
06/08/2025

🛌 खर्राटे: एक नजरअंदाज की जाने वाली गंभीर समस्या, जिसे आयुर्वेद में है स्थायी समाधान 🌿

अक्सर लोग खर्राटों को एक सामान्य आदत मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। खर्राटे लेना केवल आसपास के लोगों की नींद में खलल नहीं डालता, बल्कि स्वयं खर्राटे लेने वाले व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क पर भी गंभीर असर डालता है।

🔍 खर्राटे का कारण क्या है?
खर्राटे का मूल कारण वायुपथ में अवरोध है, जो सामान्यतः निम्न कारणों से होता है:

•मोटापा: गले और गर्दन के चारों ओर चर्बी जमने से श्वसन मार्ग संकुचित हो जाता है।

•नाक या गले की संरचनात्मक विकृति: जैसे नाक में हड्डी का टेढ़ापन, गले की टॉन्सिल्स का बढ़ना।

•नींद की गोलियां और अत्यधिक शराब का सेवन: ये स्नायु प्रणाली को सुस्त कर देते हैं और वायुपथ की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं।

•धूम्रपान: यह श्वसन नलिकाओं में सूजन पैदा करता है।

⚠️ खर्राटे से जुड़ी बीमारियाँ
लगातार खर्राटे लेने वाले लोगों में ऑक्सीजन का स्तर गिर सकता है, जिससे –

•मस्तिष्क पर असर (याददाश्त कमजोर होना, •चिड़चिड़ापन)
•हाई ब्लड प्रेशर,
•डायबिटीज,
हृदय रोग और स्लीप एपनिया जैसी जानलेवा स्थिति हो सकती है।

🌿 आयुर्वेद में समाधान
आयुर्वेद के अनुसार खर्राटे का मूल कारण दोषों का असंतुलन (विशेषतः कफ और वात) और अग्नि का मन्द होना है। उपचार के लिए रोगी की प्रकृति (प्रकृति, विकृति), नाड़ी, नींद की आदतें और आहार-विहार को ध्यान में रखते हुए उपचार किया जाता है।
•नस्य, शिरोधारा, अभ्यंग,
•कफ शामक औषधियां,
•वजन कम करने वाले आयुर्वेदिक योग,
•नींद की गुणवत्ता बढ़ाने वाली चिकित्सा
इनसे खर्राटे की समस्या को जड़ से नियंत्रित किया जा सकता है।

📌 खर्राटों को नजरअंदाज न करें। यह केवल एक आदत नहीं, एक गंभीर स्वास्थ्य संकेत है। आयुर्वेद में इसके लिए संपूर्ण और प्रकृति अनुसार समाधान उपलब्ध है।

---
#खर्राटे Dhanvantri Tyagi

🌿 दही: लाभ भी, हानि भी – सही समय, सही तरीका जानिए! 🥣❌दही कब खाएं और कब बिल्कुल नहीं?✅ लाभकारी जब:•दिन के समय, विशेषतः दो...
05/08/2025

🌿 दही: लाभ भी, हानि भी – सही समय, सही तरीका जानिए! 🥣❌

दही कब खाएं और कब बिल्कुल नहीं?

✅ लाभकारी जब:

•दिन के समय, विशेषतः दोपहर को
•बिना नमक या मसाले के, मीठा या सादा
•गरमियों में घी/गुड़/काली मिर्च मिलाकर
•छाछ या मट्ठे के रूप में पतला करके

🚫 हानिकारक जब:

•रात के समय दही सेवन करने से कफ बढ़ता है
•गर्मियों में नियमित रूप से दही खाना फैटी लिवर, पाचन दोष बढ़ा सकता है
•नमक, मिर्च, मसाला मिलाकर दही खाने से त्वचा रोग, वजन बढ़ना, बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं

🩺 इन रोगों में दही खाना मना है (जब तक रोग पूरी तरह ठीक न हो जाए):

•मोटापा (Obesity)
•एसिडिटी (Acidity)
•पाइल्स (Arsha/अर्श)
•सिरदर्द (Chronic Headache/Migraine)

⚠️ दही किन चीजों के साथ न खाएं:

मछली 🐟, प्याज़ 🧅, उड़द दाल, नमक, कटहल, मूली
गर्म तासीर की चीज़ों जैसे मीट, शराब, तीखे मसाले युक्त किसी भी पदार्थ के साथ दही का सेवन रोगकारक है।

🌸 दही किनके साथ खाएं:

सादा चावल 🍚 के साथ, दही में शक्कर या मिश्री मिलाकर ऐसे ही, त्रिकटु चूर्ण या काली मिर्च के साथ ऐसे ही।

🕉️ आयुर्वेद के अनुसार:
"रात्रौ दधि निषिद्धम्" – रात को दही वर्जित है।
"दधि दोषप्रदं तिक्तं, कफवर्धि गुरु स्मृतम्।"

❄️ वसंत ऋतु और शरद ऋतु में दही खाने से कफ दोष, त्वचा रोग और पित्त विकार बढ़ते हैं – इन ऋतुओं में दही का सेवन सीमित करें।
---
🔎 स्वस्थ जीवन का मंत्र है सही भोजन का चयन। 👉 दही तभी लाभ देगा जब खाए सही मौसम, सही समय और सही संयोजन में।

📍Dhanvantri Ayurveda, Hapur
📞 +91 8859819975 | 🌐 www.dhanvantri.co.in
#
#दही_के_नियम
#दही_कब_ना_खाएं


#आयुर्वेदिक_पोषण
#पाचन_तंत्र


#दही_से_हानि



#मोटापा_उपचार




#आयुर्वेद_के_अनुसार_भोजन

Address

169, Shrinagar, Railway Road
Hapur
245101

Opening Hours

Monday 9am - 2pm
5pm - 8pm
Wednesday 9am - 2am
5pm - 8pm
Thursday 9am - 2pm
5pm - 8pm
Friday 9am - 2pm
5pm - 8pm
Saturday 9am - 2pm
5pm - 8pm
Sunday 9am - 2pm
5pm - 8pm

Telephone

+918859819975

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Dhanvantri Ayurveda posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Dhanvantri Ayurveda:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram

An Ayurveda Specialty Clinic

We at Dhanvantri Ayurveda, are committed to provide standardized and scientifically proven, centuries old Ayurvedic treatments. the clinic has facilities of Surgery as well as panchkarma & other Ayurvedic Treatment technologies. Our motto is not only to provide Quality treatment but also to provide patient education and to deliver Pure health more than the medicines.