Srijan Eye Hospital , Baziganj Bazar , Mallawan , Hardoi.

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Srijan Eye Hospital , Baziganj Bazar , Mallawan , Hardoi. मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सुविधा

25/05/2024

पिछले 10 सालों में एक पीढी आई है जिनमे न जाने क्यों सारे रिश्तेदारों के लिए एक घृणा भरी हुई है। कोई रिश्तेदार घर मे आये तो अपने कमरे में छुप जाने को " कूल" माना जाता है।

कोई रिश्तेदार अगर अच्छे भाव से भी पूछ लें कि क्या पढ़ाई चल रही है या नौकरी का क्या हो रहा है तो बच्चों को गुस्सा आ जाता है। मुझे लगता है पूछने वाले के इटेंशन से ज्यादा खुद के फ्रस्ट्रेशन के कारण इनको गुस्सा आता है।

मैं प्रतियोगी परीक्षाएं देने कई बार जयपुर, गुजरात,चेन्नई गई,बिना किसी संकोच के मैं अपने काका,ताऊजी,बुआ जी के घर रुकती थी।

नौकरी के लिए मुंबई शिफ्ट हुई थी तो मामाजी ने रहने की जगह, बिस्तर, गैस की टंकी,बर्तन सब दिए। महीने के 2 रविवार उनके घर दाल बाटी का निमंत्रण रहता था। रिश्तेदारी की शादियों में ले जाते थे ताकि उस दिन खाने की चिंता न रहे।

2 पीढ़ी पहले तक अधिकतर लोगों की नौकरियां किसी रिश्तेदार की जुगाड़ से ही लगती थी।

किसी भी खुशी या दुख में रिश्तेदार ही काम आते हैं।

कुछ लोग irritating या जलने वाले हो सकते हैं, अधिकतर रिश्तेदार भला ही चाहते हैं।

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हम सभी बचपन से किसी ना किसी के मुँह से ये सुनते हुए ही आ रहे हैं कि कोई सगा नहीं/ कोई किसी के काम नहीं आता/ रिश्तेदार बस नाम के होते हैं आदि इत्यादि।

फलस्वरूप हम शुरू से ही अपने रिश्तेदारों को भी शक की निगाह से देखने लग जाते हैं। ऐसी सोच डाल देने से स्वस्थ रिश्ते नहीं पनपते। अब जब हम ही हाथ पीछे खींच के रखेंगे तो सामने वाला भी हमारी ओर हाथ क्यूँ बढ़ाएगा?

कितना अच्छा हो कि हम बच्चों को शुरू से प्यार और सहयोग सिखाएँ तो ये नफ़रत ही उत्पन्न नहीं हो।

जबकि हर इंसान प्यार चाहता है, पर पहल नहीं करता। क्योंकि शक का चश्मा चढ़ा हुआ है आँखों पर। सबने ख़ुद को रोक रखा है।

07/12/2023
07/12/2023
11/08/2023

* #स्वार्थ_छोडिये*

एक छोटे बच्चे के रूप में, मैं बहुत *स्वार्थी* था, हमेशा अपने लिए सर्वश्रेष्ठ चुनता था। धीरे-धीरे, सभी दोस्तों ने मुझे छोड़ दिया और अब मेरे कोई दोस्त नहीं थे। मैंने नहीं सोचा था कि यह मेरी गलती थी और मैं दूसरों की आलोचना करता रहता था लेकिन मेरे पिता ने मुझे जीवन में मदद करने के लिए 3 दिन 3 संदेश दिए।

एक दिन, मेरे पिता ने हलवे के 2 कटोरे बनाये और उन्हें मेज़ पर रख दिया ।

एक के ऊपर 2 बादाम थे जबकि दूसरे कटोरे में हलवे के ऊपर कुछ नहीं था फिर उन्होंने मुझे हलवे का कोई एक कटोरा चुनने के लिए कहा क्योंकि उन दिनों तक हम गरीबों के घर बादाम आना मुश्किल था .... मैंने 2 बादाम वाले कटोरा को चुना!

मैं अपने बुद्धिमान विकल्प / निर्णय पर खुद को बधाई दे रहा था और जल्दी जल्दी मुझे मिले 2 बादाम हलवा खा रहा था परंतु मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही था जब मैंने देखा कि की मेरे पिता वाले कटोरे के नीचे *8 बादाम* छिपे थे!

बहुत पछतावे के साथ, मैंने अपने निर्णय में जल्दबाजी करने के लिए खुद को डांटा।

मेरे पिता मुस्कुराए और मुझे यह याद रखना सिखाया कि
*आपकी आँखें जो देखती हैं वह हरदम सच नहीं हो सकता उन्होंने कहा कि यदि आप स्वार्थ की आदत की अपनी आदत बना लेते हैं तो आप जीत कर भी हार जाएंगे*

अगले दिन, मेरे पिता ने फिर से हलवे के 2 कटोरे पकाए और टेबल पर रक्खे एक कटोरा के शीर्ष पर 2 बादाम और दूसरा कटोरा जिसके ऊपर कोई बादाम नहीं था।

फिर से उन्होंने मुझे अपने लिए कटोरा चुनने को कहा। इस बार मुझे कल का संदेश याद था इसलिए मैंने शीर्ष पर बिना किसी बादाम कटोरी को चुना परंतु मेरे आश्चर्य करने के लिए इस बार इस कटोरे के नीचे एक भी बादाम नहीं छिपा था! फिर से, मेरे पिता ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा, *"मेरे बच्चे, आपको हमेशा अनुभवों पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि कभी-कभी, जीवन आपको धोखा दे सकता है या आप पर चालें खेल सकता है स्थितियों से कभी भी ज्यादा परेशान या दुखी न हों, बस अनुभव को एक सबक अनुभव के रूप में समझें, जो किसी भी पाठ्यपुस्तकों से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।*

तीसरे दिन, मेरे पिता ने फिर से हलवे के 2 कटोरे पकाए, एक कटोरा ऊपर से 2 बादाम और दूसरा शीर्ष पर कोई बादाम नहीं। मुझे उस कटोरे को चुनने के लिए कहा जो मुझे चाहिए था।

लेकिन इस बार, मैंने अपने पिता से कहा, *पिताजी, आप पहले चुनें, आप परिवार के मुखिया हैं और आप परिवार में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं । आप मेरे लिए जो अच्छा होगा वही चुनेंगे*।

मेरे पिता मेरे लिए खुश थे ।
उन्होंने शीर्ष पर 2 बादाम के साथ कटोरा चुना, लेकिन जैसा कि मैंने अपने कटोरे का हलवा खाया! कटोरे के हलवे के एकदम नीचे 2 बादाम और थे।

मेरे पिता मुस्कुराए और मेरी आँखों में प्यार से देखते हुए, उन्होंने कहा *मेरे बच्चे, तुम्हें याद रखना होगा कि जब तुम भगवान पर छोड़ देते हो, तो वे हमेशा तुम्हारे लिए सर्वोत्तम का चयन करेंगे जब तुम दूसरों की भलाई के लिए सोचते हो, अच्छी चीजें स्वाभाविक तौर पर आपके साथ भी हमेशा होती रहेंगी ।*

🙏🪷🙏🪷🙏🪷🙏🪷
☀️🪻☀️🪻☀️🪻☀️🪻

♥ हँसते रहो मस्त रहो
व्यस्त रहो स्वस्थ रहो ♥

*-*~ ✰धन्यवाद✲ ~*-*

13/04/2023

#ख़्वाबों
की
#एक्सपायरी

हर ख़्वाब की भी एक उम्र होती है
हर उम्र के अलग ही ख़्वाब होते है
और बक्त रहते ये पूरे हो गए तो ठीक
नहीं तो इनकी भी एक्सपायरी होती है

बचपन में नया बस्ता भी ख़्वाब था
नया जूता भी आसमां से कम न था
फिर नौकरी के ख़्वाब आने लगे
फिर पैसा कमाने, घर बसाने....

ख़्वाब बदलते रहे,साल गुजरते गए
बड़ा घर, बड़ी गाड़ी,शान शौकत
बस ख़्वाब बनते बिगड़ते रहें
हम इनमें ही उलझते रहे

अब जब उम्र सताने लगी
अपनी काया ही भारी लगने लगी
ख़्वाब फ़िर से छोटे होने लगे
छोटा सा घर, छोटी छोटी खुशियां
रह गए हम बूढ़े और बुढ़िया

तो यारों बक्त पर ख़्वाब जी लिया करो
एक्सपायरी का इंतजार न किया करो
बाद में पूरे हो जाए,वो मजा नहीं आएगा
एक्सपेयरी से स्वाद बिगड़ ही जायेगा l

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Baziganj Bazar Mallawan
Hardoi
241303

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Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Sunday 9am - 5pm

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