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26/09/2025

ह्रदय रोगी के लिए आहार के नियम | Ayurvedic Diet for Heart Patients

ह्रदय रोग (Heart Disease) आजकल एक आम समस्या बन गई है। गलत खानपान, तनाव, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से यह समस्या और गंभीर हो जाती है। आयुर्वेद में ह्रदय रोगियों के लिए विशेष आहार नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करके हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है।

इस ब्लॉग में हम ह्रदय रोगियों के लिए डाइट चार्ट (Diet Chart for Heart Patients in Hindi) और जरूरी सावधानियों की जानकारी देंगे।

सुबह का नाश्ता (7 बजे)

मलाई रहित दूध (एक गिलास)

2 चम्मच शक्कर

3-4 भीगे हुए बादाम

हेल्दी ब्रेकफास्ट (9 बजे)

अंकुरित अनाज (एक प्लेट)

वेजिटेबल उपमा या मिक्स उपमा

दोपहर का भोजन (12 बजे)

दो चपाती (चोकर सहित आटा)

छिलके वाली दाल (एक कटोरी)

आधा कटोरी चावल

हरी सब्जी (एक कटोरी)

दही (एक कटोरी)

सलाद

हल्का नाश्ता (3-4 बजे)

चाय (एक कप)

भेल (एक प्लेट) या 2 बिस्किट

मौसमी फल (सेब, संतरा, अनार, नाशपाती, कच्चा जाम आदि)

रात का भोजन (7-8 बजे)

दिन में लंच जैसा ही भोजन

सोने से पहले (9 बजे)

एक फल या दूध का आधा गिलास

ह्रदय रोगियों के लिए आवश्यक सावधानियां

दिनभर में केवल 2-3 चम्मच घी और 4-5 चम्मच तेल का उपयोग करें।

नमक, मिर्च और तले-भुने भोजन से परहेज करें।

हरी पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल ज्यादा खाएं।

धूम्रपान, शराब और नशीली वस्तुओं का सेवन पूरी तरह बंद करें।

घी, मक्खन का सेवन सीमित मात्रा में करें।

आंवला और लहसुन का सेवन प्रतिदिन करें।

सेब का मुरब्बा हृदय रोगियों के लिए लाभकारी है।

हल्का व्यायाम और सुबह की सैर को आदत बनाएं।

दूध, जौ, बादाम, टमाटर, चेरी, मछली, बीटा-ग्लूकोज का सेवन हृदय के लिए उपयोगी है।

यह डाइट कोलेस्ट्रॉल घटाने और ह्रदय को मजबूत बनाने में सहायक होती है।

निष्कर्ष

40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को यह Heart Patient Diet Plan जरूर अपनाना चाहिए। यह न केवल ह्रदय रोगियों के लिए बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी फायदेमंद है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव-मुक्त जीवनशैली हृदय को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।

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Dr. (Vaidhya) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy, Kankhal Haridwar
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25/09/2025

वजन घटाने और आदर्श वजन बनाए रखने के आयुर्वेदिक तरीके

आजकल की तेज़-तर्रार जीवनशैली और असंतुलित खान-पान के कारण वजन बढ़ना (Obesity) एक आम समस्या बन गई है। मोटापा न केवल शरीर को थका देता है बल्कि यह डायबिटीज, हाई बीपी, थायरॉइड, PCOD और अन्य कई रोगों का कारण भी बन सकता है। आयुर्वेद में ऐसे कई सरल और प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं जिनसे आप अपने वजन को कम कर सकते हैं और फिटनेस बनाए रख सकते हैं।

1. सही आहार (Balanced Diet)

आयुर्वेद मानता है कि स्वस्थ आहार ही स्वस्थ शरीर की नींव है।

भोजन में दालें, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, मौसमी फल, अंडे और प्रोटीन युक्त चीज़ें शामिल करें।

तला-भुना और अत्यधिक मीठा खाना कम से कम लें।

छोटे-छोटे भागों में बार-बार भोजन करें, इससे पाचन तंत्र सही रहता है।

2. नियमित व्यायाम (Daily Exercise)

शरीर को सक्रिय रखना वजन घटाने का सबसे अच्छा तरीका है।

रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या जॉगिंग करें।

योग और प्राणायाम जैसे आयुर्वेदिक व्यायाम शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखते हैं।

चाहें तो साइकिलिंग, एरोबिक्स या हल्का वेट ट्रेनिंग भी कर सकते हैं।

3. पर्याप्त पानी (Hydration)

दिनभर में 8–10 गिलास पानी ज़रूर पिएं।

गुनगुना पानी पीना पाचन और मेटाबॉलिज़्म को दुरुस्त करता है।

पानी पीने से भूख नियंत्रित रहती है और चर्बी जलने की प्रक्रिया तेज़ होती है।

4. पर्याप्त नींद (Healthy Sleep)

रोज़ाना 6–8 घंटे की नींद लें।

नींद की कमी से हार्मोनल असंतुलन होता है और वजन तेजी से बढ़ता है।

5. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health Care)

तनाव और चिंता अधिक खाने की आदत को बढ़ावा देते हैं।

ध्यान (Meditation) और योगासन अपनाकर आप स्ट्रेस कंट्रोल कर सकते हैं।

6. संयम और अनुशासन (Discipline in Eating)

भोजन को धीरे-धीरे और अच्छे से चबाकर खाएं।

पेट भर जाने पर खाना बंद कर दें।

आलस्य से बचें और दिनभर सक्रिय रहें।

7. वजन की निगरानी (Weight Monitoring)

हर सप्ताह अपना वजन ज़रूर नोट करें।

इससे आप अपने वजन घटाने की प्रगति को समझ पाएंगे और डाइट/व्यायाम में सुधार कर सकेंगे।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद में वजन घटाने के लिए त्रिफला, गुग्गुल, मेथीदाना, और गरम पानी से शहद का सेवन जैसे उपाय भी बताए गए हैं। ये उपाय पाचन को दुरुस्त करते हैं और फैट बर्न करने में सहायक होते हैं।

👉 अगर आप अपने वजन को प्राकृतिक तरीके से कम करना चाहते हैं और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।

Dr. (Vaidhya) Deepak Kumar
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24/09/2025

एग्जिमा, सोरायसिस और त्वचा रोगों के लिए आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे

त्वचा रोग (Skin Diseases) जैसे एग्जिमा (Eczema), सोरायसिस (Psoriasis) और अन्य चर्म रोग आजकल बहुत आम हो गए हैं। एलोपैथिक दवाइयों से इन रोगों का तात्कालिक असर तो दिखता है, लेकिन लंबे समय तक आराम पाना कठिन होता है।

आयुर्वेद में इन रोगों के लिए कई घरेलू नुस्खे और प्राकृतिक उपचार बताए गए हैं, जो न केवल रोग को नियंत्रित करते हैं बल्कि रोग की जड़ पर भी असर डालते हैं।

सरसों और नीम से बना तेल – एग्जिमा के लिए घरेलू उपाय

250 ग्राम सरसों का तेल लोहे की कढ़ाई में गरम करें।

जब तेल अच्छी तरह उबलने लगे तो इसमें 50 ग्राम नीम की कोमल पत्तियाँ डालें।

जैसे ही पत्तियाँ काली पड़ जाएँ, तुरंत कढ़ाई को नीचे उतार लें।

ठंडा होने पर तेल को छानकर बोतल में भर लें।

दिन में 3–4 बार प्रभावित हिस्से पर लगाएँ।

नियमित प्रयोग से एग्जिमा की समस्या में लाभ मिलता है।

सहायक उपचार

आयुर्वेद में यह भी कहा गया है:

"चना चून को नून बिन चौसठ दिन जो खाय,
दाद, खाज और सेंहुआ जरा मूर सो जाय।"

अर्थात् – चने का आटा बिना नमक के कुछ समय तक लेने से दाद, खाज और अन्य त्वचा रोगों में राहत मिलती है।

चिरायता और कुटकी का प्रयोग

4 ग्राम चिरायता और 4 ग्राम कुटकी को 125 ग्राम पानी में रातभर भिगो दें।

सुबह इस पानी को छानकर पी लें और 3–4 घंटे तक कुछ न खाएँ।

यही प्रक्रिया लगातार करें, हर चार दिन बाद नई दवा डालें।

यह पानी (कड़वी चाय) लगातार 2–4 सप्ताह लेने से एग्जिमा, फोड़े-फुंसी, मुँहासे और रक्त दोष दूर होते हैं।

विशेष लाभ

इस पानी को पीने के साथ-साथ एग्जिमा वाले स्थान पर धोने से और भी अच्छे परिणाम मिलते हैं।

यह उपाय रक्त दोष, हड्डी की टीबी, पेट के रोग, Psoriasis और कई गंभीर skin disease में भी सहायक है।

Psoriasis (सोरायसिस) में 1–2 महीने के प्रयोग से लाल चकत्ते, खुजली और पपड़ी जैसी समस्या कम होने लगती है।

पुराने बुखार (chronic fever) में भी यह प्रयोग लाभकारी है।

आहार और परहेज

त्वचा रोगों में आहार-विहार का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।

खटाई (खासकर इमली और अमचूर) से परहेज करें।

तले हुए, मसालेदार और मिर्चीदार भोजन से बचें।

शराब और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

नमक का सेवन कम करें और साधारण नमक की जगह सैंधा नमक का प्रयोग करें।

सावधानियाँ

गर्भवती एवं रजस्वला महिलाओं को यह प्रयोग नहीं करना चाहिए।

बच्चों को यह पानी केवल 2 चम्मच की मात्रा में दें।

निष्कर्ष

आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे जैसे नीम–सरसों का तेल और चिरायता–कुटकी का प्रयोग त्वचा रोगों (Skin Diseases) जैसे eczema और psoriasis में सहायक सिद्ध होते हैं। इनके नियमित उपयोग से शरीर का रक्त शुद्ध होता है और त्वचा की प्राकृतिक चमक लौटती है।

Dr. (Vaidya) Deepak Kumar
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22/09/2025

मल्टीग्रेन आटा: स्वास्थ्य और पोषण के लिए बेहतर विकल्प

आजकल लोग Healthy Lifestyle और Balanced Diet की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी कारण Multigrain Atta (मल्टीग्रेन आटा) की डिमांड बढ़ रही है। साधारण गेहूं के आटे की जगह मल्टीग्रेन आटे से बनी रोटियां या चपातियां शरीर को अधिक पोषण देती हैं और कई तरह की diseases से बचाव में मददगार होती हैं।

मल्टीग्रेन आटा क्या है?

मल्टीग्रेन आटा कई तरह के अनाजों को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसमें गेहूं, जई (Oats), बाजरा (Millet), जौ (Barley), सोयाबीन, रागी, अलसी (Flax Seeds), मक्का, चना और मूंग जैसे पोष्टिक अनाज शामिल होते हैं।
यह आटा हमारे शरीर को fiber, protein, vitamins और minerals की पर्याप्त मात्रा देता है।

मल्टीग्रेन आटा खाने के फायदे

पाचन तंत्र मजबूत करे – इसमें मौजूद फाइबर digestion को बेहतर बनाता है और कब्ज की समस्या से राहत देता है।

हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा – बाजरा और जई दिल की सेहत को मजबूत करते हैं और cholesterol को नियंत्रित रखने में सहायक हैं।

ब्लड शुगर नियंत्रण – डायबिटीज़ (Diabetes) के रोगियों के लिए यह आटा उपयोगी माना जाता है क्योंकि यह शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

लंबे समय तक तृप्ति – इसमें मौजूद complex carbs और protein पेट को देर तक भरा हुआ महसूस कराते हैं, जिससे बार-बार खाने की आदत कम होती है।

वजन प्रबंधन – फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह वजन घटाने में भी सहायक हो सकता है।

मल्टीग्रेन आटा सामग्री (Ingredients)

1 किलो गेहूं

100 ग्राम बाजरा

100 ग्राम जई (Oats)

100 ग्राम जौ

100 ग्राम सोयाबीन

100 ग्राम रागी

100 ग्राम अलसी

100 ग्राम मक्का

100 ग्राम चना

100 ग्राम मूंग

मल्टीग्रेन आटा बनाने की विधि

इन सभी अनाजों को अच्छी तरह साफ करके एक साथ पीस लें। यदि चाहें तो पहले से पिसा हुआ आटा भी इसी मात्रा में लेकर मिला सकते हैं।

तैयार आटे को किसी डिब्बे में भरकर रख लें।

रोटी बनाने के समय इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाएँ।

आटा गूँथने के बाद 10 मिनट ढककर रख दें।

फिर स्वादिष्ट और पौष्टिक रोटियां, परांठे या पूरी बनाएं।

इस तरह से तैयार किया गया Multigrain Atta स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी है।

✅ यदि आप भी प्राकृतिक और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में मल्टीग्रेन आटे को ज़रूर शामिल करें।
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आप सभी को आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी की तरफ से नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये |
22/09/2025

आप सभी को आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी की तरफ से नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये |

21/09/2025

बच्चों की खांसी को कम करने के लिए 5 असरदार घरेलू नुस्खे

बदलते मौसम में बच्चों को सर्दी-जुकाम और खांसी होना आम बात है। अक्सर पैरेंट्स बच्चों की cough problem को लेकर परेशान रहते हैं और बार-बार दवा देने से बचना चाहते हैं।

ऐसे में आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे (Home Remedies) बच्चों की इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के साथ खांसी से भी राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

यहाँ हम आपको बता रहे हैं 5 आसान और सुरक्षित घरेलू नुस्खे, जिन्हें आप डॉक्टर की सलाह लेकर बच्चों की खांसी और गले की खराश को कम करने के लिए आज़मा सकते हैं।

1. हल्दी और शहद

हल्दी में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण गले के इंफेक्शन को कम करने में मदद करते हैं। वहीं शहद (Honey) बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने और गले की खराश को शांत करने में असरदार है।
खांसी होने पर आप 1 साल से अधिक उम्र के बच्चे को हल्दी पाउडर की चुटकी शहद में मिलाकर दे सकते हैं।

2. लहसुन और शहद

लहसुन (Garlic) और शहद दोनों ही प्राकृतिक एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल माने जाते हैं। यह गले की सूजन कम करते हैं और infection से लड़ने में मदद करते हैं।
आप 2 साल से अधिक उम्र के बच्चे को बारीक कटे हुए लहसुन को शहद में मिलाकर थोड़ी मात्रा में दे सकते हैं।

3. तुलसी के पत्ते

आयुर्वेद में तुलसी को "Queen of Herbs" कहा गया है। तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ देने से बच्चों की खांसी और गले की खराश कम होती है।
आप चाहें तो तुलसी की कुछ पत्तियां पानी में उबालकर उसमें शहद डालकर बच्चों को पिला सकते हैं।

4. नीलगिरी का तेल

छोटे बच्चों (2 साल से कम) के लिए नीलगिरी का तेल काफी लाभकारी है। आप बच्चे के तकिए या कमरे में नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें डाल दें। इससे बच्चे की बंद नाक खुल जाएगी और साँस लेने में आसानी होगी।

5. मिश्री

गले की खराश और जलन को कम करने के लिए मिश्री एक कारगर उपाय है। यह गले में नमी बनाए रखती है और खांसी से राहत दिलाती है।
आप बच्चों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिश्री चटवा सकते हैं। इसके अलावा बाजार में उपलब्ध कुछ soothing lozenges भी अल्पकालिक राहत दे सकते हैं।

ध्यान देने योग्य बातें

1 साल से छोटे बच्चों को शहद न दें।

अगर खांसी लगातार बनी रहे या बुखार के साथ हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

ये नुस्खे केवल supportive remedies हैं, किसी भी बीमारी का इलाज नहीं।

निष्कर्ष

बच्चों की खांसी को कम करने के लिए हल्दी, शहद, लहसुन, तुलसी, नीलगिरी तेल और मिश्री जैसे घरेलू नुस्खे सुरक्षित और आसान उपाय हो सकते हैं। आयुर्वेद के इन छोटे-छोटे प्रयोगों से न केवल खांसी बल्कि बच्चे की इम्यूनिटी भी बेहतर हो सकती है।

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20/09/2025

मर्दों की कमजोरी के लिए सबसे अच्छे उपाय | Best Home Remedies for Sexual & Body Weakness | Stamina

20/09/2025

पवतान आरोग्य आहार: कैंसर केयर आटा और इसके आयुर्वेदिक फायदे

आयुर्वेद में भोजन को दवा के समान महत्व दिया गया है। इसी सिद्धांत पर आधारित है पवतान आरोग्य आहार (Pawatan Arogya Aahar) – एक विशेष Cancer Care Atta, जिसमें राजगीरा, मूंग, सिंघाड़ा, कुट्टू, सांवा, रागी जैसी महत्वपूर्ण प्राकृतिक अनाज और जड़ी-बूटियों का मिश्रण है।

यह आहार खासकर कैंसर रोगियों के लिए तैयार किया गया है, जो अधिक भोजन नहीं कर पाते। केवल 100 ग्राम पवतान आटा एक समय के सम्पूर्ण भोजन की आवश्यकता को पूरा कर सकता है।

यह आहार कीमोथेरपी और रेडिएशन के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक माना जाता है। 5000 से अधिक रोगियों पर शोध के बाद इसे विकसित किया गया है।

पवतान आरोग्य आहार के मुख्य घटक और उनके लाभ
1. रागी (Ragi)

रागी को सुपरफूड कहा जाता है। इसमें कैल्शियम, आयरन, अमिनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।

डायबिटीज और मोटापा नियंत्रित करने में सहायक।

एनीमिया (Anemia) से बचाव करता है।

बच्चों और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार।

100% Gluten Free, पाचन के लिए अच्छा।

⚠️ ध्यान दें: अधिक मात्रा में सेवन से पथरी और थायरॉयड रोगियों में समस्या हो सकती है।

2. राजगीरा (Rajgira / Amaranth)

राजगीरा का आटा व्रत के समय भी लोकप्रिय है। इसमें कैल्शियम, जिंक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।

हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है।

सूजन और प्रेग्नेंसी में होने वाली तकलीफों को कम करता है।

ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक।

रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को मजबूत करता है।

पाचन को दुरुस्त रखता है।

3. कुट्टू (Buckwheat)

कुट्टू व्रत और सेहत दोनों के लिए श्रेष्ठ है।

वजन कम करने और बेली फैट घटाने में मददगार।

खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) कम करता है और हृदय रोगों से बचाव करता है।

इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स और खनिज पदार्थ हृदय को स्वस्थ रखते हैं।

4. सिंघाड़ा (Water Chestnut)

सिंघाड़ा पानी से भरपूर और ठंडी तासीर वाला फल है।

शरीर की गर्मी को कम करता है और लूज मोशन में राहत देता है।

यूरिन इंफेक्शन और किडनी के लिए लाभकारी।

अपच और जी मिचलाने में फायदेमंद।

हाई ब्लड प्रेशर और तनाव कम करने में मददगार।

खांसी-जुकाम और गले की समस्याओं में उपयोगी।

5. समां के चावल (Barnyard Millet / Sama Rice)

समां का चावल व्रत में खासकर खाया जाता है लेकिन स्वास्थ्य के लिए भी यह उत्तम है।

कैंसर के खतरे को कम करने में सहायक।

आयरन की कमी और एनीमिया में लाभकारी।

पाचन को मजबूत करता है।

वजन घटाने और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में सहायक।

हड्डियों को मजबूत बनाता है।

⚠️ ध्यान दें: अधिक मात्रा में सेवन से पेट दर्द, उल्टी या मतली हो सकती है।

पवतान आरोग्य आहार क्यों चुनें?

आयुर्वेद पर आधारित और शोधित उत्पाद।

कैंसर रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी।

कीमोथेरपी और रेडिएशन के दुष्प्रभाव कम करने में सहायक।

100% प्राकृतिक, ग्लूटेन-फ्री और पोषक तत्वों से भरपूर।

निष्कर्ष

पवतान आरोग्य आहार केवल एक आटा नहीं बल्कि एक संतुलित Ayurvedic Diet है। इसमें ऐसे पौष्टिक अनाज और जड़ी-बूटियां शामिल हैं जो शरीर को ऊर्जा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वास्थ्य प्रदान करती हैं। यह खासकर कैंसर रोगियों के लिए उपयोगी है लेकिन सामान्य व्यक्ति भी इसे अपने आहार में शामिल करके स्वस्थ रह सकते हैं।

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19/09/2025

रागी की रोटी: गेहूं का बेहतरीन विकल्प, सेहत के लिए फायदेमंद

आजकल लोग अपने हेल्थ के प्रति पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं। खासकर जो लोग वजन बढ़ने, डायबिटीज (Diabetes), एनीमिया (Anemia) या हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं से परेशान हैं, वे अपने आहार में हेल्दी विकल्प तलाशते रहते हैं।

ऐसे में रागी का आटा (Ragi Flour) गेहूं की जगह पर एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।

रागी की रोटी न केवल पचने में आसान होती है बल्कि शरीर को कई तरह के न्यूट्रिशनल फायदे भी देती है। आइए जानते हैं रागी की रोटी खाने के 5 बड़े फायदे और क्यों इसे अपनी डेली डाइट में शामिल करना चाहिए।

1. एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर

रागी की रोटी में एंटी-एजिंग प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। इसके नियमित सेवन से स्किन हेल्दी और ग्लोइंग बनी रहती है। यह झुर्रियों, दाग-धब्बों और फाइन-लाइंस को कम करने में मदद कर सकती है। जो लोग नेचुरल तरीके से स्किन हेल्थ सुधारना चाहते हैं, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है।

2. वजन घटाने में मददगार

जो लोग Weight Loss की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए रागी की रोटी बेहद फायदेमंद है। इसमें डाइटरी फाइबर अधिक होता है, जिससे डाइजेशन बेहतर होता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती। ज्यादा खाने से बचने के कारण धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है।

3. ब्लड शुगर कंट्रोल करे

रागी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स गेहूं से कम होता है। इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोक सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए नाश्ते में रागी की रोटी एक हेल्दी विकल्प हो सकती है।

4. एनीमिया से बचाव

रागी आयरन का एक अच्छा सोर्स है। इसका सेवन शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। एनीमिया से परेशान लोगों के लिए यह आहार का जरूरी हिस्सा होना चाहिए।

5. हड्डियों को मजबूत बनाए

रागी में कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन जैसे मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर में खून की कमी को दूर करने में सहायक हैं। बच्चों और महिलाओं के लिए यह खासतौर पर फायदेमंद है।

निष्कर्ष

यदि आप अपनी डेली डाइट में एक हेल्दी विकल्प ढूंढ रहे हैं तो गेहूं की जगह रागी की रोटी शामिल करें। यह न केवल आपके वजन को कंट्रोल करने में मदद करेगी बल्कि डायबिटीज, एनीमिया और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद है।

लेखक:
Dr. (Vaidya) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy, Kankhal Haridwar
📧 Email: aapdeepak.hdr@gmail.com

📞 Contact: 9897902760

Best food for Vitamin B12, D & E deficiency.   #
18/09/2025

Best food for Vitamin B12, D & E deficiency.

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18/09/2025

अदरक के पानी के फायदे – पाचन, इम्यूनिटी और वजन घटाने के लिए बेहतरीन उपाय

अदरक (Ginger) हमारे किचन में हमेशा मौजूद रहने वाला एक खास मसाला है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अदरक का पानी (Ginger Water) पीने से कितने सारे हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं?

अदरक की चाय तो हम सब पीते हैं, लेकिन अदरक का पानी आपके स्वास्थ्य के लिए और भी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं अदरक के पानी के फायदे विस्तार से।

1. त्वचा को बनाएं हेल्दी और ग्लोइंग

अदरक का पानी खून को साफ करने में मदद करता है, जिससे शरीर में टॉक्सिन्स कम होते हैं और इसका असर आपकी स्किन पर नजर आता है। नियमित रूप से इसे पीने से स्किन ग्लो करने लगती है और पिंपल्स, स्किन इंफेक्शन जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं।

2. प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को मजबूत करे

अगर आप बार-बार सर्दी-खांसी या वायरल इंफेक्शन से परेशान रहते हैं तो अदरक का पानी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और कई प्रकार की बीमारियों से बचाव करते हैं।

3. पाचन तंत्र को सही रखे

अदरक का पानी पाचन शक्ति को बेहतर बनाता है। इसे पीने से गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं कम होती हैं। खाना आसानी से पचता है और पेट हल्का महसूस होता है।

4. वजन कम करने में मददगार

अगर आप वेट लॉस (Weight Loss) की कोशिश कर रहे हैं तो अदरक का पानी आपके लिए नेचुरल उपाय साबित हो सकता है। यह शरीर की मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे फैट बर्न होने में मदद मिलती है और धीरे-धीरे वजन घटने लगता है।

5. कैंसर से बचाव में सहायक

अदरक में एंटी-कैंसर प्रॉपर्टीज भी होती हैं। रिसर्च के अनुसार, इसमें पाए जाने वाले कुछ तत्व शरीर में कैंसर सेल्स के फैलाव को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसलिए इसे अपने डेली डाइट में शामिल करना एक अच्छा विकल्प है।

अदरक का पानी कैसे बनाएं

अदरक का पानी बनाना बहुत आसान है।

एक गिलास पानी को हल्का गर्म करें।

उसमें 1 इंच ताज़ा अदरक को कद्दूकस करके डालें।

5-7 मिनट तक पानी में उबालें और फिर छानकर पी लें।

सुबह खाली पेट पीना सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।

निष्कर्ष

अदरक का पानी पीना एक आसान और प्राकृतिक तरीका है अपने पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, इम्यूनिटी बढ़ाने और वजन कम करने का। यह एक आयुर्वेदिक उपाय है जो बिना किसी साइड इफेक्ट के आपके शरीर को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।

लेखक:
Dr. (Vaidya) Deepak Kumar
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17/09/2025

नाखून चबाने की आदत: सेहत के लिए क्यों है खतरनाक

बहुत से लोग आदत से मजबूर होकर नाखून (Nails) चबाते रहते हैं। अगर आपको भी यह आदत है, तो आपको सतर्क हो जाने की जरूरत है। यह आदत केवल दिखने में बुरी नहीं है बल्कि सेहत के लिए भी काफी हानिकारक हो सकती है। आयुर्वेद में कहा गया है कि शरीर में किसी भी प्रकार का गंदगी का प्रवेश रोगों को जन्म देता है। आइए जानते हैं नाखून चबाने से होने वाले नुकसान और इससे बचाव के उपाय।

1. गंदे नेल्स में पनपते हैं बैक्टीरिया

नेल्स में Salmonella और E.Coli जैसे रोगजनक बैक्टीरिया पनप सकते हैं। जब आप दांतों से नाखून काटते हैं, तो ये बैक्टीरिया आपके मुंह में प्रवेश कर जाते हैं और पेट से जुड़ी कई बीमारियां (Gastrointestinal Diseases) पैदा कर सकते हैं। कई शोध में पाया गया है कि हमारे नेल्स उंगलियों से दोगुने गंदे होते हैं।

2. स्किन इंफेक्शन का खतरा

नाखून चबाने से उसके आसपास की स्किन सेल्स भी डैमेज हो जाती हैं। इससे Paronychia नाम का स्किन इंफेक्शन हो सकता है, जिसमें नेल्स के आसपास सूजन और पस बनने लगता है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह दर्दनाक हो सकता है।

3. दांत और मसूड़ों को नुकसान

लगातार नेल्स चबाने से दांत कमजोर हो सकते हैं। नाखूनों की गंदगी दांतों तक पहुंचकर दांतों पर प्लाक और कैविटी का खतरा बढ़ाती है। रिसर्च यह भी बताती है कि ज्यादा नेल्स चबाने वाले लोग अक्सर स्ट्रेस और Anxiety में रहते हैं।

4. स्किन पर घाव और दर्द

नाखून चबाने वालों में Dermatophagia नाम की समस्या भी देखी जाती है। इस स्थिति में उंगलियों की स्किन पर घाव और लालपन बनने लगता है। लगातार चोट लगने से नसों को भी नुकसान हो सकता है, जिससे उंगलियों में Sensitivity बढ़ सकती है।

नाखून चबाने की आदत कैसे छोड़ें? (Ayurvedic Tips)

नीम का लेप या कड़वा तेल नाखूनों पर लगाएं, ताकि उन्हें चबाने का मन न हो।

जब भी नाखून चबाने का मन करे तो डीप ब्रीदिंग करें या पानी पिएं।

नाखूनों को साफ और छोटा रखें, ताकि उन्हें काटने की जरूरत न पड़े।

तनाव कम करने के लिए योग और मेडिटेशन करें।

निष्कर्ष

नाखून चबाने की आदत छोटी लग सकती है, लेकिन यह बैक्टीरिया संक्रमण, स्किन इंफेक्शन और दांतों की समस्याओं का कारण बन सकती है। सही समय पर इस आदत को रोककर आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, स्वच्छता और मानसिक संतुलन बनाए रखना शरीर को स्वस्थ रखने की पहली शर्त है।

Dr. (Vaidya) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy, Kankhal Haridwar
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Mr. Deepak Kumar the talented expert Vaidya belongs to the dynasty of renowned Veteran Vaidya (Late) Shri Lallu Ji, and Late Shri Vijay Kumar Ji who laid the foundation of Adarsh Ayurvedic Aushdhalaya (Regd) in 1947. It is worth remembering that Shri DEEPAK KUMAR was honored with Rastriya Swasthaya Samman Puraskar in 2004 by Central State Minister for Science and Technology, Government of India, Honorable Bacchi Singh Rawat in auspicious Alankaran Samaroh , in presence of Shri G.B.G. Krishanmurty former Chief Election Commissioner, Shri Romesh Bhandari former U.P. Governor, Shri B. Satyanarayan Reddy, former Governor(U.P.), Dr. A.R. Kidwai former Governor, Bihar.

Vaidya Deepak Kumar has been Honored with Arch of Excellence (Medicare) Award in 2006 by All India Achievers Conference, New Delhi on the occasion of 55th National Seminar on “INDIVIDUAL ACHIEVEMENTS & NATION BUILDING”

Vaidya Deepak Kumar has also been Honored with Health Excellence Award in 2007 by All India Business & Community Foundation(AIBCF) on the Occasion of National Seminar on “EMERGING INDIA :CHALLENGES & OPPORTUNITIES”