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04/06/2025
05/05/2025

अपनी कुंडली और हस्तरेखा के द्वारा आप अपना भविष्य और जीवन की समस्याओं का समाधान पाने के लिए हमसे संपर्क करे। जिनकी जन्म तारीख नही है वो हस्त रेखा और प्रश्न कुंडली से भी सब जान सकते हैं। आपको समस्याओं के समाधान के लिए आसान उपाय भी बताए जाएंगे जो आप खुद कर सकते है। इसके लिए नीचे दिए नंबर पर संपर्क करे।
20 साल से हम लोगो की समस्याओं का सफलता पूर्वक समाधान कर रहे है।

ॐ नमः शिवाय।

ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र कालरा।
शिव ज्योतिष केंद्र। 9870416717
9871746717
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गृह कलह की कोई न कोई वजह जरूर होती है जैसे पति-पत्नी के तनाव का मुख्य कारण उनके घरवालों को लेकर उत्पन्न कलह होती है। कलह...
28/11/2024

गृह कलह की कोई न कोई वजह जरूर होती है जैसे पति-पत्नी के तनाव का मुख्य कारण उनके घरवालों को लेकर उत्पन्न कलह होती है। कलह के कारण कई बार तो दाम्पत्य जीवन में तनाव इतना बढ़ जाता है कि तलाक तक की नौबत आ जाती है। इससे बचाव का एक सरल सा रास्ता यह है कि जब भी आप अपने लड़के या लड़की के गुणों का मिलान कराएं तो गुणों के साथ-साथ पत्री पर भी ध्यान दें। कई बार कलह बच्चों के जन्म को लेकर भी होता है जिसकी वजह से गृह क्लेश काफी बढ़ जाता है।
दाम्पत्य जीवन में कलह के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं।
लड़के या लड़की की पत्री में सप्तम भाव में शनि का होना या गोचर करना।
किसी पाप ग्रह की सप्तम या अष्टम भाव पर दृष्टि होना या राहु, केतु अथवा सूर्य का वहां बैठना
पति-पत्नी की एक सी दशा या शनि की साढ़े साती का चलना भी कलह एवं तलाक का एक कारण होता है। शुक्र की गुरु में दशा का चलना या गुरु में शुक्र की दशा का चलना भी एक कारण है। कुंडली में अकाल मृत्यु का दोष और पितृदोष भी एक बहुत बड़ा कारण है जब गृहस्ती अच्छी नहीं चलती है मैंने काफी कुंडलियों में यह देखा है कि अगर कुंडली में पितृदोष है तो पति पत्नी के बीच में हमेशा तनाव रहता है घर में कलेश का माहौल रहता है पितरों की शांति और उनके आशीर्वाद से जीवन में हर सुख पाया जा सकता है।
उचित उपाय से समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र कालरा। । शिव ज्योतिष केंद्र। 9870416717,9871746717
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शरीर के इन अंगो के तिल बताते हैं धन का योग :तिल का आपके अंगों पर मौजूद होने का मतलब बताते हुए कई शुभ तिल का उल्लेख किया ...
27/11/2024

शरीर के इन अंगो के तिल बताते हैं धन का योग :
तिल का आपके अंगों पर मौजूद होने का मतलब बताते हुए कई शुभ तिल का उल्लेख किया गया है। जिनमें यह 10 स्थान ऐसे हैं जहां तिल होने का साफ मतलब है कि आपको धन की कमी कभी नहीं रहेगी। देखिए आपके अंगों पर तिल है क्या?
1. नाभि पर तिल-
समुद्रशास्त्र में पेट पर मौजूद तिल को शुभ नहीं माना जाता है। यह व्यक्ति के दुर्भाग्य का सूचक माना जाता है। ऐसे व्यक्ति भोजन का शौकीन होता है। लेकिन तिल अगर नाभि के आस-पास हो तब व्यक्ति को धन समृद्धि की प्राप्ति होती है।
2. पीठ पर तिल-
पीठ पर मौजूद तिल व्यक्ति के रोमांटिक होने के साथ ही धनवान होने का सूचक होता है। ऐसा व्यक्ति खूब कमाता है और खूब खर्चा करता है।
3. पैर के अंगूठे पर तिल
पैर के अंगूठे पर तिल होने का मतलब है कि आप समाज में प्रतिष्ठित और संपन्न व्यक्ति होंगे।
4. तर्जनी अंगुली पर तिल-
जिस व्यक्ति की तर्जनी उंगली पर तिल होता है वह धनवान तो होता है लेकिन शत्रुओं से परेशान रहता है।
5. नाभि के नीचे तिल
जिस व्यक्ति के नाभि के थोड़ा नीचे तिल होता है उसे धन की कमी कभी नहीं रहती है।
6. भौंह के मध्य में तिल
भौंह के मध्य में खाली स्थान के बीच में तिल का होना बहुत ही शुभ माना गया है। यह दांपत्य जीवन के अलावा धन धान्य के लिए भी बढिया माना गया है।
7. नाक के दायीं ओर तिल
जिनके नाक के दायीं ओर तिल होता है उन्हें कम मेहनत में ही धन का लाभ मिलता रहता है। यह भाग्यशाली होते हैं।
8. ठोड़ी पर तिल
जिस व्यक्ति के ठोड़ी पर तिल होता है उन्हें कभी धन का अभाव नहीं रहता क्योंकि इनकी आय का साधन हमेशा बना रहता है।
9. अनामिका उंगली के मध्य में तिल
अनामिका उंगली के मध्य में तिल व्यक्ति को धनवान और यशस्वी बनाता है।
10. सबसे छोटी उंगली पर तिल
सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठका पर तिल होने पर व्यक्ति संपत्तिशाली तो होता है लेकिन जीवन पर परेशानी और अशांति बनी रहती है।
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15/11/2024

आपकी जन्म अथवा नाम राशि के अनुकूल रंग
रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। हम अपने चारों ओर के अनेक रंगों से प्रभावित होते हैं। मूल रूप से इन्द्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीलातथा बैंगनी हैं। रंगों की उत्पत्ति का प्राकृतिक स्रोत सूर्य का प्रकाश है| प्रकृति की सुन्दरता अवर्णनीय है और रंग ही इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते है । सूर्य की लालिमा हो या खेतों की हरियाली, आसमान का नीलापन या मेघों का कालापन, वर्षा के बाद में बिखरती इन्द्रधनुष की अनोखी छटा, बर्फ़ की सफ़ेदी और ऐसे कितने ही ख़ूबसूरत दृश्य हैं जो हमें प्रफुल्लित कर देते हैं । इस आनंद का रहस्य है रंगों की अनुभूति। मानव जीवन रंगों के बिना उदास और सूना है| व्यक्ति पर उसके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले तथा उसके आस पास के रंगों का बहुत असर पड़ता है | रंगों के इस महत्व को समझ कर ही हमारे ऋषियों ने धार्मिक अनुष्ठानों में विभिन्न रंगों के प्रयोग का समावेश किया है | कुमकुम ,हल्दी ,मेहँदी ,गुलाल को धार्मिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है | नव ग्रह पूजन में सूर्य और मंगल को लाल रंग से ,चन्द्र और शुक्र को श्वेत रंग से ,बुध को हरे रंग से ,गुरु को पीले रंग से ,शनि तथा राहू –केतु को काले रंग से प्रदर्शित किया जाता है | हमारे शरीर पर रंगों का प्रभाव बहुत ही सूक्ष्म प्रक्रिया से होता हैं | आज कल पाश्चात्य चिकित्सा में भी रंगों के प्रयोग पर अनुसंधान किया जा रहा है जिसका बहुत सकारात्मक परिणाम मिल रहा है |
नीचे आपकी राशि के अनुकूल तथा प्रतिकूल रंगों का वर्णन किया गया है | अपनी राशि के अनुकूल रंग का अपने जीवन में अधिक प्रयोग करने पर आपको सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होगी|
जिनकी जन्म या नाम राशि मेष है उनके लिए लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग अनुकूल हैं । नीले, स्लेटी और काले ओर हरे रंग के प्रयोग से बचें|
जिनकी जन्म या नाम राशि वृष है उनके लिए हरा,श्वेत ,मिश्रित रंग,नीला ,स्लेटी,काला ,आसमानी ,जामुनी रंग अनुकूल हैं | लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग का प्रयोग कम करें |
जिनकी जन्म या नाम राशि मिथुन है उनके लिए हरा,श्वेत ,मिश्रित रंग,नीला ,स्लेटी,काला ,आसमानी ,जामुनी रंग अनुकूल हैं | लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग का प्रयोग कम करें |
जिनकी जन्म या नाम राशि कर्क है उनके लिए लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग अनुकूल हैं । नीले, स्लेटी, हरे और काले रंग के प्रयोग से बचें|
जिनकी जन्म या नाम राशि सिंह है उनके लिए लाल, पीला,हरा , नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग अनुकूल हैं । नीले, स्लेटी और काले रंग के प्रयोग से बचें|
जिनकी जन्म या नाम राशि कन्या है उनके लिए हरा ,नीला ,स्लेटी,काला ,आसमानी ,जामुनी रंग अनुकूल हैं | लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग का प्रयोग कम करें |
जिनकी जन्म या नाम राशि तुला है उनके लिए हरा,श्वेत ,मिश्रित रंग,नीला ,स्लेटी,काला ,आसमानी ,जामुनी रंग अनुकूल हैं | लाल, पीला, नारंगी,गुलाबी रंग का प्रयोग कम करें |
जिनकी जन्म या नाम राशि वृश्चिक है उनके लिए लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग अनुकूल हैं । नीले, स्लेटी और काले रंग के प्रयोग से बचें|
जिनकी जन्म या नाम राशि धनु है उनके लिए लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग अनुकूल हैं । नीले, स्लेटी ,हरे और काले रंग के प्रयोग से बचें |
जिनकी जन्म या नाम राशि मकर है उनके लिए हरा ,मिश्रित रंग,नीला ,स्लेटी,काला ,आसमानी ,जामुनी रंग अनुकूल हैं लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग का प्रयोग कम करें |
जिनकी जन्म या नाम राशि कुम्भ है उनके लिए हरा,नीला ,स्लेटी,काला ,आसमानी ,जामुनी रंग अनुकूल हैं | लाल, पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग का प्रयोग कम करें |
जिनकी जन्म या नाम राशि मीन है उनके लिए लाल, भूरा , पीला, नारंगी,श्वेत ,गुलाबी रंग अनुकूल हैं । नीले, हरे ,स्लेटी और काले रंग के प्रयोग से बचें|.

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18/10/2024

यहां चढ़ाएं मसूर की दाल, मिलेगी कर्ज से मुक्ति

मसूर की दाल जो कि लाल रंग की होती है और इसका संबंध मंगल ग्रह से माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह को सेनापति का पद प्राप्त है। मंगल देव का रंग लाल है और लाल रंग की वस्तुएं उन्हें बेहद प्रिय हैं। इसी वजह से मंगल की बाधाओं को दूर करने के लिए लाल रंग की वस्तुओं से जुड़े पूजन आदि कर्म किए जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह बताए गए हैं जो अपनी स्थितियों के अनुसार हमें शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। मंगल देव को सेनापति माना जाता है इसी वजह से मनुष्य पर इनका प्रभाव काफी अधिक पड़ता है। मंगल दोष के कारण व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

यदि किसी की कुंडली में मंगल अशुभ है तो उसे जीवन में भूमि, विवाह, हमारे शरीर में रक्त से जुड़ी बीमारियों और परेशानियों से जुझना पड़ता है। हमारे शरीर में रक्त में मंगल देव का निवास माना जाता है

इसी वजह से मंगल के अशुभ होने पर व्यक्ति रक्त से जुड़ी बीमारियां होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। लाख कोशिशों के बाद भूमि से जुड़े मामलों में सफलता मिलने में भी शंका रहती है। इसके अलावा मंगल दोष वाले व्यक्ति को विवाह में भी कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं, विवाह देर से होता है। मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए मसूर की दाल का दान सबसे अच्छा और सस्ता उपाय है। मंगल का रंग लाल है और मसूर की दाल भी लाल ही होती है।

इसी वजह से इस दाल के दान से मंगल देव अति प्रसन्न होते हैं। किसी योग्य व्यक्ति को समय-समय पर दाल का दान करने पर उसकी दुआं से भी व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनने लगेंगे। भूमि, विवाह या रक्त से जुड़ी समस्याएं धीरे-धीरे कम होने लगेंगी।

वर्तमान समय में कर्ज यानी लोन लेना बुरा नहीं माना जाता। व्यक्ति अपने जीवन की दैनिक जरुरतों के लिए भी कई बार कर्ज ले लेता है लेकिन परेशानी तब शुरु होती है जब कर्ज चुकाने का समय आता है। कई बार कर्ज के रूप में लिए गए रुपयों से कई गुना धन चुकाने के बाद भी कर्ज पूरा नहीं हो पाता। अगर आपके साथ भी यही परेशानी है तो यह उपाय करें

उपाय

भगवान शंकर सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं। कर्ज से मुक्ति के लिए प्रति मंगलवार को किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर मसूर की दाल(यथाशक्ति) चढ़ाएं साथ ही यह मंत्र भी बोलें- ऊँ ऋणमुक्तेश्वराय नम:। कम से कम 5 माला जप अवश्य करें। मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। कुछ ही दिनों में कर्ज संबंधी आपकी समस्या का निराकरण हो जाएगा। ये सब उपाय किसी योग्य ज्योतिषी को कुंडली दिखा कर ही करे। कई बार नुकसान भी हो सकता हैं।
ज्योतिषाचार्य धर्मेंद्र कालरा। शिव एस्ट्रोलोजी सेंटर। 987174671

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09/10/2024

मां कालरात्रि की पूजा करने से साहस और पराक्रम की होती है प्राप्ति, जानिए पूजा विधि, मंत्र और आरती
नवरात्रि के सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं पूजा- विधि, मंत्र और स्तुति
कालरात्रि देवी का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने का विधान है। मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। माता का रंग काला होने के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया है। वहीं अगर माता के स्वरूप की बात करें, तो मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। इनके हाथों में खड्ग और कांटा है। साथ ही इनका वाहन गधा है। जानिए नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा विधि, आरती, मंत्र और मुहूर्त…

जानिए मां कालरात्रि की पूजा- विधि
नवरात्रि के सातवें दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। साथ ही इसके बाद गणेश वंदना करें। इसके बाद धूप और दीपक प्रज्जवलित करें। साथ ही मां कालरात्रि का चित्र या तस्वीर स्थापित करें। वहीं अगर कालरात्रि की तस्वीर नही है तो मां दुर्गा का जो चित्र स्थापित है। उसकी ही पूजा करें। वहीं माता कालरात्रि की पूजा में अक्षत, धूप, रातरानी के पुष्प, गंध, रोली, चंदन का इस्तेमाल करते हुए उनका पूजन करें। वहीं मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद है। तो उनको भोग लगाएं। साथ ही अंत में आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

ध्यान
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्तोत्र पाठ
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली मां जिसे बचावे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय॥

मां कालरात्रि के मंत्र
दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे। चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

– ॐ कालरात्र्यै नम:
– ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ
– ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा
– या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
– ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
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08/10/2024

नवरात्रि का 6वां दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है. माता इस रूप में भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान देती है. माना जाता है कि देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में खुशहाली और दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अचूक मानी जाती है. मां कात्यायनी पूरे ब्रजमंडल की अधिष्ठदात्री देवी हैं. इनके आशीर्वाद से भक्त को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है.

मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Maa Katyayani Ki Puja Ka Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा.

मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayni Puja Vidhi)
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें. इसके बाद कलश की पूजा करने के बाद हाथ में पुष्प लेकर मां दुर्गा और मां कात्यायनी की ध्यान कर पुष्प मां के चरणों में अर्पित करें. इसके बाद माता को अक्षत, कुमकुम, पुष्प और सोलह श्रृंगार अर्पित करें. उसके बाद मां कात्यायनी को उनका प्रिय भोग शहद, मिठाई अर्पित करें. मां को जल अर्पित कर दुर्गा चलिसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.

मां कात्यायनी का भोग (Maa Katyayni Bhog)
मां कात्यायनी की पूजा में देवी को शहद या फिर शहद से बने हलवे का भोग लगाएं. धार्मिक मान्यता है इससे सौंदर्य में निखार आता है. वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और साथ ही धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है.

मां कात्यायनी प्रिय रंग (Maa Katyayni colour)
मां दुर्गा के छठवें स्वरुप मां कात्यायनी का प्रिय रंग लाल है. यह रंग साहस और शक्ति प्रतिनिधित्व करता है. इस दिन लाल रंग धारण करना बेहद शुभ माना जाता है.

मां कात्यायनी के मंत्र जाप (Maa Katyayni Mantra)
पहला मंत्र

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।

दूसरा मंत्र

ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,

नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।

तीसरा मंत्र

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।

मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

मां कात्यायनी की आरती (Maa Katyayni Aarti)
जय जय अम्बे जय कात्यायनी।

जय जग माता जग की महारानी॥

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥

कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥

कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥

झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
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