Health And Wellness Practitioner

Health And Wellness Practitioner Health and Wellness consultant

23/01/2025

ये समझिए कि हमारे पूर्वज कितने बड़े वैज्ञानिक थे।
सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है।
क्या हमारे पूर्वज लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे!, वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे।
डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं था।
लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके चारपाई बनाना एक कला है उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है, क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।
दुनिया में जितनी भी आराम कुर्सियां देख लें, सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था। लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया,चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं, वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती। चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है खाट को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।
अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है। भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है।
गर्मियों में Bed मोटे गद्दे के कारण गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है।
बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है।
हमारी देशी ‘चारपाई’ की उपयोगिता और गुण के समझते हुए अमेरिकी कंपनीयां विदेश में 1 लाख रुपये से ज्यादा में इसे बेच रही पर हम इसके गुणों को अनदेखा कर बेड पर लेट कर हज़ारों बीमारियाँ ले रहे और अपनी ही किफ़ायती गुणकारी चीज़ों विदेशों में जाकर उनके मनचाहे पे अपनी देशी चीजें ख़रीद रहे!

21/09/2024

मह्त्वपूर्ण जानकारी:-

कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है

सोना :-
सोना एक गर्म धातु है सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है

चाँदी :-
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है ! शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है

कांसा :-
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है ! लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है ! कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं

तांबा :-
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है

पीतल :-
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती ! पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं

लोहा :-
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है ! लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है ! लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है

स्टील :-
स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता

एलुमिनियम :-
एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है ! इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है ! यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए ! इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है ! उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है ! एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं

मिट्टी :-
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे ! इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं ! आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए ! भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है ! दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैमिट्टी के बर्तन ! मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं ! और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है!

18/09/2024

🇮🇳मिलावट का ज़माना है
🙏1. जीरा (Cumin seeds)
✨जीरे की परख करने के ल‍िए थोड़ा सा जीरा हाथ में लीजि‍ए और दोनों हथेल‍ियों के बीच रगड़‍िए। अगर हथेली में रंग छूटे तो समझ जाइए क‍ि जीरा म‍िलावटी है क्‍योंक‍ि जीरा रंग नही छोड़ता।

2. हींग (Hing)

✨हींग की गुणवत्‍ता जांचने के ल‍िए उसे पानी में घोल‍िए।

अगर घोल दूध‍िया रंग का हो जाए तो समझ‍िए क‍ि हींग असली है।

दूसरा तरीका है हींग का एक टुकड़ा जीभ पर रखें अगर हींग असली होगी तो कड़वापन या चरपराहट का अहसास होगा।

3. लाल मि‍र्च पाउडर (Red chilli powder)

✨लाल म‍िर्च पाउडर में सबसे ज्‍यादा म‍िलावट की जाती है।

इसकी जांच करने के ल‍िए पाउडर को पानी में डालिए, अगर रंग पानी में घुले और बुरादा जैसा तैरने लगे तो मान ल‍ीज‍िए की म‍िर्च पाउडर नकली है।

4. सौंफ और धन‍िया (Fennel & Coriander)

✨इन द‍िनों मार्केट में ऐसी सौंफ और धन‍िया म‍िलता है जिस पर हरे रंग की पॉल‍िश होती है ये नकली पदार्थ होते हैं, इसकी जांच करने के ल‍िए धन‍िए में आयोडीन म‍िलाएं, अगर रंग काला हो जाए तो समझ जाइए क‍ि धन‍िया नकली है।

5. काली म‍िर्च (Black pepper)

✨काली म‍िर्च पपीते के बीज जैसी ही द‍िखती है इसल‍िए कई बार म‍िलावटी काली म‍िर्च में पपीते के बीज भी होते हैं। इसको परखने के ल‍िए एक ग‍िलास पानी में काली म‍िर्च के दानें डालें। अगर दानें तैरते हैं तो मतलब वो दानें पपीते के हैं और काली म‍िर्च असली नहीं है।

6. शहद (Honey)

✨शहद में भी खूब म‍िलावट होती है।

शहद में चीनी म‍िला दी जाती है, इसकी गुणवत्‍ता जांचने के ल‍िए शहद की बूंदों को ग‍िलास में डालें, अगर शहद तली पर बैठ रहा है तो इसका मतलब वो असली है नहीं तो नकली है।

7. देसी घी (Ghee)

✨घी में म‍िलावट की जांच करने के लिए दो चम्‍मच हाइट्रोक्‍लोर‍िक एस‍िड और दो चम्‍मच चीनी लें और उसमें एक चम्‍मच घी म‍िलाएं। अगर म‍िश्रण लाल रंग का हो जाता है तो समझ जाइए क‍ि घी में म‍िलावट है।

8. दूध (Milk)

✨दूध में पानी, म‍िल्‍क पाउडर, कैम‍िकल की म‍िलावट की जाती है। जांच करने के ल‍िए दूध में उंगली डालकर बाहर न‍िकाल‍ लीज‍िए। अगर उंगली में दूध च‍िपकता है तो समझ जाइए दूध शुद्ध है। अगर दूध न च‍िपके तो मतलब दूध में म‍िलावट है।

9. चाय की पत्‍ती (Tea)

✨चाय की जांच करने के ल‍िए सफेद कागज को हल्‍का भ‍िगोकर उस पर चाय के दाने ब‍िखेर दीज‍िए। अगर कागज में रंग लग जाए तो समझ जाइए चाय नकली है क्‍योंक‍ि असली चाय की पत्‍ती ब‍िना गरम पानी के रंग नहीं छोड़ती।

10. कॉफी (Coffee)

✨कॉफी की शुद्धता जांचने के ल‍िए उसे पानी में घोल‍िए।

शुद्ध कॉफी पानी में घुल जाती है, लेक‍िन अगर घुलने के बाद कॉफी तली में च‍िपक जाए तो वो नकली है

10/09/2024

अनाज तो सुना था ये मोटा अनाज क्या नया बवाल आ गया ? तो अनाज दो भागो में बांटा गया है। सामान्य अनाज जिसमे गेहूं चावल आता है । मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, सावा, कोदो, चीना, कुटकी जैसे अनाज आते है।

तो बात कुछ यूं है की हम मोटे अनाज वाले ही थे । ज्यादा नहीं, आज से सिर्फ 50-60 साल पहले हमारा खान पान बिल्कुल अलग था । हमारे भोजन का एक बड़ा हिस्सा मोटा अनाज होता था और हम मोटा अनाज खाने

वाले लोग थे ।

हरित क्रांति के आने से हमारी थाली में गेहूं और चावल घुसते चले गए और मोटा अनाज दूर होता चला गया और इतना दूर हो गया की पूरी दो पीढ़ी के बहुत से लोगो ने तो बहुत से मोटे अनाजों का नाम भी नही सुना होगा देखने की बात तो बहुत दूर की है।

हर क्षेत्र के अपने अपने मोटे अनाज है कहीं ज्वार तो कहीं बाजरा कहीं रागी तो कहीं सांवा लेकिन उगाए सब जगह जाते थे। बढ़ती सिंचाई सुविधा, उर्वरक, दवाइयों ने मोटे अनाजों की खेती को आर्थिक रूप से लाभप्रद नही रखा और वो चलन से बाहर हो गए।

लेकिन सब परिवर्तनशील है मोटे अनाजों का दौर फिर से आया और गरीबों की थाली का भोजन बढ़िया पैकेट में बंद होकर ऑर्गेनिक के नाम से मॉल और बड़े किराना स्टोर पर प्रीमियम कीमतों पर बिकने लगा। भूले बिसरे मोटे अनाजों के दिन फिर गए ।

आज पूरी दुनिया उसी भुला दिए गए मोटे अनाजों की तरफ वापस लौट रही है। कल से विश्व मोटा अनाज वर्ष आरंभ हो जायेगा। तो प्रण लीजिए अपने अनाज उपभोग का 25 प्रतिशत भाग मोटा अनाज खायेंगे वो कुछ भी हो सकता है आपकी पसंद, बजट और उपलब्धता के आधार पर। आप उपभोग करेंगे बाजार में मांग बढ़ेगी मांग बढ़ेगी तो उत्पादन बढ़ेगा और लोग इसकी खेती की तरफ अग्रसर होंगे । जो कहीं न कहीं चावल और गेहूं की एकतरफा खेती से कृषि को परिवर्तित करने में सहायक होंगे।

किसानों से भी अनुरोध रहेगा थोड़ा थोड़ा मोटा अनाज अवश्य लगाएं ये गेहूं और चावल की तुलना में बहुत पौष्टिक होते है बेचने के लिए न सही खुद खाने के लिए जरूर लगाएं।

03/09/2024

Genetics may just load the Gun but Poor lifestyle and Nutritional Deficiency pulls the trigger of disease

01/09/2024

पहले ग़रीब घड़े,अमीर फ्रिज का पानी पीते थे मगर अब ग़रीब फ्रिज, अमीर घड़े का पीते हैं।
पहले ग़रीब मीठा गुड़,अमीर चीनी खाते थे मगर अब अमीर गुड़, ग़रीब चीनी खाते हैं।
पहले ग़रीब लस्सी,अमीर कोल्ड ड्रिंक पीते थे मगर अब अमीर लस्सी, ग़रीब कोल्ड ड्रिंक पीते हैं।
पहले ग़रीब साइकिल,अमीर कार से टहलते थे मगर अब ग़रीब कार,अमीर साइकिल से टहलते हैं।
पहले ग़रीब देसी,अमीर एलोपैथी दवा खाते थे मग़र अब ग़रीब एलोपैथी,अमीर देशी दवा खाते हैं।
पहले ग़रीब मोटे,अमीर बारीक अनाज खाते थे मगर अब ग़रीब बारीक,अमीर मोटे अनाज खाते हैं।
पहले ग़रीब सूती,अमीर पॉलिएस्टर कपड़े पहनते थे मगर अब ग़रीब पॉलिएस्टर,अमीर सूती पहनते हैं।
पहले ग़रीब मिट्टी के,अमीर धातु के बर्तन लेते थे मगर अब ग़रीब धातु के,अमीर मिट्टी के लेने लगे हैं।
पहले ग़रीब फटे,अमीर साबुत कपड़े पहनते थे मगर अब ग़रीब साबुत,अमीर फटे पहनने लगे हैं।
पहले ग़रीब बाहर घरेलू,अमीर बाहरी खाते थे मगर अब ग़रीब बाहरी,अमीर घरेलू खाना खाते हैं।
पहले ग़रीब तंहाई,अमीर भीड़ तलाशते थे मगर अब ग़रीब भीड़,अमीर तंहाई तलाशते हैं।
पहले ग़रीब छुपाना,अमीर दिखाना चाहते थे मगर अब गरीब दिखाना,अमीर छुपाना चाहते हैं।
पहले ग़रीब सोबर,अमीर शराब पिया करते थे मगर अब ग़रीब शराब पीते अमीर सोबर लगते हैं।

पहले ग़रीब सादगी,अमीर ठाठ-बाट रखते थे मगर अब ग़रीब ठाठ-बाट,अमीर सादगी रखते हैं।
पहले ग़रीब रुचिहीन,अमीर शौकीन बनते थे मगर अब ग़रीब शौकीन,अमीर रुचिहीन लगते हैं।

पहले ग़रीब मेहनत का काम कर पसीना बहाते थे,अब अमीर पसीना बहाने के लिए मेहनत करते हैं।

*नोट* :-मेरी कुछ बातों का अपवाद हो सकता है मगर अधिकतर ऐसा ही है जैसा मैंने बताने की कोशिश की है।

30/08/2024

Grounding or earthing refers to direct skin contact with the surface of the Earth, such as with bare feet or hands, or with various grounding systems. Walking barefoot on the Earth enhances health and provides feelings of well-being can be found in the literature and practices of diverse cultures from around the world.

For a variety of reasons, many individuals are reluctant to walk outside barefoot, unless they are on holiday at the beach. Our modern lifestyle has taken the body and the immune system by surprise by suddenly depriving it of its primordial electron source - the surface of the earth.

Various grounding systems have come up in the West that enable frequent contact with the Earth, such as while sleeping, sitting at a computer, or walking outdoors. These are simple conductive systems in the form of sheets, mats, wrist or ankle bands, adhesive patches that can be used inside the home or office, and footwear. These applications are connected to the Earth via a cord inserted into a grounded wall outlet or attached to a ground rod placed in the soil outside below a window.

Following are the 5 benefits from peer reviewed scientific studies on grounding -

1. Grounding reduces or even prevents the cardinal signs of inflammation following injury - redness, heat, swelling, pain, and loss of function.

2. Grounding the body during sleep yields quantifiable changes in diurnal or circadian cortisol secretion levels that, in turn, produce changes in sleep, pain, and stress (anxiety, depression, and irritability)

3. A repeated observation is that grounding, or earthing, reduces the pain in patients with lupus and other autoimmune disorders.

4. The Earth's potential becomes the “working agent that cancels, reduces, or pushes away electric fields from the body.”

5. Earthing the human body influences human physiological processes, including increasing the activity of catabolic processes and may be “the primary factor regulating endocrine and nervous systems.”

25/07/2024

आप को लगेगा अजीब बकवास है, किन्तु यह सत्य है

पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है।

पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75 % ।

इसके बदले लोगों ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया, जो जमीन को जल विहीन कर देता है...

आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है ।

अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही, और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही ।

हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगायें,
तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त भारत होगा । 🌳

वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए ।

पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं ।

वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है ।
इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए ।

मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।।

अब करने योग्य कार्य ।

इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें ।
बाग बगीचे बनाइये, पेड़ पौधे लगाइये, बगीचों को फालतू के खेल का मैदान मत बनाइये.. जैसे मनुष्य को हवा के साथ पानी की जरूरत है, वैसे ही पेड़ पौधों को भी हवा के साथ पानी की जरूरत है ।

बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।
घर घर नीम लगाइये, यही पुरातन साँच।।

यही पुरातन साँच, आज सब मान रहे हैं।
भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं ।।

विश्वताप मिट जाये, होय हर जन मन गदगद।
धरती पर त्रिदेव हैं, नीम पीपल और बरगद।।

#नीम #पीपल #बरगद #पेङ

16/07/2024

Cholesterol is not inherently bad , but plays a vital roles in our body such as forming cell membranes, hormones,aids in digestion through bile acids, the demonization of cholesterol has lead to overlook these crucial functions of cholesterol.
Diet and lifestyle can have a significant impact on cholesterol levels and overall health rather than just relying solely on medications

07/02/2023

Thanks for contacting us For consultations You can book your appointment (online/offline/telephonic) consultation for all types of health problems like diabetes, arthritis, kids’ health, Height Increase,Blood pressure, sexual disorders, digestive issues, respiratory problems, weight loss weight gain, hair loss, liver issues, childless couples etc. on WhatsApp +91 9996058098
Rajan Dhir (specialist in phytotherapy & Plant-Based Nutritional Medicine )CFN, NHI USA Internationally Certified Health & Wellness Consultants.CFT from Integrative Dietetics from International Society For Medical Food & Nutrition

01/02/2023

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