27/04/2025
राष्ट्र की रक्षा का संकल्प – विवेक, त्याग और धैर्य के साथ
भारत, एक शांतिप्रिय लेकिन सशक्त राष्ट्र, आज वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी सेना, और हमारा नेतृत्व - सब कुछ हमें पाकिस्तान से कई गुना ज़्यादा है। हमारी अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से दस गुना बड़ी है, हमारा रक्षा बजट बारह गुना अधिक है, और हमारी सेनाएँ अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित और अनुशासन में सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन हमने हमेशा अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं, शांति का प्रस्ताव रखा है।
पर जब बार-बार चेतावनी के बाद भी कोई राष्ट्र आतंक, धोखे और युद्ध की भाषा से पीछे नहीं हटता — तब सहनशीलता भी धर्म के पक्ष में दृढ़ होने की माँग करती है।
हमें यह समझना होगा — युद्ध केवल पराजित को नहीं, विजयी को भी कीमत चुकाने पर मजबूर करता है।
👉बाज़ार गिरेंगे, निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा,
👉अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, रोज़गार और व्यापार धीमे होंगे,
👉और सबसे मूल्यवान — हमारे सैनिकों का बलिदान,
जो किसी आँकड़े से नहीं मापा जा सकता।
विजय का अर्थ यह नहीं कि हमने कुछ नहीं खोया —
बल्कि इसका अर्थ यह होता है कि हमने राष्ट्र की रक्षा के लिए वह सब कुछ खोने को तैयार रखा, जो प्रिय था।
महाभारत इसका सजीव उदाहरण है।
पांडवों की विजय हुई, पर वह इतनी पीड़ादायक थी कि अंततः उन्होंने राज-पाट त्यागकर हिमालय की ओर प्रस्थान किया।
क्योंकि युद्ध के बाद कोई पूर्ण विजयी नहीं होता — केवल वह बचा रह जाता है जिसने सबसे अधिक सहा।
आज हम सबको यह संकल्प लेना होगा —
कि राष्ट्र के लिए जो भी मूल्य चुकाना पड़े,
चाहे वह आर्थिक हो, मानसिक हो या पारिवारिक —
हम उसे सहेंगे, हम पीछे नहीं हटेंगे।
यह युद्ध केवल सीमा पर नहीं लड़ा जाएगा,
यह युद्ध लड़ा जाएगा प्रत्येक भारतीय के भीतर —
जहाँ एक ओर भय होगा, लेकिन दूसरी ओर संकल्प।
जहाँ एक ओर पीड़ा होगी, लेकिन दूसरी ओर राष्ट्र के लिए अटूट प्रेम।
क्या हम सब तैयार हैं?
केवल विजय के गर्व के लिए नहीं,
बल्कि उसके पीछे छुपी हर कीमत को सहने के लिए भी?
भारत के लिए —
हम तैयार हैं।
वन्दे मातरम्।🙏
By: Krishan Sharma