Jyotish VASTU GYAN

Jyotish VASTU GYAN Acharya ji provides solutions to all problems faced by people in their lifespan. He heals your stars Here you find solution to your all problems. NO FAKE UPAYE.

Healing through Scientific and Ayurveda techniques.

27/07/2025

यदि लड़की की कुंडली के लग्न , सप्तम , अश्टम में सभी पाप ग्रह हो तो , स्त्री विधवा होती है ! बारहवें स्थान में सभी पाप ग्रह हों तो स्त्री दुष्टा होती है , पंचम में पापग्रह होने से पुत्रहीन ओर द्वितीय , चतुर्थ में पापग्रह होने से , दरिद्र होती है
यदि शुभ गुरूदेव बृहस्पति की शुभ दृष्टि हो तो मुमकिन है कुछ अच्छा हो जाय

07/06/2025

आम और बेरी की लकड़ी यज्ञ कर्म में सर्वथा त्याज्य है। जबकि अधिकांश इन्हीं लकड़ियों का प्रयोग होता है। क्यों?

यज्ञादि कर्मोंमें आमकी समिधासे हवन नहीं करना चाहिए।
परंतु लोगोंको न जाने कहांसे यह भ्रम हो गया है।
कि हवनमें आमकी समिधा अत्यंत उपयोगी है।

*प्रमाण*-

*यज्ञीयवृक्ष*-

*1 पलाशफल्गुन्यग्रोधाः प्लक्षाश्वत्थविकंकिताः।*
*उदुंबरस्तथा बिल्वश्चंदनो यज्ञियाश्च ये।।*

*सरलो देवदारुश्च शालश्च खदिरस्तथा।*
*समिदर्थे प्रशस्ताः स्युरेते वृक्षा विशेषतः।।*
(आह्निकसूत्रावल्यां_वायुपुराणे)

*2 शमीपलाशन्यग्रोधप्लक्षवैकङ्कितोद्भवाः।*
*वैतसौदुंबरौ बिल्वश्चंदनः सरलस्तथा।।*
*शालश्च देवदारुश्च खदिरश्चेति याज्ञिकाः।।*
(संस्कारभास्करे_ब्रह्मपुराणे)

*अर्थ*-
1पलाश /ढाक/छौला
2फल्गु
3वट
4पाकर
5पीपल
6विकंकत /कठेर
7गूलर
8बेल
9चंदन
10सरल
11देवदारू
12शाल
13खैर
14शमी
15बेंत

उपर्युक्त ये सभी वृक्ष यज्ञीय हैं, यज्ञोंमें इनका इद्ध्म (काष्ठ) तथा इनकी समिधाओंका उपयोग करना चाहिए।
आचार्य केशव दास

शमी व बेल आदि वृक्ष कांँटेदार होने पर भी वचनबलात् यज्ञमें ग्राह्य हैं।

*परंतु इन वृक्षोंमें आमका नाम नहीं है।*

*यज्ञीयवृक्षोंके_न_मिलनेपर*-

यदि उपर्युक्त वृक्षोंकी समिधा संभव न होसके तो, शास्त्रोंमें बताया गया है कि, और सभी वृक्षोंसे भी हवन कर सकते हैं-

*एतेषामप्यलाभे तु सर्वेषामेव यज्ञियाः।।*
(यम:,शौनकश्च)

*तदलाभे सर्ववनस्पतीनाम्*
(आह्निकसूत्रावल्याम्)

परंतु निषिद्ध वृक्षोंको छोड़ करके अन्य सभी वृक्ष ग्राह्य हैं।

तो निषिद्ध वृक्ष कौन से हैं देखिए-

*हवनमें_निषिद्धवृक्ष*-

*तिन्दुकधवलाम्रनिम्बराजवृक्षशाल्मल्यरत्नकपित्थकोविदारबिभीतकश्लेष्मातकसर्वकण्टकवृक्षविवर्जितम्।।*
(आह्निकसूत्रावल्याम्)

*अर्थ*-
1 तेंदू
2 धौ/धव
*3 आम*
4 नीम
5 राजवृक्ष
6 सैमर
7 रत्न
8 कैंथ
9 कचनार
10बहेड़ा
11लभेरा/लिसोडा़ और
12सभी प्रकारके कांटेदार वृक्ष यज्ञमें वर्जित है।
आचार्य केशव दास

*विशेष*-

*1 ऊत्तम_यज्ञीयवृक्ष*- शास्त्रोंमें जिन वृक्षोंका ग्रहण किया गया है, उन सभी वृक्षोंका प्रयोग सर्वश्रेष्ठ है।

*2 मध्यम_यज्ञीयवृक्ष*- शास्त्रोंमें जिन वृक्षोंका ग्रहण भी नहीं किया गया है, और ना ही जिनका निषेध किया गया है ऐसे सभी वृक्षोंका उपयोग मध्यम है।

*3 अधम_यज्ञीयवृक्ष*-
जिन वृक्षोंका शास्त्रोंमें निषेध किया गया है, उन वृक्षोंको यज्ञमें कभी भी उपयोगमें नहीं लाना चाहिए,ये सभी वृक्ष यज्ञमें अधम/त्याज्य हैं।

यज्ञीयवृक्षका_मतलब है— जिन वृक्षोंका यज्ञमें हवन/ पूजन संबंधित सभी कार्योंमें पत्र ,पुष्प ,समिधा आदिका ग्रहण करना शास्त्रोंमें विहित बताया गया है ।

और निषिद्ध वृक्षोंका ये सब त्यागना चाहिए।

*जहां यज्ञीयवृक्ष बताए गए हैं वहां आमके वृक्षका ग्रहण नहीं किया गया है*

*और जहां निषेध वृक्षोंकी गणना है वहां आमकी गणना है। इससे आप लोग विचार कर सकते हैं।*

आमकी समिधा तो यज्ञकर्ममें सर्वथा त्याज्य है, जिसका लोग जानबूझकरके संयोग करते हैं, कितनी दुखद और विचारणीय बात है।

*नोट*- इस लेखमें शुद्ध वैदिक एवं स्मार्त यज्ञोंमें शान्तिक , पौष्टिक सात्विक हवनकी विधि का उल्लेख किया गया है।

*आपको इस विषय में यदि* *कुछ जानकारी है तो वह भेजें

21/04/2025

जय माँ महाकाली जय माँ बगलामुखी

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।

---> हे चित्स्वरूपिणी महासरस्वती! हे सद्रूपिणी महालक्ष्मी! हे आनन्दरूपिणी महाकाली! ब्रह्मविद्या पाने के लिए हम हर समय तुम्हारा ध्यान करते हैं। हे श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वतीस्वरूपिणी चण्डिके! तुम्हे नमस्कार है। अविद्यारूपी रज्जु की दृढ़ ग्रन्थि खोलकर मुझे मुक्त करो।

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।।

---> हे देवि अपने खड्ग से मेरी दैहिक, दैविक तथा भौतिक कष्टो को नष्ट करे दों। जाग्रत, स्वप्न तथा सुपुष्ति की व्याधियों को दूर कर दो। मैं त्रिदेह, स्थूल, सूक्ष्म, कारण शरीर का घंटा अर्थात नाद स्पंद या प्रणव द्वारा अतिक्रमण कर सकूं कारण एवं महाकारण शरीर में महिषासुर रूपी अहंकार का षट्चक्र भेदन द्वारा शमन कर सहस्रार या ब्रह्मरंध्र में प्रवेश कर क्रमश: ऊर्ध्व गति प्राप्त कर ज्ञान राज्य में प्रवेश पा सकूं।

मन्त्राणां मातृका देवी शब्दानां ज्ञानरूपिणी।
ज्ञानानां चिन्मयतीता शून्यानां शून्यसाक्षिणी।
यस्यां परतरं नास्ति सैषा दुर्गा प्रकीर्तिता।।
तां दुर्गां दुर्गमां देवीं दुराचारविघातिनीम्।
नमामि भवभीतोऽहं संसारार्णवतारिणीम्।।

---> सब मन्त्रों में 'मातृका' (मूलाक्षर) रूप से रहने वाली, शब्दों में ज्ञान (अर्थ) रूप से रहने वाली, ज्ञानों में चिन्मयातीता, शून्यों में शून्यसाक्षिणी तथा जिनसे और कुछ भी श्रेष्ठ नहीं हैं, वे ही दुर्गा नाम से प्रसिद्ध हैं। उन दुर्विज्ञेय (जिसको जानना कठिन हो), दुराचार का नाश करने वाली और संसार-सागर से तारने वाली दुर्गा देवी को संसार से भयभीत हुआ मैं नमस्कार करता हूँ।

नमामि त्वां महादेवीं महाभयविनाशिनीम्।
महादुर्गप्रशमनीं महाकारुण्यरूपिणीम्।।

---> महाभय का नाश करने वाली, महासंकट को शान्त करने वाली और महान करुणा की मूर्ति तुम महादेवी को मैं नमस्कार करता हूँ।

खड्गं चक्रगदेषुचापपरिघांशूलं भुशुण्डीं शिर:
शंखं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वांगभूषावृताम्।
नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकां
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम्।।

---> कामबीजस्वरूपिणी महाकाली देवी का मैं ध्यान करता हूँ। वे अपने दस हाथों में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, शूल, भुशुण्डी, कपाल और शंख धारण करती हैं। उनके तीन नेत्र हैं। उनके समस्त अंगों में दिव्य आभूषणों विभूषित हैं तथा उनके शरीर की कान्ति नीलमणि के समान है तथा वे दस मुख और दस पैरों से युक्त हैं।

ॐ अक्षस्त्रक्परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनु: कुण्डिकां
दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम्।
शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तै: प्रसन्नाननां
सेवे सैरिभमर्दिनीमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम्।।

---> मैं कमल के आसन पर बैठी हुई प्रसन्नमुख वाली महिषासुरमर्दिनी भगवती महालक्ष्मी का भजन करता हूँ जो अपने हाथों में अक्षमाला, फरसा, गदा, बाण, वज्र, पद्म,धनुष, कुण्डिका, दण्ड, शक्ति, खड्ग, ढाल, शंख, घण्टा, मधुपात्र, शूल, पाश और चक्र धारण करती हैं। ये अरुण प्रभावाली हैं, रक्तकमल के आसन पर विराजमान मायाबीजस्वरूपिणी श्री महालक्ष्मी जी का मैं का ध्यान करता हूँ।

ॐ घण्टाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनु: सायकं
हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्
गौरीदेहसमुद्धवां त्रिजगतामाधारभूतां महा
पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्।।

---> जो अपने करकमलों में घण्टा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं, शरद् ऋतु के शोभासम्पन्न चन्द्रमा के समान जिनकी मनोहर कान्ति है, जो तीनों लोकों की आधारभूता और शुम्भ आदि दैत्यों का नाश करने वाली है तथा गौरी के शरीर से जिनका प्राकट्य हुआ है उन वाणीबीजस्वरूपिणी महासरस्वती देवी का मैं निरन्तर भजन करता हूँ।

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13/04/2025

संस्कृत का विरोध करने वाले एक एक कर पढें कि संस्कृत किस तरह भारत की नीव है ...

इसे हटाने का मतलब पूरा भारत एक झटके में समाप्त ---

विभिन्न संस्थाओं के संस्कृत ध्येय वाक्य---

भारत सरकार👉 सत्यमेव जयते
लोक सभा👉 धर्मचक्र प्रवर्तनाय
उच्चतम न्यायालय👉 यतो धर्मस्ततो जयः
आल इंडिया रेडियो👉 सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय

दूरदर्शन👉 सत्यं शिवं सुन्दरम्
गोवा राज्य👉 सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।
भारतीय जीवन बीमा निगम👉 योगक्षेमं वहाम्यहम्
डाक तार विभाग👉 अहर्निशं सेवामहे
श्रम मंत्रालय👉 श्रम एव जयते
भारतीय सांख्यिकी संस्थान👉 भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम्
थल सेना👉 सेवा अस्माकं धर्मः
वायु सेना👉 नभःस्पृशं दीप्तम्
जल सेना👉 शं नो वरुणः
मुंबई पुलिस👉 सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय
हिंदी अकादमी👉 अहं राष्ट्री संगमनी वसूनाम्
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं अकादमी👉 हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यम्
भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी👉 योगः कर्मसु कौशलम्
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग👉 ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये
नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन👉 गुरुर्गुरुतमो धाम
गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय👉 ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत
इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय👉 ज्योतिर्व्रणीत तमसो विज्ञानन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय:👉 विद्ययाऽमृतमश्नुते
आन्ध्र विश्वविद्यालय👉 तेजस्विनावधीतमस्तु

बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय,
शिवपुर👉 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत

गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय👉 आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः
संपूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय👉 श्रुतं मे गोपाय
श्री वैंकटेश्वर विश्वविद्यालय👉 ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम्
कालीकट विश्वविद्यालय👉 निर्भय कर्मणा श्री
दिल्ली विश्वविद्यालय👉 निष्ठा धृति: सत्यम्
केरल विश्वविद्यालय👉 कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा
राजस्थान विश्वविद्यालय👉 धर्मो विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा
पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय👉

युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते
वनस्थली विद्यापीठ👉 सा विद्या या विमुक्तये।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्👉
विद्याsमृतमश्नुते।
केन्द्रीय विद्यालय👉 तत् त्वं पूषन् अपावृणु
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड👉 असतो मा सद्गमय
प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम👉 कर्मज्यायो हि अकर्मण:
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर👉 धियो यो नः प्रचोदयात्
गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी👉 तमसो मा ज्योतिर्गमय

मदनमोहन मालवीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय गोरखपुर👉 योगः कर्मसु कौशलम्

भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद👉 संगच्छध्वं संवदध्वम्
इंडिया विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विधि विद्यालय👉 धर्मो रक्षति रक्षितः
संत स्टीफन महाविद्यालय, दिल्ली👉 सत्यमेव विजयते नानृतम्
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान👉 शरीरमाद्यं खलुधर्मसाधनम्
विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर👉 योग: कर्मसु कौशलम्

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इलाहाबाद👉 सिद्धिर्भवति कर्मजा
बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी👉 ज्ञानं परमं बलम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर👉 योगः कर्मसुकौशलम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई👉 ज्ञानं परमं ध्येयम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर👉 तमसो मा ज्योतिर्गमय
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई👉 सिद्धिर्भवति कर्मजा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की👉 श्रमं विना नकिमपि साध्यम्
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद👉 विद्या विनियोगाद्विकास:
भारतीय प्रबंधन संस्थान बंगलौर👉 तेजस्वि नावधीतमस्तु
भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझीकोड👉 योगः कर्मसु कौशलम्
सेना ई एम ई कोर👉 कर्मह हि धर्मह
सेना राजपूताना राजफल👉 वीर भोग्या वसुन्धरा
सेना मेडिकल कोर👉 सर्वे संतु निरामया ..
सेना शिक्षा कोर👉 विद्यैव बलम्
सेना एयर डिफेन्स👉 आकाशेय शत्रुन् जहि
सेना ग्रेनेडियर रेजिमेन्ट.👉 सर्वदा शक्तिशालिम्
सेना राजपूत बटालियन👉 सर्वत्र विजये
सेना डोगरा रेजिमेन्ट👉 कर्तव्यम् अन्वात्मा
सेना गढवाल रायफल👉 युद्धया कृत निश्चयः
सेना कुमायू रेजिमेन्ट👉 पराक्रमो विजयते
सेना महार रेजिमेन्ट👉 यश सिद्धि?
सेना जम्मू काश्मीर रायफल👉 प्रस्थ रणवीरता?
सेना कश्मीर लाइट इंफैन्ट्री👉 बलिदानं वीर-लक्ष्यम्?
सेना इंजीनियर रेजिमेन्ट👉 सर्वत्र
भारतीय तट रक्षक-वयम् रक्षामः
सैन्य विद्यालय👉 युद्धं प्रगायय?
सैन्य अनुसंधान केंद्र👉 बलस्य मूलं विज्ञानम्

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मित्रों!
सिलसिला यहिं खतम नहीं होता,

विदेशी भी हमारे कायल हैं देखो जरा...
नेपाल सरकार👉 जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
इंडोनेशिया-जलसेना 👉 जलेष्वेव जयामहे (इंडोनेशिया) -

पञ्चचित
कोलंबो विश्वविद्यालय- (श्रीलंका)👉 बुद्धि: सर्वत्र भ्राजते
मोराटुवा विश्वविद्यालय (श्रीलंका)👉 विद्यैव सर्वधनम्
पेरादेनिया विश्वविद्यालय👉 सर्वस्य लोचनशास्त्रम्
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मित्रों!
संस्कृत और संस्कृति ही भारतीयता का मूल है .. भारत का विकास इसी से संभव है- तो कीजिये अपने गौरव को याद और सिर उठाकर कहिये "हम भारतीय हैं और संस्कृत हमारी पहचान है, हमें अपने गौरव का अभिमान है।"

भारत माता की जय..
जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्

जयहिंद..
🇮🇳🇮🇳

28/03/2025

सर्वमंगल मांग्लये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुति।।

जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनि।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

या देवि सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः।।

मॉ दुर्गा जी अपने भक्तों की रक्षा करें।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

28/03/2025

सर्वमंगल मांग्लये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुति।।
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनि।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
या देवि सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नमः।।
मॉ दुर्गा आपकी रक्षा करें।

10/02/2025

*विवाह के गठबंधन में क्यों डालते हैं 5 चीजें?*

गठबंधन करते समय वधू के पल्लू और वर के दुपट्टे या धोती में
सिक्का (पैसा), पुष्प, हल्दी, दूर्वा और अक्षत, पांच चीजें बांधी जाती हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है-

*सिक्का:-* यह इस बात का प्रतीक है कि धन पर किसी एक का पूर्ण अधिकार नहीं होगा, बल्कि समान अधिकार रहेगा।

*पुष्प:-* प्रतीक है, प्रसन्नता और शुभकामनाओं का। दोनों सदैव हंसते-खिलखिलाते रहें। एक-दूसरे को देखकर प्रसन्न हों, एक-दूसरे की प्रशंसा करें।

*हल्दी:-* आरोग्य और गुरू का प्रतीक है। एक-दूसरे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रयत्नशील रहें। मन में कभी हीनता न आने दें। हल्दी छूने से रंग व सुगंध छूने वाले को चढ़ता है। अतः ज़रूरी निर्णय में आपसी परामर्श करें।

*दूर्वा:-* प्रतीक है कि कभी प्रेम भावना न मुरझाने देना। दूर्वा का जीवन तत्व कभी नष्ट नहीं होता। सूखी दिखने पर भी यह पानी में डालने पर हरी हो जाती है। ठीक इसी तरह दोनों के मन में एक-दूसरे के लिए अटूट प्रेम और आत्मीयता बनी रहे।

*अक्षत (चावल):-* अन्नपूर्णा का प्रतीक है। जो अन्न कमाएं, उसे अकेले नहीं, बल्कि मिल-जुलकर खाएं। परिवार के प्रति सेवा और उत्तरदायित्व का लक्ष्य भी ध्यान में रखें।

*इसीलिए मुझे हिंदू धर्म की परम्पराओं पर गर्व है।

15/01/2025

गोमती चक्र के प्रयोग
१॰ यदि इस गोमती चक्र को लाल सिन्दूर की डिब्बी में घर में रखे, तो घर में सुख-शान्ति बनी रहती है ।
२॰ यदि घर में भूत-प्रेतों का उपद्रव हो, तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुखिया के ऊपर से घुमाकर आग में डाल दे, तो घर से भूत-प्रेत का उपद्रव समाप्त हो जाता है ।
३॰ यदि घर में बिमारी हो या किसी का रोग शान्त नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चाँदी में पिरोकर रोगी के पलंग के पाये पर बाँध दें, तो उसी दिन से रोगी का रोग समाप्त होने लगता है ।
४॰ व्यापार वृद्धि के लिए दो गोमती चक्र लेकर उसे बाँधकर ऊपर चौखट पर लटका दें, और ग्राहक उसके नीचे से निकले, तो निश्चय ही व्यापार में वृद्धि होती है ।
५॰ प्रमोशन नहीं हो रहा हो, तो एक गोमती चक्र लेकर शिव मन्दिर में शिवलिंग पर चढ़ा दें, और सच्चे मन से प्रार्थना करें । निश्चय ही प्रमोशन के रास्ते खुल जायेंगे ।
६॰ पति-पत्नी में मतभेद हो तो तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में “हलूं बलजाद” कहकर फेंक दें, मतभेद समाप्त हो जायेगा ।
७॰ पुत्र प्राप्ति के लिए पाँच गोमती चक्र लेकर किसी नदी या तालाब में “हिलि हिलि मिलि मिलि चिलि चिलि हुं ” पाँच बार बोलकर विसर्जित करें ।
८॰ यदि बार-बार गर्भ नष्ट हो रहा हो, तो दो गोमती चक्र लाल कपड़े में बाँधकर कमर में बाँध दें ।
९॰ यदि शत्रु अधिक हो तथा परेशान कर रहे हो, तो तीन गोमती चक्र लेकर उन पर शत्रु का नाम लिखकर जमीन में गाड़ दें ।
१०॰ कोर्ट-कचहरी में सफलता पाने के लिये, कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर अपना दाहिना पैर रखकर जावें ।
११॰ भाग्योदय के लिए तीन गोमती चक्र का चूर्ण बनाकर घर के बाहर छिड़क दें ।
१२॰ राज्य-सम्मान-प्राप्ति के लिये दो गोमती चक्र किसी ब्राह्मण को दान में दें ।
१३॰ तांत्रिक प्रभाव की निवृत्ति के लिये बुधवार को चार गोमती चक्र अपने सिर के ऊपर से उबार कर चारों दिशाओं में फेंक दें ।
१४॰ चाँदी में जड़वाकर बच्चे के गले में पहना देने से बच्चे को नजर नहीं लगती तथा बच्चा स्वस्थ बना रहता है ।
१५॰ दीपावली के दिन पाँच गोमती चक्र पूजा-घर में स्थापित कर नित्य उनका पूजन करने से निरन्तर उन्नति होती रहती है ।
१६॰ रोग-शमन तथा स्वास्थ्य-प्राप्ति हेतु सात गोमती चक्र अपने ऊपर से उतार कर किसी ब्राह्मण या फकीर को दें ।
१७॰ 11 गोमती चक्रों को लाल पोटली में बाँधकर तिजोरी में अथवा किसी सुरक्षित स्थान पर सख दें, तो व्यापार उन्नति करता जायेगा ।

12/01/2025

भगवान की पूजा करने का क्या फल है?
----------------------- --

1) आवाहन= दर्शन लाभ
2) आसन = सुखासन प्राप्त होता है
3) पद्य (पैर धोना) = सफलता
4)अर्घ्य (सुगंधित जल)=संतुष्टि
5) आचमन (गंगाजल) = सुख की प्राप्ति होती है
6) स्नान = जीवन में सुख
7) पंचामृत = मिठास और स्नेह
8) अभिषेक = शांति और स्थिरता
9) वस्त्र = लज्जा बनी रहती है, मानहानि नहीं।
10) यज्ञोपवीत = मोक्षप्राप्ति (भावसागर से मुक्ति)
11) गंध = ज्ञानोदय
12) फूल = खुशी
13) हल्दी ,सिंदूर = सौभाग्य
14) आभूषण = धन प्राप्त होता है
15) धूप = लाभ
16) दीपदान = ज्ञान की प्राप्ति और तपस्या
17) नैवेद्य = कभी भोजन की कमी नहीं होती
18) आरती = सुख प्राप्त होता है
19) प्रदक्षिणा = स्वामित्व प्राप्त करना
20) नमस्कार = नम्रता प्राप्त करता है (व्यवहार में)
21) प्रार्थना = दुर्भाग्य को बदलने की शक्ति प्राप्त करता है

यदि हृदय से सब उपचार प्रभु को दे दिया जाए तो मन में अहंकार नहीं रहता।
🙏 जय श्री राम🛕

09/01/2025

बेड रूम में डबल बेड या सिंगल बेड
वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम में पति-पत्नी एवं दंपत्ति के लिए डबल बेड का प्रयोग करना ही उपयुक्त होता है। इनके लिए एक ही कमरे में अलग-अलग बेड रखने से आपसी रिश्ते खराब होने लगते हैं। जबकि घर के दूसरे सदस्यों तथा भाई-बहन के लिए दो अलग-अलग बेड इस प्रकार लगाने चाहिए कि दोनों बेड के बीच कम से कम एक फुट से अधिक की दूरी हो। बेड रूम के दरवाजे व खिड़की के पास और छत की बीम के ठीक नीचे बेड रखना भी दोष पूर्ण माना गया है।

28/12/2024

स्वस्तिक मंत्र :-🙏🙏🚩🚩

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

स्वस्तिक मंत्र का अर्थ : –

हे इंद्र देव, जो महान कीर्ति रखने वाले है वह हमारा कल्याण करें | पूरे विश्व में ज्ञान के स्वरुप हे पुषादेव हमारा कल्याण करें | जिसका हथियार अटूट है हे गरुड़ भगवान – हमरा मंगल करो | हे ब्रहस्पति हमारा मंगल करो |

स्वस्तिक को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र चिन्ह माना गया है | जिस प्रकार से ॐ और श्री शब्द का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है, ठीक उसी प्रकार से स्वस्तिक भी बहुत पवित्र और शुभता का प्रतीक है | स्वस्तिक मंत्र का प्रयोग शुभ और शांति के लिए किया जाता है | सभी धार्मिक कार्यों के समय पूजा या अनुष्ठान के समय इस मंत्र द्वारा वातावरण को पवित्र और शांतिमय बनाया जाता है | इस मंत्र का उच्चारण करते समय चारों दिशाओं में जल के छींटे लगाने चाहिए | इस प्रकार जल द्वारा चारों दिशाओं में छींटे लगाकर स्वस्तिक मंत्र का उच्चारण करने की क्रिया स्वस्तिवाचन वाचन कहलाती है |
गृह निर्माण के समय, मकान की नीवं रखते समय व खेत में बीज डालते समय स्वस्तिक मंत्र का उच्चारण किया जाता है | पशुओं को रोग से बचाने के लिए व उनकी सम्रद्धि के लिए भी इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है | किसी भी यात्रा पर जाते समय भी इस मंत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए | ऐसा करने से यात्रा मंगलमय होती है यात्रा में कोई विघ्न नहीं पड़ता |
व्यापार शुरू करते समय भी स्वस्तिक मंत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए | इससे व्यापार में अधिक आर्थिक लाभ मिलता है व हानि होने की सम्भावना कम होती है | पुत्र जन्म के समय भी स्वस्तिक मंत्र का जप करना अतिशुभ माना गया है | इससे संतान निरोग रहती है व ऊपरी बाधा का कोई प्रभाव नहीं होता | शरीर की हर प्रकार से रक्षा के लिए व घर में शांति व सम्रद्धि के लिए स्वस्तिक मंत्र का उच्चारण अवश्य किया जाना चाहिए |🙏🙏🚩🚩

17/10/2024

पीपल के पेड़ के विषय में यह भ्रामक बात जाने कैसे फैल गयी कि वह रात में ऑक्सीजन छोड़ता है ???

तथ्य या मिथ

"इसका कारण "ऑक्सीजन-उत्सर्जन" और पीपल दोनों को ही ढंग से न समझना है।"

"अब समझा कैसे जाए ?"

"पेड़-पौधे भी अन्य प्राणियों की ही तरह साँस चौबीस घण्टे लेते हैं। इस क्रिया में वे ऑक्सीजन वायुमण्डल से लेते हैं और कार्बनडायऑक्साइड छोड़ते हैं।

लेकिन वे सूर्य के प्रकाश में एक और महत्त्वपूर्ण क्रिया भी करते हैं , जिसे प्रकाश-संश्लेषण कहा जाता है। इस क्रिया में वे अपना भोजन (ग्लूकोज़) स्वयं बनाते हैं,

वायुमण्डल से कार्बनडायऑक्साइड और पृथ्वी से जल को लेकर। इस काम में उनका हरा रंजक (क्लोरोफ़िल) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सूर्य का प्रकाश भी। इसी प्रकाश-संश्लेषण के दौरान ग्लूकोज़ के साथ साथ ऑक्सीजन बनती है , जिसे वायुमण्डल में वापस छोड़ दिया जाता है।"

"यानि कि यदि पौधा या पेड़ हरा न हो और प्रकाश न हो , तो प्रकाश-संश्लेषण होगा ही नहीं।"

"बिलकुल नहीं।"

"तो ग्लूकोज़ और ऑक्सीजन बनेंगे ही नहीं।"

और उत्तर है, बिलकुल नहीं।

ज़ाहिर है रात में जब प्रकाश न के बराबर रहता है, तो यह काम प्रचुरता से तो होने से रहा।

पीपल और उस जैसे कई अन्य पेड़-पौधे कुछ और काम करते हैं, जिसे लोग ढंग से समझ नहीं पाये।

"क्या ?"

पीपल का पेड़ शुष्क वातावरण में पनपता है और इसके लिए उसकी देह में पर्याप्त तैयारियाँ हैं। पेड़-पौधों की सतह पर, विशेषत: पत्तियों की सतह पर 'स्टोमेटा' नामक नन्हें छिद्र होते हैं, जिनसे गैसों और जलवाष्प का आदान-प्रदान होता है।

सूखे और गर्म वातावरण में पेड़ का पानी न निचुड़ जाए, इसलिए पीपल ऐसे मौसम में दिन में अपेक्षाकृत अपने स्टोमेटा बन्द करके रखता है।

इससे दिन में पानी की कमी से वह लड़ पाता है।

बिलकुल। लेकिन इसका एक नुकसान यह है कि फिर दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन-डायऑक्साइड उसकी पत्तियों में कैसे प्रवेश करे ? क्योंकि स्टोमेटा तो बन्द हैं।

तो फिर प्रकाश-संश्लेषण कैसे हो?

ग्लूकोज़ कैसे बने ?

"तो ?"

तो पीपल व उसके जैसे कई पेड़-पौधे रात को अपने स्टोमेटा खोलते हैं और हवा से कार्बन-डायऑक्साइड बटोरते हैं। उससे मैलियेट नामक एक रसायन बनाकर रख लेते हैं।

ताकि फिर आगे दिन में जब सूरज चमके और प्रकाश मिले , तो प्रकाश-संश्लेषण में सीधे वायुमण्डलीय कार्बन-डायऑक्साइड की जगह इस मैलियेट का प्रयोग कर सकें।

"यानी पीपल का पेड़ रात को भी कार्बन-डायऑक्साइडमे का शोषण करता है।"

"बिलकुल करता है। और वह अकेला नहीं है। कई हैं उस जैसे पेड़। अधिकतर रेगिस्तानी पौधे यही करते हैं। ऐरीका पाम , नीम, स्नेक प्लांट , ऑर्किड , और कई अन्य।

रात को कार्बनडायऑक्साइड लेकर, उससे मैलियेट बनाकर आगे दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए प्रयुक्त करने की यह प्रक्रिया CAM मार्ग ( क्रासुलेसियन पाथवे ) के नाम से पादप-विज्ञान में जानी जाती है।

"तो पीपल रात को ऑक्सीजन नहीं छोड़ताछोड़ता, वह वायुमण्डल से कार्बनडायऑक्साइड बटोरता है, ताकि दिन में अपनी जल-हानि से बचकर, प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया सम्पादित कर सके।"

लेकिन अतिवृहद छत्रक (canopy), बड़ी, घनी और चौड़ी पत्तियाँ (pendulous leaves) और अपेक्षाकृत अतिविस्तृत leaf area होने के कारण पीपल में प्रकाश संश्लेषण एवं ऑक्सीजन उत्पादन की दर अन्य वृक्षों की तुलना में काफी अधिक होती है।

श्वशन और प्रकाश संश्लेषण के बीच उच्च अनुपात भी वृक्ष के आसपास अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध करता है। लंबी आयु, शीतलता एवं अन्य अनेक जीवों का आश्रय स्थल होने के कारण इसे Keystone प्रजाति की श्रेणी में रखा गया गया।

ये वो प्रजातियां होती हैं, जिनमें पर्यावरण की दशाओं में परिवर्तन की क्षमता होती है। यही गुण इस वृक्ष को महत्वपूर्ण और पूजनीय बनाते हैं।

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