River of Energy - Health and Happiness

River of Energy - Health and Happiness "The general Principles of Pranic Healing rest on the fact that Prana (energy) can be transferred or transmitted from one person to another.

With the help of Pranic Healing, Life problems and Health Problems can be solved.

19/08/2025

ATTRACT MONEY AND BRING PROSPERITY WITH CINNAMON

The first day of each month is the day to attract money with cinnamon. Cinnamon will help open up the paths to financial improvement.

PROCESS

🔹 On the first day of each month, start by cleaning your door to make way for positive vibes.

🔹 After cleaning, put 3 small spoons of cinnamon powder in the palm of your right hand and go to the door, either at home or in the office.

🔹 Before blowing the cinnamon, close your eyes and visualise your home or office being filled with bright golden light. Imagine this light representing prosperity, abundance and success, flowing effortlessly into your space. Picture your financial goals being achieved and feel the joy and gratitude that comes with it. Hold onto this image as you proceed with the ritual.

🔹 Then, repeat with a lot of faith the following affirmations:

When I blow this cinnamon, prosperity will enter this house.
When I blow this cinnamon, abundance will come to stay.
When I blow this cinnamon, abundance will live here!

🔹 Blow the cinnamon from the outside in, keeping in mind that prosperity and success will enter your home along with the cinnamon dust, full of the energy and visualised intentions you put into it.

🔹 Let the cinnamon powder stay on the floor for at least 24 hours (until the first day of the month ends). You can then vacuum it normally.

🔹 As a final step, sprinkle some cinnamon under your door mat to maintain the flow of prosperity throughout the month.

Every month on the first day, do this ritual with faith to welcome financial success.

Divine Blessings,

19/08/2025

#मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर मंदिर में है...। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है...।

#दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण:

आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है...।

#मंदिर में घंटा लगाने का कारण:

जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है...।

भगवान की मूर्ति:

मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।

#परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण:

हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 3, 5, 7 से बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है...।

Solution for your business by Healing n Dewine Healing.
12/07/2025

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हिन्दू धर्म में बृहस्पति ग्रह, जिन्हें 'देवगुरु' और 'गुरु' के रूप में भी जाना जाता है, का अत्यधिक महत्व है। वे ज्ञान, शि...
25/05/2025

हिन्दू धर्म में बृहस्पति ग्रह, जिन्हें 'देवगुरु' और 'गुरु' के रूप में भी जाना जाता है, का अत्यधिक महत्व है। वे ज्ञान, शिक्षा, धर्म, और नैतिक मूल्यों के प्रतीक हैं. ज्योतिष में, बृहस्पति को नवग्रहों में से एक माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बृहस्पति ग्रह का महत्व:
ज्ञान और शिक्षा:
बृहस्पति ज्ञान, शिक्षा और बुद्धिमत्ता का प्रतीक हैं.
धर्म और नैतिकता:
वे धर्म, नैतिकता, और अच्छे कर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
वैदिक ज्योतिष में:
ज्योतिष में, बृहस्पति को एक शुभ ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सफलता और बुद्धि लाता है.
देवताओं के गुरु:
बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है, जो उन्हें ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान करता है.
संतान, विवाह और धन:
बृहस्पति संतान, विवाह और धन का कारक भी है.
गुरु पूर्णिमा:
बृहस्पतिवार का दिन गुरु को समर्पित है, और गुरु पूर्णिमा का त्योहार गुरु के सम्मान में मनाया जाता है.
बृहस्पति के शुभ और अशुभ प्रभाव:
शुभ प्रभाव:
यदि बृहस्पति जन्म कुंडली में मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति ज्ञानी, बुद्धिमान और सफल होता है.
अशुभ प्रभाव:
यदि बृहस्पति कमजोर स्थिति में हो, तो व्यक्ति को शिक्षा, धन और विवाह में कठिनाइयाँ आ सकती हैं.
बृहस्पति को प्रसन्न करने के उपाय:
बृहस्पतिवार का व्रत:
बृहस्पतिवार का व्रत रखना और इस दिन नमक का सेवन न करना.
गुरु पूजा:
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करना और गुरु मंत्र का जाप करना.
पीली वस्तुओं का दान:
बृहस्पति को पीले रंग बहुत प्रिय हैं, इसलिए पीले वस्त्र, फूल, और फल आदि का दान करना.
पुखराज धारण:
जन्म कुंडली में बृहस्पति कमजोर होने पर पुखराज या सुनहला रत्न धारण करना. #बृहस्पति #ज्योतिष #

09/04/2025

Aura Colors & What They Say About You
_____
Auras are thought of as the unseen field of energy surrounding a person's physical body. They're affected by our mood and emotional state (and sometimes the states of others), and different colors are associated with different qualities and emotions.

Someone's aura is usually a combination of colors, with one being more dominant than the others. And while your aura can constantly shift and change, many people will have one color that consistently shows up.

Here's a breakdown of each aura color and what they mean, plus how to figure out yours—and other people's.

Red: energetic and fiery
Orange: creative, action-oriented, and positive
Yellow: sunny, charismatic, and confident
Green: loving, compassionate, and nurturing
Pink: kind, caring, and loving
Blue: powerful, insightful, and flowing
Purple: intuitive and empathic
Indigo: sensitive and empathic
White: pure, wise, and spiritually connected
Black: tired and low
Rainbow: busy, energized, and confident

09/04/2025

सनातन धर्म की कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी जो हर सनातनी बच्चे को पता होना चाहिए।

खासकर अपने बच्चों को बताएं क्योंकि ये बात उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बताएगा...!!

#हमारी_विरासत
#सनातनहमारी विरासत
★ दो पक्ष- कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !

★ तीन ऋण - देव ऋण , पितृ ऋण , ऋषि ऋण !

★ चार युग - सतयुग , त्रेतायुग , द्वापरयुग , कलियुग !

★ चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ , जगन्नाथ पुरी , रामेश्वरम धाम !

★ चारपीठ -
शारदा पीठ ( द्वारिका )
ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,
शृंगेरीपीठ !
★ चार वेद - ऋग्वेद , अथर्वेद , यजुर्वेद , सामवेद !

★ चार आश्रम - ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ , संन्यास !

★ चार अंतःकरण - मन , बुद्धि , चित्त , अहंकार !

★ पंच गव्य - गाय का घी, दूध, दही, गोमूत्र, गोबर !

★ पंच तत्त्व - पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु , आकाश !

★ छह दर्शन - वैशेषिक , न्याय , सांख्य , योग , पूर्व मिसांसा , दक्षिण मिसांसा !

★ सप्त ऋषि - विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप!

★ सप्त पुरी - अयोध्या पुरी , मथुरा पुरी , माया पुरी ( हरिद्वार ) , काशी ,कांची ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पुरी !

★ आठ योग - यम , नियम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा ,
ध्यान एवं समािध !

★ दस दिशाएं - पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , ईशान , नैऋत्य , वायव्य , अग्नि, आकाश एवं पाताल

★ बारह मास - चैत्र , वैशाख , ज्येष्ठ , अषाढ , श्रावण , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष , पौष , माघ , फागुन !

★ पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा , द्वितीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावास्या !

★ स्मृतियां - मनु , विष्णु , अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना, अंगीरा ,यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-

(1) जल
(2) पथ्वी
(3) आकाश
(4) वायु
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है

1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में

खाना खाने का सही नियम 12 महीनों अनुसार👇👇👇चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – इस महीने में चने का सेवन करे क्योकि चना आपके रक्त संचार...
15/03/2025

खाना खाने का सही नियम 12 महीनों अनुसार👇👇👇
चैत्र ( मार्च-अप्रैल) – इस महीने में चने का सेवन करे क्योकि चना आपके रक्त संचार और रक्त को शुद्ध करता है एवं कई बीमारियों से भी बचाता है। चैत्र के महीने में नित्य नीम की 4 – 5 कोमल पतियों का उपयोग भी करना चाहिए इससे आप इस महीने के सभी दोषों से बच सकते है। नीम की पतियों को चबाने से शरीर में स्थित दोष शरीर से हटते है।

वैशाख (अप्रैल – मई)- वैशाख महीने में गर्मी की शुरुआत हो जाती है। बेल का इस्तेमाल इस महीने में अवश्य करना चाहिए जो आपको स्वस्थ रखेगा। वैशाख के महीने में तेल का उपयोग बिल्कुल न करे क्योकि इससे आपका शरीर अस्वस्थ हो सकता है।

ज्येष्ठ (मई-जून) – भारत में इस महीने में सबसे अधिक गर्मी होती है। ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में सोना स्वास्थ्य वर्द्धक होता है , ठंडी छाछ , लस्सी, ज्यूस और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें। बासी खाना, गरिष्ठ भोजन एवं गर्म चीजो का सेवन न करे। इनके प्रयोग से आपका शरीर रोग ग्रस्त हो सकता है।

अषाढ़ (जून-जुलाई) – आषाढ़ के महीने में आम , पुराने गेंहू, सत्तु , जौ, भात, खीर, ठन्डे पदार्थ , ककड़ी, पलवल, करेला आदि का उपयोग करे व आषाढ़ के महीने में भी गर्म प्रकृति की चीजों का प्रयोग करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

श्रावण (जूलाई-अगस्त) – श्रावण के महीने में हरड का इस्तेमाल करना चाहिए। श्रावण में हरी सब्जियों का त्याग करे एव दूध का इस्तेमाल भी कम करे। भोजन की मात्रा भी कम ले – पुराने चावल, पुराने गेंहू, खिचड़ी, दही एवं हलके सुपाच्य भोजन को अपनाएं।

भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर) – इस महीने में हलके सुपाच्य भोजन का इस्तेमाल कर वर्षा का मौसम् होने के कारण आपकी जठराग्नि भी मंद होती है इसलिए भोजन सुपाच्य ग्रहण करे।

आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) – इस महीने में दूध , घी, गुड़ , नारियल, मुन्नका, गोभी आदि का सेवन कर सकते है। ये गरिष्ठ भोजन है लेकिन फिर भी इस महीने में पच जाते है क्योकि इस महीने में हमारी जठराग्नि तेज होती है।

कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) – कार्तिक महीने में गरम दूध, गुड, घी, शक्कर, मुली आदि का उपयोग करे। ठंडे पेय पदार्थो का प्रयोग छोड़ दे। छाछ, लस्सी, ठंडा दही, ठंडा फ्रूट ज्यूस आदि का सेवन न करे , इनसे आपके स्वास्थ्य को हानि हो सकती है।

अगहन (नवम्बर-दिसम्बर) – इस महीने में ठंडी और अधिक गरम वस्तुओ का प्रयोग न करे।

पौष (दिसम्बर-जनवरी) – इस ऋतू में दूध, खोया एवं खोये से बने पदार्थ, गौंद के लाडू, गुड़, तिल, घी, आलू, आंवला आदि का प्रयोग करे, ये पदार्थ आपके शरीर को स्वास्थ्य देंगे। ठन्डे पदार्थ, पुराना अन्न, मोठ, कटु और रुक्ष भोजन का उपयोग न करे।

माघ (जनवरी-फ़रवरी) – इस महीने में भी आप गरम और गरिष्ठ भोजन का इस्तेमाल कर सकते है। घी, नए अन्न, गौंद के लड्डू आदि का प्रयोग कर सकते है।

फाल्गुन (फरवरी-मार्च) – इस महीने में गुड का उपयोग करे। सुबह के समय योग एवं स्नान का नियम बना ले। चने का उपयोग न करे।

🙏

मंदिर के अंदर के नियम और कारण
28/02/2025

मंदिर के अंदर के नियम और कारण

#मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर मंदिर में है...। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है...।

#दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण:

आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है...।

#मंदिर में घंटा लगाने का कारण:

जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाली आवाज से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है...।

भगवान की मूर्ति:

मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।

#परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण:

हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 3, 5, 7 से बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है...।

06/02/2025

*मानव के शरीर में पांच कोश होते हैं*
*1. अन्नमय कोश*
*2. प्राणमय कोश*
*3. मनोमय कोश*
*4. विज्ञान मय कोश*
*5. आनंद मय कोश*
*1.अन्नमयकोश अन्न खाने से पुष्ट होता है*
*2.प्राणमय कोश दिव्य शुद्ध श्वास लेने से पुष्ट होता है*
*3.मनोमय कोश जैसा अन्न खाते हैं वैसा ही पूष्ट हो जाता है*
*4.विज्ञान मय कोश जैसा अन्न खाते हैं वैसा मन बनता है*
*और अन्न और मन के संयोग से विज्ञान मय कोश बनता है*
*5.और आंनद मय कोश स्वयं शक्ति शाली होता है*
*इसमें ही आत्मा रहती है*
*और सुपर पावर ऊर्जा निवास करती है*
*और उस उर्जा को ही चारों कोश में खीचकर लाने को ही योग साधना कहते है*
*बता रहे हैं विनीत कुमार चौहान*

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