16/08/2025
: देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल में 74 वर्षीय महिला का सफल उपचार: इलेक्ट्रो होम्योपैथी से ब्रेन मेटास्टेसिस पर प्रभावी नियंत्रण
दिल्ली की रहने वाली 74 वर्षीय श्रीमती शशि बाला अमद, जो फेफड़ों के कैंसर (एडेनोकार्सिनोमा) से मस्तिष्क में फैले ब्रेन मेटास्टेसिस से पीड़ित थीं, ने देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल, दिल्ली में इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति के माध्यम से सफल इलाज प्राप्त किया। यह इलाज पारंपरिक कीमोथेरेपी या रेडिएशन के बिना किया गया, और इसके नतीजे न केवल MRI रिपोर्ट में बल्कि रोगी की संपूर्ण स्थिति में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिए।
भर्ती से डिस्चार्ज तक का सफर
भर्ती तिथि: 2 मई 2025
डिस्चार्ज तिथि: 8 मई 2025
इलाज की शुरुआत में शशि बाला जी बेहद कमजोर थीं, उन्हें चलने-फिरने में कठिनाई थी, भूख नहीं लग रही थी, और थकान अत्यधिक थी। प्रारंभिक MRI रिपोर्ट (दिनांक 4 मार्च 2025) में मस्तिष्क में गंभीर स्थिति दिखाई दी थी — सबड्यूरल संग्रह, सूजन, और मिडलाइन शिफ्ट जैसे लक्षण मौजूद थे।
इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अस्पताल की विशेषज्ञ टीम ने उनका इलाज इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से प्रारंभ किया — जो बिना साइड इफेक्ट के रोग के मूल कारण पर कार्य करती है।
इलाज के प्रमुख बिंदु (Electro Homeopathy Approach):
रक्त और लसीका को शुद्ध कर शरीर से दूषित तत्वों का निष्कासन
कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि पर नियंत्रण
सामान्य कोशिकाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ावा
दर्द, सूजन, भूख में कमी जैसी शिकायतों में तत्काल राहत
किसी भी कीमो, रेडिएशन या सर्जरी के बिना पूर्णतः प्राकृतिक और सुरक्षित उपचार
इलाज के बाद की MRI रिपोर्ट (दिनांक 1 अगस्त 2025):
मस्तिष्क में पहले पाया गया सबड्यूरल संग्रह पूर्णतः समाप्त
कोई नया मेटास्टेटिक फोकस नहीं दिखा
मिडलाइन शिफ्ट अब नहीं रहा, मस्तिष्क पर कोई दबाव नहीं
सर्जिकल क्षेत्र में हल्का ग्लायोसिस — जो सामान्य सर्जिकल परिवर्तन है
फॉलो-अप के दौरान रोगी की प्रतिक्रिया
शशि बाला जी ने अपनी बात साझा करते हुए कहा:
"जब मैं यहां इलाज के लिए आई थी, तब मैं बहुत कमजोर थी। चल भी नहीं पा रही थी। भूख नहीं लगती थी, और थकान हावी रहती थी। लेकिन अब इलाज के तीन महीने बाद, मुझे बहुत फर्क महसूस हो रहा है। बिना सहारे चल पा रही हूं, थकान नहीं होती, और भूख भी लगती है — जो पहले कभी नहीं होती थी। यह मेरे लिए बहुत बड़ा बदलाव है। मैं यहां के डॉक्टरों, स्टाफ और पूरे हॉस्पिटल की टीम की बहुत आभारी हूं।"
देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल की CEO श्रीमती मनीषा शर्मा ने शशि बाला जी के सफल उपचार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
"हमारा उद्देश्य कैंसर जैसी जटिल बीमारी से जूझ रहे हर मरीज को सम्मानपूर्वक, सुरक्षित और प्रभावशाली इलाज उपलब्ध कराना है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी पद्धति के माध्यम से हमने बिना कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी के भी मरीजों को राहत दी है। शशि बाला जी का केस इस बात का प्रमाण है कि अगर इलाज सही दिशा में हो, तो उम्र और स्थिति बाधा नहीं बनती।"
डॉ. अजय हार्डिया, भारत के अग्रणी इलेक्ट्रो होम्योपैथी ऑन्कोलॉजिस्ट, और अस्पताल के निदेशक, कहते हैं:
"इलेक्ट्रो होम्योपैथी का मूल उद्देश्य शरीर के रक्त और लसीका तंत्र को शुद्ध करना है। कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को रोकना और शरीर की स्वाभाविक चिकित्सा क्षमता को जागृत करना इसका मुख्य आधार है। यह पद्धति आज उन मरीजों के लिए आशा की किरण बन चुकी है, जिन्हें पारंपरिक चिकित्सा में निराशा मिली थी।"
इस केस के तकनीकी पहलुओं पर बोलते हुए, देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल ने उप निदेशक डॉ. आशीष हार्डिया ने बताया:
"श्रीमती शशि बाला जी के केस में प्रारंभिक MRI में जो सबड्यूरल कलेक्शन, मिडलाइन शिफ्ट और प्रेशर इफेक्ट्स दिखाई दिए थे, वो सभी क्लिनिकली भी गंभीर लक्षणों के रूप में प्रकट हो रहे थे — जैसे सिरदर्द, कमजोरी, असंतुलन और थकान। इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा से इलाज के तीन महीने बाद फॉलो-अप MRI में ये सभी गंभीर लक्षण न केवल पूरी तरह से समाप्त हो गए, बल्कि मस्तिष्कीय संरचना भी अब सामान्य स्थिति में आ गई है। सबसे महत्वपूर्ण यह रहा कि कोई भी नया मेटास्टेटिक फोकस नहीं मिला, और मिडलाइन अब पूर्णतः केंद्र में है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उपचार न केवल रोग के लक्षणों को कम करता है, बल्कि रोग की जड़ पर प्रभाव डालता है — और वो भी बिना किसी सर्जरी या कीमोथेरेपी के।"
शशि बाला जी की यह सफल यात्रा दर्शाती है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी, आज के दौर में कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के लिए एक प्रभावी, सुरक्षित और संवेदनशील विकल्प बनकर उभरी है। देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल, दिल्ली न केवल शरीर को उपचार देता है, बल्कि मरीजों को मानसिक संबल और नई आशा भी प्रदान करता है।