Shri Ganesh Jyotish Sansthaan

Shri Ganesh Jyotish Sansthaan Kundli Vishleshan,Vivah Samasya, Career Related issue

23/08/2025
30/09/2024

प्रेम जीवन मे समस्या बड़ी कब होती है...

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1-जब शुक्र वक्री होकर क्रूर ग्रह शनि, राहु, केतु, मंगल और सूर्य से पीड़ित हो।

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2-यदि 2 नम्वर का जन्म है और चन्द्रमा राहु से पीड़ित होकर अष्टम भाव मे हो।
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3-जब नवांश मे पंचमेश अपने भाव से 6 तथा 8 की दूरी पर होकर अशुभ राशि(1,8,10,11) मे हो और पाप ग्रह से दृष्ट हो।
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4-जब पंचमेश वक्री हो और पाप ग्रह से दृष्ट हो।
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5-पंचम भाव मे अष्टमेश हो तो प्रेम जीवन मे धोखा मिलना बहुत बार होता है।
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6-लग्नेश अष्टम हो और क्रूर तथा वक्री ग्रह के साथ हो।
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7-वक्री ग्रह पंचम मे हो और उसपर पाप दृष्टि हो।
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8-पंचम मे राहु अथवा केतु हों और पंचमेश शत्रु राशि मे हो और पाप दृष्ट हो।
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9-राहु देव अष्टम मे हो और शुक्र तथा चंद्र दोनों पीड़ित हों और अशुभ दृष्ट हों तो धोखा अवश्य मिले।
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10-अष्टम स्थान का स्वामी और 12 का स्वामी पंचम मे हो और किसी क्रूर ग्रह से दृष्ट हो।
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11-6 भाव का स्वामी पंचम मे हो तो किसी बाहरी इंसान की वजह से धोखा का योग हो।
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12-यदि सप्तम का स्वामी अष्टम मे हो और पंचम का स्वामी द्वादश मे हो और पंचम भाव पाप करतरी मे हो।
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क्या करें उपाय
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1-पंचम के स्वामी का मन्त्र जाप तथा कमजोर होने पर उसका रत्न पहने।
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2-शुक्र के मंत्रो का जाप करें।
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3-बुध तथा गुरु को बली करें जिससे बातों मे कम्युनिकेशन गप ना हो।
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4-यदि राहु पंचम हो तो अति विश्वास से बचें।
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5-यदि पंचमेश वक्री हो तो उसका रत्न ना पहने उसके मंत्रो का जाप करें।
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6-चन्द्रमा को मजबूत बनाएं।
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आचार्य अमित मिश्रा

26/01/2024

हर हर महादेव
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

विवाह मे देरी होने के बड़े कारण

आज के परिवेश मे सबसे अधिक जो समस्या है वह है विवाह की समस्या जिसमे देरी होने की कुछ मुख्य वजह क्या है इस पर कुछ सूत्र।.......

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1♦️-यदि सप्तम स्थान का स्वामी द्वादश अथवा अष्टम मे शनि के प्रभाव मे हो।

2♦️-यदि सप्तमेश नवांश कुंडली मे नींच राशि अथवा शनि के नवांश मे हो।

3♦️-यदि नवांश मे सप्तमेश शनि के साथ हो अथवा नवांश के सप्तम स्थान मे शनि हो।

4♦️-यदि अष्टमेश और सप्तमेश का परिवर्तन हो और द्वादश का स्वामी सप्तम मे हो।

5♦️-लड़की की पत्रिका हो और उसमे गुरु 2 पाप ग्रहो के मध्य हो अथवा नींच नवांश मे हो।

6♦️-लड़के की पत्रिका हो और शुक्र यदि त्रिक मे हो और उस पर शनि की दृष्टि हो।

7♦️-यदि अष्टमेश सप्तम मे हो और लग्नेश अष्टम मे हो और सप्तमेश पाप कर्त्तरी मे हो।

8♦️-सप्तमेश शनि के नवांश मे हो और नवांश का स्वामी त्रिक भाव मे शनि और मंगल के मध्य हो।

9♦️-यदि शनि सप्तमेश के साथ पंचम मे हो और पंचम का स्वामी अष्टम मे हो।

10♦️-यदि गुरु और शुक्र दोनों सूर्य द्वारा अस्त हो और सप्तमेश अष्टम मे हो।

11♦️-लग्नेश और सप्तमेश युत हो और कुंडली के अष्टम मे राहु से पीड़ित हो।

12♦️-द्वितीय भाव मे और द्वादश भाव मे पापी ग्रह हों और सप्तम भाव पर शुभ दृष्टि ना हो।

29/03/2023

दिग्बली ग्रहकृत योग-

लग्न में बुध, गुरु, चतुर्थ में चन्द्र शुक्र, सप्तम में शनि दशम में सूर्य, मंगल दिग्बली होते है यदि 4,5 ग्रह दिग्बली हो तो राजा, 2,3 बली होगा। राजवंशोत्पन्न व्यक्ति राज्याधिकारी पद प्राप्त करता है। वृश्चिक लग्न में सूर्य मेषराशि में चन्द्र और मंगल दशम में होने पर केवल मंगल दिग्बली है, किन्तु यह मंगल सूर्य लग्न का व चन्द्र लग्न का स्वामी हो जाने से तीनों लग्नों का स्वामी होकर दशम में दिग्बली होने कुण्डली का स्तर बहुत ऊँचा उठ गया है। यह योग विशिष्ट व्यक्ति की कुण्डली में उपलब्ध हुआ है।

1. उच्चपदासीन राजयोग यदि लग्नेश केन्द्र में हो और अपने मित्रग्रहों से दृष्ट हो तथा लग्न में शुभ ग्रह हों तो जातक न्यायाधीश अथवा विधिमंत्री आदि पद प्राप्त करता है।

2. यदि पूर्ण चन्द्र जलचर राशि में नवमांश में चतुर्थ भावस्थ हो स्वराशिस्थ शुभग्र लग्न में हो तथा केन्द्र में पापग्रह न हो तो ऐसा जातक राजदूत अथवा गुप्तचर विभाग में किसी उच्चपद को प्राप्त करता है।

3. किस ग्रह की उच्चराशि लग्न में हो, वह ग्रह यदि अपने नवांश अथवा मित्र अथवा उच्च के नवमांश में केन्द्रगत शुभग्रह से दृष्ट हो तो ऐसा जातक शासनधिकारी का पद प्राप्त करता है। यदि केन्द्र मे उच्चराशिस्थ पापग्रह बैठे हो तो ऐसा जातक धनहीन शासक होता है।

09/03/2023

विभिन्न ग्रहों के नंवाश में स्थित सूर्यफल

1 सूर्य अपने ही नवांश में होने पर जातक दुःखी, दूसरी की आधीनता में रहने वाला कलह प्रिय, प्रभावहीन दुष्ट व कुटिल

स्वभाव तथा विविध रोगों से पीड़ित होता है।
2 चन्द्रमा के नवांश में सूर्य हो तो जातक कार्य करने में दक्ष स्थिर मति बुद्धिमान ज्ञान यश व धन से परिपूर्ण पुत्र का सुख पाने वाला, जाति प्रमुख तथा राजा ( उच्चाधिकारियों) का स्नेह भाजन व कृपा पात्र होता है।
3 मंगल के नवाश में स्थित सूर्य से जातक दीन, दुःखी दरिद्र व रोग ग्रस्त हुआ करता है। वह वात रोग से पीड़ित तथा अपमान उपेक्षा पाने वाला होता है।
4 बुद्ध के नवाश में स्थित सूर्य जातक को सुख सुविधा व सम्पन्नता देता है। ऐसा जातक शत्रुओं पर विजय पाने वाला, पुत्री से विशेष स्नेह करने वाला तथा जीवन में सभी प्रकार के सुख सहज रूप से पाने वाला होता है। उसे वात रोग जन्य कष्ट व पीड़ा का भय हुआ करता है।

5 गुरु के नवाश में स्थित सूर्य जातक को सत्यनिष्ठ, तपस्वी (जनहित के लिए कष्ट सहने वाला) पवित्र, आस्तिक, लौकिक सुखों में अनासक्त जितेन्द्रिय सुखी व धनी बनाता है।
6 शुक्र के नवाश में स्थित सूर्य जातक को भाई बंधुओं का मुखिया, विवेकशील, धार्मिक आस्था से युक्त व शत्रुहंता बनाता है। ऐसा जातक आत्म विश्वास से पूर्ण साहसी विजेता, यशस्वी तथा रोगी होता है। कभी जातक के शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति 1 की कमी भी हुआ करती है।
7 शनि के नवाश में स्थित सूर्य जातक को पराजय धन की कमी व दुर्बलता देता है। ऐसा जातक भाई बंधुओं के वियोग से दुखी, अभागा, अपमान व दुर्गति को पाने वाला तथा दुष्ट प्रकृति का मनुष्य होता है।

नक्षत्र नाम
12/02/2023

नक्षत्र नाम

25/01/2023

प्रेम विवाह सफलता हेतु शुक्र तथा लग्नेश की युति व पंचमेश की मजबूत स्थिति सहायक होती है यदि पाप पीड़ित हो failure यदि बृहस्पति से दृष्ट हो love marriage जरूर अरेंज मे परिवर्तित होंगी।

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