NavPrerana

NavPrerana "नव प्रेरणा" जहाँ आपको आध्यात्मिकता, धर्म, और आत्मचेतना के साथ जुड़े अनमोल ज्ञान और अनुभव मिलेंगे।

23/08/2023

एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवन चलाते थे। वे नित्य अलग-अलग गाँवों में जाकर भिक्षा माँगते थे। एक दिन वे गाँव के बड़े सेठ के यहाँ भिक्षा माँगने पहुँचे ।

सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला :- "गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ।"

संत ने सेठ से अनाज लिया और बोले :- "ठीक है पूछो।"

सेठ ने कहा :- "मैं ये जानना चाहता हूँ कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं?"

संत कुछ देर चुप रहे और फिर बोले :- "मैं यहाँ भिक्षा लेने आया हूँ, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण प्रश्नों के उत्तर देने नहीं आया।"

ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया, उसने स्वयं से नियंत्रण खो दिया और बोला :- "तू कैसा संत है, मैंने दान दिया और तू मुझे ऐसा बोल रहा है।"

सेठ ने गुस्से में संत को खूब बातें सुनाई। संत चुपचाप सुन रहे थे उन्होंने एक भी बार पलटकर उत्तर नहीं दिया।

कुछ देर पश्चात सेठ का क्रोध शाँत हो गया, तब संत ने उससे कहा :- "भाई जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ बुरी बातें बोलीं, तुम्हें क्रोध आ गया। क्रोध में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे यदि इसी समय पर मैं भी क्रोधित हो जाता तो हमारे बीच बड़ा झगड़ा हो जाता। क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है और शाँति हर विवाद का अंत कर सकती है। यदि हम क्रोध ही नहीं करेंगे तो कभी भी वाद-विवाद नहीं होगा। जीवन में सुख-शाँति चाहते हैं तो क्रोध को नियंत्रित करना चाहिए।

Address

Indore

Telephone

+919993749478

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when NavPrerana posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram