14/04/2024
अभ्यंग याने शरीर अंगों पर तेल लगाकर विविध गतियाँ कराना होता है।
आयुर्वेद का यह अत्यंत सरल सुलभ परंतु महत्वपूर्ण उपचार होता है। इसमें रोगावस्थानुसार अलग अलग तेलों का उपयोग किया जाता है।
वर्तमान में मसाज नाम से कई चीजों का प्रयोग हो रहा है। उदाहरण के लिए स्पा, थाइ मसाज, चाईनीज मसाज जैसे शब्दों से हम परिचित हैं व उनके लिए पैसे भी खर्च करते हैं।
कुछ दिनों से महसूस किया कि अभ्यंग की इन सब से तुलना की जाती है व व्यक्ति उसे करवा कर कितना मजा आया या नहीं आया ऐसा कहते हैं।
इसलिए यह लेख लिखने का मन हुआ।
अभ्यंग पूर्णतः therapeutic है इसका मुख्य उद्देश्य त्वचा मांसपेशियों या अन्य गहराई में स्थित अवयवों तक स्निग्धता पहुंचाना है। स्वेदन कर्म के पहले इसे करने से रुक्षता नहीं आ पाती।
अभ्यंग एवं स्वेदन दोनों से वात शमन होता है अतः दर्द कम होते हैं। शरीर दृढ़ होता है।
अभ्यंग कई strokes relaxation यानि मजा देने वाले हो सकते हैं पर हमेशा नहीं।
संवाहन यानि सहलाना थपकी, मर्दन यानि दबाव के साथ, पीड़न यानि मसलना, उन्मर्दन यानि उठाना, मर्शन यानि चूड़ी पहनने जैसा करना, मुक्की, चपत, चंपी, गूंधना, कंपन जैसे विविध strokes व्यक्ति की शरीर यष्टि एवं रोगानुसार किये जाते हैं।
Abhyang is done by appropriate use of fingers, palm, wrist, body weight, and sometimes feet.
Aim of abhyang may be relieving pain, shaping the organ, promotion of regeneration and to correct malfunctions. It's effect is by Circulatory changes, nervous stimulation and lymphatic channel changes. To make the oil absorb by microchannels is the main aim. In 30-40 minutes it affects the deeper tissues.
If done regularly for seven days it's स्निग्धता transfers to the tissues and results can be observed.
तो मजा आना ये अभ्यंग का positive side effect कहा जा सकता है। वैसे भी अच्छा लगना व अच्छा हो जाना ये दोनों दो अलग अलग बातें हैं।
उम्मीद है मेरा लिखा सब तक पहुँच पाया हो।