27/08/2020
लावारिस स्वास्थ्य सेवाएं
कलेक्टर के तुगलकी आदेश से जनता में भय
प्रशासन की दोहरी नीति से मरीज हो रहे ठगी का शिकार
रतलाम । जिले में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बदतर हो गई हे कि मरीजों को उपचार के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा हे। मामुली रोगों के उपचार के लिए भी डाक्टर उपलब्ध नही है। अपने आपको बड़े डाक्टर कहने वाले कोराना के भय से क्लिनिक में नही बैठते और नही मरीजों को देखते है और कभी देख भी लिया तो अनाप शनाप फीस वसूलते है। जो सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नही होती सरकारी अस्पतालों की भी यही स्थिति है वहां भी कोराना के भय से मरीजों का उपचार करने में डाक्टर कतराते है लेकिन यही डॉक्टर प्राइवेट अस्पतालों में बिना किसी डर के मरीजों का उपचार करते देखे जा सकते है । पूर्व कलेक्टर ने प्राईवेट डाक्टरों को चेतावनी दी थी कि कोई भी डाक्टर किसी भी मरीज को उपचार के लिए मना नही करेगा यदि शिकायत आती हे तो दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। लेकिन उनके जाने के बाद फिर प्रशासन ने बडे़ डाक्टरों को छोड़ मामूली इलाज करने वालों को चमकाना शुरु कर दिया। इससे गरीब लोगों में असंतोष व्याप्त है जिन्हे मामुली खर्च पर इलाज मिल जाता था अब वो डर रहे हैं,इसी चमक का असर दवाई बेचने वालों पर भी देखा जा सकता है वह जिस व्यक्ति को दवाई दें उसकी जानकारी प्रशासन को दे, प्रशासन की इस तुगलकी नीति से जनता में असंतोष पनप रहा है। प्रशासन जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था सुधारने के बजाय उल्टा लोगों मे भय का मोहाल पैदा कर रहा है ।
प्रशासन को चाहिए कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुवै अपनी आंतरिक व्यवस्था को सुधार कर जनता को सरकारी अस्पतालों मे अच्छा उपचार दिलाने कि व्यवस्था करें न की प्राइवेट दुकानों के भरोसे रहे ।
जिले की चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं को बिना बंधन व दबाव में संचालित होने देना चाहिए। जो प्राइवेट डाक्टर या नर्सिंग होम उपचार करने से मना करता हे या मनमानी फीस लेता है । शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होना चाहिए प्रशासन उन लोगों परेशान करना बंद करें जो मानव सेवा का कार्य ईमानदारी से कर रहै है और मामूली फीस लेकर उपचार कर रहे है।