20/05/2025
ग्रह दृष्टि नाड़ी ज्योतिष के अनुसार:-
आजतक आप सभी ने सुना होगा की नाड़ी ज्योतिष में दशा का प्रयोग नही होता,
नाड़ी ज्योतिष में भी दशा का प्रयोग होता है
नाड़ी ज्योतिष में भी विंशोन्तरी दशा के समान ही दृष्टि होती है
लेकिन मेथर्ड (तरीका) अलग है,
अब नाड़ी ज्योतिष के हिसाब से ग्रहों की दृष्टि एवम तरीका जानते है,
मानलो किसीका
कर्क लग्न एवम कुम्भ राशि है
एवम कुंडली मे शनि तुला राशि मे बैठा है ,
लग्न कुंडली से शनि की तीसरी दृष्टि छटे भाव पर ,
सातवी दशम भाव पे
एवम दसवीं लग्न पर है
ये तो हुई वैदिक दृष्टि
👆🏻👆🏻
👇🏻👇🏻
अब नाड़ी से :-
नाड़ी ज्योतिष में जिस ग्रह की दशा चल रही हो उसे लग्न मानलो,
उदा.
कर्क लग्न एवम शनि की महादशा
चल रही है,शनि कुंडली मे तुला राशि मे बैठा है,
हमने तुला को लग्न मान लिया तो लग्न में शनि देव आ गए अब लग्न से शनि महाराज
तीसरी दृष्टि से तृतीय भाव को मतलब धनु राशि को देखेंगे
सातवी दृष्टि से सप्तम भाव को मतलब मेष राशि को
एवम दशवी दृष्टि से कर्क राशि को देखेंगे
कुल मिलाकर
गुरु मंगल चन्द्र शनि देव से प्रभावित होंगे एवम
तृतीय/सप्तम/दशम भाव एवम भाव मे बैठे ग्रह
👆🏻
दूसरा तरीका शनि की दशा आप गोचर में जो ग्रह जिस राशि मे चल रहा है उसे लग्न कुंडली मे बिठाकर देख सकते है,ये तरीका जातक के वर्तमान में जो भी समश्या चल रही है उसे आसानी से जान सकते है,या जाना जा सकता है
जिद बहस ना करे समझ मे आये तो अपनाए अन्यथा इग्नोराये नमः करदे
जय श्रीराधे
Surendra R Shastri Singod