
28/07/2025
"Mahavatar Narsimha"
"ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥"
एक सार्थक फिल्म।
महावतार नरसिंह – सनातन की आस्था का जाग्रत रूप
"महावतार नरसिंह" सिर्फ एक फ़िल्म नहीं, बल्कि यह भगवान विष्णु के उग्र और रक्षक रूप की उस कथा का जीवंत चित्रण है जो नृसिंह पुराण, भागवत महापुराण और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में वर्णित है। इस फ़िल्म ने धर्म, भक्ति और अधर्म के विनाश की सनातन अवधारणा को अत्यंत प्रभावी ढंग से चित्रित किया है।
हिरण्यकश्यप जैसे अत्याचारी के अहंकार का अंत और प्रह्लाद जैसी निष्कलंक भक्ति की विजय को जिस भाव और भक्ति से प्रस्तुत किया गया है, वह दर्शकों को आत्मानुभूति कराता है। फ़िल्म यह सटीक रूप से दर्शाती है कि जब धर्म की रक्षा हेतु साक्षात विष्णु अपने उग्र रूप में अवतरित होते हैं, तो समय, स्थान और नियम भी उनके सामने झुक जाते हैं — ठीक वैसा ही जैसा "न भक्तं हन्ति नारायण:" श्लोक में कहा गया है।
भगवान नरसिंह का आधा-मानव, आधा-सिंह रूप जिसमें उन्होंने खंभे से प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध किया — फ़िल्म ने इस चमत्कारी दृश्य को अत्यंत प्रभावशाली CGI और भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया है। यह दृश्य केवल दृश्य प्रभावों का खेल नहीं बल्कि आत्मा को झकझोरने वाला अनुभव बन जाता है।
फ़िल्म ने स्क्रिप्ट और संवादों में धर्मशास्त्रों की भाषा, भाव और तत्व को बनाए रखा है। इसमें "अहं भक्तपराधीनो..." जैसे श्लोकों को जीवन्त किया गया है, जो यह बताते हैं कि भगवान स्वयं भी अपने भक्तों के प्रेम से बंध जाते हैं।
यह फ़िल्म उन सभी के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है जो धर्म और अधर्म, सत्य और असत्य, भक्ति और अहंकार के बीच के संघर्ष को समझना चाहते हैं। प्रह्लाद की दृढ़ श्रद्धा और विश्वास, और भगवान का अपने भक्त के लिए प्रकट होना, दर्शकों को गहराई से छूता है।
"महावतार नरसिंह" एक ऐसी फ़िल्म है जो सनातन धर्म के अद्भुत प्रतीकों को न केवल जीवंत करती है, बल्कि आज की पीढ़ी को यह संदेश भी देती है कि जब-जब धर्म की हानि होगी, तब-तब ईश्वर स्वयं अवतरित होंगे। यह फ़िल्म श्रद्धा, भक्ति और धर्म की जय-जयकार है।
ॐ नमो: भगवते वासुदेवाय नमः । 🙏🏻🙏🏻🙏🏻