
23/08/2025
👉बात हम केतु की 2 दिन से कर रहे है, ये ग्रह ही ऐसा है जिसके फल बहुत छुपे और कॉम्लिकेटेड है, क्यूंकि केतु गुप्त फल देने मे ही माहिर है क्यूंकि इसमें धड़ से निचे फल विधमान है हलाकि ये देखता सब है पर इसके फल देने की छमता राहु तेज है भले ही इसके फल देर से आये क्यूंकि ये न तोह शनि की दसा मे न गुरु की दसा फल उजागर नहीं करता, राहु शॉर्टकट है हर जगह जल्दी से उसे चाहिए ये ही भ्र्म जातक के मानसिकता मे भरता है, वही केतु गहन रूप से सोच विचार के घाट घाट का पानी पिला के जो छमता देता है तोह उसके फल और परिणाम सुगम या अधिक कस्ट कारी होते है जिनको लोग उम्र भर भूल भी नी पाते ऐसा झख्म देता है और सुख भी ऐसा देता है जिसका भोग लम्बे समय तक होता है.. केतु से चंद्र और बुध अधिक ख़राब फल मे होते है इनमे कर्जमुक्त आदमी हों नी पाता बिमारी उसके घर से जाती नहीं, बुरी नजर, काल जादू भी केतु पीड़ित पे अधिक होता है और जो एस्ट्रो इनको यानी तंत्र से बढ़ावा देता है या समसान मे लोगो की परेशानी का निदान के लिए बैठता है सिर्फ पैसे के लिए उसके खुद अपने परिवार के सुख नस्ट होते है ख़ासकर जो वासिकरण करके नाश मारते है लोगो का उनके छणिक की खुशी उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा दुख बनता है और इनकी संतान बहुत बुरे परिणाम भुगत ती है.. उलटे सीधे काम वाले जो भी होते है उनके घर ही उनकी संताने अपंग, दिव्याग, मानसिक रूप से विकलांग संतान पैदा होती है क्यूंकि उनके कर्मो का फल उनकी संतान भोगति है, यही केतु जा सबसे बुरा असर है.. और जिनके घर से बिमारी नी जाती दवाईया अधिक चलती है आज एक कल दूसरी बिमारी आती है ये भी केतु के साथ अस्त बुध का असर होता है.. और जो जितना दुसरो का जितना भला करता है और लोग पलट के उसे ही दोसी बना देते है और जिसका जितना भला करता है उतनी ही बेइज्जती लोग उसकी करते है ये केतु का पहला लक्षन है उसकी बुरे फल का.. केतु के फल अक्सर पीढ़ी भुगगति है क्यूंकि पूर्वजो के कर्म और उंनके पूर्व कर्म सामने आते है. और अधिकतर ये देखा है की इनको किसी की बद्दुआ लगी होती है या किसी श्राप से इनकी पीढ़ी पीड़ित होती है.. ये कहते है की हमने तोह कुछ नी किया कभी किसी का तोह हम क्यों भोग करें लेकिन ये ग्रह का नियम है आपके दादा का ऋण पिताजी भोग करेगा और ओ पूरा न कर पाए तोह पोते करेंगे.. और ये भोग किसी भी रूप मे उजागर होता है.. जैसे संतान गलत रास्तो पे, घर मे बिमारी, गरीबी, लोगो के कर्ज के निचे दबे रहना, किसी की तो संतान ही कम उम्र चली जाती है दुर्घटना मे, मतलब एक दुख और एक सुख जो लम्बा चले यही है केतु की...अब आज जो गोचर राहु केतु का होगा सभी के लिए सब उनके फल और परिनाम लम्बा आएगा. बस जिनका केतु 8-12 या राहु 1-4-5-7-8-9-12 आयेग्गा उनको सावधान तोह रहना है पर सुरु मे कुछ नी फल आएगा जैसे ही 4 महीने से और 7 महीने का समय अंतराल बीतेगा तब नज़र आएगा और तब भी लगेगा नहीं की इनका ही बुरा असर चालू हों गया.. ये उलटे वक्री चलने वाले ग्रह है जिंनके फल देरी से उजागर होंगे और होते है.. डर राहु से नहीं केतु से अधिक मैंने पाया है क्यूंकि छुपे फल बड़े घातक होते है और जिनका काम बड़े लेवल का है यानि मंगल और शनि समन्धि है, जैसे प्रॉपर्टी, रियल स्टेट, राजनीति, और उनकी कुंडली मे केतु मंगल का योग है या वर्षफल मे बने षडाष्टक योग ज़ब भी बनेगा तोह जीवन मे आ बनेगी इनको हथियार न रखना है न देना है..
केतु की बात इसलिए कर रहा हु क्यूंकि तत्कालीन स्थति जो बनी है ओ बहुत साल बाद बनी है लेकिन बड़ी विकट है सडक हादसे इतने होरे है की जवान तो जवान बच्चे तक की हादसे मे घटना घट रही है केतु मंगल के जितने करीब होगा और जिनकी कुंडली मंगल शनि का या केतु से षडाष्टक बनेगा उतना ख़राब रिजल्ट होगा किसी को कारोबार से नुकसान होगा, किसी को स्वास्थ्य से, किसी कर्जदार को लोग बहुत परेशान करेंगे जिससे वाह खुद खत्म तक करने की सोचेगा यदि बुध और चंद्र उसके बलि न हुए तोह, लोग सोचते है राहु ही बुरा होता है जबकि रिजल्ट केतु के बुरे होते है राहु ऊपरी मार करता है लेकिन केतु की पीड़ा लम्बी चलती है जो मन के अंदर किसी को खोने की पीड़ा बरकरार रखता है, कम उम्र मे बच्चों को वाहन न दे यदि उनको लगातार चोट लग रही है स्वास्थ्य ख़राब होरा है तोह सावधान रहने की आवश्कता है।
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