
17/07/2024
यह प्रकृति ही है जो गौतम को बुद्ध बनाती है , योगी को मुक्ति देती है और इस सम्पूर्ण जीव जगत का संचालन करती है । जीवन की इतनी प्रजातियों का पालन पोषण करने वाली प्रकृति को सिर्फ एक मनुष्य की प्रजाति से खतरा है । मानव विकास और मानवीय क्रियाकलापो ने इस प्रकृति पर जो अत्याचार किया है उसका परिणाम सम्पूर्ण जीव जगत को भुगतना पड़ रहा है । इससे पहले की मानव अस्तित्व से सदा के लिए ही लुप्त हो जाए उससे पहले ही उसे संभलना होगा । अपनी दैनिक जिंदगी में जितना प्रदूषण हम मनुष्य फैलाते है उसका असर हमारे साथ साथ हमारे साथी जीवो को भी भुगतना पड़ रहा है।
Climate Change ऋतुओं का असमय परिवर्तन होना इस पर सिर्फ बातों में ही रह जाना एक संकेत है कोरोना की तरह वापस प्रकृति को मजबूर न होना पड़े मनुष्य को सिखाने के लिए ।
मानसून में हम सब बाहर घूमने जाते है , इस मानसून में अगर बाहर प्रकृति के बीच जब हम घूमने जाय तो वहां एक पेड़ जरूर लगाएं , बारिश का यह मौसम और प्रकृति का संरक्षण उस पेड़ को पनपने में पूरा सहयोग देगा हम बस सिर्फ एक पेड़ ही लगाना है ।
पहाड़ मांगे पेड़ : लाखो की संख्या में इस मानसून में टूरिज्म होता है , अगर आस पास भी हम एक पेड़ इस मानसून में लगा दे तो आने वाले कुछ वर्षों में हम प्रकृति से अपने किए की माफी मांग सकते है ।
यदि आप आर्थिक सहयोग भी कर सकते है तो कीजिये , एक समूह बना कर उनके जरिये प्रकृति का संरक्षण कीजिए ।
हम जल्द ही इस दिशा में एक व्यापक कदम उठाने जा रहे है , हमसे जुड़ने के लिए हमे फॉलो करें
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