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क्या भारत को पाकिस्तान से युद्ध करना चाहिए?राजनीति या देश चलाना कोई बच्चों का काम नहीं है। यह पूरे देश के भविष्य, वर्तमा...
01/05/2025

क्या भारत को पाकिस्तान से युद्ध करना चाहिए?

राजनीति या देश चलाना कोई बच्चों का काम नहीं है। यह पूरे देश के भविष्य, वर्तमान और भूतकाल की रक्षा, व्यापार, समृद्धि आदि — सबका ख़्याल रखना होता है।
यहाँ तक कि जिन लोगों को यह नहीं पता कि शाम को सब्ज़ी क्या बनानी है, वे नाई की दुकान पर बैठकर बातें करते हैं कि प्रधानमंत्री को ऐसा करना चाहिए।
यहाँ भारत का भविष्य एकदम उज्ज्वल सूर्य की तरह चमकने वाला है और निश्चित ही चमकेगा।
जब हाथी चलता है, तो बहुत से खुजली वाले कुत्ते भौंकने आ जाते हैं।
वैसा ही है पाकिस्तान की हरकत — एक खुजली वाले कुत्ते जैसी।
अब हाथी को तय करना होता है कि उसे अपने काम पर ध्यान देना है या इस खुजली वाले कुत्ते के ऊपर अपना समय और संसाधन लगाकर अपना समय ख़राब करना है,
और यह महत्वपूर्ण समय, जो भारत के भविष्य के निर्माण का है, उसे गंवा देना है और साथ ही अपने वर्तमान को भी ख़राब कर देना है।
पूरी दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था — अमेरिका — 0.3% नीचे आ गई है।
यूरोप की हालत आपको पता ही है — वह 2020 से ही लगातार पीछे जा रहा है।
रूस और इज़राइल जैसे देश युद्धग्रस्त होकर अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी से नीचे ला चुके हैं। अब पटरी पर आने में उन्हें काफ़ी समय लगेगा।
बाकी दुनिया में दो देश हैं जो लगातार आगे बढ़ रहे हैं — एक चीन, दूसरा भारत।
चीन से भी तेज़ भारत की अर्थव्यवस्था है।
ट्रंप की नीति चीन के ख़िलाफ़ है। ट्रंप का टैरिफ चीन की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक साबित हो रहा है।
भारत के लिए यह "आपदा में अवसर" जैसा है।
क्योंकि चीन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी अगर व्यापार के अंदर कोई अभी खड़ा है, तो वह भारत है।
भारत इस सुनहरे अवसर को पहचान कर फिर से "सोने की चिड़िया" बन सकता है।
लेकिन कूटनीति हो या व्यापार — षड्यंत्र तो हर जगह व्याप्त हैं।
भारत की अभी मंगल की चिद्र दशा है, जो कि षड्यंत्र को दर्शाती है।
भारत को हर मोर्चे पर लड़ना है — घर के अंदर भी, घर के बाहर भी।
मंगल लड़ने का ही ग्रह है।
लेकिन मंगल साहस और लड़ने की क्षमता भी बहुत देता है।
मंगल के साथ में अगर शुभ बुद्ध हो, तो उसे हराना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
शुभ बुद्ध का मतलब है — विवेक के साथ बुद्धि और मंगल की तार्किकता।
इसे ऐसे देखें कि एक ऐसा व्यक्ति, जो शरीर से बलशाली है, बुद्धि तेज़ है, और जिसमें विवेक भी भरपूर है —
ऐसे व्यक्ति को हराना लगभग असंभव होता है।
फ़िलहाल भारत भी इसी स्थिति में है।
भारत का शीर्ष नेतृत्व, भारत की जनता, और भारत के व्यापारी — सभी उस व्यक्तित्व के प्रतीक हैं जिसे मैंने ऊपर वर्णित किया है।
अब कोई भी अगर आगे बढ़ेगा, तो खुजली वाले कुत्ते तो आएंगे ही —
पाकिस्तान और चीन की यही हिमाक़त हो सकती है।
क्योंकि चीन में ताक़त नहीं है भारत से सीधे युद्ध करने की,
क्योंकि युद्ध का अर्थ है — खुद की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना,
यानि अपनी ही कुल्हाड़ी अपने ही पाँव पर मारना।
ऐसे में चीन पाकिस्तान की मदद से भारत को युद्ध में उलझा सकता है,
और यह सुनहरा अवसर, जो भारत को अपने भविष्य निर्माण के लिए मिला है — उसे नष्ट कर सकता है।
अभी पाकिस्तान पर हमला करने का समय नहीं है।
बल्कि कूटनीति और राजनीति के ज़रिए उसका हुका-पानी ऊपर से नीचे तक बंद कर देना है।
अगर भारत इस समय का सही राजनीतिक और कूटनीतिक उपयोग करता है,
तो उसका भविष्य अवश्य चमकेगा।
ना कि पाकिस्तान पर युद्ध या सैन्य ताक़त का प्रयोग कर,
अपना समय, पैसा, और जन-धन का नुकसान करके।
क्योंकि चीन — जो भारत का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी है — चाहता ही यही है
कि भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध में उलझ जाए,
खुद को बर्बाद कर ले,
और चीन बिना लड़े ही इस विश्व पर राज कर जाए।
लेकिन मुझे पूरा भरोसा है भारत के शीर्ष नेतृत्व पर —
कि वे पाकिस्तान को ना साँस लेने देंगे, ना उसे छोड़ेंगे।
भारत को अभी पाकिस्तान से सीधे युद्ध में नहीं उलझना चाहिए।
उसे कूटनीतिक और राजनीतिक तरीके से ही उसकी साँसों पर लगाम लगा देनी चाहिए।
और आप खुद देख सकते हैं कि भारत का शीर्ष नेतृत्व क्या कर रहा है।
उम्मीद है मेरे विचार आपको सोचने का एक दृष्टिकोण देंगे — आपकी राय इससे भिन्न हो सकती है और वह भी उतनी ही मान्य है।
जय श्री राम।

🌸✨ अक्षय तृतीया: एक दिव्य पर्व — शास्त्रीय दृष्टिकोण से ✨🌸अक्षय तृतीया, जिसे 'अखतीज' भी कहा जाता है, वैशाख मास के शुक्ल ...
29/04/2025

🌸✨ अक्षय तृतीया: एक दिव्य पर्व — शास्त्रीय दृष्टिकोण से ✨🌸

अक्षय तृतीया, जिसे 'अखतीज' भी कहा जाता है, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। 'अक्षय' का अर्थ है — जो कभी समाप्त न हो।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए पुण्यकर्म, दान, जप, तप और शुभ कार्यों का फल अक्षय (चिरस्थायी) होता है।
ब्रह्मपुराण, स्कंदपुराण, गरुड़पुराण, और पद्मपुराण जैसे अनेक ग्रंथों में इस पवित्र तिथि का विशेष महत्त्व बताया गया है।
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🔱 अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले प्रमुख शुभ कार्य (शास्त्रसम्मत)
1. इष्ट देव का पाठ और पूजा करें
"इष्टदेव पूजा विशेषेण कुर्याद् अक्षय तृतीयायाम्।" — (स्कंद पुराण)
👉 अपने आराध्य (श्रीराम, श्रीकृष्ण, विष्णुजी या कुलदेवता) का जप, ध्यान या पाठ करें। यह आज के दिन अत्यंत पुण्यकारी होता है।
2. दान धर्म अवश्य करें
"दानं तु अक्षय तृतीयायाम् कुर्यात् अनंत फलप्रदम्।" — (गरुड़ पुराण)
👉 जल, अन्न, स्वर्ण, वस्त्र, सत्तू, गुड़, चावल, छाता, जूते आदि का दान अक्षय फलदायक होता है। अन्नकूट भंडारा भी शुभ है।
3. अन्न और धान्य का संग्रह करें
"अक्षये दिवसे धान्यग्रहणं अक्षय सुख प्रदम्।" — (पद्म पुराण)
👉 चावल, गेहूं या कोई नया अनाज आज खरीदें। इससे वर्षभर घर में अन्न की समृद्धि बनी रहती है।
4. सोना या चांदी खरीदें
"स्वर्णाधानं अक्षय दिनं सौख्यम् जनयति।"
👉 स्वर्ण, चांदी या बहुमूल्य धातुओं का क्रय या दान करने से आर्थिक स्थायित्व प्राप्त होता है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
5. नाक-कान छेदन संस्कार करें
"कर्णवेध संस्कारः अक्षय तृतीयायाम् शुभः।" — (गृह्यसूत्र)
👉 नाक-कान छेदन संस्कार (कर्णवेध) आज के दिन स्थायित्व, आरोग्य और सौंदर्य वृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
6. ❗ अक्षय तृतीया पर उधार न लें, न दें ❗
"ऋणं न दातव्यं न ग्राह्यं चात्र तृतीयायाम्। तेन धनक्षयो नूनं स्यात्।" — (ब्रह्मवैवर्त पुराण)
👉 इस दिन उधार देना या लेना वर्जित है। ऐसा करने से आर्थिक अस्थिरता, ऋणभार और धनहानि की संभावना बढ़ जाती है। अतः केवल पुण्य और शुभारंभ करें।
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📜 शास्त्रों में वर्णित अन्य दिव्य घटनाएँ और महत्व:
• त्रेता युग का प्रारंभ — आज ही के दिन त्रेता युग का शुभारंभ हुआ।
• भगवान परशुराम का अवतरण — भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुरामजी का जन्म।
• गंगा अवतरण — मां गंगा का पृथ्वी पर प्राकट्य।
• अक्षय पात्र का आशीर्वाद — श्रीकृष्ण द्वारा पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया गया।
• स्वयंसिद्ध मुहूर्त — किसी भी शुभ कार्य के लिए आज अलग से मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।
• उपवास और तपस्या का फल — व्रत और तप से अक्षय पुण्य की प्राप्ति।
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🌼 अक्षय तृतीया का वास्तविक संदेश:
• सच्चे हृदय से दान देना।
• नवीन शुभ संकल्प लेना।
• अपने जीवन में स्थायित्व और स्थिरता का आधार बनाना।
• आध्यात्मिक साधना द्वारा अपने पुण्य को अक्षय बनाना।
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🌸 आपके जीवन में सुख, समृद्धि, आरोग्य और अक्षय मंगल का सदा वास हो। अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं! 🌸
🪔✨ अगर इस लेख ने आपके मन में श्रद्धा और प्रेरणा का दीप जलाया है, तो इसे अपने प्रियजनों के साथ साझा अवश्य करें — ताकि अक्षय तृतीया का पुण्य और आशीर्वाद सब तक पहुँचे! ✨🪔
"पुण्य बांटने से घटता नहीं, बल्कि अनंत गुना बढ़ता है।"

जय राम जी की 🙏🙏

🌙 जब मन थक जाता है — डिप्रेशन, उम्मीद और रास्ते की बातकभी-कभी लगता है जैसे सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है।मुस्कान तो ...
27/04/2025

🌙 जब मन थक जाता है — डिप्रेशन, उम्मीद और रास्ते की बात
कभी-कभी लगता है जैसे सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं है।
मुस्कान तो होती है चेहरे पर, लेकिन अंदर कहीं एक खामोशी बैठ जाती है।
इसे क्या कहते हैं — शायद कोई इसे "डिप्रेशन" कहता है, कोई "उदासी",
लेकिन ये एहसास आज के दौर में बहुत लोगों के लिए जाना-पहचाना बन चुका है।

यह कोई किताबों में पढ़ी बात नहीं है,
बल्कि वो सच्चाई है जिसे हमारे आस-पास बहुत से लोग जी रहे हैं — कभी खुलकर, कभी खामोशी से।

यह कोई किताबों में पढ़ी बात नहीं है,
बल्कि वो एहसास है जो हमने-आपने या हमारे आस-पास के किसी ने जिया है।

🌍 आधुनिक ज़िंदगी, लेकिन अधूरापन
जिन देशों को हम 'सबसे विकसित' कहते हैं — जैसे अमेरिका, जापान, स्वीडन — वहाँ भी लोग अंदर से अकेले हैं।
बड़े-बड़े घर हैं, ब्रांडेड चीज़ें हैं, लेकिन मन? वो फिर भी बेचैन है।

WHO की रिपोर्ट (2023) के अनुसार,

🌐 दुनिया भर में लगभग 28 करोड़ लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं।

भारत की बात करें तो,

🇮🇳 करीब 5 में से 1 व्यक्ति कभी न कभी डिप्रेशन या मानसिक तनाव का सामना करता है।

*सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि*

🔺 डिप्रेशन 15–29 साल के युवाओं में आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है।

यह सब बताता है कि पैसा, शोहरत, टेक्नोलॉजी — सब कुछ है,
लेकिन मन की शांति अब भी सबसे दुर्लभ चीज़ों में से एक है।

🔭 थोड़ी ज्योतिष की बात भी कर लूँ...?
मैंने देखा है कि कभी-कभी हमारे मन की स्थिति सिर्फ बाहरी कारणों से नहीं होती — कुछ अंदरूनी, सूक्ष्म ऊर्जा भी होती है।

भारतीय ज्योतिष शास्त्र कहता है:

"चंद्रमा मनसो जातः" — अर्थात चंद्रमा से मन उत्पन्न होता है।

जब कुंडली में चंद्रमा पर राहु, केतु, शनि जैसे ग्रहों की दृष्टि हो,
या चतुर्थ भाव और लग्न कमजोर हों — तो मानसिक असंतुलन, डर, अवसाद जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।

ऐसे में कोई अनुभवी ज्योतिषी आपकी कुंडली में यह देख सकता है कि
क्या ग्रहों की कोई भूमिका है आपकी वर्तमान मन:स्थिति में?

और हाँ — यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि एक संभावित दृष्टिकोण है, जो प्राचीन भारत में हजारों वर्षों से मनुष्य को समझने का एक ज़रिया रहा है।

🌿 कुछ छोटे लेकिन असरदार उपाय — जो मैंने अपनाए हैं
🌅 सुबह जल्दी उठकर सूरज की रौशनी में बैठना — शरीर और मन दोनों को ऊर्जा देता है।

🧘‍♀️ ध्यान और प्राणायाम — रोज़ बस 10 मिनट भी करें तो फर्क दिखता है।

📿 गायत्री मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप — विशेषकर चंद्रमा की शांति के लिए।

🥦 सात्विक भोजन और नींद — क्योंकि गट हेल्थ और माइंड हेल्थ सीधा जुड़ा हुआ है।

💬 किसी अपने से खुलकर बात करना — "मैं ठीक नहीं हूँ", ये शब्द जादू कर सकते हैं।

💬 और अगर बात न बने... तो मदद लो, हिचको मत
"सबके पास कोई न कोई दर्द होता है,
फर्क बस इतना है — कोई बता देता है, कोई छुपा लेता है।"

अगर आपको लगता है कि यह सिर्फ "फेज" नहीं है,
तो मदद लीजिए —
किसी परामर्शदाता, डॉक्टर या ज्योतिषी से — जो आपको सही दिशा दिखा सके।

मन अगर बोले — ‘थक गया हूँ’,
तो ज़रा थाम लो उसे, डाँट मत दो।
उसे रोने दो, समझने दो —
कभी-कभी मजबूत बनने के लिए भी वक़्त चाहिए होता है।

अगर आप यह पढ़ते हुए खुद को या किसी अपने को महसूस कर पाए हों,
तो इसे किसी के साथ ज़रूर शेयर कीजिए।
क्या पता — आपका एक मैसेज किसी की रात आसान कर दे। 🌌

 # # # क्या आपके जीवन की समस्याओं का कारण यह प्रथा तो नहीं?   # # # # (कंडे/गोबर के उपले पर पितृ भोग : शास्त्रीय सत्य एव...
24/04/2025

# # # क्या आपके जीवन की समस्याओं का कारण यह प्रथा तो नहीं?
# # # # (कंडे/गोबर के उपले पर पितृ भोग : शास्त्रीय सत्य एवं समाधान)

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# # # भाग 1: शास्त्रों की दृष्टि में यह प्रथा क्यों है अमान्य?
# # # # 1. गीता (16.23-24) का स्पष्ट निर्देश
> "यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।
> न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्॥"
*(जो शास्त्र विधि को छोड़कर मनमाने ढंग से चलता है, उसे न सिद्धि मिलती है, न सुख, न मोक्ष।)*

# # # # 2. गरुड़ पुराण (अध्याय 15) की चेतावनी
- प्रेतबाधा का खतरा: "अविधिपूर्वकं श्राद्धं कृतं प्रेतभोजनम्"
*(अनुचित विधि से किया श्राद्ध प्रेतों का भोजन बन जाता है)*
- कुलहानि: कंडे/गोबर पर भोग लगाने से पितृ रुष्ट होते हैं।

# # # # 3. वेदों का आदेश
- यजुर्वेद (19.38): "पितृभ्यः स्वधा नमः"
*(पितरों के लिए 'स्वधा' (ब्राह्मण-भोजन) ही उचित)*
- अथर्ववेद (18.4.24): गौ/ब्राह्मण को भोजन देना ही पितृ तर्पण है।

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# # # भाग 2: इस प्रथा के दुष्परिणाम
# # # # 1. पितृ दोष के लक्षण
- आर्थिक संकट (व्यापार/नौकरी में बाधा)
- संतान संबंधी समस्याएँ
- पारिवारिक कलह
- मानसिक अशांति

# # # # 2. वैज्ञानिक तर्क
1. पितरों की सूक्ष्म प्रकृति:
- पितर सूक्ष्म शरीर धारण करते हैं, उन्हें ब्राह्मण-भोजन का सत्व चाहिए, न कि गोबर/कंडे जैसा स्थूल माध्यम।
2. स्वच्छता का अभाव:
- गोबर में जीवाणु हो सकते हैं, जो अन्न को दूषित कर सकते हैं।

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# # # भाग 3: शास्त्रोक्त समाधान
# # # # 1. सही विधि (विष्णु पुराण 3.14.15)
> "पितृणां तृप्तये दद्यादन्नं विप्राय भक्तितः।
> विष्णुर्हि पितृरूपेण तेन तृप्यन्ति पितरः॥"
*(ब्राह्मण को भक्तिपूर्वक अन्न दें, क्योंकि विष्णु ही पितृरूप में उसे ग्रहण करते हैं।)*

# # # # 2. व्यावहारिक चरण
1. अमावस्या पर:
- कुशा बिछाकर पिंडदान करें
- सात्विक ब्राह्मण को भोजन कराएं
2. मंत्र:

ॐ पितृदेवताभ्यः स्वधा नमः।
विष्णुरूपिणेभ्यः स्वाहा॥


3. गौ सेवा: गाय को हरा चारा अर्पित करें

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# # # भाग 4: शंका समाधान
# # # # 1. क्या गोबर पवित्र नहीं है?
- मनुस्मृति (5.125): गोबर शुद्धिकारक है, पर भोजन पात्र नहीं।
- याज्ञवल्क्य स्मृति (1.231): "गोमये पिण्डदानं तु पितृणामपमाननम्"
*(गोबर पर पिंडदान पितरों का अपमान है)*

# # # # 2. लोकप्रचलित मान्यता vs शास्त्र
- यह प्रथा स्थानीय परंपरा से उपजी है, शास्त्र-सम्मत नहीं।
- मत्स्य पुराण (20.12): शास्त्र विधि छोड़ने वाले के पितृ रुष्ट होते हैं।

# # # निष्कर्ष
> "शास्त्रोक्तं पथ्यमेव हि"
*(शास्त्रानुसार मार्ग ही कल्याणकारी है)*

आग्रह:
- शास्त्र विधि से पितृ तर्पण करें
- किसी वैदिक पंडित से सही विधि जानें
- विष्णु भगवान का स्मरण करें

जय राम जी की

31/12/2024

विक्रम संवत 2082(2025-2026)
किसी बड़े व्यक्ति/ नेता आदि के हत्या(assassination) होने की सम्भावना है।
ग्रह स्थिति यही दर्शाती है।
जय श्री राम

31/12/2024

विक्रम संवत 2082(2025-2026)

बड़े उद्योगों में कुछ गड़बड़ियां(Scam/Fraud) उजागर होने की सम्भावनायें है।
ग्रह स्थिति यही दर्शाती है
जय श्री राम

31/12/2024

विक्रम संवत 2082(2025-2026)

कंपनी( बड़े उद्योगो) के लिए नए-नियम कानून सरकार की तरफ से आने की सम्भावनाये है।( जनमानस के लिए लाभदायक होंगे)
यह भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए है।
ग्रह स्थिति यह दर्शाती है
जय श्री राम

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
14/02/2024

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

श्री राम 🙏
25/01/2024

श्री राम 🙏

25/01/2024

अवसर हाथ आते आते ही छूट जाते हैं, जब पश्चिम दिशा में टॉयलेट होता है।

जय राम जी की

24/01/2024

आपकी धर्म पत्नी की कुंडली में अष्टम भाव में शुक्र गुरु बैठे हैं तो उस लक्ष्मी स्वरूपा देवी के चरण धोकर पिए।

आपके लाख, करोड़ में इस देवी की कृपा से ही संभव हुए हैं।

जय राम जी की

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