23/07/2023
गांधारी के शाप को
श्री कृष्ण का उत्तर
बोले गांधारी को हाथ जोड़
माते! ये शाप मैं ले लेता हूं,
पर वंश नष्ट होता है क्यों
उसके कुछ कारण देता हूं।
किसके कारण यह युद्ध हुआ
मंथन कर लो विश्लेषण में।
कौरव विनाश का कारण तुम
तुम स्वयं बनी थीं, नेत्रहीन।
पर ज्ञान चक्षु, चिंताधारा
को क्यों रखा दृष्टि विहीन?
अपने भाई शकुनी का चक्र तंत्र
क्यों रोका नहीं कभी तुमने?
गांधारी, हे! वह धूत खेल
का कपट किया था क्या मैंने?
वे दुरात्मा, ईर्ष्यालू, दुष्कर्मी, अभिमानी
थे पुत्र तुम्हारे हठधर्मी।
ऐसे दुर्योधन के तुमने क्यों
अपराध नहीं संज्ञान लिए।
बन पाओगी क्या पुत्रवती
यों मुझको तुम शापित करके?
मैं सर्वविज्ञ, सब मालूम मुझे
कालांतर में यह ही होगा,
मैने ही लिखा सबका ललाट
जो लिखा मेरा, वह ही होगा।
पर मुझे चाहिए कारण भी,
मरने का, मर्त्य के कानन में।
मैं काल चक्र, मैं कृष्ण गहन,
मैं रथारूंढ, मैं संहारक,
मैं शून्य विराजित बहुरूपी,
हर दिशा मेरी, मैं वृहत कोण ।
हे क्षत्रिय! नया नही तुमने,
अभिशापित कर कुछ बोला है,
जो अपने लिए लिखा मैंने
तुमने रहस्य वह खोला है।
मेरा यदुकुल है मुझसे
कोई मार नही सकता इनको
मेरे चिन्ह से सारे चिन्हित भी
अपराजय हैं और अविजित भी।
मैं ही हूं इनका संहारक
मैं ही रचना कर जाऊंगा
मेरे महाप्रयाण से पहले ही,
सब चिन्ह मिटा के जाऊंगा।
दुख करो ना तुम हे, पतिव्रता!
दुख करने से दुख बढ़ता है,
इस सृष्टि में कोई अमर नहीं
हर लेख काल ही गढ़ता है।
🙏 जय श्री कृष्ण🙏