Ayurved Help By Dr. Neeraj

Ayurved Help By Dr. Neeraj उन लोगों की सहायता का प्रयास जो कि अपन?

03/02/2024

गर्म तासीर के ये मसाले आपके भोजन में स्वाद जोड़ने के साथ- साथ स्वास्थ्य को बनाये रखने में भी सहायक हैं। इन मसालों को अपने आहार में शामिल करें और क्यू आर कोड को स्कैन कर विभिन्न शोधों के माध्यम से जाने की मसाले किस तरह से स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक हैं।

15/03/2023

जब मैं बाजार से निकलते समय वसंत ऋतु में ग्रीष्म ऋतु में लेने वाले आहार जैसे तरबूज खरीदते, आइसक्रीम खाते, गन्ने का जूस पीते देख रहा हूँ।
गर्मी शुरू भी नहीं हो पाई और हमने इतनी तेजी से गर्मियों के आहार विहार को अपनाना शुरू कर दिया जैसे ज्येष्ठ की तमतमाती धूप चढ़ने लगी हो ?..Neeraj. ....
अरे भाई इतनी क्या जल्दी है तरबूज खरबूज खाने की ? अभी कौन सी मई जून की गर्मी आ गई है ? क्या आपके शरीर मे अभी से पानी की कमी महसूस होने लगी ? क्या शरीर से पसीने की धार बह रही है ? अरे अभी चंद दिन ही हुए हैं शीत ऋतु को खत्म हुए, वसंत ने अभी अभी बचपन की दहलीज़ को लांघकर यौवन में प्रवेश किया है, पर लोगों ने तो वसंत को जैसे समाप्त ही मान लिया और सीधे ग्रीष्म ऋतु की ऋतु चर्या में छलांग लगा दी, जबकि वसंत में अपने शरीर मे जमा अतिरिक्त जलीयांश या कफ को निकलने भी नहीं दिया और आपने शीतल आहार जैसे खरबूज, आइसक्रीम, गन्ने का रस आदि लेना शुरू कर दिया। जब तेज ठंड थी तो हमारे शरीर ने ठंड से बचाने के लिए त्वचा के नीचे एक कफ रूपी जलीयांश का संचय किया था जैसे ठंडे प्रदेशों में रहने वाले पशुओं के रोम बड़े हो जाते हैं, वसा के जमाव से उनकी त्वचा मोटी हो जाती है ठीक वैसे ही हमारे शरीर मे भी कफ का संचय होता है यह एक तरह का अनुकूलन होता है परंतु हमने अपने शरीर को मौका ही नहीं दिया ऋतु अनुसार ढलने का। आने वाली गर्मियों में शरीर की गर्मी कम करने के लिए पसीना अधिक स्रावित करना होगा तो वसंत में शरीर में जमा अतिरिक्त कफ को बाहर करना ही होगा, पर हमें वसंत ऋतु का करना ही क्या है ? सीधे गर्मी का Routine follow करने लग जाते हैं।
मैं लोगों को बताना चाहूंगा कि जब भी एक ऋतु समाप्त हो रही होती है और दूसरी ऋतु आ रही है तो पिछली ऋतु का आहार विहार क्रमशः छोड़ते जाएं और आगामी ऋतु का आहार विहार क्रमशः अपनाते जाएं इसमें बहुत जल्दबाजी ठीक नहीं।
धन्यवाद

30/10/2022

Millets, Oats and Raagi are not good to consume every day even for healthy people and not at all healthy for people with metabolic errors.Neeraj...
By nature, these grains slow down metabolism and impair effective drainage mechanisms.

23/06/2022

*हितकर आहार* :इस ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाले अदरक, लहसुन, नींबू, पुदीना, हरा धनिया, सोंठ, अजवायन, मेथी, जीरा, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल का प्रयोग करें । जौ, खीरा, लौकी, गिल्की, पेठा, तोरई, जामुन, पपीता, सूरन, गाय का घी, तिल का तेल तथा द्राक्ष सेवनीय हैं । ताजी छाछ में काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा, धनिया, पुदीना डालकर दोपहर भोजन के बाद ले सकते हैं । उपवास और लघु भोजन हितकारी है । रात को देर से भोजन न करें ।..Neeraj. ..

*अहितकर आहार* : देर से पचनेवाले, भारी, तले, तीखे पदार्थ न लें । जलेबी, बिस्कुट, डबलरोटी आदि मैदे की चीजें, बेकरी की चीजें, उड़द, अंकुरित अनाज, ठंडे पेय पदार्थ व आइसक्रीम के सेवन से बचें । वर्षा ऋतु में दही पूर्णतः निषिद्ध है । श्रावण मास में दूध व हरी सब्जियाँ वर्जित हैं ।

*हितकर विहार* : उबटन से स्नान, तेल की मालिश, हलका व्यायाम, स्वच्छ व हलके वस्त्र पहनना हितकारी है । वातावरण में नमी और आद्र्रता के कारण उत्पन्न कीटाणुओं से सुरक्षा हेतु आश्रमनिर्मित धूप व हवन से वातावरण को शुद्ध तथा गौसेवा फिनायल या गोमूत्र से घर को स्वच्छ रखें । घर के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। मच्छरों से सुरक्षा के लिए घर में गेंदे के पौधों के गमले अथवा गेंदे के फूल रखें और नीम के पत्ते, गोबर के कंडे व गूगल आदि का धुआँ करें ।

*अपथ्य विहार*: दिन में शयन, रात्रि-जागरण, खुले में शयन, अति व्यायाम और परिश्रम, नदी में नहाना, बारिश में भीगना वर्जित है । कपड़े गीले हो गये हों तो तुरंत बदल दें ।

18/05/2022

#गर्मी व #अनिद्रा की दुश्मन #राजस्थानी #डुए / #डुआ की #राबड़ी
जैसे कि आप सभी देख रहे है कि पूरे भारत मे भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है ऐसे में हम घर पर ही गर्मी को शांत करने के लिये #मारवाड़ी की पारम्परिक डुये / #डुए_की_राबड़ी बनाकर खा सकते है जिससे आप के शरीर पर बढ़ती गरमी का असर बिल्कुल नही होगा
#डुआकीराबड़ी की विधि
सामग्री
..NEERAJ.....
1. #छाछ ( Butter milk ) या लस्सी 1 कटोरी
2. #मोठ ( Vigna aconitifolia or Moth bean ) का आटा 1 छोटी चमच्च
मोठ न मिले तो बेसन ले सकते है
3. #बाजरे ( Pearl millet ) का आटा 1 छोटी चमच्च, बाजरा न मिले तो जौ ले सकते है
4. नमक ( Salt ) स्वादानुसार
सबसे पहले हम एक पतीला लेंगे, उसमे मोठ का आटा 1 छोटी चमच्च व बाजरे का आटा 1 छोटी चमच्च डाल देंगे फिर 1 कटोरी
छाछ या लस्सी डाल देंगे तथा रई से उस आटे को अच्छी तरह मिला लेंगे ताकि कोई भी आटे की गुठली नही रहे, फिर उसमें छाछ से दुगुना पानी लेकर अच्छी तरह मिलाकर कर एक प्लेट से ढककर 5 से 6 घंटे तक उसे धूप में रख देते है, जिसके कारण उसमे संधान या fermantation हो जाये
उसके बाद उसके ऊपर के सन्धान युक्त पतले पानी को निकालकर अलग कर लेते है तथा बाकी बचा गाढ़ा घोल अलग कर लेते है, अब सन्धान युक्त पतले पानी को किसी एक पतीले में मंदी आंच पर गर्म कर लेते है, जब उबाल आ जाये तो वो बचा हुआ गाढ़ा घोल उसमे मिला देते है, फिर धीरे धीरे कढ़ी की तरह उसे 15- 20 मिनिट तक पका लेते है, अगर गाढ़ा लगे तो इसमें थोड़ा पानी मिलाकर भी उबाल सकते है, उसके बाद उसको ठंडा होने तक बाहर रखे फिर उसको किसी पात्र में ढककर रातभर फ्रीज़ या ठंडे स्थान में रख दे ।
अगले दिन उसको निकालकर एक छलनी से छानकर रख ले अब इस डुये की राबड़ी को आप खाने के काम ले सकते है
जब इसे खाना हो तो इसमें, दही या छाछ व नमक स्वादानुसार मिलाकर उसमे थोड़े कच्चे #प्याज, भुना हुआ #जीरे का पाउडर के साथ मिलाकर खाये। ये राबड़ी गर्मी व लू से पूरी तरह आपको बचाकर रखती है
नोट: चूंकि डुये की राबड़ी में सन्धान प्रकिया होती है इसलिये इसमें औषधीय मात्रा में 3 से 5 प्रतिशत तक प्राकृतिक औषधीय #अल्कोहल या #आयुर्वेद के अनुसार #अरिष्ट का निर्माण भी होता है, जिसके कारण इसको खाने से गर्मी व #लू से बचाव के साथ साथ #नींद भी बहुत अच्छी आती है।

10/05/2022

गर्मी में खूब खाओ #खरबुजा।
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खरबूजा बेहद गुणकारी पोषक सुपाच्य शीतल फल है....। .Neeraj...

खरबूजे में 90 फ़ीसदी जल ही होता है शेष 10 फीसदी #खरबूजे में होता है ढेर सारा फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए बीटा कैरोटीन ,पोटेशियम जैसे खनिज।

खरबूजा शरीर को हाइड्रेटिंड अर्थात तर रखता है... इसमें शुगर की कम मात्रा होने फाइबर की अधिकता के यह गुर्दे के फंक्शन को स्वस्थ रखता है

। मोटापा घटाने के मामले में यह पपीता से भी अधिक लाभदायक है। इसमें मौजूद विटामिन ए ,बीटा कैरोटीन आंखों को स्वस्थ रखते हैं विटामिन सी का भी यह मुख्य स्रोत है।

कुछ लोग लू से बचने के लिए प्याज का सेवन करते हैं लेकिन प्याज उत्तेजक रक्त को दूषित करती है मुख् में दुर्गंध उत्पन्न करती है लेकिन खरबूजा शीतल लू से बचाने में भी बेहद कारगर है यह रक्त को शुद्ध करता है।

खरबूजे में मौजूद पोटेशियम दिल को स्वस्थ रखता है सोडियम की मात्रा को नियंत्रित रखता है फलस्वरूप रक्तचाप सामान्य रहता है। आयुर्वेद में खरबूजे की प्रकृति वात पित्त नाशक मानी गई है। गर्मी की ऋतु में शरीर में पित्त का प्रकोप होता है। आयुर्वेद में अनिद्रा तनाव और अवसाद वात व्याधि मानी गयी हैं ऐसे में खरबूजा इन रोगों में भी अत्यंत अत्यंत लाभकारी है। जिनको पेशाब खुलकर ना आता हो या पेशाब में जलन रहती हो या पेशाब के पथ में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन) हो उसमें भी खरबूजा बहुत लाभकारी है... पेट रोगों का तो यह बेल पत्थर की तरह शत्रु है.... खरबूजे के सेवन में कुछ एक सावधानियां बरती जाती है। खाली पेट खरबूजे का सेवन नहीं करना चाहिए खरबूजे के सेवन के पश्चात पानी नहीं पीना चाहिए.... वगैरा-वगैरा। खरबूजा चुनिंदा ऐसा फल है जिसे सलाद के तौर पर भी भोजन के साथ सेवन किया जा सकता है... #

18/04/2022

डायबिटीज टाइप 2....
नाइलाज नहीं है.....

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