23/06/2022
*हितकर आहार* :इस ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाले अदरक, लहसुन, नींबू, पुदीना, हरा धनिया, सोंठ, अजवायन, मेथी, जीरा, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल का प्रयोग करें । जौ, खीरा, लौकी, गिल्की, पेठा, तोरई, जामुन, पपीता, सूरन, गाय का घी, तिल का तेल तथा द्राक्ष सेवनीय हैं । ताजी छाछ में काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा, धनिया, पुदीना डालकर दोपहर भोजन के बाद ले सकते हैं । उपवास और लघु भोजन हितकारी है । रात को देर से भोजन न करें ।..Neeraj. ..
*अहितकर आहार* : देर से पचनेवाले, भारी, तले, तीखे पदार्थ न लें । जलेबी, बिस्कुट, डबलरोटी आदि मैदे की चीजें, बेकरी की चीजें, उड़द, अंकुरित अनाज, ठंडे पेय पदार्थ व आइसक्रीम के सेवन से बचें । वर्षा ऋतु में दही पूर्णतः निषिद्ध है । श्रावण मास में दूध व हरी सब्जियाँ वर्जित हैं ।
*हितकर विहार* : उबटन से स्नान, तेल की मालिश, हलका व्यायाम, स्वच्छ व हलके वस्त्र पहनना हितकारी है । वातावरण में नमी और आद्र्रता के कारण उत्पन्न कीटाणुओं से सुरक्षा हेतु आश्रमनिर्मित धूप व हवन से वातावरण को शुद्ध तथा गौसेवा फिनायल या गोमूत्र से घर को स्वच्छ रखें । घर के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। मच्छरों से सुरक्षा के लिए घर में गेंदे के पौधों के गमले अथवा गेंदे के फूल रखें और नीम के पत्ते, गोबर के कंडे व गूगल आदि का धुआँ करें ।
*अपथ्य विहार*: दिन में शयन, रात्रि-जागरण, खुले में शयन, अति व्यायाम और परिश्रम, नदी में नहाना, बारिश में भीगना वर्जित है । कपड़े गीले हो गये हों तो तुरंत बदल दें ।