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27/08/2025
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26/08/2025
24/08/2025
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05/08/2025

100 से ज्यादा ज्यादा बीमारियां ठीक

मानसिक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। आइए एक-एक उपाय को समझते हैं:---1. तनाव महसूस हो तो –> नाक क...
05/08/2025

मानसिक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। आइए एक-एक उपाय को समझते हैं:

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1. तनाव महसूस हो तो –

> नाक को चुटकी में दबाएं, मन शांत हो जाएगा।

यह उपाय एक प्रकार की एक्यूप्रेशर तकनीक है। नाक के पास के क्षेत्र में नसें होती हैं जो दिमाग को सिग्नल भेजती हैं। इस क्षेत्र पर हल्का दबाव देने से तनाव कम हो सकता है और मानसिक शांति मिल सकती है।

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2. चिंता शांत करें –

> हृदय पर हाथ रखें और धीमी गहरी सांस लें।

यह तरीका माइंडफुल ब्रीदिंग कहलाता है। इससे हृदय की धड़कन सामान्य होती है, ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है, और दिमाग शांत होता है। चिंता कम करने का यह एक बहुत ही प्रभावी तरीका है।

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3. ऊर्जा बढ़ाएं –

> चेहरे पर ठंडा पानी मारें या तेजी से चलके आएं।

ठंडे पानी से चेहरे को धोने से ताजगी मिलती है और शरीर अलर्ट हो जाता है। तेज चलने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जिससे शरीर में ऊर्जा आती है और सुस्ती दूर होती है।

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4. नाक बंद हो तो –

> सिर ऊंचा रखें और भौंहों के बीच दबाव दें।

नाक बंद होने पर सिर ऊंचा रखने से सांस लेने में आसानी होती है। भौंहों के बीच दबाव देना भी एक्यूप्रेशर तकनीक है जो साइनस को खोलने में मदद कर सकती है।

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5. नींद नहीं आ रही –

> धीरे-धीरे 100 से 1 तक उल्टी गिनती गिनें।

यह उपाय दिमाग को व्यस्त रखता है जिससे बार-बार उठने वाले विचार शांत होते हैं। इससे नींद आने में मदद मिलती है — यह एक लोकप्रिय नींद लाने वाली मानसिक तकनीक है।

05/08/2025

आँवला के पौधे पर कई बार फूल नहीं आते और अगर आते हैं तो झड़ जाते हैं, फल नहीं बनते। इसके कई कारण हो सकते हैं- जैसे परागण की कमी, मिट्टी में पोषण तत्वों की कमी, नर-मादा फूलों की संख्या में असंतुलन, पौधे को उगाने की विधि और बेहद महत्वपूर्ण पौधें की उम्र। इनमें से कोई भी कारण हो सकता हैं।

💁🏼‍♀️आँवले में फल न लगने के कारण :

👉🏻पौधा फल देने की उम्र में नहीं पहुँचा :
बीज से उगाए आँवले को फल देने में 6 से 7 साल लग सकते हैं। कलम या ग्राफ्टेड पौधे आमतौर पर 3 से 4 साल में फल देना शुरू करते हैं।

🧐समाधान :
यदि पौधा बहुत पुराना होकर भी फल नहीं दे रहा, तो पौधे की छंटाई करें। आप हर साल सर्दियों के अंत में सूखी व भीतरी शाखाओं की कटाई-छंटाई करें ताकि धूप अंदर तक पहुँचे और ग्रोथ हॉर्मोन भी बढ़े।

👉🏻केवल नर या मादा फूल ही बन रहे हैं :
आँवला द्विलिंगी नहीं होता, उसमें नर और मादा फूल अलग-अलग बनते हैं। यदि मादा फूल नहीं बनते हैं या नर फूल कम बनते हैं, तो फल नहीं बनेंगे।

🧐समाधान :
फूल आने के समय NAA (नेफ्थलीन एसिटिक एसिड) का छिड़काव करें, यह मादा फूलों को बढ़ावा देता हैं।

👉🏻मात्रा :
1 मिलीलीटर NAA (4.5%) को 5 लीटर पानी में मिलाएँ।

🤔कब प्रयोग करें :

● फूल बनने के समय पर छिड़कें।

●15 से 20 दिन के अंतर पर 1-2 बार छिड़काव किया जा सकता हैं यदि समस्या बनी रहे।

🤔कैसे प्रयोग करें :
● सुबह या शाम के समय छिड़काव करें।

● पत्तियों और फूलों पर हल्का फुहार दें ताकि पूरे पौधे पर समान रूप से लगे।

● बारिश से पहले या बहुत तेज धूप में छिड़काव न करें।

👉🏻फूल गिरने की समस्या :
पोषण की कमी, कीट / रोग या तेज गर्म हवाओं से फूल झड़ सकते हैं।

🧐समाधान :
5-10 ग्राम सल्फेट ऑफ पोटाश + 2 ग्राम बोरॉन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल या लहसुन-नीम स्प्रे का प्रयोग करें।

👉🏻परागण की कमी :
यदि बगीचे में एक ही आँवला पेड़ हैं, तो परागण न होने से फल नहीं बनते।

🧐समाधान :
कम से कम 2-3 आँवले के पेड़ लगाएँ।
फूल आने पर हल्के हाथों से फूलों को थप-थपाकर या ब्रश से हैंड पोलिनेशन करें।

👉🏻पोषण या मिट्टी की कमी :
पौधे की कमजोरी, जड़ सड़न या पोषक तत्वों की कमी से फलन रूक सकता हैं।

🧐समाधान :

जैविक खाद:- प्रति वर्ष 10-15 किलो० गोबर खाद + 1 किलो० नीम खली बड़े आकार के पेड़ में डाले।

अन्य उर्वरक (प्रति पेड़):
• 200 ग्राम नाइट्रोजन
• 100 ग्राम फास्फोरस
• 150 ग्राम पोटाश
• 2 से 3 ग्राम बोरॉन

सभी को मिलाकर आधा-आधा बाँटकर 2 बार पेड़ के तने के चारों ओर फैलाकर मिट्टी में मिला दें। गोबर की खाद और नीम की खली को वसंत में साल में एक बार डाले और NPK उर्वरक को दो बार, फरवरी में (वसंत) और सितंबर में (बरसात के मौसम के बाद) डालें।

🤔अगर आँवला का पेड़ गमले में लगा हैं, तब :

💁🏼‍♀️ गमला कैसा हो :
कम से कम 18-24 इंच गहरा और चौड़ा हो, नीचे अच्छी जल निकासी वाले छिद्र जरूरी हैं।

💁🏼‍♀️मिट्टी का मिश्रण :
50% दोमट मिट्टी + 30% गोबर खाद / वर्मीकम्पोस्ट + 20% रेत या कोकोपीट।

💁🏼‍♀️ धूप व स्थान :
आँवले के पौधे को 6-8 घंटे की धूप अवश्य मिले। गमले को समय-समय पर घुमाते रहें ताकि सभी भागों को प्रकाश मिले।

💁🏼‍♀️ सिंचाई :
गर्मियों में नियमित पर मिट्टी सूखने के बाद ही पानी दें। बारिश में जल निकासी पर विशेष ध्यान दें।

💁🏼‍♀️ छँटाई :
गमले में पौधे की ऊँचाई सीमित रखें। सर्दियों के अंत में सूखी और भीतरी टहनियाँ हटाएँ।

💁🏼‍♀️ रोग-कीट नियंत्रण :
नीम तेल या घर का जैविक स्प्रे हर 15 दिन में छिड़कें। गमले की सतह पर दीमक आदि का नियमित निरीक्षण करें।

💁🏼‍♀️ खाद व पोषण :

👉🏻 हर 2 महीने में 2-3 मुट्ठी जैविक खाद डालें।

👉🏻 फूल आने से पहले और बाद में थोड़ी मात्रा में उर्वरक NPK 05:05:05 + 1 ग्राम बोरॉन दें।

👉🏻 नीम खली, केले का छिलका आदि भी जरूर डालें।

👉🏻फूल झड़ने की समस्या हो तो सल्फेट ऑफ पोटाश 3-5 ग्राम + बोरॉन 1 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

👉🏻3 महीने में 1 बार माइक्रो न्यूट्रिशन का स्प्रे जरूर करें।

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आँवला के पौधे पर कई बार फूल नहीं आते और अगर आते हैं तो झड़ जाते हैं, फल नहीं बनते। इसके कई कारण हो सकते हैं- जैसे परागण ...
05/08/2025

आँवला के पौधे पर कई बार फूल नहीं आते और अगर आते हैं तो झड़ जाते हैं, फल नहीं बनते। इसके कई कारण हो सकते हैं- जैसे परागण की कमी, मिट्टी में पोषण तत्वों की कमी, नर-मादा फूलों की संख्या में असंतुलन, पौधे को उगाने की विधि और बेहद महत्वपूर्ण पौधें की उम्र। इनमें से कोई भी कारण हो सकता हैं।

💁🏼‍♀️आँवले में फल न लगने के कारण :

👉🏻पौधा फल देने की उम्र में नहीं पहुँचा :
बीज से उगाए आँवले को फल देने में 6 से 7 साल लग सकते हैं। कलम या ग्राफ्टेड पौधे आमतौर पर 3 से 4 साल में फल देना शुरू करते हैं।

🧐समाधान :
यदि पौधा बहुत पुराना होकर भी फल नहीं दे रहा, तो पौधे की छंटाई करें। आप हर साल सर्दियों के अंत में सूखी व भीतरी शाखाओं की कटाई-छंटाई करें ताकि धूप अंदर तक पहुँचे और ग्रोथ हॉर्मोन भी बढ़े।

👉🏻केवल नर या मादा फूल ही बन रहे हैं :
आँवला द्विलिंगी नहीं होता, उसमें नर और मादा फूल अलग-अलग बनते हैं। यदि मादा फूल नहीं बनते हैं या नर फूल कम बनते हैं, तो फल नहीं बनेंगे।

🧐समाधान :
फूल आने के समय NAA (नेफ्थलीन एसिटिक एसिड) का छिड़काव करें, यह मादा फूलों को बढ़ावा देता हैं।

👉🏻मात्रा :
1 मिलीलीटर NAA (4.5%) को 5 लीटर पानी में मिलाएँ।

🤔कब प्रयोग करें :

● फूल बनने के समय पर छिड़कें।

●15 से 20 दिन के अंतर पर 1-2 बार छिड़काव किया जा सकता हैं यदि समस्या बनी रहे।

🤔कैसे प्रयोग करें :
● सुबह या शाम के समय छिड़काव करें।

● पत्तियों और फूलों पर हल्का फुहार दें ताकि पूरे पौधे पर समान रूप से लगे।

● बारिश से पहले या बहुत तेज धूप में छिड़काव न करें।

👉🏻फूल गिरने की समस्या :
पोषण की कमी, कीट / रोग या तेज गर्म हवाओं से फूल झड़ सकते हैं।

🧐समाधान :
5-10 ग्राम सल्फेट ऑफ पोटाश + 2 ग्राम बोरॉन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल या लहसुन-नीम स्प्रे का प्रयोग करें।

👉🏻परागण की कमी :
यदि बगीचे में एक ही आँवला पेड़ हैं, तो परागण न होने से फल नहीं बनते।

🧐समाधान :
कम से कम 2-3 आँवले के पेड़ लगाएँ।
फूल आने पर हल्के हाथों से फूलों को थप-थपाकर या ब्रश से हैंड पोलिनेशन करें।

👉🏻पोषण या मिट्टी की कमी :
पौधे की कमजोरी, जड़ सड़न या पोषक तत्वों की कमी से फलन रूक सकता हैं।

🧐समाधान :

जैविक खाद:- प्रति वर्ष 10-15 किलो० गोबर खाद + 1 किलो० नीम खली बड़े आकार के पेड़ में डाले।

अन्य उर्वरक (प्रति पेड़):
• 200 ग्राम नाइट्रोजन
• 100 ग्राम फास्फोरस
• 150 ग्राम पोटाश
• 2 से 3 ग्राम बोरॉन

सभी को मिलाकर आधा-आधा बाँटकर 2 बार पेड़ के तने के चारों ओर फैलाकर मिट्टी में मिला दें। गोबर की खाद और नीम की खली को वसंत में साल में एक बार डाले और NPK उर्वरक को दो बार, फरवरी में (वसंत) और सितंबर में (बरसात के मौसम के बाद) डालें।

🤔अगर आँवला का पेड़ गमले में लगा हैं, तब :

💁🏼‍♀️ गमला कैसा हो :
कम से कम 18-24 इंच गहरा और चौड़ा हो, नीचे अच्छी जल निकासी वाले छिद्र जरूरी हैं।

💁🏼‍♀️मिट्टी का मिश्रण :
50% दोमट मिट्टी + 30% गोबर खाद / वर्मीकम्पोस्ट + 20% रेत या कोकोपीट।

💁🏼‍♀️ धूप व स्थान :
आँवले के पौधे को 6-8 घंटे की धूप अवश्य मिले। गमले को समय-समय पर घुमाते रहें ताकि सभी भागों को प्रकाश मिले।

💁🏼‍♀️ सिंचाई :
गर्मियों में नियमित पर मिट्टी सूखने के बाद ही पानी दें। बारिश में जल निकासी पर विशेष ध्यान दें।

💁🏼‍♀️ छँटाई :
गमले में पौधे की ऊँचाई सीमित रखें। सर्दियों के अंत में सूखी और भीतरी टहनियाँ हटाएँ।

💁🏼‍♀️ रोग-कीट नियंत्रण :
नीम तेल या घर का जैविक स्प्रे हर 15 दिन में छिड़कें। गमले की सतह पर दीमक आदि का नियमित निरीक्षण करें।

💁🏼‍♀️ खाद व पोषण :

👉🏻 हर 2 महीने में 2-3 मुट्ठी जैविक खाद डालें।

👉🏻 फूल आने से पहले और बाद में थोड़ी मात्रा में उर्वरक NPK 05:05:05 + 1 ग्राम बोरॉन दें।

👉🏻 नीम खली, केले का छिलका आदि भी जरूर डालें।

👉🏻फूल झड़ने की समस्या हो तो सल्फेट ऑफ पोटाश 3-5 ग्राम + बोरॉन 1 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

👉🏻3 महीने में 1 बार माइक्रो न्यूट्रिशन का स्प्रे जरूर करें।

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मोटापा से जीवनभर के लिए छुटकारा पाए ! इस आयुर्वेदिक फार्मूला का पालन करें हमें खाने के डेढ़ घंटे बाद पानी पीना है, ये याद...
05/08/2025

मोटापा से जीवनभर के लिए छुटकारा पाए ! इस आयुर्वेदिक फार्मूला का पालन करें

हमें खाने के डेढ़ घंटे बाद पानी पीना है, ये याद रखे कि डेढ़ घंटे बाद ही पानी पीना है. लेकिन पानी कैसे पीना है, ये बहुत महत्व की बात है. आप अभी सामान्य रूप से पानी कैसे पीते है, एक गिलास पानी भरा मुह में लगाया गट गट गट एक बार में ही पी लिया, गिलास एक बार में ही ख़त्म. कुछ लोग मुंह खोल लेते है, और खोलकर ऊपर से गिराते है. और पानी लगातार गटकते जाते है ये दोनों तरीके बहुत गलत है.

अगर आप घट घट घट लगातार पानी पी रहे है तो आपके शरीर में तीन रोग तो जरुर आने वाले है, पहला Appendicitis, दूसरा हर्निया (आंतों का उतरना) और तीसरा Hydrocele. ये हर्निया सबसे ज्यादा उन्ही लोगो को आता है जो पूरा गट गट के एक बार में ही पानी पीते है और जो Hydrocele है ये थोड़ी उम्र के बाद आती है विशेष रूप से ये पुरषों में आती है. हर्निया तो माताओं में भी आ जाता है लेकिन ये Hydrocele मर्दों की बीमारी है. ये तीनो रोग उन लोगो को जरुर आते है जो एक साथ पूरा लोटा या गिलास पानी गटकते है

मतलब ये कि एक साथ गट गट पानी पीना अच्छा नही है तो आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि पानी कैसे पीना है. तो हम आपको भाई राजीव दीक्षित जी द्वारा बताया गया तरीका बताते है. जो पानी पिने का सबसे उत्तम नियम है. आयुर्वेद में पानी पीने का सही तरीका वही बताया गया है जैसे आप चाय पीते है जैसे आप कॉफ़ी पीते है और जैसे आप गर्म दूध पीते है. सिप-सिप करके पीना है. एक सिप लिया फिर थोड़ी देर बाद दूसरा सिप लिया फिर थोड़ी देर बाद तीसरा सिप लेना है. अगर आप सिप करके पानी पी रहे है तो मैं आपको जितने चाहे मर्जी के स्टाम्प पेपर पे लिखकर देने को तैयार हु कि जो भी व्यक्ति जिंदगी में सिप करके पानी पिएगा, आयुर्वेद की गारंटी है कि जिंदगी में कभी भी उसको मोटापा नही आ सकता. कभी भी उस व्यक्ति का वजन नही बढ़ेगा. जितना वजन होना चाहिए, अगर पानी सिप करके पी रहे है तो जिंदगी भर उतना ही वजन रहेगा.

आप उसका उल्टा प्रश्न पूछ सकते है कि अगर वजन बढ़ गया है तो, तो आप बिलकुल चिंता ना करे. आप सिप करके पानी पी लीजिये 6 से 7 महीने में 10 किलो वजन आपका घट जायगा. ये जो मोटापा है, ये धीरे धीरे आया है, एक दम नहीं आया है. इसलिए धीरे धीरे ही कम होगा. यही प्रकृति का नियम है. अगर आप इसके विपरीत जाकर वजन कम करेंगे तो एक बार तो कम हो जायेगा लेकिन जैसे ही आप उस चीज को छोड़ दोगे पहले से भी ज्यादा मोटापा आ जाएगा.

अब आपके मन में एक सवाल आयेगा कि पानी ऐसे पीने से वजन ज्यादा घट गया तो?. उसकी आप बिलकुल भी चिंता मत करिये, जितना बढ़ा हुआ है उतना ही घटेगा. घटने के बाद स्थिर हो जाएगा. आप हमेसा सिप करके ही पानी पीजिये. इसका दूसरा फायदा ये होगा कि अभी आप कल से ही देखेंगे, अगर सिप करके पानी पिने की आदत अपने डाली तो ये जो घुटने का दर्द है ये 7 दिन लगातार पानी ऐसे पीने से 25 % ख़त्म हो जायेगा. ऐसे ही अगर एडी का दर्द है, या जॉइंट का पैन ये तो 7 दिन में 100 % खत्म हो जायगा.

ये जो जॉइंट में पैन आपको होता है ये 25 से 30% 7 दिन में कम हो जायगा और सवेरे सवेरे उठते ही जिनको सर दर्द होता है, चक्कर आते है, ये 7 दिन में तीनो ही गायब हो जायंगे. पहला सूत्र था खाना खाने के बाद पानी नही पीना है, डेढ़ घंटे के बाद पीना है. और अगर कुछ पीना है तो सुबह जूस पीना है, दोपहर को लस्सी या छांछ पीनी है, रात को दूध पीना है और दूसरा सूत्र ये है कि पानी हमेसा घूंट घूंट थोडा थोडा करके पीना है.

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