28/04/2025
🌿 अल्कलाइन पानी: सेहत का वरदान या बोतल में बंद एक बड़ा छलावा? 🌿
👴🏻
एक चाचा चौधरी जैसी मूंछों वाले, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त व्यक्ति को, आपने शायद टीवी या फेसबुक पर देखा होगा —
हाथ में एक तुर्रीनुमा संरचना पकड़े हुए,
बड़ी शान से दावा करते हुए कि —
"यह उपकरण आपके पानी को क्षारीय बना देगा और पानी का हाइड्रोजन एक्टिवेट हो जाएगा!"
मार्केटिंग का दावा:
"चूंकि आधुनिक आहार हमारे शरीर को 'अत्यधिक अम्लीय' बना देता है, इसलिए अल्कलाइन पानी पीने से शरीर की इस अम्लता को 'निष्क्रिय' किया जा सकता है, शरीर को डिटॉक्स किया जा सकता है, उम्र बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है, और कैंसर, गठिया तथा मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।"
यह सुनने में इतना दिव्य प्रतीत होता है — मानो किसी बोतल में गंगाजल भर दिया गया हो —
पर क्या वास्तव में ऐसा है?
काश मूर्खता का कोई पैमाना होता... तो शायद यह उसका अंतिम छोर होता!
और दुर्भाग्य यह कि —
इस भ्रम में वे लोग फंसे हैं, जो इस तरह की बातों से अपने स्वास्थ्य को संवारने की उम्मीद लगाये बैठे हैं।
⚡ भय से बेचा जा रहा है,
भय से खरीदा जा रहा है।
📜 अब आइए सच्चाई जानें:
क्या है अल्कलाइन पानी?
सामान्य जल का pH लगभग 7 होता है (न्यूट्रल)।
अल्कलाइन जल का pH 8 से 9.5 तक बताया जाता है।
दावा है — "ये शरीर की अम्लता कम करेगा, डिटॉक्स करेगा, और बुढ़ापा व बीमारियाँ रोकेगा।"
सपने बिक रहे हैं — बोतलों में!
🔬 विज्ञान क्या कहता है?
शरीर खुद अपने pH को सन्तुलित करता है।
रक्त का pH 7.35 से 7.45 के बीच होता है।
थोड़ा भी हिलना डुलना शरीर को संकट में डाल देता है — जिसे संभालते हैं हमारे फेफड़े और गुर्दे, न कि अल्कलाइन पानी।
पेट का अम्ल सारी क्षारीयता को समाप्त कर देता है।
जो भी क्षारीय पानी आप पीते हैं, वह पेट की प्रचंड अम्लता में समा जाता है।
अंततः आंतों में पहुँचने पर वह साधारण जल ही होता है!
कोई ठोस प्रमाण नहीं।
कैंसर, डायबिटीज़, या उम्र बढ़ने पर प्रभाव डालने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण अब तक नहीं मिला।
'शरीर को क्षारीय करना' — केवल भ्रम है।
हमारा शरीर अपने आप pH संतुलन में रहता है, चाहे आप क्या भी खाएँ या पिएँ।
🧠
संक्षेप में:
अल्कलाइन पानी से शरीर का pH बदलने की कोशिश वैसी है, जैसे किसी सुनामी के सामने छाता खोलकर खड़े होना।
🪔 आयुर्वेद का विचार:
जल को शीतल, स्निग्ध, शुद्ध होना चाहिए — न कि कृत्रिम रूप से छेड़ा गया।
तुलसी युक्त जल, ताम्रपात्र का जल, या प्राकृतिक स्रोतों का स्वच्छ जल — यही असली जीवन रक्षक है।
आयुर्वेद में कहीं नहीं कहा गया कि "pH बढ़ाकर" स्वास्थ्य बनाया जाए।
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प्राकृतिक जल ही असली औषधि है। कृत्रिम अल्कलाइन पानी — केवल बाज़ार का छलावा।
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स्कूल में प्रार्थना के बाद बजने वाला गीत याद आ गया ........
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिसमें मिला दो लगे उस जैसा
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