26/05/2024
✍️ *मेरे जीवन का एक सत्य*
आज मेरी आयु 77 वर्ष की है और जब मैं 7 वर्ष का हुआ था, तब मेरे पूज्य पिताजी ने मुझे ईमानदारी से धन कमाने की शिक्षा देना प्रारम्भ कर किया था और तब से ही मैंने धन कमाना शुरू भी कर दिया था।
इसलिए मैं धन की महत्ता समझता हूं, कि ईमानदारी और मेहनत से धन कैसे कमाया जाता है?
और कैसे जोड़ा जाता है?
और कैसे उचित समय पर सदुपयोग में लिया जाना चाहिए ?
इसी तरह से अपने जीवनकाल में, मैंने हजारों आयोजन देखें, परंतु जितना अधिक आनंद मुझे *शुक्रवार, 17 मई, 2024* को आया, उतना आनंद पहले कभी नहीं आया। प्रत्येक आयोजन में मेजबान को यह चिंता सताती रहती है, कि यदि मेहमान अधिक आ गए तो खाद्य सामग्री कम पड़ जाएगी और यदि मेहमान कम आए, तो जो भोजन तैयार किया गया है, उसका क्या होगा?
वह फालतू चला जाएगा। नष्ट हो जायेगा।
यदि होटल में भी आयोजन करते हैं, तो भी यह धुक धुक लगी रहती है कि मेहमान कम आए, तो होटल वाले को MG यानि मिनिमम गारंटी देना ही पड़ेगी और फालतू में अधिक बिल चुकाना पड़ेगा। इसलिए अधिकतर लोग शादी विवाह के कार्ड घर-घर जाकर बांटते हैं और गिड़गिड़ा कर कहते हैं कि आप हमारे यहां जरूर पधारना।
सभी लोग हां भर देते हैं कि *हम जरूर आएंगे,*
परन्तु जिस दिन आयोजन होता है, उस दिन मेजबान का दिल धक-धक करता रहता है, क्योंकि हां भरकर नहीं आने वाले का क्या किया जाए।
17 मई 2024 को मैं बहुत खुश था कि आज तो जो भी मेहमान आए, उसका बहुत आभारी रहूंगा और यदि कोई व्यक्ति नहीं आए तो उसके प्रति मन में कोई राग द्वेष उत्पन्न नहीं होगा कि वह क्यों नहीं आया?
उस दिन कम मेहमान आने पर भोजन सामग्री व्यर्थ चली जाएगी, नष्ट हो जाएगी, मन में ऐसा कोई डर नहीं सता रहा था।
*जो आए, उसका भला, जो नहीं आए, उसका भी भला।*
ऐसी मंगल कामनाएं सब के प्रति मन में हो रही थी।
उस दिन कड़कती धूप में, मुझसे विशेष स्नेह रखने वाले मेरे जो भी अतिथि आए, मैंने उनका स्वागत, संसार का सबसे मीठा शहद, उत्तराखण्ड से मंगाया हुआ, *लीची के फूलों का शहद, 500 ग्राम की पैकिंग* में भेंट कर उनका दिल से सम्मान किया। उन्होंने आडिटोरियम में बैठकर 3 घंटे की हमारी फिल्म देखी और *महादेव जी की चार कन्याओं* की कहानी देखकर अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने का फॉर्मूला भी प्राप्त कर लिया।
*शहद ही भेंट* करने का कारण आप