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छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे शिवाजी जयंती कब मनाई जाती है :- छत्रपति शिवाजी महाराज (1630 - 1680ई) भारत के महान राजा एवं ...
05/02/2022

छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे शिवाजी जयंती कब मनाई जाती है :- छत्रपति शिवाजी महाराज (1630 - 1680ई) भारत के महान राजा एवं रणनीतिकार थे। शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 ई. शिवनेरी दुर्ग में हुआ था।वर्ष 2022 में शिवाजी जयंती 19 फरवरी को है। शिवनेरी दुर्ग भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे के जुन्नैर गांव के पास में स्तिथ इस दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी को महाराज छत्रपति शिवाजी की जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है शिवाजी के पिताजी शाहजी बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह की सेना में एक सेनापति के रुप में थे। लेकिन लगातार युद्ध हो रहे थे इस कारण से अपनी गर्भवती पत्नी जीजाबाई की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे, इस लिए उन्होने अपने परिवार को शिवनेरी में भेज दिया। शिवनेरी चारों ओर से खड़ी चट्टानों से घिरा एक अभेद्य गढ़ था। इस गढ़ के भीतर माता शिवाई का एक मन्दिर था.और इसी स्थान पर शिवाजी का जन्म हुआ था। इसी कारण शिवाजी का नाम इसी माता के नाम पर रखा गया। इसी किले के अंदर एक सरोवर स्तिथ है जिसे बादामी तालाब के नाम से जाना जाता है। आज भी शिवाजी महाराज की यादे है। और इसी सरोवर के दक्षिण में माता जीजाबाई और बाल शिवाजी की मूर्तियां स्थित हैं। किले में मीठे पानी के दो स्रोत हैं जिन्हें गंगा-जमुना कहते हैं और इनसे वर्ष भर पानी की आपूर्ति चालू रहती है। शिवाजी महाराज मेवाड़ के सूर्यवंशी छत्रिय सिसोदिया राजपूतो के वंसज थे। शिवाजी महाराज के जीवन पर उनके माता पिता का काफी प्रभाव पड़ा। उनके बचपन में उनके साथ उनकी माता ही थी। उन्होंने बचपन से ही राजनीती एवं युद्ध का ज्ञान लिया था शिवाजी महाराज उस समय के वातावरण और घटनाओ को अछि प्रकार समझने लगे थे शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में लाल महल पुणे में हुआ था। शिवाजी महाराज ने कुल आठ विवाह किये थे। सखुबाई राणूबाई (अम्बिकाबाई); सोयराबाई मोहिते - (बच्चे- दीपबै, राजाराम); पुतळाबाई पालकर (1653-1680), गुणवन्ताबाई इंगले; सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, सकवारबाई गायकवाड़ - (कमलाबाई) (1656-1680)। ...

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Shivaji Jayanti | छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे | वर्ष 2022 में शिवाजी जयंती कब है ,शिवाजी जयंती क्यों मनाते है | शिवाजी महाराज की क....

बसंत क्या है :-           बसंत ऋतू उतर भारत एवं उसके समीपवर्ती देशों की छः ऋतुहो में से एक ऋतू है जो फ़रवरी मार्च अप्रैल ...
04/02/2022

बसंत क्या है :- बसंत ऋतू उतर भारत एवं उसके समीपवर्ती देशों की छः ऋतुहो में से एक ऋतू है जो फ़रवरी मार्च अप्रैल के मध्य अपना सौन्दर्य बिखरती है। हिन्दू संस्कृती से ऐसा माना गया है की माघ महीने की शुक्ल पंचमी से बंसत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास बसंत ऋतू के माने गये है फाल्गुन वर्ष का अंतिम एवं चैत्र वर्ष का पहला महीना है। इसी कारण हिन्दू संस्कृति के अनुसार वर्ष का अंत और प्रारंभ बसंत ऋतू के साथ ही होता है बसंत ऋतू के आते ही शर्दी काम हो जाती है और मौसम सुहावना हो जाता है पेड़ो में नए पते आने लगते है चारो तरफ हरियाली ही हरियाली हो जाती है पेड़ पोधो पर भवरें गुंजन करते रहते है पेड़ पौधे पर फल फूल लगने लगते है जिस से बोर गुंजन करते रहते हे और उनकी प्यारी आवाज कानो तक सुनाई देती है जिस से मन प्रशन्न हो जाता है। सरसो के खेत मके चारो तरफ पिले रंग के सुनहरे फूल ही फूल नजर आते है क्युकी इसी महीने में सरसो के फूल खिल जाते है चारो तरफ का वातावरण बहुत ही आन्दमय रहता है इसी लिए राग रंग उत्सव मनाने के लिए ये ऋतू सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है। इसे ऋतुहो का राजा भी कहा जाता है। ...

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बसंत क्या है :- बसंत ऋतू उतर भारत एवं उसके समीपवर्ती देशों की छः ऋतुहो में से एक ऋतू है जो फ़रवरी मार्च अप्रैल के मध्य .....

कौन है खाटू श्याम जी | खाटू श्याम जी की कहानी | खाटूश्याम जी परिचय स्थान:-    भारत देश के राजस्थान राज्य में सीकर जिले क...
31/01/2022

कौन है खाटू श्याम जी | खाटू श्याम जी की कहानी | खाटूश्याम जी परिचय स्थान:- भारत देश के राजस्थान राज्य में सीकर जिले के एक छोटा सा गांव जो विश्व भर में प्रशिद्ध खाटूनगरी के नाम से विख्यात नगर वा पर शीश के दानी श्याम बाबा का एक विशाल मंदिर जो पुरे विश्व में प्रशिद्ध जो वहा बसा हुआ है जो पुरे विश्व में विख्यात है हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवता हो का बहोत बड़ा एक महत्व है सभी देवी देवता अपने अपने रूपों में जाने जाते है आज हम इन्ही देवताओ में एक कलियुग के अवतारी बाबा श्यामजी के बारे में जान रहे है खाटूश्यामजी को श्री कृष्ण द्वारा वरदान मिला था की जैसे जैसे कलियुग अपने चर्म सीमा में आगे बढ़ेगा वैसे वैसे उनका नाम पूजा जायेगा क्यों की भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक के महान बलिदान से काफी प्रशन्न हुए और उन्हये वरदान दिया था की जैसे जैसे कलियुग बढ़ेगा वैसे वैसे तुम्हारा नाम श्याम के नाम से पूजे जाओगे तुम्हारे भक्तो का केवल तुम्हारा सच्चे मन से नाम लेने मात्र से ही उनका उद्धार होता रहेगा यदि भक्त तुम्हारी सच्चे और प्रेम भाव से भक्ति और पूजा करने मात्र से ही उन की हर एक मनोकामना पूर्ण होगी और सभी कार्य सफल होंगे ...

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खाटू श्याम जी कि कहानी हिंदी में ,खाटू श्याम बाबा की आरती , जानिए खाटू श्याम जी के चमत्कार। खाटू श्याम जी की सम्पूर्.....

संत दादू दयाल जी की सम्पूर्ण जीवनी:-  भारत एक विशाल देश है जिसे हम प्राचीन काल  से ही साधु संतो की नगरी के नाम से भी सम्...
31/01/2022

संत दादू दयाल जी की सम्पूर्ण जीवनी:- भारत एक विशाल देश है जिसे हम प्राचीन काल से ही साधु संतो की नगरी के नाम से भी सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। और आज भी भारत को संतो की नगरी के रुप में जाना जाता है। भारत देश में अनेक से संत महात्मा और कवियों ने अपनी अलग से पहचान बन रखी है उन में से एक महान भक्तिकाल ज्ञानश्रयी शाखा के कवी हम आज संत श्री दादू दयाल जी के बारे में जानते है। संत दादू दयाल जी का जन्म समय विक्रम संवत् 1601 में फाल्गुन शुक्ला अष्टमी को अहमदाबाद में हुआ था.जब इनका जन्म हुआ तब इनका नाम महाबली नाम से जाने जाते थे और जब इनकी पत्नी की मृत्यु होने के बाद इन होने गृहस्त आश्रम को छोड़कर एक सन्यासी बन गये थे और दादू पंथ में चले गए गये थे और ये दयालु प्रवर्ति एवं कोमल ह्रदय के व्यक्तित्व होने के कारण इन का नाम “दादू दयाल” पड़ गया था। संत नाम से विख्यात दादू हिंदी गुजराती राजस्थानी आदि कई भाषाओँ के ज्ञाता थे इन्होने कही शबद शाखी एवं इन्होने प्रेमभाव पूर्ण रचनाये लिखी इन्होने जात - पाँत का निराकरण हिन्दू - मुसलमानों की एकता आदि विषयो पर भी पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय कोमल को ही प्रेरित किया है। संत दादू दयाल ने राजस्थान के फतेहपुर सिकरी में अकबर से भेट करने के बाद ये भक्ति का प्रचार प्रसार करने लगे फिर ये राजस्थान में नारायणा में रहने लगे और नारयणा में ही 1603ईस्वी में अपनी अंतिम साँसे ली और पंच तत्व में मिल गये इन की मृत्यु के बाद संत दादू एवं उनकी भक्ति का प्रचार प्रसार उनके 52 शिष्य थे इनमे से रज्जब, सुन्दरदास, जनगोपाल प्रमुख थे....

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संत दादू दयाल जी के जीवन परिचय को लेकर संपूर्ण विवेचना आज आप इस लेख में पढ़ेंगे।आइये जानते है इनके शिष्य और गुरु कौन ...

आइये जानते है बाबा भेरु नाथ की महिमा और भैरव नाथ आरती का उल्लेख –  (Bheru Baba ki aarti)     आइये आज जानते है की बाबा भे...
28/01/2022

आइये जानते है बाबा भेरु नाथ की महिमा और भैरव नाथ आरती का उल्लेख – (Bheru Baba ki aarti) आइये आज जानते है की बाबा भेरु नाथ जी महाराज के बारे में। भैरव नाथ जी को शिवजी का ही एक दूसरा अवतार माना जाता है। (भैरव नाथ का अर्थ भी ये ही है की जो देकने में भयंकर हो और भय की रक्षा करता हो ) ...

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Bheru Baba ki aarti | भैरव बाबा की आरती,भैरव महाराज के चमत्कारी उपाय,भैरव महाराज की महिमा भैरव बाबा के मंत्र भैरव बाबा के अन्य न.....

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